राज्य के दूसरे सैनिक स्कूल पर करोड़ों खर्च हो गए। दो-दो मुख्यमंत्री इसका शिलान्यास कर गए, लेकिन स्कूल के लिए सैकड़ों नाली भूमि दान देने वाली जनता ठगी रह गई है। नौनिहालों के सपने टूट रहे हैं
उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों में लोग अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सैकड़ों नाली भूमि दान दे देते हैं। श्रमदान के लिए भी तत्पर रहते हैं, लेकिन हर बार उनकी आशाओं पर पानी फिर जाता है। कुछ ऐसा ही रुद्रप्रयाग जिले में बनने वाले सैनिक स्कूल का हो रहा है। उत्तराखण्ड में इस दूसरे सैनिक स्कूल की उम्मीदें फलीभूत नहीं हो पाई हैं। जखोली ब्लॉक के थाती-बड़मा में स्वीकृत सैनिक स्कूल का निर्माण दो-दो बार शिलान्यास व भूमि पूजन के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। स्कूल के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं, जबकि नए प्रस्ताव को शासन से स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
उत्तराखण्ड शासन द्वारा इस वर्ष के शुरू में निर्माण इकाई उत्तराखण्ड पेयजल निगम को थाती-बड़मा सैनिक स्कूल निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कार्यदायी संस्था ने भू-गर्भीय सर्वे सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी करते हुए पहले फेज में होने वाले निर्माण के लिए 32.85 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा। वहीं, 4 फरवरी को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सैनिक स्कूल निर्माण का शिलान्यास भी किया। लेकिन बीते पांच माह बाद भी न तो बजट को स्वीकृति मिल पाई और न निर्माण कार्य शुरू हो पाया है। हैरत यह है कि वर्ष 2014 में स्वीकृत सैनिक स्कूल का सात वर्ष में दो बार शिलान्यास व भूमि पूजन हो चुका है। साथ ही निर्माण पर 11 करोड़ रुपए भी खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद स्कूल कैंपस धरातल पर नहीं उतर पाया है। सैनिक स्कूल संघर्ष समिति के अध्यक्ष कालीचरण सिंह रावत का कहना है कि थाती, बड़मा एवं अन्य गांवों के ग्रामीणों ने एक हजार नाली उपजाऊ भूमि बिना शर्त शासन को दान दी थी। तब क्षेत्रीय लोगों को उम्मीद थी कि सैनिक स्कूल बनने से उनके नौनिहालों की शिक्षा भी बेहतर होगी। लेकिन सात वर्षों में प्रदेश की सरकारों ने सिर्फ निराश ही किया है।
सैनिक स्कूल पहले फेज में प्रस्तावित कार्य
थाती-बड़मा में सैनिक स्कूल कैंपस के तहत पहले फेज में 32.85 करोड़ की धनराशि से अगले पांच वर्ष में निर्माण कार्य होने हैं। इन कार्यों में छात्रावास, प्रशासनिक भवन, शिक्षक/कर्मचारियों के लिए आवासीय भवन, बहुद्देश्यीय सभागार, रनिंग ट्रैक, चारदीवारी सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
11 करोड़ रुपये हो चुके खर्च
वर्ष 2013-14 में रुद्रप्रयाग जिले में सैनिक स्कूल स्वीकृत हुआ था। तत्कालीन स्थानीय विधायक एवं कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने अपने विभागों से 11 करोड़ रुपए जारी कर सैनिक स्कूल का निर्माण शुरू कराया। लेकिन कार्यदायी संस्था यूपी निर्माण निगम ने इस धनराशि से बामुश्किल 20 फीसदी कार्य किया और 10 करोड़ का रिवाइज स्टीमेट शासन को भेजा, जिस पर तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने रोक लगा दी थी। वर्ष 2016 में शासन स्तर पर पूरे प्रकरण की जांच भी कराई थी, जिसमें सैनिक स्कूल निर्माण में धन के दुरुपयोग की बात सामने आई थी।
सरकारी मशीनरी और सियासत किसी अच्छे भले प्रोजेक्ट को कैसे पलीता लगाते हैं, रुद्रप्रयाग के जखोली का सैनिक स्कूल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उत्तराखण्ड को वीरभूमि होने की वजह से तोहफे की तरह मिले इस सैनिक स्कूल को बनाने में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने रुचि नहीं ली और यह अब तक जांच में उलझा है। जांच इस बात की हो रही है कि स्कूल के नाम पर दिए गए 10 करोड़ रुपए में राजकीय निर्माण निगम ने करीब सवा नौ करोड़ रुपए की जो दीवार बनाई है, वो काम की है भी कि नहीं? सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, सरकार 2018 से इस दीवार की गुणवत्ता की जांच रुड़की आईआईटी से कराने की कोशिश कर रही है, लेकिन जांच अब तक अंधेरे में ही है। आरटीआई में जानकारी मांगे जाने पर नींद से जागे शिक्षा विभाग ने 24 सितंबर को एक बार फिर से रुड़की आईआईटी को पत्र भेज जांच की स्थिति की जानकारी मांगी है। तत्कालीन अपर सचिव रवनीत चीमा ने इस बाबत रुड़की आईआईटी निदेशक को पत्र भेजा है।
2012-13 में मिली थी सैनिक स्कूल की मंजूरी
वर्ष 2012-13 में जखोली के थाती दिगधार बड़मा गांव में सैनिक स्कूल बनाने की मंजूरी मिली थी। 13 दिसंबर 2013 को तत्कालीन प्रमुख सचिव सैनिक कल्याण डॉ रणवीर सिंह ने उपनल के एमडी को पत्र भेजते हुए स्कूल निर्माण के लिए उपनल और सैनिक पुनर्वास संस्था से धन लेकर काम शुरू करने के निर्देश दिए। हालांकि सैनिक स्कूल निर्माण का काम शिक्षा विभाग का होता है, पर उस दौरान इसे सैनिक कल्याण विभाग को दे दिया गया। दोनों संस्थाओं ने नियम विरुद्ध तरीके से पांच-पांच करोड़ रुपए जमाकर राजकीय निर्माण निगम को काम सौंप दिया।
निर्माण निगम ने जखोली में एक रिटेनिंग वॉल बनाकर काम पूरा दिखा दिया। विवाद बढ़ने पर स्कूल को दोबारा शिक्षा विभाग को दिया गया। शिक्षा विभाग इसे लेने को तैयार नहीं है। शिक्षा विभाग का कहना है कि यदि इसे सुपुर्दगी में ले लिया और भविष्य में कोई अनहोनी हो गई तो उसका ठीकरा हम पर ही फूटेगा। इसलिए जब तक जांच नहीं होती तब तक इसे नहीं लेंगे। दरअसल, निगम द्वारा बनाई गई दीवार में कई खमियां मिली हैं। अब स्थिति यह है कि स्कूल के लिए चिह्नित जमीन पर जंगल बनता जा रहा है और सवा नौ करोड़ रुपए की यह दीवार भी धीरे-धीरे दरकने लगी है।
बात अपनी-अपनी
रुद्रप्रयाग जिले में स्वीकृत सैनिक स्कूल के पहले फेज के निर्माण के लिए दिसंबर 2020 में ही शासन को 32.82 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन उसमें शासन से कुछ आपत्ति होने पर फिर मार्च 2021 में दोबारा पत्र भेजा। लेकिन अभी तक स्वीकृति को लेकर कोई पत्र नहीं मिला है। पहले फेज में प्रशसनिक, आवासीय भवन और होस्टल का निर्माण होना है।
डीआर बेलवाल, सहायक अभियंता निर्माण इकाई उत्तराखण्ड पेयजल निगम, श्रीनगर गढ़वाल
यदि ये स्कूल समय पर बन जाता तो आज प्रदेश के बच्चों को और आगे बढ़ने का मौका मिलता और क्षेत्र के विकास के रास्ते भी खुलते पर किसे कहा जाए, कोई फायदा नहीं सैनिक स्कूल निर्माण संघर्ष समिति ने उत्तराखण्ड के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन दिए। दो-दो मुख्यमंत्रियों द्वारा सैनिक स्कूल निर्माण स्थल से मीलों दूर शिल्यान्यास करने की खबर पर जनता ने सैनिक स्कूल निर्माण के लिए 1300 नाली कृषि एवं गैर कृषि भूमि सरकार को निशुल्क दान दी। लेकिन जनता को मिली तो निराशा। इतने बड़े प्रोजेक्ट्स के लुका-छुपी में हुए शिल्यान्यास से हतप्रभ हैं।
कालीचरण रावत, अध्यक्ष सैनिक स्कूल निर्माण संर्घष समिति रुद्रप्रयाग
जब हमारी सरकार थी तो कांग्रेस सरकार ने सैनिक स्कूल के लिए 10 करोड़ रुपए दिए थे उस समय रोड का निमार्ण, ग्राउंड का निर्माण और दीवारों का भी निर्माण करा दिया था। लेकिन जब से भाजपा की जुमलाबाज सरकार आयी है तो त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा दोबारा शिलान्यास किया गया, लेकिन अभी तक स्कूल के लिए धनराशि नहीं दी गई।
लक्ष्मी राणा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष/प्रदेश महामंत्री उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी
सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य अब निर्माण इकाई उत्तराखण्ड पेयजल निगम, श्रीनगर गढ़वाल को दिया गया है। सितंबर-अक्टूबर से शुरू किया जाएगा। निर्माण कार्य के लिए सरकार ने 29 करोड़ रुपए प्रारंभिक एस्टीमेट दिया है और 5 करोड़ रुपए इस साल का बजट है।
भरत सिंह चौधरी, विधायक रुद्रप्रयाग