उत्तराखण्ड के सरकारी स्कूलों में पेयजल, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। शिक्षकों की कमी तो शायद कभी पूरी नहीं होगी। लेकिन आश्चर्यजनक है कि बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देने के सपने दिखाए जा रहे हैं
केंद्र में जब यूपी, सरकार थी और डाॅ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डाॅ ़ मुरली मनोहर जोशी ने यूपी, सरकार पर तंज कराते हुए कहा था कि ‘गांव वालों तुम खेती बाड़ी करो और शहर वालो तुम पढ़ो।’ उसके बाद खुद डाॅ जोशी अटल सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे। वर्तमान में केंद्र एवं राज्य में डबल इंजन की भाजपा सरकार है लेकिन बावजूद इसके प्रदेश का पूरा शिक्षा तंत्र शिक्षकों व आधारभूत ढांचे की कमी से जूझ रहा है। कमजोर बुनियाद वाले शिक्षा तंत्र केे बीच सरकार का स्कूली महकमा इन दिनों अटल उत्कृष्ट विद्यालय का राग अलाप रहा है। पहले माध्यमिक स्तर पर वर्चुअल क्लास शुरु कराने का हो हल्ला भी खूब हुआ, लेकिन इससे दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे कितने बच्चे लाभान्वित हुए, उस पर फिलहाल खामोशी है। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन योजना के तहत बोर्ड में टाॅप 25 बच्चों को सभी कोर्सेज में 50 फीसदी स्कालरशिप दी जा रही है। देश को जानो योजना के माध्यम से दसवीं में टाॅप 10 रैंकर्स को भारत भ्रमण कराया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके सरकारी विद्यालय अभिभावकों का भरोसा खो रहे हैं।
बदहाली व कमजोर आधारभूत संसाधनों के बीच प्रदेश सरकार राज्य में 190 अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोलने जा रही है। तर्क यह है कि इसमें सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के बच्चों को अंगे्रजी माध्यम की शिक्षा दी जाएगी। छठी से बारहवीं तक के विद्यालय इस योजना में शामिल किये गये हैं। विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की अवधि पांच साल तय की गई है। मकसद तो यह है कि ये स्कूल निजी स्कूलों से टक्कर ले सकेंगे। लेकिन दिखाई जा रही इस सुनहरी तस्वीर के पीछे कुछ बदरंग हकीकत यह भी है कि सरकारी स्कूलों में लगातार छात्र संख्या घटती जा रही है। विद्यार्थी बीच में ही पढ़ाई छोड़ रहे हैं। आठवीं तक ड्राॅप आउट का आंकड़ा 3.64 प्रतिशत होता है तो इसकी अगली कक्षा में यह 11 प्रतिशत पहुंच जाता है। जनपदवार देखें तो चंपावत में 15.69, अल्मोड़ा में 15.20, ऊधमसिंह नगर में 14.72, हरिद्वार में 14.59, उत्तरकाशी में 11.35, चमोली में 11.33 एवं पिथौरागढ़ में 10.01 प्रतिशत है। प्रदेश में बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके स्कूलों में छात्रों की संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है। 2014-15 में बेसिक में छात्र संख्या 750917 थी जो वर्ष 2019-20 आते-आते 686000 रह गई है। प्रदेश में 2851 प्राथमिक विद्यालय 10 से कम छात्र संख्या वाले हैं। प्रदेश के शिक्षा तंत्र के हालात यह हैं कि विद्यालय लगातार शिक्षकविहीन हो रहे हैं। विषयवार शिक्षकों की कमी बनी हुई है। जहां पर शिक्षक हैं तो वहां पर भी पढ़ाई को लेकर सवाल उठते रहे हैं। यह भी सामने आया है कि पंाचवीं तक के बच्चे जोड़ घटाओ तक ठीक से नहीं कर पाते हैं।
सवाल सिर्फ स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों का ही नहीं है, बल्कि शिक्षकविहीन विद्यालयों का भी है। कुमाऊं मंडल के जनपद पिथौरागढ़ में इंटर स्तर पर 1169 पद स्वीकृत हैं लेकिन 671 खाली चल रहे हैं। भौतिक विज्ञान के 72, रसायन विज्ञान के 63, गणित के 45, जीव विज्ञान के 67, अंगे्रजी के 65, संस्कृत के 46, हिंदी के 86, भूगोल के 43, अर्थशास्त्र के 70, इतिहास के 30, नागरिक शास्त्र के 63 पद खाली चल रहे हैं। यही हाल 1058 प्राथमिक स्कूलों का भी है। इनमें करीब 16 हजार छात्र- छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनमें प्रधानाध्यापकों के 603 पदों के सापेक्ष 215 तो सहायक शिक्षकों के 2078 पदों के सापेक्ष 561 पद रिक्त चल रहे हैं। इस तरह जनपद में प्राथमिक शिक्षकों के 776 पद रिक्त चल रहे हैं। जनपद के हाईस्कूल व इंटर काॅलेजों में शिक्षकों के 349 पद खाली हैं। जूनियर हाईस्कूलों से उच्चीकृत 20 हाईस्कूलों में प्रयोगशाला नहीं हैं। यही हाल चंपावत जिले का भी है। चंपावत जनपद में 516 प्राथमिक, 44 हाईस्कूल, 61 इंटर, 215 माध्यमिक विद्यालय हैं। 28 प्राथमिक विद्यालय बंद पड़े हैं। प्रधानाध्यापक के 26 पद, अध्यापकों के 114 पद रिक्त चल रहे हैं। हाईस्कूल में प्रधानाचार्य के 27 तो इंटर में 39 पद रिक्त चल रहे हैं।
हाईस्कूल में अध्यापकों के 106 तो इंटर में प्रवक्ताओं के 248 पद रिक्त चल रहे हैं। अल्मोड़ा जनपद में 1391 प्राथमिक, 191 जूनियर, 97 हाईस्कूल व 166 इंटर स्कूल हैं। प्रवक्ताओं के 1526 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 702 पद रिक्त तो, एलटी में 2005 स्वीकृत पदों के मुकाबले 232 पद रिक्त चल रहे हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 275 एवं जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों के 150 पद रिक्त चल रहे हैं। पुरुष प्रधानाचार्य के 145 में से 82 तो महिला प्रधानाचार्या के 21 स्वीकृत पदों में से 09 पद रिक्त चल रहे हैं। वहीं पुरुष प्रधानाध्यापक के 83 स्वीकृत पदों में से 52 तो महिला प्रधानाध्यापिका के 14 पद रिक्त चल रहे हैं। बागेश्वर जनपद में 565 प्राथमिक विद्यालय हैं। इसमें प्रधानाध्यापकों के 462 स्वीकृत पदों में से 97 तो सहायक अध्यापक के 682 पदों में से 306 पद रिक्त चल रहे हैं। जिले में 112 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इसमें 367 स्वीकृत पद हैं, लेकिन 55 पद रिक्त चल रहे हैं। जिले में 93 इंटर काॅलेजों में प्रवक्ताओं के 533 पद स्वीकृत हैं लेकिन इसके सापेक्ष 314 पद रिक्त चल रहे हैं, एलटी शिक्षकों के 906 पद स्वीकृत हैं 146 पद रिक्त चल रहे हैं।
अकेले जनपद पिथौरागढ़ के वटगेरी, कुनल्ता, नालीवेल, बुरशुम, पिल्खी, नायल, ग्वाल, तामानौली, शैल कुमारी, वास्ते, दिगतोली, चमाली, पत्थरखानी, चोखाल, कटियानी, पन्थ्यूड़ी, कुमययाचैड़, खतीगंव, पाभैं, नैनीभनार, आधचैरा, जमतड़ी कूटा, पांगला, खतेड़ा, बजेता, छडौली, जाबुकाथल, चैरपाल, पव्वाधर आदि विद्यालय पेयजल विहीन तो ग्वाल, टम्टा, नालीवेल, कुनल्ता, भल्या, पाभैं, नैनीभनार, सेल, शिलिंगिया तोली, जमतड़ी कूटा, रानीखेत, सानदेव, माकम कैलाश, जयकोट, खुम्ती, पांगला, कनार, तीजम, दर, बुई, समकोट, कोटाखड़िक, नामिक विद्युतविहीन व कुनल्ता, बुरशम, केदारेश्वर, संगौड़, नैनी, नामिक, बजेता, कोटाखड़िग, विषाढ़, बेड़ा, पाभैं, झूणी, विण, नैनीभनार, गुईयां, ढूंगातोली, तल्ला धमीगंव, देवलथल, किरौली, खेलाधूरा, छारछुम, पंत्यूड़ी, बड़ालू, नैनीपातल, सतगढ़ सहित 25 माध्यमिक विद्यालय भवनहीन हैं। राइका सेल, अस्कोट, तीजम, दर, मल्ला भैंसकोअ, सिंगाली सहित पांच दर्जन से अधिक विद्यालय भवनों की हालत खस्ताहाल है। जीर्ण-शीर्ण विद्यालय भवनों की मरम्मत के प्रस्ताव शासन को भेजे जाते रहे है। लेकिन इन पर अमल नहीं हो पाता। यही हाल अन्य जनपदों का भी है। आज भी प्रदेश के स्कूलों में 25 हजार शौचालय बिना पानी के चल रहे हैं।
प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक 43677 शौचालय बने हैं, लेकिन 25337 को जल संयोजन प्राप्त नहीं हो पाए हैं। यही हाल पूर्व में खुले आदर्श विद्यालयों का भी है। पूरे प्रदेश में 285 माॅडल स्कूल खोले गए। इसमें कुमाऊ मंडल में 88 आदर्श स्कूल खोले गए। जिनमें पिथौरागढ़ में 16, चंपावत में 08, अल्मोड़ा में 22, बागेश्वर में 06, ऊधमसिंह नगर में 35, नैनीताल में 01 आदर्श विद्यालय है। यहां शिक्षकों के साथ ही आधारभूत ढांचे की भारी कमी रही। शुरुआती दौर से ही ये बजट से भी मोहताज बने रहे। बिना फर्नीचर, शौचालय और कंप्यूटर के इन्हें आदर्श बना दिया गया। कहीं तो शौचालय एवं पानी की व्यवस्था तक नहीं है। उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी वर्ष 2016 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एस. राजू ने माॅडल स्कूलों के संबध में शासनादेश जारी किया था। राज्य के 95 ब्लाॅकों में 190 राजकीय प्राथमिक विद्यालय और 90 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों को माॅडल का दर्जा दिया गया। प्राथमिक चार में सात करोड़ रुपए की धनराशि इसके लिए खर्च की गई। व्यवस्थाओं के तहत गतिविधि कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, पुस्तकालय कक्ष, रिसोर्स कक्ष, पुस्तकालय कश, रिसोर्स रूम, डायनिंग हाॅल, आॅडियो विजुअल सपोर्ट सिस्टम, विज्ञान किट, गति किट, प्रार्थना सभा मंच, मनोरंजन पार्क आदि बनने थे लेकिन यह काम नहीं हो पाया। अगर बुनियादी ढांचे को खड़े किए बिना अटल उत्कृष्ट स्कूल खुले तो कहीं इनका हश्र भी आदर्श विद्यालयों की भांति न हो जाए। फिलहाल तो यही लगता है कि सुविधाओं के अभाव में बेहतर शिक्षा या अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देने की बात कहीं ‘ख्याली पुलाव’ जैसी ही है।
किसी भी स्कूल में शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी। इसे पूरा करने के लिए योजना बनाई गई है। अध्यापकों की नियुक्ति तक वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी। व्यवस्था सुधारने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
अरविंद पांडेय, शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड