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Uttarakhand

‘थंडरबोल्ट स्ट्राइक’ के मूड में रावत

उत्तराखण्ड कांग्रेस में तेजी से बदल रहे हैं समीकरण

 

अब पार्टी भीतर अपने विरोधियों को पटखनी देने की नीयत से रावत ‘थंडरबोल्ट स्ट्राइक’ करने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो रावत प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने की रणनीति बना चुके हैं। ऐसा करना एक तीर से दो शिकार करना सरीखा है। प्रीतम सिंह को यदि आलाकमान नेता प्रतिपक्ष बनाता है तो प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो रावत का प्रयास इस पद पर प्रकाश जोशी की ताजपोशी कराने की है ताकि चुनाव पूर्व पार्टी संगठन पर उनकी पकड़ मजबूत हो सके। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दोबारा पार्टी की कमान चाह रहे हैं। गत् सप्ताह उन्होंने हरीश रावत संग लंबी मुलाकात की। राहुल गांधी के कई करीबियों से भी मिले, लेकिन उनके पक्ष में हाल-फिलहाल तक बात बनी नहीं है

उत्तराखण्ड में राज्य विधानसभा चुनाव मात्र सात माह दूर हैं। गत वर्ष राज्य में 4 जनवरी को चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गई थी। चुनाव 15 फरवरी को हुए। 2012 के चुनाव 30 जनवरी को कराए गए थे। इस हिसाब से राज्य में इस बार चुनाव जनवरी अंत अथवा फरवरी मध्य तक होने तय हैं ताकि समय रहते नई विधानसभा का गठन हो सके। चुनावी तैयारियों की दृष्टि से छह माह का समय बहुत अधिक नहीं होता। विगत् चुनावों में करारी हार को चख चुकी कांग्रेस लेकिन इससे बेखबर अपने नेताओं की आपसी रार-तकरार में ही उलझी नजर आ रही है। वरिष्ठ नेता डाॅ इंदिरा हृदयेश के ना रहने से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो गया है। कांग्रेस में अब इस पद की आड़ लेकर पुराने हिसाब-किताब चुकाने का खेल शुरू हो चुका है। पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ गोलबंदी करने की नीयत से प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रणजीत रावत ने रानीखेत से विधायक और विधासभा में कांग्रेस के उपनेता करण माहरा का नाम आगे कर शतरंज की बिसात में अपनी पहली चाल चल तो दी है लेकिन राजनीति के ग्रांड ओल्डमैन हरीश रावत शायद ही इस चाल से चेकमेट हों। रावत के करीबियों का दावा है कि राजनीतिक शतरंज के ग्रांड मास्टर हरीश रावत इस चाल में फंसने वाले नहीं। हरीश रावत के एक विश्वस्त सहयोगी चैस के एक खेल का उदाहरण देते हुए कहते हैं ‘1987 में विश्व के दो प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी ब्लादिमीरोव और ब्लादिमीर एपशिन, दोनों ही ग्रांड मास्टर, हर कीमत पर एक-दूसरे को पटखनी देने का प्रयास कर रहे थे। एक ऐसी चाल चल एप्शिन ने अपने प्रतिद्वंदी की रानी को घेर लिया। अब या तो रानी की बलि होती या फिर राजा की। ब्लादिमीरोव ने तब ऐसी चाल चली कि रानी भी बच गई, खेल भी वे जीत गए। शतरंज की दुनिया में इसे ‘थंडरबोल्ट स्ट्राइक’ कहा गया। यानी वज्र समान चाल।

रावत के करीबी की मानें तो रणजीत रावत रानीखेत विधायक को शतरंज के खेल में ‘रानी’ समान महत्वपूर्ण मान अपनी चाल चल चुके हैं। हकीकत में रावत के बिछाए चैसर में उल्टे रणजीत फंस चुके हैं। एक तरफ सल्ट उपचुनाव के दौरान उन पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ जाने, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, सीडब्ल्यूसी सदस्य के खिलाफ अमर्यादित वीडियो जारी करने का आरोप है तो अब चुनाव से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे को तूल देकर पार्टी हितों के खिलाफ काम करने का नया अरोप भी उन पर चस्पा हो गया है। हरीश रावत का पूरा प्रयास प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को विधान दल का नेता बनाने का होगा। पार्टी सूत्रों की मानें तो पंजाब प्रकरण चलते पार्टी आलाकमान से लेकर लगातार संवाद करने का मौका हरीश रावत के पास रहता है। वे इन दिनों लगातार दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं। कांग्रेस आलाकमान को वे उत्तराखण्ड की बाबत अपडेट देते रहते हैं। उनकी इस सीधी पहुंच का ही नतीजा सल्ट उपचुनाव के दौरान रणजीत रावत के पुत्र विक्रम रावत के बजाय गंगा पंचोली को पार्टी टिकट मिलना रहा। गौरतलब है कि उस दौरान जब प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रीतम सिंह और डाॅ इंदिरा हृदयेश की तिकड़ी विक्रम रावत के पक्ष में सारा माहौल तैयार कर चुकी थी, रावत ने एम्स दिल्ली के सघन चिकित्सा कक्ष में रहते हुए भी बाजी पलट डाली। अब पार्टी भीतर अपने विरोधियों को पटखनी देने की नीयत से रावत ‘थंडरबोल्ट स्ट्राइक’ करने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो रावत प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने की रणनीति बना चुके हैं।

पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ गोलबंदी करने की नीयत से प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रणजीत रावत ने रानीखेत से विधायक और विधासभा में कांग्रेस के उपनेता करण माहरा का नाम आगे कर शतरंज की बिसात में अपनी पहली चाल चल तो दी है लेकिन राजनीति के ग्रांड ओल्डमैन हरीश रावत शायद ही इस चाल से चेकमेट हों। रावत के करीबियों का दावा है कि राजनीतिक शतरंज के ग्रांड मास्टर हरीश रावत इस चाल में फंसने वाले नहीं। हरीश रावत के एक विश्वस्त सहयोगी चैस के एक खेल का उदाहरण देते हुए कहते हैं ‘1987 में विश्व के दो प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी ब्लादिमीरोव और ब्लादिमीर एपशिन, दोनों ही ग्रांड मास्टर, हर कीमत पर एक- दूसरे को पटखनी देने का प्रयास कर रहे थे। एक ऐसी चाल चल एप्शिन ने अपने प्रतिद्वंदी की रानी को घेर लिया। अब या तो रानी की बलि होती या फिर राजा की। ब्लादिमीरोव ने तब ऐसी चाल चली कि रानी भी बच गई, खेल भी वे जीत गए। शतरंज की दुनिया में इसे ‘थंडरबोल्ट स्ट्राइक’ कहा गया। यानी वज्र समान चाल

ऐसा करना एक तीर से दो शिकार करना सरीखा है। प्रीतम सिंह को यदि आलाकमान नेता प्रतिपक्ष बनाता है तोप्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो रावत का प्रयास इस पद पर प्रकाश जोशी की ताजपोशी कराने की है ताकि चुनाव पूर्व पार्टी संगठन पर उनकी पकड़ मजबूत हो सके। हालांकि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी दोबारा पार्टी की कमान चाह रहे हैं। गत् सप्ताह उन्होंने हरीश रावत संग लंबी मुलाकात की। राहुल गांधी के कई करीबियों से भी मिले, लेकिन उनके पक्ष में हाल -फिलहाल तक बात बनी नहीं है। जानकारों का दावा है कि या तो नेता प्रतिपक्ष पद खाली रखा जाएगा या फिर उसमें प्रीतम सिंह को बैठा प्रदेश संगठन की बागडोर किसी रावत समर्थक को दे दी जाएगी। इस गणित के हिसाब से रणजीत रावत को माहरा के पक्ष में उतरना खास मायने नहीं रखता है। उल्टा उनकी बयानबाजी चलते करण माहरा और हरीश रावत के मध्य अविश्वास का ताना-बाना जरूर बुन गया है। माहरा को इस बात का हमेशा मलाल रहा है कि रावत ने 11 सदस्यीय कांग्रेस विधान दल में बहुमत होने के बावजूद आलाकमान के पक्ष में उनकी दावेदारी का समर्थन नहीं किया जिसके चलते वरिष्ठ होने के नाते डाॅ इंदिरा हृदयेश नेता प्रतिपक्ष बना दी गईं।

अब उनके निधन पश्चात माहरा उपनेता होने के नाते इस पद पर स्वयं की दावेदारी को बजरिए रणजीत रावत पुख्ता करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में यदि रावत की चली तो माहरा का नेता प्रतिपक्ष बनना तो दूर रहा, रावत संग उनके रिश्तों पर खासा असर पड़ जाएगा। इन सबके बीच कयासबाजियों का बाजार गर्म है कि रणजीत रावत समेत कुछ कांग्रेसी भाजपा में पलायन का मन बना रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो इससे हरीश रावत को ही लाभ पहुंचेगा और यदि नहीं हुआ तो भी हरीश रावत हर संभव यही प्रयास करेंगे कि आगामी चुनावों में रणजीत रावत अथवा उनके पुत्र को पार्टी प्रत्याशी न बनाया जाए। कुल मिलाकर डाॅ इंदिरा हृदयेश के निधन बाद प्रदेश कांग्रेस भीतर समीकरण बड़ी तेजी से बदलते स्पष्ट नजर आने लगे हैं। हरीश रावत विरोधियों का सबसे मजबूत सहारा लंबे समय से डाॅ हृदयेश ही थीं। अब उनके न रहने पर रावत ने उनके पुत्र सुमित हृदयेश को अपना खुला आशीर्वाद दे प्रीतम सिंह सरीखे अपने विरोधियों को पस्त कर डाला है। रही-सही कसर आने वाले दिनों में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर चल रही उठापटक तय कर देगी।

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