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Uttarakhand

ग्रीन वैली का रेड कॉर्नर

देहरादून के राजपुर रोड स्थित अंसल ग्रुप की ग्रीन वैली इन दिनों चर्चाओं में है। यह वैली यहां रहने वाले लोगों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की आपसी जंग का मैदान बन गई है। जमीनों के विवाद पर मारपीट तक हो चुकी है। इस सोसायटी में भू कारोबारियों ने करोड़ों के वारे-न्यारे करने के लिए जमीन कब्जाने शुरू कर दिए हैं। जिसमें सत्ता से जुड़े नेताओं का नाम आने से मामला संवेदनशील हो गया है

‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’ गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित्र मानस ग्रंथ में यह पंक्तियां लिखी थी। उनके द्वारा लिखी गई पंक्तियां उत्तराखण्ड प्रदेश में चरितार्थ होती नजर आ रही हैं। देहरादून में विगत कुछ वर्षों से खाली पड़ी भूमि पर सत्ता और रसूखदारों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है या करवाया जा रहा है। अगर इनके खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो उसके साथ न सिर्फ मारपीट की जाती है, बल्कि उसके खिलाफ मुकदमा तक दर्ज करवा दिया जाता है। कुछ ऐसा ही मामला आजकल देहरादून में सुर्खियों में है। जिसमें नगर निगम पार्षदों द्वारा एक निजी आवासीय कॉलोनी की सोसायटी के सचिव के साथ मारपीट करके उसके आवास को क्षति ग्रस्त किया गया। साथ ही उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा तक दर्ज करवा दिया गया। हालांकि यह भी दिलचस्प है कि सोसायटी के सचिव पर भी कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उसने स्वयं सोसायटी की जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है जिसके चलते उस पर कार्यवाही की गई। इस मामले में सत्ताधारी भाजपा पार्षदों का नाम सामने आने पर मामला खासा दिलचस्प हो गया है। पूरा मामला राजपुर रोड स्थित ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी में किए जा रहे अतिक्रमण के मामले का है जहां नगर निगम की टीम द्वारा स्थलीय निरीक्षण के समय दो पक्षों में भारी विवाद और मारपीट का मामला सामने आया जिसमें एक युवक के घायल होने पर युवक की मां द्वारा सोसायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज के खिलाफ राजपुर थाने में शिकायत की गई। जिसमें प्रवीण भारद्वारज के खिलाफ जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज कराया गया। जबकि अगले दिन प्रवीण भारद्वाज द्वारा 5 नगर निगम पाषर्दों और 21 अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट, बलवा और जबरन घर में घुसकर तोड़-फोड़ करने का मुकदमा दर्ज करवाय गया। पुलिस दोनों ही मामलों की जांच कर रही है।

पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से यहां की जमीनें सोना उगलने वाली नजर आने लगी तो प्रदेश में खासतौर पर देहरादून के कई बड़े-बड़े बिल्डर्स और कॉलोनियर्स की पहली पंसद बन गया था। इसी कड़ी में वर्ष 2001 में विख्यात अंसल ग्रुप के अंसल बिल्डवेल लिमिटेड द्वारा राजपुर रोड के जाखण में 45977-38 वर्ग मीटर के भूखण्ड में अंसल ग्रीन वैली का निर्माण किया गया। इसके लिए एमडीडीए से सभी औपचारिकताएं पूरी की गई जिसमें हरित क्षेत्र छोड़ने के अलावा एकल आवासीय मानचित्र स्वीकृत किया गया। एकल आवासीय मानचित्र योजना में बहुमंजिला इमारतें नहीं बनाई जा सकती हैं। साथ ही योजना के मानचित्र में जो स्वीकृत हो उससे इतर कोई भी निर्माण अवैध माना जाता है। इसी योजना के तहत अंसल ग्रीन वैली का निर्माण किया गया जिसे 30 मई 2005 को ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी जाखण को सुपुर्द कर दिया गया। तब से लेकर आज तक सोसायटी ही इस कॉलोनी का संचालन करती है। सोसायटी के नियमानुसार चुनाव किए जाते हैं जिसके वर्तमान में अध्यक्ष संजीव सैनी और सचिव प्रवीण भारद्वाज हैं।

इसी आवासीय कॉलोनी में कुछ भूमि यूडी लैंड तथा हरित क्षेत्र भी है जो कि आज करोड़ों की भूमि है। इसी भूमि पर वर्षों से कई भूमि कारोबारियों और भू माफियाओं की नजरें गड़ी हुई हैं। जमीन को हथियाने के प्रयास कई बार किए गए हैं। जिनको रोकने के लिए सोसायटी के पदाधिकारियों ने अनेकों बार बड़ी लड़ाई लड़ी। ग्रीन एरिया जिस पर कॉलोनीवासियों द्वारा स्मृति वन बनाया गया है, को हड़पने के प्रयास किए गए हैं। इसके लिए सरकारी विभागों से भी दबाव बनाया जाता रहा है। लेकिन सोसायटी द्वारा विरोध किया जाता रहा है। जिस कारण भू माफिया अपने षड्यंत्र में कामयब नहीं हो पाए। सोयायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज का कहना है कि सोसायटी की जमीनों को हड़पने के लिए कई बार राजनीतिक दबाव बनाया गया है। साथ ही एमडीडीए पर भी सोसायटी की शिकायतों पर कार्यवाही न करने का दबाव बनाया जाता रहा है। प्रवीण भारद्वाज के आरोपों को अगर सही मानें तो वास्तव में ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी की जमीनों को कई बार षड्यंत्र रचकर हड़पने का काम किया गया है। जिसमें सोयायटी के मुख्य गेट के समीप ही करीब 9 सौ वर्ग गज का खाली भूखण्ड है जो यूडी लैंड के तौर पर उल्लेखित है, को बकायदा सोयायटी के नाम पर फर्जीवाड़ा करके न सिर्फ बेचा गया है बल्कि फर्जी एनओसी देकर रजिस्ट्री भी करवाई गई है। इस मामले में अंसल बिल्डवैल के एक पूर्व कर्मचारी पर ही फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं। सोसायटी ने इसके लिए तत्कालीन डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग को शिकारयत की थी जिस पर जांच करने के बाद एमडीडीए को सोसायटी की फर्जी एनओसी दिए जाने की बात का उल्लेख करते हुए मानचित्र को रद्द करने की कार्यवाही करने को कहा गया।

गौर करने वाली बात यह है कि इस मामले में प्रवीण भारद्वाज द्वारा सभी कार्यवाही की गई थी। जिससे प्रवीण भारद्वाज भू कारोबारियों की निगाहों में खटकने लगे थे। इसी यूडी लैंड भूमि को किसी अनिमेष बंसल द्वारा नोएडा की एक महिला को धोखे से 49 लाख 50 हजार में बेच दिया गया जिसकी रजिस्ट्री भी महिला के नाम करवा दी गई। लेकिन जब महिला जमीन पर निर्माण करने के इरादे से पहुंची तो उसे जमीन का फर्जीवाड़ा पता चला। जिस पर उसके द्वारा अनिमेष बंसल के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया गया। सोसायटी की हरित एरिया के नाम पर खाली जमीन को हड़पने का भी कई बार खेल रचा गया। पूर्व में इस क्षेत्र के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया जिसमें निर्माण करने वाली संस्था रैमके द्वारा सोसायटी की हरित क्षेत्र की जमीन में निर्माण के सामान के लिए अस्थाई तौर पर अनुमति लेकर टीन शेड का निर्माण करवाया। जिसमें शर्त थी कि एसटीपी के निर्माण के बाद कंपनी कॉलोनी की जमीन से अपना अस्थाई निर्माण हटाकर जमीन को खाली कर के सोयायटी को सौंप देगी। लेकिन कंपनी द्वारा ऐसा नहीं किया गया। जिस पर सोसायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज ने कई बार शिकायत की। लेकिन कुछ कार्यवाही नहीं की गई। इसी बीच इस अस्थाई निर्माण का ताला तोड़ किसी व्यक्ति को इसमें बसा दिया गया और हरित क्षेत्र में कई जगहों पर कब्जा कर लिया गया। जबकि इस क्षेत्र में सोसायटी द्वारा स्मृति वन लगाया गया था।

कई नोटिस भेजने के बाद आखिरकार एमडीडीए द्वारा सोसायटी की जमीनों पर अवैध निर्माण और कब्जों के खिलाफ ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए तो कब्जाधारी बुरी तरह से बौखला गए। जिसके फलस्वरूप एक साथ कई दर्जन लोगों के साथ प्रवीण भारद्वाज के आवास पर धावा बोलकर उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई। यहां तक कि नगर निगम की कार्यवाही के नाम पर उनके घर के मुख्य गेट को जबरन तोड़ दिया गया और उनकी आवास में लगाए गए पेड़-पौधों को भी नष्ट कर दिया गया। इस मामले में राजनीतिक दबाव की बातें इसलिए सामने आ रही हैं क्योंकि प्रवीण भारद्वाज द्वारा जिसके साथ मारपीट की गई और जिसके आवास पर जोसीबी लगाकर तोड़ा गया उसी के खिलाफ जान से मारने का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। जबकि प्रवीण भारद्वाज द्वारा अपने आवास पर लगे सीसीटीवी कैमरे की सभी फुटेज पुलिस को दी है। जिसमें साफ तौर पर उनके साथ मारपीट करने वाले लोगों के चेहरे दिख रहे हैं। बावजूद इसके उनके ही खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है। सोसायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज पर भी कई आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने अपनी आवास में तीन सौ वर्ग मीटर भूमि पर अवैध अतिक्रमण किया हुआ है। साथ ही सोसायटी में खाली पड़ी जमीनों और नाले को पाट कर लोगों को कब्जा करवाया गया है।

नगर निगम पार्षदों द्वारा पत्रकार वार्ता करके सोसायटी पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उनका कहना है कि स्वयं प्रवीण भारद्वाज द्वारा ही अंसल ग्रीन वैली से लगी हुई भूमि जिस पर 40 वर्षों से मंदिर का निर्माण हुआ था, को अतिक्रमण बताते हुए जिलाधिकारी को शिकायत की थी। जिसमें पार्षद संजय नौटियाल द्वारा अंसल ग्रीन वैली में नालों को पाटकर कब्जे करने की कई शिकायतें जिलाधिकारी और नगर निगम को भी लिखी थी। जिस पर नगर निगम ने मंपाई करने के लिए टीम भेजी लेकिन प्रवीन भारद्वाज और सोसायटी के लोगों द्वारा विरोध किया गया। दोबारा नगर निगम की टीम पूरे दलबल के साथ गई तो मंदिर की दीवार को पार्षद द्वारा हटा दिया गया। जिस पर बस्ती वालों में नाराजगी बढ़ गई और नगर निगम पर दबाव बना कि हर एक अतिक्रमण को हटाया जाए। इसी के चलते सारी कॉलोनियों के आवासों पर अतिक्रमण के निशान लगाए गए हैं। लेकिन प्रवीण भारद्वाज के आवास जिस पर अतिक्रमण था, को जेसीबी से नगर निगम की टीम ने ध्वस्त कर दिया। पार्षदों का आरोप है कि प्रवीण भारद्वाज द्वारा सोसायटी के लोगों को एकत्र कर हंगामा किया गया और मारपीट की गई। उनकी पत्नी द्वारा पिस्टल लहराई गई और एक युवक के सिर पर वार किया गया जो बुरी तरह घायल हो गया।

अब मामला पुलिस की जांच में है और दोनों ही तरफ के आरोपों पर पुलिस जांच कर रही है। लेकिन इतना तो साफ है कि अंसल ग्रीन वैली में बड़े पैमाने पर कब्जे किए गए हैं। इस क्षेत्र में बड़े-बड़े रसूखदारों के आवास हैं जिन पर पहले भी नालों की जमीनों पर कब्जा करके निर्माण करने के आरोप लगते रहे हैं जिनमें पूर्व मुख्य सचिव ओम प्रकाश का भी नाम है। आरोप है कि उनके आवास में नाले की भूमि शामिल की गई है। इसी तरह से अंसल ग्रीन में भी कई आवासीय भवनों का निर्माण हो चुका है जबकि इस सोसायटी के पास महज 138 प्लाट ही स्वीकृत हैं जिसके चलते कई ऐसी भूमि हैं जो तकनीकी तौर पर अब नगर निगम के अधीन हो चली हैं और उसी पर कब्जे हो रहे हैं। सोसायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज तो इसके लिए सरकार में मंत्री और स्थानीय विधायक गणेश जोशी, मेयर सुनील उनियाल गामा पर कब्जे करवाने का अरोप लगा रहे हैं। पार्षदों को इसके लिए सहयोग करने की बात कह रहे हैं। जबकि पार्षदों का आरोप है कि स्वयं प्रवीण भारद्वाज भी मिलीभगत करके सोयायटी की खाली जमीनों और नालों की जमीनों पर कब्जे करवाता रहा है। इस मामले में अगर निष्पक्ष जांच होगी तो वास्तव में जमीनों के इस बड़े खेल के असली चेहरे सामने आ सकते हैं।

बात अपनी-अपनी
दोनों तरफ से रिपोर्ट दर्ज हुई है, इसकी विवेचना चल रही है, जैसे ही विवेचना में सामने आएगा, उसके तहत कार्यवाही की जाएगी।
जितेन्द्र सिंह चौहान, थानाध्यक्ष राजपुर

यह मेरा क्षेत्र है, मैं कई बार इसमें हो रहे कब्जां की शिकायतें करता रहा हूं। प्रवीण भारद्वाज द्वारा कई लोगों की मिलीभगत से जमीनों पर कब्जे करवा चुका है और आरोप हम पर लगा रहा है। नगर निगम की टीम जब अतिक्रमण के लिए गई तो प्रवीण भारद्वाज द्वारा विरोध किया गया। जबकि वह कहता है कि उसने ही अतिक्रमण की शिकायत की थी। उसका आवास अतिक्रमण में था जिस पर नगर निगम की जेसीबी ने कार्यवाही की लेकिन मुझ पर ही आरोप लगाकर दोषी बना दिया गया।
संजय नौटियाल, पार्षद, नगर निगम देहरादून

मैं भू माफियाओं की निगाहों में पहले से ही हूं। मैंने कई बार शिकायतें की है जिस पर एमडीडीए ने ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया है। इस क्षेत्र में नदी-नालों और पार्कों की खाली पड़ी जमीनों पर नगर निगम के पार्षद संजय नौटियाल और कई भाजपा के पार्षद, मंत्री गणेश जोशी के इशारों पर काम कर रहे हैं। जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। नगर निगम मेयर गामा भी जमीनों पर कब्जा करवाते रहते हैं। मैंने विरोध किया तो मेरा आवास तोड़ा गया। मेरे साथ मारपीट की गई और मुझ पर ही मुकदमा दर्ज करवाया गया। सोसायटी के लोगों ने विरोध किया और जनता का हमें समर्थन मिला तो पार्षदों और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना पड़ा नहीं तो हमें राजनीतिक दबाव के कारण मुकदमों में फंसाया जा रहा है।
प्रवीन भारद्वाज, सचिव, ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी

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