उत्तराखण्ड की पुष्कर सिंह धामी सरकार के मंत्रियों ने पिछले पौने पांच बरस के दौरान सुशासन की मर्यादा तार-तार करने का रिकाॅर्ड स्थापित किया है। ऐसे मंत्रियों में महिला सशक्तिकरण, पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री रेखा आर्या भी शामिल हैं, जिन्होंने उत्तराखण्ड सहकारी डेयरी फेडरेशन में एक पेशेवर प्रबंध निदेशक की नियुक्ति को रोकते हुए विभाग के एक जूनियर अधिकारी को फेडरेशन का प्रबंध निदेशक बना डाला है। मंत्री के इस तुगलकी आदेश से विभाग में भारी रोष के चलते मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है
केंद्र अथवा राज्यों में सरकार गठन के समय मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है। केंद्र में यह शपथ प्रधानमंत्री एवं उनके मंत्रियों को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं तथा राज्यों में राज्यपाल इस शपथ को मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्रियों को दिलाते हैं। इस शपथ का उद्देश्य ऐसे सभी राजनेताओं को उनके संवैधानिक दायित्व का स्मरण कराना होता है। यह पूरी प्रक्रिया धीरे-धीरे मात्र रस्म अदायगी बनकर रह गई है। राजनेता शपथ लेते हैं कि ‘मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा। मैं मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा. . . .’
यदि इस शपथ का थोड़ा भी पालन ऐसे मंत्री करते हों तो देश में भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं होता। बहरहाल उत्तराखण्ड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मतस्य पालन मंत्री रेखा आर्या इस शपथ के प्रति कैसी और कितनी निष्ठावान हैं, इसे उनके एक फैसले से समझा जा सकता है।
रेखा आर्या के अधीन दुग्ध विकास विभाग में पिछले दिनों तब भारी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई जब तमाम नियम- कानूनों एवं विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए मंत्री महोदया ने एक महत्वपूर्ण पद पर एक बेहद जूनियर स्तर के अफसर की तैनाती का तुगलकी फरमान जारी कर डाला। मंत्री के इस आदेश को लेकर विभाग में भारी नाराजगी का माहौल इतना बढ़ गया है कि मामला नैनीताल हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है। पूरा प्रकरण उत्तराखण्ड को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन में प्रबंध निदेशक की नियुक्ति को लेकर है। राज्य में दुग्ध विकास को पेशेवर तरीके से आगे बढ़ाने की नियत से मई, 2020 में फैसला लिया गया कि इस फेडरेशन में प्रबंध निदेशक पद पर उच्च शिक्षा एवं अनुभव प्राप्त प्रोफेशनल की नियुक्ति की जानी जरूरी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। विभाग में लंबे समय तक इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया गया था। मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद राज्य सरकार ने नवंबर 2020 को प्रबंध निदेशक पद के लिए विज्ञापन जारी कर दिया। इस विज्ञापन के अनुसार प्रबंध निदेशक का वेतनमान दो लाख रुपया महीना तय किया गया। सरकार ने विज्ञापन जारी करने से पहले वित्त एवं न्याय विभाग से भी राय ली थी। वित्त विभाग ने अपनी सहमति इस आधार पर तत्काल जारी कर दी कि प्रबंध निदेशक को दिया जाने वाला वेतन समेत सारा खर्चा उत्तराखण्ड सहकारी डेयरी समूह द्वारा दिया जाए ताकि सरकार पर अतिरिक्त खर्च का बोझ न बने। न्याय विभाग एवं सरकार के कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने भी अपनी सहमति देते हुए सरकार को राय दी थी कि इस पद के लिए अलग से नियमावली बनाई जानी चाहिए ताकि भविष्य में किसी विवाद से बचा जा सके। राज्य सरकार ने ऐसा ही किया। 10/07/2020 को दुग्ध विकास के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने प्रबंध निदेशक पद पर पेशेवर व्यक्ति की नियुक्ति के संदर्भ में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए लिखा कि ‘वर्तमान में निदेशक डेयरी विकास विभाग द्वारा पदेन प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड सहकारी डेरी
फेडरेशन के पद के दायित्व का निर्वहन किया जा रहा है। प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन राज्य में गठित शीर्ष दुग्ध सहकारी समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है, जिनका नियंत्रण उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम 2003 एवं नियमावली 2004 में निहित प्राविधानों के अनुसार निबंधक दुग्ध सहकारी समिति (निदेशक डेयरी विकास विभाग) में निहित है। इस प्रकार एक ही व्यक्ति द्वारा प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यकारी अधिकारी तथा निदेशक डेरी के रूप में उसी पद के नियंत्रक के रूप में कार्य किया जा रहा है जो कि conflict of interest है। अंततः लंबी प्रक्रिया और विचार-विमर्श के इस पद पर योग्य व्यक्ति के चयन के लिए मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड की अध्यक्षता में एक इंटरव्यू पैनल बना दिया गया। इस पैनल में मुख्य सचिव के अलावा राज्य के वित्त सचिव एवं डेरी विकास को सदस्य रखा गया।
राज्य सरकार को इस पद के लिए 20 आवदेन आए। इन 20 आवेदनों में से 6 आवेदनकर्ताओं को इस पद के लिए तय किए गए मानकों पर सही पाया गया। इसके पश्चात इन सभी को इंटरव्यू में बुलाए जाने की प्रक्रिया राज्य सरकार ने शुरू कर दी। 20 अप्रैल, 2021 को सभी चयनित आवेदनकर्ताओं को साक्षात्कार में शामिल होने के पत्र भेज दिए गए।
गौरतलब है कि इस इंटरव्यू को कई बार अलग- अलग कारणों के चलते टाल दिया गया। सबसे पहले 27 अप्रैल, 2021 को यह इंटरव्यू होना तय किया गया। अज्ञात कारणों से इसे इस दिन न कर 24 जून, 2021 के लिए रखा गया। यह साक्षात्कार कोविड चलते आॅनलाइन लिया जाना था। 24 जून को ‘तकनीकी कारणों’ के चलते दो कैंडिडेट इसमें भाग नहीं ले सके। इन दो आवेदकों का इंटरव्यू 03 जुलाई को लिया जाना तय हुआ लेकिन एक बार फिर इसे टाल दिया गया। अंततः 28 जुलाई, 2021 को यह साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात तीन कैंडिडेट्स शाॅर्ट लिस्ट किए गए। इन तीन कैडिडेट्स में सबसे अधिक 15 अंक मनोहर सिंह चैहान को मिले। दूसरे स्थान पर रहे ज्योतिष प्रसाद शर्मा को 15 अंक और तीसरे स्थान पर हरीश कुमार गुप्ता को 08 अंक मिले। 16 अगस्त, 2021 को साक्षात्कार समिति ने इस पद पर मनोहर सिंह चैहान की नियुक्ति का फैसला लिया। 16 अगस्त, 2021 को चयन समिति ने विभाग की मंत्री रेखा आर्या के समक्ष मनोहर सिंह चैहान को नियुक्ति किए जाने संबंधी प्रस्ताव उनकी सहमति के लिए भेज दिया। यहां बड़ा ‘खेला’ हो गया। आमतौर पर ऐसे प्रस्ताव जो एक लंबी प्रक्रिया के बाद मुख्य सचिव की सहमति से अनुमादन के लिए मंत्री के पास भेजे जाते हैं, संबंधित मंत्री उन पर अपनी सहमति तत्काल दे देते हैं। रेखा आर्या ने लेकिन ऐसा नहीं किया। उन्होंने इस फाइल का 14 दिनों तक ‘गहन अध्ययन’ कर एक अजीबो- गरीब आदेश जारी कर डाला। मंत्री ने लगभग एक वर्ष तक चली चयन प्रक्रिया को सिरे से खारिज करते हुए 30 अगस्त, 2021को डेयरी विभाग के एक जूनियर अधिकारी जयदीप अरोड़ा को डेयरी संघ का प्रबंध निदेशक बनाए जाने का निर्णय ले लिया। मंत्री के इस तुगलकी आदेश से विभाग में भारी असंतोष की खबर है। मंत्री के इस आदेश के बाद डेयरी विभाग के उप सचिव ने विभागीय सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को लिखा कि ‘अवगत कराना है कि कार्यकारी आदेश संख्या-519, दिनांक 07 अक्टूबर, 2020 (प/ग) के माध्यम से प्रबंध निदेशक के पद का सृजन किया गया, जो कि संविदा का पद है इस पद हेतु रु. 02 लाख प्रतिमाह मानदेय निर्धारित है। श्री जयदीप अरोड़ा द्वारा उक्त पद पर प्रकाशित विज्ञप्ति के सापेक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। वर्तमान में श्री जयदीप अरोड़ा डेरी विकास विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत हैं, जो कि निदेशक, डेरी विकास विभाग के अधीन है। प्रबंध निदेशक, उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन लि . का पद निदेशक, डेरी विकास के समतुल्य है, इस दृष्टिगत उक्त पद का कार्यभार निदेशक, डेरी विकास विभाग से निम्न स्तर से अधिकारी सौंपा जाना विधिसंगत समीचीन प्रतीत नहीं होता है।’
दिनांक 17 सितंबर, 2021 को लिखे एक अन्य पत्र में उप सचिव ने लिखा है कि ‘उत्तराखण्ड शासन के कार्यकारी आदेश संख्या-519, दिनांक 07/08/2019 द्वारा डेरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड को तकनीकी विशेषज्ञता औपचारिक रूप से डेरी के क्षेत्र में प्राप्त न होने के दृष्टिगत पेशेवर प्रबंध निदेशक ;च्तवमिेेपवदंस डंदंहपदह क्पतमबजवतद्ध के पद को पुनर्गठित किया गया है। जबकि कार्यालय ज्ञाप संख्या-538, दिनांक 13/09/2021 द्वारा प्रबंध निदेशक का दायित्व श्री जयदीप अरोड़ा, संयुक्त
निदेशक, डेरी विकास विभाग, उत्तराखण्ड संपर्क कार्यालय, देहरादून को दिया गया है। उक्त कार्यालय ज्ञाप की प्रति प्रबंध निदेशक, उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन को पृष्ठांकित न होने के दृष्टिगत पुनः शासन के पत्र दिनांक 581, दिनांक 16/09/2021 के माध्यम से संशोधन करते हुए अवगत करा दिया गया। उत्तराखण्ड शासन के कार्यकारी आदेश संख्या-519, दिनांक 07/08/2019 एवं कार्यालय ज्ञाप संख्या-538, दिनांक 13/09/2021 में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे कि प्रबंध निदेशक का पदभार दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा है।’ डेरी सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम् लेकिन अपने ही विभाग के अफसरों की सुनने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने समस्त नियम-कानूनों को दरकिनार करते हुए 20 सितंबर के दिन स्पष्ट आदेश दे डाले कि प्रबंध निदेशक पद पर मंत्री रेखा आर्या के निर्देश अनुसार जयदीप अरोड़ा को नियुक्त कर दिया जाए। यहां यह गौरतलब है कि विभाग ने अपने सचिव को स्पष्ट अवगत कराया है कि एक जूनियर अधिकारी की नियुक्ति इस पद पर नहीं की जा सकती है। इसके बावजूद सचिव ने मंत्री के दबाव में यह पद एक जूनियर अधिकारी को सौंपने के आदेश दे डाले। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि सचिव के इस आदेश से पहले 15 सितंबर, 2021 को उत्तराखण्ड सहकारी डेरी संघ के प्रबंध निदेशक का पद संभाल रहे निदेशक (डेयरी) बीएल फिरमाल ने भी मंत्री के आदेश के चलते ‘असमंजस’ की स्थिति का उल्लेख करते हुए सचिव को भेजे अपने पत्र में स्पष्ट लिखा कि ‘उत्तराखण्ड शासन के कार्यकारी
आदेशसंख्या-519/एक्सवी-2/2020-02(15)/2020 दिनांक 07/08/2019 एवं कार्यालय ज्ञाप संख्या-538/ एक्सवी-2/2021-02(15)/2020 दिनांक 13/09/2021 में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे कि
प्रबंध निदेशक का पदभार दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा है।’
मंत्री रेखा आर्या ने जयदीप अरोड़ा को प्रबंध निदेशक उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन बनाने का तुगलकी फरमान जारी करते हुए अपने आदेश में लिखा है ‘अरोड़ा को प्रबंध निदेशक पद में तैनात करने से अन्य समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। अरोड़ा ने पहला ‘सकारात्मक’ परिणाम अपनी तैनाती के बाद दे डाला है। दुग्ध विकास के बजाय वे मंत्री रेखा आर्या के पब्लिक रिलेशन का काम करने में जुट गए हैं। 27 अक्टूबर, 2021 को उन्होंने मंत्री के निर्देश पर 300 बेडशीट राज्य के पत्रकारों को भेंट में दिए जाने कर निर्देश दिया। ये बेडशीट मंत्री रेखा आर्या के दफ्तर में भेजे जाने का निर्देश भी उन्होंने देकर राज्य में दुग्ध विकास को ‘नई ऊंचाइयां’ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा दी है। बहरहाल, अब मामला नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है। इस मामले में पद के लिए चुने गए मनोहर सिंह चैहान की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को पेशेवर योग्य व्यक्ति को तत्काल चुनने का निर्देश दे दिया है।
माननीय मंत्री महोदया रेखा आर्या जी द्वारा जो हमें आदेश दिए गए हमने उनका पालन किया है। बेडसीट मामले में हमें माननीय मंत्री जी का पहले पत्र आया था। इसके बाद ही हमने पत्र लिखा था। नियुक्ति भी प्रक्रिया के तहत की गई है।
जयदीप अरोड़ा, प्रबंध निदेशक डेयरी फेडरेशन