भीषण सर्दी के बीच काली नदी के पानी का प्रवाह भी उत्तराखण्ड के चुनावी महाभारत की तरह से घट बढ़ रहा है। यहां के रण में पूर्व सीएम हरीश रावत अर्जुन की तरह से चुनावी संग्राम में कांग्रेस के तारणहार बने हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक पैर लाल कुआं में तो दूसरा प्रदेश की अन्य विधानसभाओं में रहता है। हरीश रावत ही कांग्रेस के एकमात्र खेवनहार हैं जो अपने साथ ही दूसरों की नैया को पार लगाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन फिलहाल उनकी अपनी लालकुआं विधानसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला है। भाजपा ने यहां से जमीनी नेता रहे डॉ ़मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारकर उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पिछले डेढ़ दशक से डॉ ़मोहन सिंह बिष्ट लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के लोगों के बीच सुख-दुख में भागीदारी करते नहीं रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए उन्हीं की पार्टी की बागी उम्मीदवार संध्या डालाकोटी भी परेशानी का कारण बनी हुई हैं। हालांकि लालकुआं विधानसभा सीट पर भाजपा से भी यहां के पूर्व चेयरमैन रहे पवन चौहान मैदान में हैं। जिस तरह संध्या डालाकोटी कांग्रेस उम्मीदवार को नुकसान पहुंचा रही है, उसी तरह पवन चौहान भी भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनावी बाधा बनते दिखाई दे रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा में कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। इस बार तराई की नौ सीटों में कांटे का मुकाबला चल रहा है। इनमें खटीमा सीट शामिल है। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी त्रिकोणीय मुकाबले में हैं। कांग्रेस ने भुवन कापड़ी को मैदान में उतारा है तो आप से एसएस कलेर भी चुनावी फिजा बदल रहे हैं। बसपा से रमेश राणा भी मैदान में हैं। अब तक की चुनावी तस्वीर में खटीमा से किसी दिन कोई तो किसी दिन कोई आगे निकल रहा है।
लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पैराशूट प्रत्याशी बता रही है। यहां तक कि भाजपा ने हरीश रावत को बाहरी प्रत्याशी बता दिया है। हरीश रावत ने भी इसकी काट निकाल ली है। उन्होंने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना पता बरेली रोड में तल्ली हल्द्वानी एक्सिस बैंक के पास बताया है। यह उनका घर है। उन्होंने लालकुआं और हल्द्वानी के मतदाताओं के लिए एक स्पेशल मोबाइल नंबर भी जारी किया है और कहा है कि दोनों विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए मैंने यह मोबाइल नंबर रखा है जो कभी भी उन्हें फोन कर सकते हैं। हरीश रावत ने हल्द्वानी में ब्लॉक प्रमुख रूपा देवी को भाजपा से कांग्रेस में लाकर बड़ा दांव खेल दिया है। इसी के साथ ही गौरा पड़ाव के प्रधान रहे महेंद्र नेगी भी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए है।
महेंद्र नेगी ही नहीं बल्कि लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के 19 प्रधानां में से 17 प्रधान फिलहाल हरीश रावत के पक्ष में हैं। कांग्रेस के स्टॉर प्रचारक फिलहाल हरीश रावत ही बने हुए हैं जबकि भाजपा ने यहां पिछले 1 सप्ताह में ही 2 स्टॉर प्रचारक बुलाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। इनमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अभिनेता और दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी की रैलियां कराई गई है। लेकिन बताया जाता है कि खट्टर और मनोज तिवारी की रैली में अपेक्षा के अनुरूप भीड़ कम आई। इससे भाजपा प्रत्याशी परेशानी में पड़ गए हैं।
लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल राजस्व गांव का मुद्दा भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकताओं में गिनवा चुके हैं। हल्दुचौड़ में आधा अधूरा स्वास्थ्य केंद्र भाजपा प्रत्याशी को चिढ़ाता हुआ नजर आ रहा है। यह हॉस्पिटल पूर्व विधायक हरीशचंद्र दुर्गापाल के कार्यकाल में बनना शुरू हुआ था। लेकिन हरीश रावत सरकार के जाने के बाद हॉस्पिटल आधा अधूरा ही रह गया। भाजपा विधायक नवीन दुमका ने इस हॉस्पिटल के कार्यों को पूरा कराने की बजाय मोती नगर में एक नए हॉस्पिटल की नींव रख दी थी। लोग कह रहे हैं कि भाजपा ने जब पहले हॉस्पिटल को पूरा नहीं किया तो दूसरे हॉस्पिटल का चुनाव से 1 माह पहले ही शिलान्यास करके लोगों को भ्रमित करने का काम किया। इसके अलावा पूरे गौलापार क्षेत्र में एक भी हॉस्पिटल न होना भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। वहीं संध्या डालाकोटी गौलापार क्षेत्र में मजबूती से चुनाव लड़ रही है। वह ‘नारी के सम्मान’ का नारा लगाकर कांग्रेस प्रत्याशी को घेरने की कोशिश कर रही है। डालाकोटी के मुद्दे को भाजपा के कार्यकर्ता भी उठाते हुए नजर आ रहे हैं।
खटीमा में मुख्यमंत्री धामी के लिए उन्हीं के ओएसडी सत्य प्रकाश रावत परेशानी का सबब बनकर सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र का सेनापति सत्य प्रकाश रावत को बनाया हुआ है। लेकिन उनके फैसले जनता को रास नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि रावत से भाजपा कार्यकर्ता भी नाराज बताए जा रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री के लिए थारू मतदाताओं की नाराजगी महंगी पड़ सकती है। पिछली बार पूरे थारूहाट (थारू मतदाताओं का इलाका) में पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ नाराजगी नहीं थी। लेकिन इस बार थारू मतदाता बसपा प्रत्याशी रमेश राणा की तरफ झुकता हुआ नजर आ रहा है। खटीमा में थारू 30 हजार के करीब है। थारू वोटों का रमेश राणा के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी एसएस कलेर भी मतदाताओं के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। रमेश राणा को पहले कलेर आम आदमी पार्टी में ले आए थे। लेकिन बाद में रमेश राणा आम आदमी पार्टी छोड़ बसपा से टिकट ले आए।