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Uttarakhand

कूड़े के पहाड़ से त्रस्त ऋषिकेश

जी-20 समूह की बैठक से वंचित हुआ शहर

उत्तराखण्ड को जी-20 सम्मेलन के तहत दो अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी हासिल हुई है। विश्व स्तर पर इसे उत्तराखण्ड की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। दोनों आयोजनों को आध्यात्म एवं योग नगरी ऋषिकेश में किए जाने का कार्यक्रम तय किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि इन आयोजनों से ऋषिकेश विश्व के नक्शे पर चमकेगा। यहां की आध्यात्म के साथ ही सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को विदेश तक पहुंचाने के लिए यह मंच मिलता, इससे पहले ही गंदगी और कूड़े के ढेर ने ऋषिकेशवासियों के अरमानों पर पानी फेर दिया। ऋषिकेश में लगे गंदगी के ढेर कहीं उत्तराखण्ड की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बट्टा न लगा दे इसके चलते ही इसे स्थानांतरित कर दिया गया है

पूरी दुनिया में आध्यात्म और योग नगरी के रूप में अपनी पहचान बना चुका ऋषिकेश शहर इस समय चर्चाओं में है। चर्चाओं में आने का कारण आगामी मई-जून में यहां जी-20 देशों की मेजबानी होना है। इस बहुप्रतीक्षित आयोजन से ऋषिकेश के एक बार फिर विश्व के नक्शे पर चमकने की उम्मीद की जा रही है। इसके चलते यहां के जनप्रतिनिधियों से लेकर स्थानीय निवासियों में खासा खुशी की लहर है। लेकिन उनकी यह खुशी फिलहाल उनसे छिनती दिख रही है। इसका कारण बना है इस नगरी में लगे जगह-जगह कूड़े के ढेर। इस गंदगी से निजात पाने के लिए शहर के लोग कई बार आंदोलन कर चुके हैं। प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं लेकिन आध्यात्मिक नगरी के चेहरे से गंदगी के दाग नहीं हटा पाईं। बहरहाल, शहर की गंदगी से विदेशी मेजबानों को दूर करने की योजना के तहत अब ऋषिकेश के बजाय नरेंद्र नगर को जी-20 सम्मेलन का केंद्र बनाने की घोषणा की गई है। हालांकि सरकार की तरफ से जी-20 सम्मेलन को लेकर जितनी भी बैठकें की जा रही हैं वे ऋषिकेश के नाम पर ही हो रही हैं।

गौरतलब है कि 1 दिसंबर 2022 से भारत को जी-20 की अध्यक्षता सौंपी गई है। इसके अंतर्गत 18वां शिखर सम्मेलन 2023 भारत में होना निश्चित हुआ है। इस सम्मेलन में देश के 56 स्थानों पर आयोजन किए जाएंगे। जिन 56 शहरों में जी-20 के कार्यक्रम होने हैं उनमें से दो कार्यक्रम (2 मई से 21 मई तथा 26 जून से 28 जून) उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में होना तय हुआ था। लेकिन शहर में गंदगी और कूड़े के ढेरों ने सरकार को यह कार्यक्रम ऋषिकेश से 20 किलोमीटर दूर नरेंद्र नगर और तपोवन में खिसकाने पर मजबूर कर दिया है। मेजबानों के लिए गंगा आरती का कार्यक्रम भी तय किया गया है जो कि पौड़ी जिले के सवर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम में किया जाएगा।

इस बैठक में विश्व के 20 ग्रुप के राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, अर्जेंटीना, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, सउदी अरब, तुर्की, यूनाईटेड किंगडम ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत तथा यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों के अलावा 6 अतिथि राष्ट्र और 11 अंतराष्ट्रीय संगठन के भी प्रतिनिधि उपस्थिति रहेंगे। सरकार द्वारा जी-20 सम्मेलन को ऋषिकेश से स्थानांतरित किए जाने के पीछे जो तर्क दिए गए हैं, उनके अनुसार यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के होटल, कॉन्फ्रेंस हॉल उपलब्ध न होना है जिसके चलते बैठक को टिहरी के नरेंद्र नगर के स्टार रंटिंग होटल, ‘वेस्टर्न होटल’ और टिहरी जिले के ही तपोवन स्थित ‘लाईम ट्री होटल’ में करने का निर्णय लिया गया है।

अंतराष्ट्रीय स्तर की इस जी 20 समूह की बैठक के लिए भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टार रेटिंग होटल और कॉन्फ्रेंस हॉल उपलब्ध न होने का एक बड़ा कारण माना जा सकता है लेकिन हकीकत में इसका कारण ऋषिकेश नगर के केंद्र में वर्षों से जमा कूड़े के विशाल ढेर है जो कि एक छोटी पहाड़ी के जेसे ऊंचा हो चुका है। लोगों की मानें तो देश में होने वाली इस अंतरराष्ट्रीय बैठक पर राज्य की नगरीय व्यवस्था और स्वच्छता अभियान की असल सच्चाई सामने न आ जाए इसे छुपाने के लिए जी-20 समूह की बैठक को ऋषिकेश से 20 किमी दूर कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

भगवान विष्णु के एक नाम हृषिकेश से विख्यात हुआ यह पौराणिक नगर ऋषिकेश भले ही आज नगर निगम बन चुका है लेकिन 1921 से इस नगर की बसावट निरंतर चली आ रही है। कभी महज आधा किमी की सीमा वाला यह नोटिफाइट एरिया कमेटी का नगर, नगर पालिका और फिर नगर निगम में तब्दील होता गया और उसी हिसाब से इसका भौगोलिक क्षेत्रफल इन 100 वर्षों में कई गुना बढ़ता भी चला गया। जिस अनुपात से जनसंख्या बढ़ती गई उस लिहाज से इस नगर की बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ाई गईं। इसी का दुष्परिणाम है कि आज भी नगर में स्वच्छता और सफाई के लिए कोई ठोस योजना तक नहीं बनाई गई। इसका सबसे बड़ा प्रमाण इस बात से ही लगाया जा सकता है कि नगर से 7 किमी दूर 60 के दशक में आईडीपीएल कारखाने की जब स्थापना हुई तो कारखाने के कर्मचारियों के लिए सीवर निस्तारण व्यवस्था के लिए लक्कड़घाट में परम्परागत सीवरेज ट्रीटमेंट सिस्टम बनाया गया था। कई वर्षों बाद भी यहां योजना शुरू नहीं हो सकी। जब कुंभ मेला के चलते बजट स्वीकृत किया गया उसके बाद ऋषिकेश नगर पालिका क्षेत्र को भी
आईडीपीएल के सीवरेज सिस्टम में जोड़ दिया गया। हैरत की बात यह है कि एक नगर पालिका क्षेत्र होने के बावजूद नगर के लिए वर्षों तक कोई पृथक सिवरेज सिस्टम नहीं बनाया जा सका। हालांकि पिछले वर्ष नगर के लिए एक सीवरेज सिस्टम जरूर बनाया गया है।

नगर का कूड़ा आदि सोलिड वेस्ट को निस्तारण के लिए भी कोई ठोस व्यवस्था तक नहीं की गई। लगभग 40 वर्ष पूर्व नगर के दक्षिण भाग में गोविंद नगर स्थित एक बड़े भूखंड में पालिका प्रशासन के द्वारा कूड़ा निस्तारण के लिए कूड़ा डाला जाने लगा। तब से लेकर आज तक इसी भूखंड में कूड़ा डाला जाता है जिसके चलते आज यह कूड़ा एक छोटी पहाड़ी के जैसे स्वरूप में तब्दील हो गया है। जो कभी ऋषिकेश का एकांत दक्षिणी क्षेत्र था वह आज नगर का केंद्र बन चुका है। इसके चारों ओर हजारां की आबादी, व्यापारिक प्रतिष्ठान और स्कूल-कॉलेज आदि तो हैं ही साथ में कई हाउसिंग कॉलोनियां भी स्थापित हो चुकी हैं। इसके अलावा पर्यटन गतिविधियां संचालित होती हैं। यहां तक कि कुंभ मेला क्षेत्र नोटिफिकेशन में इसी से लगता हुआ पार्किंग स्थल भी है जिसमें सभी प्रकार के मेले-त्योहारों, यहां तक कि कांवड़ मेला और अन्य मेले में इस क्षेत्र को पार्किंग के लिए उपयोग में लाया जाता है।

ऐसा नहीं है कि इस कूड़े के ढेर को हटाए जाने के प्रयास नहीं किए गए। लेकिन सभी प्रयास कमजोर राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के चलते दम तोड़ते रहे और कूड़ा का ढेर पहाड़ी में तब्दील होता चला गया।
2018 में नगर के इस कूड़े को हटाए जाने का प्रयास गंभीरता से पहली बार हुआ। जिसमें शासन को प्रस्ताव भेजा गया और शासन ने कमेटी का गठन भी किया। जिसमें शहरी विकास विभाग और नगर पालिका को इसके लिए कार्रवाई करने और कूड़ा निस्तारण के लिए टेंडर निकालने को कहा गया। 2018 में 1-7 लाख क्यूबिक टन कूड़ा इस भूखंड में एकत्र हो चुका था। इसके निस्तारण के लिए रॉयल्स इंडिया वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी गाजियाबाद को सोंपा गया कि वह 2023 मार्च तक इस भूखंड से कूड़े को पूरी तरह से हटाए।

लचर प्रशासनिक व्यवस्था का आलम यहां तक है कि 2018 में 1-7 लाख क्यूबिक टन कूड़ा इस भूखंड में पहले से ही एकत्र था और प्रतिदिन 90 मीट्रिक टन कूड़ा गिराया जाता है। स्थानीय लोगों का दावा है कि कूड़ा निस्तारण कंपनी दिन-रात काम भी करे तो किसी भी सूरत में मार्च 2023 तक कूड़े को हटा ही नहीं सकती। गौर करने वाली बात यह हे कि नगर पालिका द्वारा शासन को इस कूड़े को हरिद्वार स्थित कूड़ा निस्तारण संयंत्र में ले जाने का प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन शासन से भी वह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पाया।

अब शासन ने लालपानी बीट संख्या 1 में कूड़ा निस्तारण संयंत्र के निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत किया है। इसके लिए वन विभाग की 10 हेक्टेयर भूमि हस्तानांतरण भी नगर पालिका ऋषिकेश के लिए कर दी गई है। इसके लिए डीपीआर भी बन चुकी है और टेंडर भी निकाल दिए गए हैं। परंतु यह मामला भी अब स्थानीय लोगों के विरोध के चलते रुका हुआ है। इस कूड़ा निस्तारण संयंत्र से ऋषिकेश नगर निगम और इससे लगे हुए कई ग्रामीण क्षेत्रां के साथ-साथ नरेंद्र नगर, मुनि की रेती, स्वर्गाश्रम, डोईवाला नगर पालिका और तपोवन नगर पंचायत के कूड़ों का भी निस्तारण किया जाना है। बावजूद इसके ऋषिकेश नगर निगम मेयर और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद के आपसी राजनीतिक हितों के चलते इस अतिमहत्वपूर्ण कूड़ा निस्तारण संयंत्र का काम आरंभ नहीं हो पा रहा है। सूत्रों की मानें तो स्थानीय निवासियों के विरोध को मेयर और उनके समर्थकों का पूरा समर्थन दिया जा रहा है तो वहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कूड़ा निस्तारण संयंत्र के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। इसी सियासी उठापटक के चलते ऋषिकेश में कूड़े का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिसका असर जी 20 की अंतरराष्ट्रीय बैठक पर भी पड़ता दिख रहा है।

 

बात अपनी-अपनी
मैं अभी बाहर हूं। इलेक्शन के लिए त्रिपुरा में हूं। इसलिए मैं इस पर बात नहीं कर सकता।
दीपेन्द्र चौधरी, सचिव शहरी विकास

मार्च तक कूड़े को हटाए जाने का अल्टीमेटम दिया है, लाल पानी बीट में नया कूड़ा निस्तारण संयंत्र बनना है। जब इसका सर्वे हुआ तो वहां कोई अतिक्रमण नहीं था। अब बहुत से लोगों ने वहां अतिक्रमण करके झोपड़ियां बना ली है और वही लोग विरोध कर रहे हैं। जी-20 की बैठक होनी है, हम क्या मेहमानों को कूड़े का पहाड़ दिखाएंगे, इसके लिए जल्द ही कार्रवाई होनी चाहिए।
अनिता मंमगाई, मेयर नगर निगम ऋषिकेश

2023 मार्च तक गोविंद नगर का कूड़ा हटाने की शर्त पर ही हमने कंपनी को कम दिया था, हमें उम्मीद है कि सारा कूड़ा हटा दिया जाएगा। नया कूड़ा निस्तारण संयंत्र लाल पानी बीट संख्या 1 में बनाया जा रहा है। इसके लिए नेकॉफ बेस्ट मैनेजमेंट भोपाल की कंपनी को टेंडर हो चुका है। यही कंपनी देहरादून के शीशम बाड़ा संयंत्र का भी काम देख रही है।
राहुल गोयल, नगर आयुक्त, ऋषिकेश नगर निगम

जी-20 की बैठकें ऋषिकेश के लिए एक वरदान साबित हो सकती थीं। केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए कई योजनाएं बना रही हैं। आज नरेंद्र नगर में कई काम इस बैठक के लिए किए जा रहे हैं। ऋषिकेश में कई योजनाएं बजट न होने के चलते रूकी है। कम से कम उन योजनाओं को बजट मिल सकता था। लेकिन इस कूड़े के ढेर के कारण बै

ठक नरेंद्र नगर में की जा रही है।
हरीश तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार

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