सियासत के गलियारों से खबर है कि पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य वर्ग के हाथ निकल सकती है। यहां सूबे के बड़े नेताओं की आपसी रार के चलते इसकी संभावानाएं ज्यादा बताई जा रही हैं। हालांकि सामान्य वर्ग के जनपदीय छत्रपों की कोशिश है कि इस सीट पर उन्हें भी मौका मिले, लेकिन इसकी संभावनाएं कम बताई जा रही हैं। बहरहाल अध्यक्ष पद के आरक्षण पर छाई धुंध एक दो दिन में छंट जाएगी।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रधान से लेकर प्रमुख एवं जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर आरक्षण की स्थितियां साफ हो चुकी हैं। लेकिन अध्यक्ष जिला पंचायत पर अभी संशय बना हुआ है। यहां सियासी गलियारों से यह खबर आ रही है पौड़ी सीट पर सूबे के बड़े नेताओं में बड़ी खींचतान मची हुई है। खींचतान इस तरह से कि पौड़ी जनपद ही सूबे का ऐसा जिला है जहां से मौजूदा सरकार के कई कद्दावर नेता आते हैं। सबसे पहले सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी से हैं। उसके बाद दूसरे नंबर की पावर रखने वाले डाॅ धन सिंह रावत भी पौड़ी के हैं। इसके बाद मौजूदा वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का भी पौड़ी गृह जनपद है। केंद्र में एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी इसी जनपद के हैं।
पौड़ी गढ़वाल जिले में पंचायत अध्यक्ष बनने वाले दिग्गज नेताओं की लंबी लाइन है। लेकिन अभी सबकी समस्या यह हे कि कहीं यह सीट आरक्षित न हो जाए
इन परिस्थितियां में पौड़ी जिला पंचायत सीट की आरक्षण की स्थितियांे पर रार होना स्वाभाविक सी बात है। कारण यह कि जनपद की इस सबसे बड़ी सीट पर हर कोई नेता अपना आदमी देखना चाहेगा। चाहे वो सीएम हो या अन्य कोई नेता। इस रार से बचने के लिए एक बीच का रास्ता निकाला जा रहा है कि इस सीट को आरक्षित कर दिया है। इससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी वाली स्थितियां हो जाएंगी। यह भी खबर है कि इससे पहले वाले टर्न में यह सीट महिला आरक्षित रही। इस पर वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत अध्यक्ष रहीं। ऐसे में महिला आरक्षण की स्थितियां तो नहीं हैं। अब अनुसूचित की ओर संभावनाओं का झुकाव अधिक दिख रहा है। भाजपा सरकार व संगठन में खासी दखल रहने वाले नेताओं से हुई बातचीत में भी कुछ ऐसा ही छन कर आ रहा है। कहते हैं कि जब तक धुंध पूरी तरह से छंट नहीं जाती तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन अब तक जो इशारे हुए उनसे तो यही निकल कर आया है कि पौड़ी जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट सामान्य के हाथ से फिसल गई है। आरक्षण दल तैयारियों में जुट गए हैं। सत्ताधारी दल भाजपा की बात करें तो इसमें पौड़ी में कबीना मंत्री डा हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत निवर्तमान अध्यक्ष हैं। पिछले बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर भाजपा प्रत्याशी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की पत्नी हिमानी नेगी को हराया था। वह फिर से तैयारी में हैं। सहकारिता मंत्री डाॅ धन सिंह रावत के नजदीकी सहकारी बैंक के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत कुट्टी को भी पार्टी प्रत्याशी बना सकती है। प्रभाव एवं प्रबंधन का लाभ उन्हें मिल सकता है। जिला पंचायत सदस्य पदों के अधिकांश क्षेत्रों पर बेहतर प्रबंधन के लिए जाने जाने वाले पूर्व राज्य मंत्री सुदर्शन सिंह नेगी भी इस बार तैयारी में हैं। पार्टी प्रत्याशी बनने को लेकर उनकी भी तैयारी है।
कांग्रेस से संगठन में अच्छी पकड़ रखने वाले कल्जीखाल के ब्लाॅक प्रमुख और प्रमुख संगठन के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह राणा का नाम काफी समय से चर्चा में है। सदस्य सीटों पर उनकी तैयारी भी बताई जा रही है। बीते लोक सभा चुनाव में भाजपा से कांग्रेस में गए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी भी इस अवसर को भुनाना चाहेंगे। पिछली बार भी भाजपा में रहते हुए उन्होंने अपनी पत्नी को उतारा और कांग्रेस प्रत्याशी कबीना मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत की पत्नी को खासी टक्कर दी थी। पूर्व में वह स्वयं भी अध्यक्ष रहे हैें। इसके अलावा कोट ब्लाक प्रमुख सुनील लिंगवाल का नाम भी अध्यक्ष जिला पंचायत पद पर पार्टी सूत्रों की चर्चाओं में है।
समस्या यह है कि अभी आरक्षण की स्थितियां साफ नहीं हो पाई हैं। गुजरे कार्यकाल में अध्यक्ष की सीट महिला आरक्षित रही। उससे पहले अनारक्षित, और उससे पहले भी महिला आरक्षित। ऐसे में आरक्षण की स्थितियां एंटी क्लाॅक चलती हैं, तो अनुसूचित जाति के हिस्से में यह सीट जा सकेगी। ऐसी भी संभावना है। हालांकि यह सिर्फ कयास हैं। जानकारों की राय है कि यदि आरक्षण की स्थितियां बनी तो मुकबले की रोचकता वह नहीं रहेगी।