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हरिद्वार जिले में जहरीली शराब से हुई दर्जनों मौतों ने राज्य सरकार और उसके लचर सिस्टम की पोल खोल दी है। घटना के बाद अपनी नाक बचाने के लिए सरकार ने आनन.फानन में कुछ छोटे अधिकारियों का निलंबन तो कियाए लेकिन बडे़ एकदम बेखौफ हैं। सरकार की संवेदनहीनता इस कदर रही कि पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने न तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहुंचे और न ही आबकारी मंत्री प्रकाश पंत
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे उत्तराखण्ड के कुछ गांवों में मातम का माहौल है। बेलगाम शराब माफिया की वजह से यहां 40 जिंदगियां असमय मौत के मुंह में चली गई। अस्पतालों में इलाज करा रहे कई लोगों की हालत नाजुक है। कई घरों में चूल्हे ठंडे पड़े हुए हैं। पिता और पुत्र की अर्थियां एक साथ उठने पर लोगों के कलेजे हिल गएए लेकिन सरकार अब भी संवेदनशील नहीं हो पाई है। हालांकि अपनी फजीहत होते देख उत्तराखण्ड सरकार ने आनन फानन में कार्यवाही करते हुए आबकारी विभाग के निरीक्षक समेत 13 अधिकारियों को निलंबित कर दियाए परंतु जिला आबकारी अधिकारी पर उसकी मेहरबानी बरकरार रही। यही हाल पुलिस में भी देखने को मिला। एसपी हरिद्वार ने भी बड़ों की गर्दन बचाते हुए झबरेड़ा थाना अध्यक्षए चैकी प्रभारी और हल्का कांस्टेबल को निलंबित कर मामले की लीपापोती करने में देर नहीं लगाई।
आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने भले ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैंए परंतु इसे आबकारी मंत्री अथवा डबल इंजन वाली सरकार की संवेदनहीनता ही कहा जाएगा कि न तो इतनी बड़ी घटना के बाद मुख्यमंत्री और न ही आबकारी मंत्री ने पीड़ित ग्रामीणों के गांव तक जाकर उनके परिजनों को सांत्वना देने की जरूरत समझी। यही हाल हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत का रहा। पहले दिन भले ही दीपक रावत मौके पर पहुंचे होंए परंतु उसके पश्चात पूरे घटनाक्रम में कहीं दिखाई नहीं दिए। अब भले ही सरकार शराब माफिया पर अंकुश लगाने का दावा कर रही होए परंतु सच यही है कि अगर पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया होता तो शायद इतनी बड़ी घटना सामने न आती। यही नहीं जब यह घटना सामने आई और गरीब ग्रामीण तड़पने लगे तो बिंदु खड़क गांव में जहरीली शराब से पीड़ित लोगों के परिजनों ने पुलिस को फोन किएए परंतु कंट्रोल रूम में फोन नहीं उठा। बिंदु खड़क गांव में सबसे अधिक 11 ग्रामीणों की मौत हुई है।
 ग्रामीण आक्रोश व्यक्त करते हुए कहते हैं कि कच्ची शराब से तिजोरी भरने वाले माफियाओं द्वारा दी जाने वाली मोटी रिश्वत ने पुलिस.प्रशासन के कदमों पर जंजीरे डाल दी थी। अब अपनी नाकामी को छिपाने के लिए पुलिस हरकत में आई है। 9 फरवरी को जनपद हरिद्वार में 28 मामले दर्ज किए गए जिनमें 965 लीटर बल्क कच्ची शराबए 65 बल्क लीटर देसी शराबए 36 बल्क लीटर विदेशी शराब पकड़ी गई। कुल मिलाकर एक ही दिन में 1066 लीटर शराब बरामद की गई। कच्ची शराब में प्रयोग होने वाले 27400 किलो राम.लखन को भी नष्ट किया गया।
पूरे प्रकरण में सरकारी सिस्टम में व्याप्त संवेदनहीनता सामने आई। पहले तो प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा यह कहकर मामले को हल्का करने की कोशिश की गई कि ग्रामीण अवैध शराब पीकर मौत का शिकार हुए हैंए उनको किस प्रकार का मुआवजा दिया जाए। लेकिन केंद्रीय स्तर पर दबाव बढ़ता देख और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के हमलावर होने के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने बयान से पलटते हुए मृतकों के परिजनों के लिए दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने भी अपनी ही सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए सीधा आरोप लगाया कि पुलिस के संरक्षण में गांव. गांव कच्ची शराब का अवैध कारोबार हो रहा है। जहरीली शराब के कहर का मामला भले ही रुड़की के उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड बाॅर्डर से सटे गांव में सामने आया होए लेकिन हकीकत यह है कि धर्म नगरी हरिद्वार में गली.गली अवैध शराब का अवैध कारोबार खुलेआम होता है जिसको कहीं न कहीं स्थानीय पुलिस की भी मूक सहमति होती है। राजनीतिक संरक्षण के चलते फल. फूल रहे इस अवैध कारोबार पर शायद ही कभी बड़ी कार्रवाई की गई हो।
पूरे जनपद में अवैध शराब तस्करी का नेटवर्क बहुत मजबूती से पैर पसार रहा है। पिछले वर्ष सिडकुल से सटे दादूपुर गोविंदपुर गांव में जिलाधिकारी ने छापा मारकर अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़ी थी जिस पर काफी विवाद भी हुआ था और जिला आबकारी अधिकारी सहित एक पत्रकार के खिलाफ पुलिस द्वारा अपनी छवि खराब किए जाने को लेकर मुकदमा दर्ज करने पर तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रानीपुर यशपाल बिष्ट के खिलाफ भी कार्रवाई हुई थी। कुछ समय पूर्व कनखल थाना क्षेत्र के भगवती पुरम में भी अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया गया था। धर्म नगरी के लिए इससे ज्यादा आश्चर्य की बात और क्या हो सकती है कि कुछ समय पूर्व जिलाधिकारी द्वारा हर की पैड़ी के सामने दुकानों पर मारे गए छापे के दौरान दुकानों से शराब की बोतलें बरामद की गई थी। यही नहीं रानीपुर मोड़ पर तो दूध की दुकान पर शराब बिकते पकड़ी जा चुकी हैए परंतु पुलिस अथवा शराब तस्करों के विरुद्ध कोई बड़ी कार्रवाई न होने के चलते शराब तस्कर तेजी से अपना नेटवर्क मजबूत करने में लगे हैं। हरिद्वार जनपद में नशे के सौदागरों के नेटवर्क का चलता है। शहर से लेकर देहात तक शायद ही कोई कोना ऐसा हो जहां नशे का सामान आसानी से उपलब्ध न हो। सात.आठ फरवरी की सुबह जहरीली शराब से हुई सैकड़ों ग्रामीणों की मौत ने जिले में व्याप्त नशा नशे के सौदागरों की कड़वी हकीकत सामने ला दी है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी सिद्धार्थ सिंह का निलंबन कर दिया गया हैए मगर उत्तराखण्ड सरकार कब जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी इसका इंतजार है।
 झबरेड़ा थाना क्षेत्र के गांवों में हुई मौतों से जिला प्रशासन  का ध्यान एक बार फिर कच्ची शराब के सौदागरों की ओर गया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में देहात क्षेत्र में कच्ची शराब से करोड़ों रुपए की अवैध कमाई का कारोबार होता है। हरिद्वार में सैकड़ों गांवों में कच्ची शराब की भट्टियां पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों को मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं। अब भले ही पुलिस और आबकारी विभाग शराब की भट्ठियों को तहस. नहस और नष्ट करने की कार्रवाई को अंजाम दे रहा होए परंतु वर्षों से पथरी से लेकर खानपुर तक का इलाका कच्ची शराब का बड़ा गढ़ माना जाता है। यहां के जंगलों में कच्ची शराब की भट्ठियां चढ़ाकर सस्ती शराब का धंधा बेरोकटोक किया जाता है। सफेद शराब का काला धंधा पथरी थाना क्षेत्र के दीनारपुर सुभाष गढ़ए बुआ पुर धारीवालाए गानाजराए बिशनपुर कुंडी आदि कई गांवों के जंगलों में बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। पड़ोसी प्रदेश उत्तर प्रदेश के समीप होने के चलते यहां बनाई जाने वाली कच्ची शराब को पड़ोसी जनपद बिजनौरए मेरठए मुजफ्फरनगर सहारनपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सप्लाई किया जाता है।
‘अवैध शराब को सरकारी संरक्षण’
करीब साढ़े तीन दशक पूर्व ष्नशा नहीं रोजगार दोष् आंदोलन चलाने वाले आंदोलनकारी पीसी तिवारी से बातचीत
दशकों पहले नशा मुक्ति आंदोलन चला फिर भी उत्तराखण्ड में शराब बंदी क्यों नहीं हो रहीघ् इसका एक मात्र कारण है शराब और अन्य प्रकार के नशे को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होना। अस्सी के दशक में ष्नशा नहीं रोजगार दोष् आंदोलन बेशक पहाड़ पर हुआ था लेकिन वह संपूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए था। सरकार बोलती जरूर हैए लेकिन वह कभी इसे बंद नहीं कर सकतीए क्योंकि इस पूरे रैकेट में वह भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहती है। उस आंदोलन का 35 साल पूरा हो गया। देखिए जिस राज्य में वह आंदोलन हुआ आज उन दोनों राज्यों के सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यहां हर चुनाव में नशा बंदी मुद्दा बनता हैए लेकिन राज्य में शराब बंदी होती नहीं हैए क्योंघ् मैंने कहा न कि राजनीतिक संलिप्तता के कारण कोई भी सरकार इसे बंद नहीं कर सकती। सत्ता तक पहुंचने वाले राजनीतिक दल का मानना है कि युवाओं को नशे में ही रखा जाए ताकि सरकार और व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाले युवा पीढ़ी हो ही नहीं।
सरकार शराब बंदी से राजस्व नुकसान की बात करती हैघ्राज्य को राजस्व नुकसान नहीं होगाए बल्कि इससे नेताओं को सबसे बड़ा नुकसान होने वाला है। मेरा मानना है कि जितना राजस्व नुकसान होगाए उससे 2 गुना नुकसान नेताओं को होगा। यदि किसी एक क्षेत्र से राजस्व बंद होता है तो उसकी पूर्ति सरकार किसी अन्य क्षेत्र से करती है। हमें देखना यह है कि हम कैसा समाज और देश बनाना चाहते हैं।
सवालों में डीएम
जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद सोशल मीडिया पर हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोग कटाक्ष कर रहे हैं कि आखिर शराब का पव्वा बरामद कर वीडियो बनवा कर सोशल मीडिया पर डलवाने के लिए प्रसिद्ध जिलाधिकारी दीपक रावत को अपने जनपद में इतने बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध शराब के कारोबार की भनक क्यों नहीं लगीघ् क्या डीएम और प्रशासन को इसकी भनक नहीं थीघ् बिना नंबर की बुलेट को रोककर बुलेट सवार से सवाल.जवाब कर वीडियो बनवाकर उसको सोशल मीडिया पर डालने वाले दीपक रावत को इस काले धंधे की खबर क्यों नहीं लगीघ् आखिर क्यों नहीं दीपक रावत ने कभी भी कच्ची शराब के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई की
बात अपनी.अपनी
संबंधित थानाध्यक्ष और चैकी इंचार्ज के विरुद्ध कार्यवाही की गई है। साथ ही अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और मजबूती दी जाएगी।
अशोक कुमारए पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अवैध शराब के विरुद्ध अब जो कार्यवाही की जा रही है अगर पहले की जाती तो इतनी बड़ी संख्या में  मौतें नहीं होती। 2 लाख रुपए की मुआवजा राशि भी कम है।
फुरकान अहमदए विधायक हरिद्वार
बहुत बड़ी घटना हुई हैए तो इतनी कार्यवाही से संतुष्टि का सवाल ही नहीं उठता। सरकार और ज्यादा संजीदगी से कार्यवाही करे तो ठीक रहेगा।
देशराज कर्णवालए विधायक झबरेड़ा
कांग्रेस का साफ स्टैंड है कि सरकार की लापरवाही से सैकड़ों ग्रामीणों की मौत हुई है। मुआवजा राशि बढ़ाई जाए और अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो।
काजी निजामुद्दीनए विधायक मंगलौर 
सरकार सही दिशा में कार्यवाही कर रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
संजय गुप्ताए विधयाक लक्सर  
हरिद्वार तीर्थ नगरी है। वहां अवैध व कच्ची शराब का बिकना पुलिस एवं आबकारी विभाग की नाकामी को दर्शाता है। मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपए दिए जाएं।
मनमोहन लखेड़ाए अध्यक्ष हमारी जनमंच पार्टी

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