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Uttarakhand

कहीं समस्या, कहीं समाधान

सीमांत के दो जिले पिथौरागढ़ और चंपावत, दोनों ही जिले ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा सैनिक पृष्ठभूमि के लोग रहते हैं। एक जिला पिथौरागढ़ जहां पूर्व सैनिक और उनके आश्रित परिवारों की न केवल समस्याओं को सुना जा रहा है, बल्कि वहां कैंटीन और सैन्य अस्पताल अस्तित्व में हैं। दूसरी तरफ चंपावत जिला है जहां से खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधायक हैं, लेकिन यहां पूर्व सैनिक और उनके आश्रित परिवारों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। पिछले साल ही मुख्यमंत्री धामी यहां सीएसडी खोलने का एलान कर चुके हैं। एक साल होने को आया अभी तक उनका वादा अधूरा है

जिला सैनिक कार्यालय पिथौरागढ़ द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप लगाकर पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों की न सिर्फ समस्याओं को सुना जा रहा है, बल्कि मौके पर ही कई समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है। इन कैंपों के माध्यम से पूर्व सैनिकों, वीर नारियों एवं इनके आश्रितों को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी बताया जा रहा है ताकि वे इन योजनाओं का लाभ ले सकें। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय पिथौरागढ़ द्वारा पिछले दिनों विकासखंड गंगोलीहाट के दूरस्थ क्षेत्र सिनलेख में कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें मौके पर कई पूर्व सैनिकों की समस्याओं का समाधान किया गया और उन्हें सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास के तहत प्रदान की जाने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गई। इससे पूर्व जनपद के सुदूरवर्ती क्षेत्र मदकोट (मुनस्यारी), बनकोट, धारचूला, झूलाघाट, गंगोलीहाट, बथौली (कनालीछीना) में कैंप आयोजित किए गए जिसमें सैकड़ों लोग लाभान्वित हुए। इन कैंपों में केंद्रीय सैनिक बोर्ड एवं राज्य सैनिक बोर्ड से दी जाने वाली सुविधाओं, प्रधानमंत्री छात्र वृद्धि योजना, पेंशन संबंधी प्रकरण, पुत्री विवाह, विकलांग सैनिकों के लिए सहायता, नॉन पेंशनर के लिए प्यूनरी ग्रान्ट, द्वितीय विश्वयुद्ध पेंशन योजना, भाग-दो आदेश, पहचान पत्र, पूर्व सैनिकों के आश्रितों को मिलने वाले दाह संस्कार हेतु सहायता, सीएसडी योजना के लाभों से अवगत कराया गया। इसके साथ ही मौके पर पूर्व सैनिकों व विधवाओं के पहचान पत्र भी बनाए गए। कैंप स्थल पर केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता, राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली अनुदान राशि, उत्तराखण्ड पुनर्वास संस्था से प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता के बारे में जानकारी लोगों को अवगत कराया गया।

 

पिथौरागढ़ csd

कैंप स्थल पर खुद इस संवाददाता ने देखा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, डिस्चार्ज सर्टिफिकेट, पीपीओ में नाम, जन्मतिथि आदि में भिन्नता होने से किस तरह पेंशन आदि लाभों को पाने में पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। जिला सैनिक कार्यालय के अधिकारियों-कर्मचारियों ने कैंप स्थल पर उपस्थित लोगों को बताया कि सभी पारिवारिक पेंशन का लाभ लेने के लिए पीपीओ के आधार पर अपने दस्तावेजों को उसी नाम, जन्मतिथि के अनुसार ठीक करा लें। अगर आधार एवं अन्य दस्तावेजों को ठीक कराने के लिए उनके पास कोई वैध प्रमाण पत्र नहीं हैं तो वे सैनिक कल्याण कार्यालय या फिर कैंपों पर आकर पहचान पत्र प्राप्त कर लें फिर उस आधार पर अपने दस्तावेजों को ठीक कर लें। जिला सैनिक कार्यालय पिथौरागढ़ लगातार तेज गति से पूर्व सैनिकों, वीर नारियों एवं आश्रितों के कल्याण हेतु कार्य में जुटा हुआ है। 01 अप्रैल 2022 से अब तक वह 113 मामले केंद्रीय सैनिक बोर्ड को, शिक्षा भत्ता के 46 मामले अभिलेख कार्यालय, 01 मामला पैन्यूरी ग्रांट व पुत्री विवाह अनुदान हेतु केंद्रीय सैनिक बोर्ड को 06 व राज्य सैनिक बोर्ड को 04 मामले, मोटराइज स्कूटर का 01 मामला, 51 दैनिक भाग दो एवं 28 पेंशन संबधी दस्तावेज, 25 रिलेशन प्रमाण पत्र अभिलेख कार्यालय को भेज चुका है। इसके अलावा 68 पता बदली के साथ ही 89 पूर्व सैनिकों व 31 वीर नारी पहचान पत्र जिला सैनिक कार्यालय से अब तक जारी किए जा चुके हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप लगाने से पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों ने खुशी जाहिर की है। जो पूर्व सैनिक व आश्रित शारीरिक रूप से असमर्थ होने की वजह से जिला मुख्यालय स्थित जिला सैनिक कार्यालय नहीं पहुंच पाते वे कई तरह के लाभों से वंचित हो जाते हैं। ऐसे में कैंप लगने से उनकी कई समस्याओं का समाधान घर के पास हो जा रहा है। 84 वर्षीय पूर्व सैनिक आश्रित भगवती देवी कहती हैं कि जिला सैनिक कार्यालय पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों की समस्याओं को सुलझाने में काफी मदद कर रहा है। साथ ही उन तमाम जानकारियों को उनके घर के पास कैंप लगाकर पहुंचा रहा है जो शारीरिक व अन्य कारणों से जिला मुख्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे जहां उनकी समस्याओं का त्वरित निदान हो रहा है तो वहीं कई जानकारियां भी उन्हें मौके पर मिल पा रही हैं।

चंपावत में सीएसडी बनवाने के लिए हमारी सरकार प्रयासरत है। इसके लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पूर्व सैनिकों के हित सुरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता में है।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार

चंपावत में सीएसडी की मांग को लेकर सीएम से मिलते मेजर जनरल संजीव खत्री

सीएम की घोषणा के बाद भी कैंटीन नहीं
पहाड़ी क्षेत्र का वीरता में कोई सानी नहीं है। काली कुमाऊं के नाम से प्रसिद्ध चंपावत को ही लें तो स्वतंत्रता के बाद से अब तक विभिन्न युद्धों और ऑपरेशनों में यहां के 73 सैनिक शहादत दे चुके हैं। सरकार इन शहीदों की स्मृतियों को संजोने के लिए जल्द ही शहीद स्मारक बनाने की तैयारी में है। जिला पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल वीपी भट्ट का दावा है कि इस स्मारक में तीन पटल (पत्थर) लगाए जाएंगे। जिसमें सभी 73 शहीदों के नाम अंकित किए जाएंगे। लेकिन वहीं दूसरी तरफ देखें तो चंपावत जिले के पहाड़ी क्षेत्र के अधिकांश पूर्व फौजी और पूर्व सैनिक आश्रित परिवारों को चंपावत या लोहाघाट में न तो कैंटीन की सुविधा मिल रही है और न ही सैन्य अस्पताल की। दोनों सुविधाओं को पाने के लिए इन पूर्व फौजी परिवारों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ये नौबत भी तब है जब सीएसडी (कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट) खोलने का एलान खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हो चुका है।

जानकारी के अनुसार चंपावत जिले में 3659 पूर्व फौजी और 1315 पूर्व सैनिक आश्रित परिवार निवास करते हैं। इनमें से अधिकांश लोगों को कैंटीन की सुविधा के लिए 80 किमी दूर पिथौरागढ़ या 83 किमी कमलपथ की दौड़ लगानी पड़ रही है। जिसमें न केवल समय बल्कि किराए के रूप में भी काफी धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। इसी तरह ईसीएचएस (पूर्व सैनिक योगदान स्वास्थ्य योजना) का भी फायदा पूर्व फौजियों को चंपावत क्षेत्र में नहीं मिल पा रहा है। इसके लाभ के लिए भी उन्हें पिथौरागढ़ या बरेली जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। पूर्व फौजी संगठन के एक सदस्य का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल जून में चंपावत में सीएसडी खोलने का एलान किया था लेकिन अभी तक यह कैंटीन अस्तित्व में नहीं आ सकी है।

चंपावत जिले के पहाड़ के 600 फौजियों को पिथौरागढ़ स्टेशन हेड क्वार्टर ईएसएम की ओर से चंपावत स्थित 119 ऑर्डिनेंस कंपनी की कैंटीन से संबद्ध किया गया है। पूर्व फौजियों के संगठन सदस्य का कहना है कि कैंटीन और ईसीएचएस सुविधा को स्थानीय स्तर पर दिलाने के लिए पत्र भी भेजा जा चुका है। इस संबंध में जब सीएम कैंप कार्यालय के नोडल अधिकारी केएस बृजलाल से बात की गई तो उन्होंने जल्द ही कैंटीन के अस्तित्व में आने का दावा किया। बृजलाल का कहना है कि सैन्य कैंटीन खोले जाने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत में आर्मी कैंटीन विस्तारीकरण के निर्देश दिए हैं। जल्द ही चंपावत में कैंटीन अस्तित्व में आ जाएगी।

 

जनपद के पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों, वीरांगनाओं की समस्याओं के समाधान के लिए हम विकासखंड स्तर पर दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप लगा रहे हैं ताकि घर के पास ही इनकी समस्याओं का समाधान हो सके। इन कैंपों में पेंशन प्रकरण, पहचान पत्र के साथ ही केंद्र, राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जा रही है। दूरस्थ क्षेत्रों में कैंप लगने से पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के जिला मुख्यालय आने-जाने में होने वाला खर्चा भी बच जाता है। साथ ही घर के पास ही उनकी समस्याओं का समाधान हो जाता है। पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों को दिए जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी देने हेतु जिला सैनिक कार्यालय लगातार प्रयासरत है। हमारा प्रयास है कि सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों को केंद्रीय सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड व राज्य सरकार के साथ ही उत्तराखण्ड पुर्नवास संस्था द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता के बारे में भी इन कैंपों में जानकारी दी जा रही है। हमारा जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों से अनुरोध है कि वे बड़ी संख्या में कैंपों में आएं व यहां मिलने वाली जानकारियों से लाभान्वित हों।
कर्नल चन्द्र बहादुर पुन, जिला सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास अधिकारी, पिथौरागढ़

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