- बबीता भाटिया
हैरानी की बात है कि जहां वीआईपी लोगों का तांता लगा रहता है। जहां प्रदेश के दो-दो कद्दावर मंत्री रहते हैं वहां दिन-दहाड़े डकैती पड़ गई
धर्मनगरी हरिद्वार में दिनदहाड़े ‘मोर तारा ज्वेलर्स’ के यहां पड़ी डकैती ने सीधे-सीधे कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। दिन-दहाड़े हुई इस वारदात ने पुलिस की कार्यशैली पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इस वारदात से व्यापारियों में भय का माहौल व्याप्त है। डकैत 25 मिनट तक तांडव मचाने के बाद डकैत आसानी से भाग गए। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि घटनास्थल से मात्र 1 किलोमीटर के अंदर प्रदेश के 2 कद्दावर मंत्री रहते हैं। व्यस्ततम् तहसील कार्यालय भी वहीं है, जहां पर अनेक सरकारी कार्यालय हैं। इसके अलावा रानीपुर मोड़ स्थित तवनदक.जीम.बसवबा पर सुरक्षा बल तैनात रहते हैं। इसके बावजूद इतनी बड़ी वारदात होना पुलिस-प्रशासन के मुंह पर तमाचा है।
आधा दर्जन के लगभग हथियारबंद डकैतों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया। बदमाशों ने पूरी रेकी करने के बाद भी इस घटना को अंजाम दिया है, क्योंकि शहर में जगह-जगह पर पुलिस पैकेट लगे हैं। उन पर कहीं सीपीयू तो कहीं होमगार्ड तथा पीआरडी के जवानों को देखा जा सकता है। आम लोगों के बीच चर्चा है कि विभिन्न थाना कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी अवैध वसूली करते देखे जा सकते हैं। चाहे वह पार्किंग हो या शराब खनन या अन्य मामले, नहीं तो इतनी बड़ी घटना को अंजाम देकर यह लुटेरे इतनी आसानी से भाग जाते? धर्मनगरी में आए दिन वीआईपी लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। उसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था चंद घंटों के लिए फोकस हो जाती है। लेकिन उसके बाद भी फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है।
हरिद्वार के इतिहास में इतनी बड़ी डकैती पहली बार किसी गैंग ने अंजाम दी है। इससे पहले 2004 में हरिद्वार रेलवे स्टेशन स्थित इलाहाबाद बैंक और 2009 में देवपुरा स्थिति तेज सिंडिकेट बैंक में बदमाशों ने डकैती डाली थी। 2018 में कलियर थाना क्षेत्र के एक गांव और कनखल थाना क्षेत्र के जमालपुर के एक कॉलोनी में भी डकैती हुई थी। इसके अलावा 2021 में बहादराबाद थाना क्षेत्र के दौलतपुर गांव में भी परिवार को बंधक बनाकर डकैती हुई थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि शहर के बीचों- बीच किसी प्रतिष्ठान में डकैती की पहली घटना है। साथ ही 2004 में इलाहाबाद बैंक में जो डकैती हुई थी अब तक उसका खुलासा नहीं हुआ है। हालांकि कुछ समय तक
तत्कालीन पुलिस ने तो भैया बदमाशों को पकड़ कर बंद कर दिया था तथा एक बदमाश को एनकाउंटर में भी मार गिराया था जो एनकाउंटर ही फर्जी था।
वहीं बात यह है कि इस डकैती में सभी बदमाशों के पास तमंचे थे साथ ही डकैतों की औसत आयु भी लगभग 25 से 30 वर्ष थी। हालांकि पुलिस ने जल्दीबाजी में इस घटना का खुलासा तो कर दिया है, लेकिन यह किसी के गले नहीं उतर रही, क्योंकि दो करोड़ की डकैती पर मात्र 3,000,00 की बरामदगी दिखाना आमजन के गले नहीं उतर रहा। हालांकि डकैती के खुलासे के लिए 8 टीमें बनाई गई हैं, लेकिन पुलिस ज्वालापुर, कनखल, हरिद्वार, रानीपुर अन्य जगहों की हो इस तरह की कोई ना कोई घटना रोज हो रही है। पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचकर खानापूर्ति कर लौट आते हैं।
पुलिस शराब तस्करों, स्मैक बेचने वालों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपाती है। उसके बावजूद भी पूरे शहर में अवैध शराब तथा नशा तस्करों का मकड़जाल पूरी तरह युवाओं को गिरफ्त में ले चुका है। यही पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न लगाने के लिए काफी है। हालांकि डकैती के मामले में एक दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया गया है। साथ ही कोतवाल को 7 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है। बावजूद इसके पूरे शहर में अराजकता का आलम है। चप्पे-चप्पे पर शराब स्मैक तथा नशीले पदार्थों की बिक्री होते हुए देखी जा सकती है। कुछ पुलिसकर्मी इन तस्करों से अवैध वसूली करते भी देखे जा सकते हैं। डकैती के खुलासे के लिए एसएसपी ने जो 56 पुलिसकर्मियों की जिस टीम की तैनाती की थी वह मात्र साढ़े 3,000,00 बरामद कर पाई है।