- रणजीत मेहरा
उंत्तराखण्ड के दो दशक के इतिहास में एक काम यह हुआ है कि सड़कें बन रही है। दूरदराज के इलाकों में सड़कों के पहुंचने से लोगों में खुशी है लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक पाती है। इस दौरान विकास के नाम पर खरबों की परियोजनाएं बनी। मात्र कुछ करोड़ का पहला बजट बढ़कर लगभग साठ हजार करोड़ पहुंच गया लेकिन प्रदेश का न तो इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधरा, न ही पलायन रुका। इस बदहाली को राज्य के 16,783 गांवों की दुर्दशा से समझा जा सकता है। विगत बाइस वर्षों में सरकार ने इन गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ने का महा अभियान शुरू कर राज्यभर में सड़कों का जाल तो बिछा डाला लेकिन इन सड़कों को दुरुस्त रखने में कोताही बरती। नतीजा यह कि ये बदहाल सड़कें बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन चुकी हैं। सड़कों के बुरी तरह टूटी होने के चलते होने वाली दुर्घटनाओं के बाद उत्तराखण्ड के विधायक, पूर्व विधायक से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री, भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष दिग्गज नेता सभी शोक जताने पहुंच जाते हैं। दुर्भाग्यवश पूरे उत्तराखण्ड में सड़क, स्वास्थ्य सेवा और संचार की बदहाल स्थिति को सुधारने के प्रयास कहीं भी दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं।
खानापूर्ति करते हुए स्थानीय डीएम जरूर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे देते हैं। सल्ट और स्याल्दे इलाके के रापड गंगोडा मोटर मार्ग को ही ले तो पता चलेगा कि इस सड़क के बनने के बाद भी स्थानीय लोगां को अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ती है। इस सड़क से जुड़े गांव मटेला, डाबर, गंगोडा, देवलीखान, पाली, थौली, की लगभग 4 हजार की जनसंख्या के लोगों की जान से सड़क निर्माण एजेंसी एनपीसीसी क्यों बेखबर है? क्या वह किसी बडी दुर्घटना का इंतजार कर रही है? इस सड़क मार्ग का उपयोग जान जोखिम में डालकर लोग रानीखेत, अल्मोड़ा, हल्द्वानी के साथ ही अन्य स्थानों को जाने के लिए भी करते हैं। यह मार्ग वाया भतरोंजखान सौनी के जाने से लगभग 17 से 18 किलोमीटर दूरी को कम करता है। जिससे समय और ईंधन की बचत होती है। इसलिए लोग अक्सर अपनी निजी वाहन से इसी मार्ग के जरिए जान जोखिम में डालकर करते हैं। इस मार्ग को मानकों के अनुरूप नहीं बनाया गया है। अगर ऐसा होता तो आज इस सड़क मार्ग की हालत ऐसी नहीं होती कि लोग यात्रा करते समय अपनी जान की सलामती के लिए दुआए मांगते। इस सड़क मार्ग से यात्रा करना जैसे किसी युद्ध को जीतना है।
आज हालात यह है कि अल्मोड़ा जिले की रापड गंगोडा चमड़खान मोटर मार्ग विभागीय लापरवाही के चलते जानलेवा बनी है। इस सड़क का निर्माण 2019 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया गया। 7,275 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण लागत 3,90,48 लाख थी। सड़क का निर्माण नेशनल कन्सट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) द्वारा कराया गया। जिसके बाद सड़क का अनुरक्षण कार्य भी 5 वर्षों के लिए निर्माण एजेंसी को करना था। इसकी एवज में 33,81 लाख रुपया दिया गया। जो कि प्रतिवर्ष 2020-21 के लिए 4,33 लाख, 2021-22 के लिए 4,20 लाख, 2022-23 के लिए 8,40 लाख, 2024-25 के लिए 8,76 लाख है। इस धनराशि से मैं, बिष्ट कंस्ट्रक्शन तुलसीनगर पॉलीशीट हल्द्वानी द्वारा सड़क का अनुरक्षण किया जाना है।
लोगों की मानें तो निर्माण से लेकर अनुरक्षण की कहानी इस सड़क मार्ग की फाइलों में ही चल रही है। यह उच्च स्तरीय जांच का भी विषय है। यदि मोटर मार्ग में अनुरक्षण किया गया होता तो वर्षों से टूटी सड़क आज अपनी बदहाली की कहानी बंया नहीं करती। सड़क की दुर्दशा को देखते हुए नहीं लगता है कि इसका निर्माण भी मानकों के तहत किया गया है। सड़क की गुणवत्ता की बात करे तो यह न तो मानकों के अनुरूप चौड़ी है और न ही इसकी कोई सीमा निर्धारित है। घटिया निर्माण के चलते यह सड़क जगह-जगह पर सड़क लगभग टूट चुकी है। सड़क में बने स्कपर की घटीया गुणवत्ता के कारण यह जगह जगह पर टूट चुकी है। निर्माण में लगी सरिया तक सीमेंट को छोड़ कर खड़ी नजर आने लगी है, जो कभी भी किसी भी यात्री की जान भी ले सकती हैं। सड़क के अनुरक्षण की बात कहें तो 4-5 माह पूर्व सड़क पर गिरा मलवा आज तक नहीं हटाया गया है।
इस बाबत ग्राम पंचायत गंगोडा के प्रधान चंद्रप्रकाश का कहना है कि रापड गंगोडा मोटर मार्ग निर्माण के समय से ही विवादों में रही है। यह सड़क मानकों के अनुरूप नहीं बनी है। सड़क का अधिकतर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। 5 माह से मलवा सड़क पर पड़ा है कोई हटाने को तैयार नहीं है। इस संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। पूरी सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। चुनाव के समय सड़क को थोड़ा चलने लायक बनाया गया था अब सब राम भरोसे ही है।
इस संबंध में जब चमड़खान निवासी नंदन सिंह नेगी ने बताया कि यह सड़क, सड़क कहने लायक ही नहीं हैं। शासन प्रशासन एवं विभाग की आंखों में पट्टी बंधी है। क्षेत्र पंचायत सदस्य सूरज मेहरा के अनुसार स्याल्दे के लोग जान जोखिम में डालकर कभी-कभार इस मार्ग से आते-जाते हैं। यह सड़क चलने लायक ही नहीं है। प्रदेश की बेलगाम नौकरशाही के आगे जनता बेबस है। जनता को आंदोलन के लिए मजबूर किया जा रहा हैं।
सड़क की शिकायत हमें भेजिए या सीएम पोर्टल पर शिकायत कीजिए। हम इसकी गुणवत्ता सहित सभी जांच कराएंगे। जो भी कंपनी इस निर्माण को कर रही है उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। मुख्यमंत्री जी इस मामले में सख्त है। वह किसी भी आरोपी को बख्शने के मूड में नहीं हैं। अभी हमारे क्षेत्र की कई सड़कों पर एक्शन लिया गया है। भ्रष्टाचार कहीं भी हो चाहे वह सड़कों में हो या अन्य जगह उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महेश जीना, विधायक, सल्ट