सीमांत पिथौरागढ़ से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के साथ ही नशामुक्त अभियान की शुरुआत एक दशक पूर्व हुई थी। तब से ही पहाड़ी क्षेत्र में इस अभियान के तहत लोगों में जागरूकता लाने के लिए जमीनी कार्य किए जा रहे हैं। यह अभियान समय-समय पर बॉर्डर पार नेपाल तक भी पहुंचता है। विगत दिनों ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ एवं नशामुक्त अभियान दल नेपाल पहुंचा। इसके सदस्यों ने यहां के महाकाली अंचल के साथ ही पश्चिमांचल क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान चलाया। इसमें स्थानीय जनता को भू्रण हत्या न करने, बेटियों को पढ़ाने, उनके साथ समान व्यवहार करने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दिया।

भ्रमण के दौरान अभियान दल के सदस्यों ने पाया कि नेपाल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इन विषयों पर जनजागरूकता की जरूरत है। वहां आज भी कई स्थानों पर महिलाओं के साथ गैर बराबरी का व्यवहार किया जाता है। अभियान दल के सदस्यों ने पाया कि मासिक पीरियड के दौरान उन्हें कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान वहां अभियान दल के संयोजक डॉ पीताम्बर अवस्थी के द्वारा लिखित पुस्तक ‘मासिक धर्म अपवित्र क्यों?’ का निःशुल्क वितरण भी किया गया। यहां कई स्थानों में मासिक धर्म से जुड़ी कुरीतियां व्याप्त हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स काठमांडू की एक रिपोर्ट के अनुसार इस कुरीति के कारण नेपाल में हर साल दो औरतों की जान चली जाती है। यहां कई जगह मासिक धर्म से जुड़ी महिला को अशुद्व माना जाता है। इस दौरान उसे घर से दूर सुविधाविहीन झोपड़ी में रहना पड़ता है, जो बड़ा ही कष्टकारी होता है। हालांकि 2005 में यहां के सुप्रीम कोर्ट ने इसे अमानवीय प्रथा बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन कई हिस्सों में यह आज भी प्रचलित है।
अभियान दल के सदस्यों का मानना था कि नेपाली समाज आज भी लिंग भेद का शिकार है तो वहीं बालिकाओं एवं महिलाओं को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी यहां व्याप्त हैं। इन तमाम बुराइयों और कुरीतियों से तभी निजात पाया जा सकता है, जब सामाजिक रूप से समानता के रास्ते पर आगे बढ़ा जाय। नेपाल की सामाजिक कार्यकर्त्री व साहित्यकार नीरा जोशी ने भारत से आये इस दल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि नेपाल में निरंतर इस तरह के अभियानों को चलाते रहने की जरूरत है। अभियान दल का एक कार्यक्रम नेपाल के गोकुलेश्वर कृषि तथा पशु विज्ञान कॉलेज के सभागार में भी आयोजित हुआ। जिसमें स्थानीय छात्र-छात्राओं, साहित्यकारों, समाजसेवियों ने भी प्रतिभाग किया। इसमें अभियान दल के सदस्यों ने नशापान से होने वाली गंभीर बीमारियों से लोगों को अवगत कराया। यहां पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें अभियान से जुड़े इन तमाम विषयों पर काव्य पाठ कर एक गंभीर संदेश देने का प्रयास किया गया।
इस अभियान दल के संयोजक डॉ पीताम्बर अवस्थी हैं जो पूर्व में भी नेपाल के बैतड़ी, सतवान, देहिमांण्डो, गोकुलेश्वर, मल्लिकार्जुन, कंचनपुर, डेवडधुरा, पाटन, जुलाघाट आदि क्षेत्रों में इस तरह का अभियान चला चुके हैं। वह कहते हैं कि एक

समानता एवं न्यायपूर्ण समाज के लिए जरूरी है कि बालिकाओं-महिलाओं को समान भाव से देखा जाए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की तरफ तेजी से बढ़ा जाए। युवाओं को नशे से दूर रखना भी प्राथमिकता में होना चाहिए। बालिकाओं को बचाने के साथ ही उन्हें शिक्षित करना भी जरूरी है। आज भी समाज में एक बड़े बदलाव की जरूरत है। जागरूकता अभियानों का समाज के लोगों पर सकारात्मक एवं गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह के अभियान निरंतर चलते रहने चाहिए। भारत व नेपाल के रोटी-बेटी के संबंधों को भी इस तरह के अभियानों से मजबूती मिलेगी।