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Uttarakhand

हरिद्वार में हरदा की घेराबंदी

जिस तीर्थ नगरी हरिद्वार में कांग्रेस वर्षों तक जीत के लिए तरसती रही वहां 2009 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत ने विजय हासिल कर पार्टी में जान फूंकी। रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां के कार्यकर्ताओं को सरकार में भरपूर सम्मान भी दिया। लेकिन आज इनमें से कई कार्यकर्ता विरोधी खेमे में सक्रिय होकर रावत की घेराबंदी में जुटे हैं। बाहरी और भीतरी का मुद्दा उछालकर उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। इन लोगों को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का वरदहस्त बताया जाता है
आ गामी लोकसभा चुनाव के लिए कुछ  की समय बाकी रह गया है, परंतु राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की अंतर्कलह रुकने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि कहने को तो उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस की एक जैसी स्थिति नजर आ रही है, लेकिन हरिद्वार लोकसभा सीट पर कुछ ज्यादा ही मारामारी है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर भारी बहुमत से विजय प्राप्त कर हरीश रावत ने यहां वर्षों से जीत के लिए तरस रहे पार्टी कार्यकर्ताओं में नया उत्साह जगा दिया था। लेकिन रावत अब एक बार फिर इस सीट से ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं तो कांग्रेस के एक गुट को नागवार लग रहा है। इस गुट की ओर से रावत की राह में रोड़े अटकाने के प्रयास हो रहे हैं। इन लोगों को प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह गुट का वरदहस्त बताया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अंदर खाने हरीश रावत की दावेदारी के विरोध में जुटे कांग्रेसियों में वह दल-बदलू नेता खास भूमिका अदा कर रहा है जिसको कांग्रेस में लाकर हरीश रावत ने ही हरिद्वार की एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। अब वही पूर्व विधायक स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी के नाम पर रावत की दावेदारी के खिलाफ एक बड़े गुट को सक्रिय कर लॉबिंग में जुटा हुआ है। इस पूर्व विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह गुट के संजय पालीवाल सहित कुछ अन्य कांग्रेसियों को अपने साथ मिलाकर सोशल मीडिया के जरिये एवं मीटिंग इत्यादि करके हरीश रावत की दावेदारी के विरोध में स्वर तेज कर रखे हैं। लेकिन पूर्व विधायक के साथ हरीश के विरोध में जुटे अधिकतर वह कांग्रेसी हैं जो आज तक वार्ड मेंबर का चुनाव तक नहीं जीत सके हैं और ना ही अपने वार्ड से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कर सके। स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा उछाल कर रावत के विरुद्ध हरिद्वार लोकसभा सीट पर जाल बुना जा रहा है।
दिलचस्प यह है कि एक ओर रावत के खिलाफ जाल बुना जा रहा है, तो दूसरी तरफ रावत इसकी परवाह न करते हुए रात- दिन मेहनत कर अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटे हुए हैं। अपनी रणनीति के तहत हरीश रावत गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर उत्तराखण्ड- उत्तर प्रदेश की सीमा गुरुकुल नारसन से हर की पैड़ी तक कांग्रेसियों की फौज के साथ जुलूस निकालकर त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। यही नहीं स्थानीय समस्याओं को लेकर भी रावत विधानसभा के बाहर धरना दे चुके हैं। पिछले दिनों रावत ने गन्ना किसानों के चीनी मिलों पर बकाया भुगतान के संबंध में लक्सर तहसील पर भी एक दिवसीय धरना दिया था। हरिद्वार लोकसभा सीट पर रावत की बढ़ती सक्रियता के बाद उनके विरोधी नेताओं के चेले अब सोशल मीडिया के माध्यम से हरीश रावत पर कीचड़ उछालने में जुट गए हैं। अब तक बेहद शांत हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से विरोधी गुट के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। पिछले दिनों उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली जिससे कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति में खलबली मची हुई है। जहां एक ओर पूर्व शहर अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा,  सफाई आयोग के पूर्व अध्यक्ष किरण पाल बाल्मीकि जिला पंचायत उपाध्यक्ष व राव आफक अली जैसे खास कांग्रेसी हरीश रावत के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह से जुड़ा एक गुट रावत के खिलाफ पूरे दमखम के साथ विरोध की आवाज बुलंद करने में जुटा है। स्थानीय और बाहरी के मुद्दे को उछाल कर हरीश रावत के विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस में  जारी  इसी घमासान के चलते पिछले दिनों सोशल मीडिया फेसबुक पर हरीश रावत ने कई पोस्ट डालीं जिनसे कांग्रेस का माहौल काफी गरमा गया। जिनमें 9 फरवरी को हरीश रावत ने लिखा कि आजकल हरिद्वार के समाचार पत्रों में बराबर छप रहा है ‘बाहरी कौन’। कांग्रेस के सिद्धांतों में घटिया सोच के लिए कोई स्थान नहीं है। राज्य निर्माण के लिए लड़ने वाला सिपाही, राज्य में कांग्रेस को खड़ा करने वाला सिपाही कैसे बाहरी हो सकता है? सवाल मेरे चुनाव लड़ने का नहीं है, सवाल है गलत धारणाएं। यह राज्य की बुनियाद को कमजोर करती हैं। ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ ना चाहते हुए भी मुझे कुछ कहना पड़ रहा है। यही नहीं एक अन्य पोस्ट में हरीश रावत ने विरोधी गुट के नेता पर सीधा हमला बोलते हुए लिखा कि एक प्यारी सी दिलचस्प बहस चल रही है बाहरी कौन भीतरी कौन। बाहरी वह है जो आपकी बकरी, भैंस, बैल का इलाज करवाए। आपका और आपके परिवार का इलाज करवाए। बीज व पौधे बांधे। गन्ने का भुगतान करे। 3 साल में 16 पुल बनवाए। चमाचम सड़कें बनवाए और नदियों के बंदे बनवाए। अर्ध कुंभ में कुंभ से ज्यादा काम करवाए। डिग्री कॉलेज, पॉलिटेक्निक, मेडिकल कॉलेज आदि स्वीकृत कराएं। भीतरी कौन जो सुशील मूंछ और राठी को जानता हो। भाइयों और पड़ोसियों में मुकदमेबाजी करवाए और फिर मध्यस्थ बने। जो गाली देकर बात करे, पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए किसी से भी मोलभाव करने का गुण रखता हो। परिभाषा ठीक है ना बाहरी या भीतरी। हरीश रावत की इस कटाक्षपूर्ण पोस्ट ने जैसे हरिद्वार की कांग्रेस राजनीति में भूचाल ही खड़ा कर दिया। जिस प्रकार हरीश रावत ने एक दल बदलू पूर्व विधायक पर सुनील राठी और सुशील मूंछ जैसे गैंगस्टर से संबंधों को लेकर हमला बोला उससे रावत विरोध की लॉबिंग में जुटे कांग्रेस के इस गुट ने रहस्यमय चुप्पी साध ली है।

हरिद्वार कांग्रेस की कलह की पुष्टि करते हरीश रावत के फेसबुक पोस्ट
बात यहीं समाप्त नहीं हुई। हरीश रावत ने एक अन्य पोस्ट में हमलावर होते हुए लिखा कि आज हरिद्वार आते वक्त रास्ते में कुछ बड़े-बड़े होर्डिंग्स दिखाई दिए। कुछ लोग जिनको कांग्रेस ने सर से पांव तक बड़े-बड़े पदों से नवाजा और जो आज भी कांग्रेस के दिए पद को आभूषण के रूप में अपने गले में डाले हुए हैं, ऐसे लोगों को कुछ दूसरे रंग में रंगा हुआ देखना बड़ा ही अजीब सा लगा। बहरहाल जिस प्रकार हरीश रावत ने कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी को लेकर विरोधी गुट पर सोशल मीडिया -फेसबुक के माध्यम से हमला बोला उससे रावत की दावेदारी का विरोध करने वाला गुट जिसमें संजय पालीवाल, प्रदीप चौधरी, पूर्व विधायक अमरीश कुमार सहित प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से जुड़े अन्य कांग्रेसी सक्रिय हैं, वह गुट अब बैकफुट पर है। स्थानीय स्तर पर कांग्रेस में चल रही भारी गुटबाजी का आलम यह है कि हरिद्वार महानगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल जिनको प्रीतम सिंह का खास माना जाता है उनके द्वारा महानगर कांग्रेस कमेटी की घोषणा की गई थी। संजय अग्रवाल द्वारा बनाई गई जंबो कार्यकारिणी से हरीश रावत गुट समर्थक कांग्रेसियों को जिस प्रकार बाहर रखा गया वह लोकसभा चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं। यही नहीं अपने विरोधी जिस गुट पर हरीश रावत ने सवाल उठाए उसी गुट से जुड़े पूर्व विधायक अमरीश कुमार के खासम खास युवक कांग्रेस नेता वरुण बालियान ने भी रावत को फेसबुक के माध्यम से जवाब दिया। जिससे साफ होता है कि हरिद्वार में कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है। यही नहीं हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस को भाजपा से नहीं, बल्कि अपने उन्हीं कांग्रेसियों से भीतरघात का खतरा है जिन्होंने पार्टी के कद्दावर नेता हरीश रावत के खिलाफ बाहरी और स्थानीय के मुद्दे पर मोर्चाबंदी की हुई है। कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी का यही आलम रहा तो हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस की पराजय से भी इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक जानकारों के अनुसार कांग्रेस में हरीश रावत ही ऐसे नेता हैं जो पार्टी की एक बार फिर हरिद्वार लोकसभा सीट पर वापसी करा सकते हैं। चुनाव की घोषणा होने में कुछ ही समय बाकी रह गया है।लेकिन अभी तक की तस्वीर से ऐसा लगता है कि गुटबाजी के चलते यहां कांग्रेस अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है।

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