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Uttarakhand

कोरोना किट में घोटाला या लापरवाही

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने की पूरी संभावनाएं जताई जा रही थी। जानकारों का कहना था कि कोरोना की यह लहर और भी खतरनाक हो सकती है। इसके लिए पहले से ही तैयार रहने की एडवाजरी भी दी गई थी। लेकिन लगता है कि उत्तराखण्ड का स्वास्थ्य महकमा कुंभकर्णी नींद में ही सोया रहा और जब राज्य में कोरोना की दूसरी लहर ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया तो विभाग के हाथ-पांव फूल गए। आज महज सवा करोड़ की आबादी वाला छोटा-सा प्रदेश उत्तराखण्ड कोरोना की चपेट में आ चुका है कि सरकार के मंत्री तक के रिश्तेदार को एक अदद बेड तक मुहैया नहीं हो पाया और तमाम जतन करने के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। लेकिन वहां भी मरीज की देखभाल सही तरह से नहीं होने पर मंत्री तक को मुकदमा दर्ज करवाने की बात कहनी पड़ी।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग जिस पर प्रदेश के नागरिकों के स्वास्थ्य का दारोमदार रहता है, वहीं स्वास्थ्य विभाग किस तरह से काम कर रहा है इसका पता इस बात से ही चल जाता है कि कोरोना मरीजों को दी जाने वाली कोराना किट को बांटने की जगह किट पर छपी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तस्वीर को बदलने के लिए नई पैकिंग के जुगाड़ में ही लगा रहा। ‘दि संडे पोस्ट’ ने अपनी खबर में पहले ही खुलासा कर दिया था कि राज्य के स्वास्थ विभाग की नजर में त्रिवेंद्र रावत अभी भी मुख्यमंत्री है। एक माह से भी ज्यादा समय से तीरथ सिंह रावत नए मुख्यमंत्री बन चुके हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और कोरोना किट को बांटने में लगा रहा, जबकि समय से पहले इसकी पैकिंग बदली जा सकती थी।
मामला सामने आया तो स्वास्थ्य विभाग ने सबसे पहले तो यही काम किया कि कोरोना किट को बांटने का काम ही बंद कर दिया और बताया गया कि नई पैकिंग की व्यवस्था की जा रही है। इससे वे करोना मरीज जो कि होम आईसोलेशन में अपने ही घरों में उपचार करवा रहे हैं, को राहत मिलना बंद हो गई। इस खबर के बाद फिर से स्वास्थ्य विभाग जागा और लिफाफों में कोरोना किट का सामान डाल कर मरीजों को दिया जाने लगा। लेकिन इसमें भी विभाग द्वारा बड़ा गोलमाल किया गया है। अब इस कोरोना किट से कई उपकरण गायब कर दिए गए हैं।

कोरोना किट में विभाग द्वारा तीन सतह वाला मास्क, थर्मामीटर, हैंड सैनिटाइजर, बायो मेडिकल वेस्ट बैग और अन्य उपकरण जेैसे पल्स आॅक्सीमीटर तथा जिंक विटामिन सी, बी, की गोलियों के साथ-साथ चिकित्सीय परामर्श अनुसार दवाइयां आदि के साथ होम आईसोलेशन निर्देशिका एवं कोविड उपरांत देखभाल की पुस्तक भी शामिल की गई थी। लेकिन अब इस किट से थर्मामीटर और पल्स आॅक्सीमीटर ही गायब कर दिया गया है। साथ ही सर्जिकल मास्क जो पहले दस दिए जाते थे अब वे भी तीन या चार ही दिए जा रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि किट से गायब हो रहे उपकरणों के समाचार भी जमकर सामने आ रहे हंै लेकिन स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि किट में सभी सामान दिए जा रहे हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव प्रभारी पंकज कुमार पाण्डे से बात की तो उनका जवाब भी चैंकाने वाला था। पंकज पाण्डे का कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है। यह खबर गलत है और उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं आया है। लेकिन जब संवाददाता ने उनको बताया कि यह मामला गंभीर है और एक नहीं कई मामले सामने आ चुके हैं तो उनका कहना है कि वे स्वयं इस मामलों को देखेंगे और अगर ऐसा हो रहा है तो वे इस पर कार्यवाही करेंगे।

ऋषिकेश के पत्रकार जितेंद्र चमोली कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद होम आईसोलेशन पर है और उनको भी कोरोना किट दी गई है जिसमें थर्मामीटर और पल्स आॅक्सीमीटर नहीं है। साथ ही मास्क भी चार ही दिए गए हैं। इसी तरह से आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी अनिल गुप्ता तथा धर्मपत्नी दोनों ही कोरोना पाॅजिटिव हैं उनको दो कोरोना किट दी गई है लेकिन एक किट में उपरोक्त दोनों सामान ही नहीं हैं।

आम आदमी पार्टी के संजय भट्ट का मामला तो बेहद हैरान करने वाला है। संजय भट्ट ने अपना कोरोना टेस्ट कोरोनेशन अस्पताल में करवाया। अस्पताल से उनको कहा गया कि चार दिन के बाद रिपोर्ट लेने आ जाना। चार दिन बाद संजय भट्ट को रिपोर्ट मिली जिसमें उनको कोरोना पाॅजिटिव बताया गया। हैरानी की बात यह है कि कोरोना पाॅजिटिव होने के बावजूद संजय भट्ट को दवाइयां और कोरोना किट लेने लिए दून अस्पताल में जाने को कहा गया। गौर करने वाली बात यह हेै कि संजय भट्ट कोरोना पाॅजिटिव थे वाबजूद इसके कोरोनेशन अस्पताल ने उनके दो किलोमीटर दूर दून अस्पताल में दवाइयां और किट लेने के लिए भेज दिया। स्वयं संजय भट्ट कहते हैं कि मैंने कोरोना संक्रमण भी फैलाया होगा। दून अस्पताल ने भी उनको दूसरे दिन कोरोना किट लेने के लिए कहा। एक कोरोना मरीज को दून अस्पताल अगले दिन कोरोना किट लेने के लिए कहता है और मरीज दूसरे दिन स्वयं जाकर किट लेता है इससे बड़ा गंभीर लापरवाही का मामला कोई और नहीं हो सकता। संजय भट्ट को दी गई कोरोना किट में थर्मामीटर तो दिया गया है लेकिन पल्स आॅक्सीमीटर नहीं दिया गया है। हालांकि मास्क पूरे दस दिए गए हैं। संजय भट्ट का कहना है कि राज्य में कोरोना का संक्रमण स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से ही बढ़ रहा है। जो मरीज अपना टेस्ट करवाने आ रहे हैं उनको टेस्ट के बाद घर भेज दिया जा रहा है, जबकि उनको कोई न कोई दवाइयां दी जानी चाहिए और उनकी माॅनिटरिंग भी होनी चाहिए, लेकिन यह सब कागजों पर ही हो रहा है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि नए नवेले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने ही स्वास्थ्य विभाग की इस घोर लापरवाही पर क्या एक्शन लेते हैं, जबकि उनको स्वास्थ्य विभाग विगत चार वर्षों से सोया पड़ा रहा है। चाहे वह कोरोना का मामला रहा हो या फिर राज्य में डंेगू का मामला, स्वास्थ्य विभाग पर हमेशा से सवाल ही खड़े होते रहे हैं। यह भी गौर करने वाली बात है कि स्वयं मुख्यमंत्री के पास स्वास्थ्य महकमा है और उनके ही अधिकारी किस तरह से कोरोना के मरीजों के साथ लापरवाही कर रहे हैं। इस सबके मध्य राज्य में कोरोना का तांडव चरम पर पहुंच चुका है। अभी तक आधिकारिक आंकड़ों अनुसार 1.62 लाख लोग राज्य में इस बीमारी से संक्रमित है और 2309 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। राज्य सरकार के स्वास्थ विभाग की मानें तो अभी 43032 लोग इससे संक्रमित है तो 1,13,736 मरीज ठीक हो चुके हैं।

 

बात अपनी-अपनी

मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं है। मैं इसकी जानकारी लूंगा और अगर ऐसा हो रहा है तो मैं कार्यवाही करूंगा।
पंकज कुमार पांडे, प्रभारी स्वास्थ्य सचिव

मुझे कोरोना किट दी गई है उसमें थर्मामीटर और पल्स आॅक्सोमीटर नहीं है। मास्क भी केवल चार ही दिए गए हैं।
जितेंद्र चमोली, पत्रकार ऋषिकेश

कोरोना मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भेजा जा रहा है। कोरोना रिपोर्ट एक अस्पताल में मिलेगी तो दवाइयां और किट दूसरे अस्पताल में मिलेगी। इससे कोरोना मरीज कई लोगों को कोरोना फैला रहा है जिसका पूरा दोष सरकार और स्वास्थ्य विभाग का ही है। किट में सामान गायब किया जा रहा है। पल्स आॅक्सीमीटर की कालाबाजारी हो रही है जिससे हमें लगता है कि कोरोना किट से पल्स आॅक्सीमीटर का गायब होना बहुत बड़ा घोटाला है।
संजय भट्ट, प्रवक्ता आम आदमी पार्टी

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