हाईकोर्ट नैनीताल के एक वरिष्ठ अधिवक्ता की जान की कोई कीमत शायद चमोली जिला प्रशासन की नजर में नहीं है। तभी तो एक ऐसे खूंखार कैदी को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 15 दिन के लिए पैरोल पर भेज दिया गया जो तीन हत्या कर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। पैरोल की छूट मिलते ही कैदी ने एक बार फिर वरिष्ठ अधिवक्ता को फोन पर धमकी दे दी है। पैरोल पर भेजने से पहले जिला प्रशासन ने यह तक जांच करने की जहमत नहीं उठाई कि इस कैदी को दी जाने वाली सभी प्रकार की रियायतें जिन्हें जेल मैन्यूल की भाषा में परिहार कहा जाता है, समाप्त कर दी गई हैं। इस सजायाफ्ता कैदी पर चमोली जिला प्रशासन इतना मेहरबान है कि बिना पुलिस पहरे के ही वह आजाद घूम रहा है
10 अगस्त 2022 : स्थान केंद्रीय कारागार सितारगंज। डीआईजी और एडीएम के साथ ही एएसपी का कई थानों की फोर्स के साथ औचक छापा। 24 बैरकों की ली तलाशी। छापामारी के दौरान मिले चम्मच के बने चाकू, पेन ड्राइव, कैची, ब्लेड कटर आदि के साथ ही कैदी सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा निवासी न्यूरिया पीलीभीत उत्तर प्रदेश, सितारगंज के ग्राम दहड़ा निवासी हरजीत सिंह उर्फ काला, मैनाझुड़ी निवासी तरसेम सिंह के पास से तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए। इसके अलावा जमीन में गड़े हुए 10 सिम भी जेल परिसर में मिले।
परिहार समाप्त : सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा सहित तीनों आरोपित कैदियों की जेल अधीक्षक अशोक कुमार ने परिपत्र 2164 के जरिए तन्हाई के साथ ही दो माह में एक मुलाकात और अर्जित समस्त परिहार (जिसमें मुलाकात, पैरोल आदि छूट शामिल होती है) समाप्त कर दिए गए।
ऐसा क्यों हुआ : इसके पीछे का कारण हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जिन्हें सितारगंज जेल में बंद कैदी सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा ने फोन पर धमकी दी थी। जिसकी शिकायत की गई। इसके बाद डीआईजी कारागार दाहीराम मौर्य द्वारा जांच के आदेश दिए गए। जिस कैदी ने अधिवक्ता को फोन पर धमकी दी वह सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा 21 मार्च 2022 को हल्द्वानी जेल से सितारगंज जेल में शिफ्ट किया गया था।
चमोली जेल में शिफ्ट : सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा को पहले हल्द्वानी इसके बाद सितारगंज और फिर चमोली जेल में शिफ्ट कर दिया गया। बार-बार जेल बदलने के पीछे इस कैदी का खूंखार होना और जेल भीतर से ही अपनी आपराधिक गतिविधियों को संचालित करना था।
16 जनवरी 2023 : इस दिन एक बार फिर सुक्खा ने हाईकोर्ट के उसी वरिष्ठ अधिवक्ता को फोन पर दूसरी बार धमकी दी। अधिवक्ता ने इसकी शिकायत की तो पता चला कि सुक्खा चमोली जेल के अंदर नहीं है, बल्कि वह तो उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित अपने गांव न्यूरिया में पैरोल काट रहा है। चमोली जिला प्रशासन ने उसकी मां के देहांत के बाद उसे 26 जनवरी तक 15 दिन की पैरोल दी थी। पैरोल के दौरान ही वह पीलीभीत से हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता को फोन पर धमकी दे रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि पैरोल के दौरान सुक्खा के ईद-गिर्द पुलिस का पहरा भी नहीं है। गौरतलब है कि बिना पुलिस पहरे के पहले भी कई कैदी पैरोल के दौरान भाग चुके हैं।
परिहार के बाद भी क्यों मिली पैरोल?
सवाल यह है कि हत्या जैसे संगीन अपराध में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी सुखदेव सिंह सुक्खा को पैरोल क्यों दी गई? जबकि वह सितारगंज जेल की घटना के बाद इसका हकदार नहीं था। 10 अगस्त 2022 को जब सितारगंज जेल में उसके पास से मोबाइल के साथ ही आपत्तिजनक वस्तु मिली थी तो उसे जेल अधीक्षक द्वारा समस्त परिहार समाप्त कर दिए थे। इस परिहार में मुलाकात के साथ ही पैरोल की छूट भी खत्म कर दी गई थी। इसके बावजूद भी चमोली जिला प्रशासन सुक्खा पर मेहरबान क्यों हुआ? क्यों उसे बिना जांच पड़ताल किए ही 15 दिन की पैरोल दी गई। इसी पैरोल के दौरान उसने हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता को फोन पर दूसरी बार धमकी दी है। जबकि पैरोल देने से पूर्व कैदी का सारा चिट्ठा सामने रखा जाता है। उसके बाद ही पैरोल पर भेजने का निर्णय लिया जाता है।
सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा का आपराधिक इतिहास
सुखदेव सिंह उर्फ सुक्खा के अपराधीकरण की कहानी शुरू होती है बदले की भावना से की गई हत्या से। अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए की गई हत्या में उसे पीलीभीत में उम्र कैद की सजा हुई। इसके बाद उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। 2003 में जमानत पर होने के बावजूद सुक्खा ने उत्तराखण्ड के नानकमत्ता में एक महिला की हत्या कर डेड बॉडी नानक सागर डेम में फेंक दी थी। कुछ दिनों बाद इसमें भी उसे जमानत मिल गई। 2007 में वह हल्द्वानी में अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में अरेस्ट हुआ। हल्द्वानी कोर्ट ने उसे इस अपराध में आजीवन सजा दी। इसके बाद हाईकोर्ट नैनीताल और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी उसने इस फैसले के खिलाफ अपील की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील को ठुकरा कर हल्द्वानी कोर्ट और हाईकोर्ट नैनीताल की सजा को बरकरार रखा।
क्या कहता है चमोली जिला प्रशासन
इस संबंध में जब चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना से बात की तो उन्होंने जोशीमठ आपदा का हवाला देते हुए अपने आपको व्यस्त बताया। जिलाधिकारी ने कहा कि वह अभी इस मामले में कुछ नहीं कह पाएंगे क्योंकि वह जोशीमठ आपदा प्रभावितों के मामले में व्यस्त हैं।