स्वामी सानंद के निधन पर जनाक्रोश भड़कता जा रहा है। साधु-संत उनके निधन को हत्या करार दे रहे हैं। दोषियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद नवरात्र के बाद अनशन करेंगे
गंगा की रक्षा के लिए कानून बनाए जाने की मांग कर रहे स्वामी सानंद के निधन पर देशभर में सरकार और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं। साधु-संतों और आम लोगों का आक्रोश थम नहीं पा रहा है। आगामी दिनों में गंगा की रक्षा को लेकर हरिद्वार में प्रचंड आंदोलन की ज्वाला धधक रही है। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती और स्वामी सानंद के गुरु अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने साफतौर पर स्वामी सानंद के निधन को हत्या करार दिया है। हत्या का जिम्मेदार वे सरकार और प्रशासन को मान रहे हैं। स्वामी शिवानंद ने घोषणा की है कि नवरात्र के बाद वे हत्या में शामिल अधिकारियों एवं मंत्रियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर कठोर तपस्या (अनशन) करेंगे।
गंगा के अस्तित्व को बचाने और निर्मल एवं अविरल गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन कर रहे स्वामी सानंद की मौत में राज्य सरकार के साथ ही हरिद्वार जिला प्रशासन की संवेदनहीनता पर भी सवाल उठ रहे हैं। 112 दिन से अनशनरत स्वामी सानंद, (प्रो जीडी अग्रवाल) को अनशन से उठाने के उपाय करने में राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन ने भी उदासीनता का रवैया अपनाया। आश्चर्यजनक बात यह है कि पॉलीथीन चेकिंग जैसे छोटे-छोटे मामलों में मौके पर पहुंचकर कार्यवाही करते हुए फोटो खिंचवाने में माहिर जिलाधिकारी दीपक रावत 112 दिन में कलेक्ट्रेट से मातृसदन की 10 किमी दूरी तय न कर सके। जिलाधिकारी ने स्वामी सानंद की सुध लेने की आवश्यकता महसूस नहीं की। संवेदनहीन हो चुके जिला प्रशासन की लापरवाही का ही नतीजा था कि स्वामी सानंद को अपनी जान से हाथ धेना पड़ा। जिस समय स्वामी सानंद को एसडीएम हरिद्वार मनीष सिंह के नेतृत्व में अनशन स्थल से उठाकर ले जाया जा रहा था तो उसी दौरान मातृसदन के संस्थापक शिवानंद सरस्वती ने उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए मनीष सिंह को चेताया था। जिस पर मनीष सिंह ने शिवानंद सरस्वती को आश्वासन दिया था कि वह परगना अधिकारी हैं, इस नाते उनकी जिम्मेदारी बनती है। लेकिन फिर एम्स में वहीं हुआ जिसकी शिवानंद सरस्वती को आशंका थी।

गौरतलब है कि 2011 में मातृसदन के ही एक संत निगमानंद ने गंगा की अस्मिता एवं कुंभ क्षेत्र को खनन मुक्त रखने की मांग को लेकर अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे। संयोगवश उस समय भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और रमेश पोखरियाल ‘निंशक’ मुख्यमंत्री थे। उस दौरान मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने 4 माई 2011 को पत्रांक संख्या 167/2011 के माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को अनशन कर रहे स्वामी निगमानंद की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए लिखा था कि मैंने आपको हरिद्वार कुंभ क्षेत्र स्थित स्वामी शिवानंद के आश्रम में अनशन पर बैठे हुए एक साधु के बारे में जानकारी दी थी। जिसके संबंध में जानकारी हुई कि वे कोमा में चले गए हैं। इस स्थिति में उनकी मृत्यु हुई तो इस घोर पातक के लिए मैं अपने आपको पहले एवं दूसरे नंबर पर आपको और आपके प्रशासन को जिम्मेवार मानूंगी। उमा भारती ने निगमानंद के संबंध में प्रशासनिक उदासीनता पर चिंता जाहिर करते हुए निंशक को लिखा था कि उनके द्वारा अपने स्तर पर हरिद्वार जिला प्रशासन से कई बार आग्रह किया गया कि उनकी जान बचाए जाने के उपाय किए जाएं। किंतु जिला प्रशासन द्वारा कोई उचित रिसपॉन्स नहीं मिला। अब वर्तमान में प्रदेश में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार है। एक बार फिर वही निगमानंद वाली कहानी स्वामी सानंद के अनशन पर दोहराई गई है। एक बार फिर हरिद्वार जिला प्रशासन का उदासीन रवैया सामने आया है।
सरकार और प्रशासन की संवेदनहीनता पर मातृसदन के स्वामी शिवानंद बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा कि सानंद की मौत हार्टअटैक से नहीं हुई, बल्कि उनकी हत्या की गई है। उनकी मौत को लेकर ईमानदार अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी जांच की मांग की जाएगी। स्वामी शिवानंद ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसा क्या कि मातृसदन में अनशन कर रहे संत को बुखार तक नहीं आता है और जैसे ही प्रशासन उसे अस्पताल में भर्ती कराता है तो उसकी मौत हो जाती है। स्वामी निगमानंद के बलिदान में भी यहीं सामने आया था। हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी सहित एम्स निदेशक और डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
बात अपनी-अपनी
मुख्यमंत्री का यह कहना है कि सरकार लगातार स्वामी सानंद के संपर्क में थी और उनका अनशन समाप्त कराने के प्रयास किए जा रहे थे। यह कथन झूठ का पुलिंदा है।
स्वामी शिवानंद, संस्थापक मातृसदन
स्वामी सानंद के अनशन को अनवरत रखा जाएगा और उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।
स्वामी गोपालदास, गंगा की रक्षा के लिए अनशनरत संत
स्वामी सानंद के निधन बहुत दुखद है। एम्स प्रशासन का रवैया किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
राजेंद्र सिंह, जल पुरुष