[gtranslate]
Uttarakhand

लैब की विश्वसनीयता पर सवाल

दागदार हुआ आंचल/भाग-5

 

उत्तराखण्ड के दुग्ध और डेयरी विभाग को दो-दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इन पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर तब सवाल खड़े हो जाते हैं जब इस विभाग की प्रयोगशाला ही मानकों पर खरी नहीं उतरती है। लैब को आधुनिक बनाने के नाम पर 2021 में विभागीय मंत्री द्वारा 82 लाख रुपए की मशीन लगा यह दावा किया गया था कि अब 1 मिनट में ही यह मशीन दूध की गुणवत्ता साबित कर देगी। मंत्री के दावों को और प्रयोगशाला की विश्वसनीयता पर खुद दुग्ध संघ के कर्ताधर्ता ही सवाल खड़े कर अलग कहानी बयां कर रहे हैं। नैनीताल दुग्ध उत्पादन संघ द्वारा दूध में मिलावट के मामले को कितनी गंभीरता से लिया जाता है इसे गत दिनों दूध में अल्कोहल और मेलामाइन की मिलावट पाए जाने से जाना जा सकता है। इस प्रयोगशाला के हालात यह हैं कि वहां गुणवत्ता का परीक्षण तक सही नहीं किया जाता है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि डेयरी विकास विभाग के ही निदेशक द्वारा कहा गया है। जब उनके द्वारा लैब का निरीक्षण किया गया तो यह सब सामने आया जिसमें लैब की कार्यशैली ही कटघरे में है। हालांकि विभाग द्वारा आधुनिक लैब बनाने का दावा किया जरूर गया लेकिन वह अभी तक जमीन पर नहीं उतरा है। ऐसे में लैब की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं

29 सितंबर 2017
नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ को लघु डेयरी सहकारिता के क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त उत्पादन किए जाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन एवं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने द्वितीय पुरस्कार दिया। यह पुरस्कार आनंद पद्धति गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा आयोजित डेयरी उत्कृष्टता पुरस्कार कार्यक्रम में दुग्ध संघ अध्यक्ष भरत सिंह नेगी और सामान्य प्रबंधक अजय क्वीरा ने प्राप्त किया। उन्हें दो लाख रुपए का चेक, प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति पत्र सौंपा गया।

18 जून 2021

प्रदेश की दुग्ध विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य ने नैनीताल दुग्ध संघ के प्लांट का निरीक्षण करते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास योजना द्वारा पोषित मुख्य प्रयोगशाला में 82 लाख से स्थापित एफटीआरआई मिल्क एनालाइजर मशीन का लोकार्पण तत्कालीन विभागीय मंत्री रेखा आर्य द्वारा किया गया। इस दौरान मंत्री रेखा आर्या ने दावा किया कि पूर्व में स्थापित दूध मशीन से जांच करने में 5 से 7 मिनट का वक्त लगता था लेकिन अब दूध स्कैनिंग मशीन (क्षीर स्कैनर) की शुरुआत कर दी गई है, जिससे दूध को जांचने में समय की बचत होगी। इससे अब मात्र एक मिनट में दूध की जांच की जा सकती है।

11 अक्टूबर 2021

सेंट्रल डेयरी लैब, लालकुआं (नैनीताल) का डेयरी विकास विभाग के डायरेक्टर बी.एल. फिरमाल द्वारा औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय सेंट्रल डेयरी लैव के तत्कालीन प्रभारी संजय उपाध्याय भी मौजूद रहे। लैब में कार्य कर रहे कार्मिक से उनकी शैक्षिक योग्यता के बारे में पूछे जाने पर उनके द्वारा अपनी शैक्षिक योग्यता बी.एस.सी. बताई गई, जो कि लैब के मानकों के अनुरूप नहीं है। जबकि लैब केमिस्ट रसायन विज्ञान में बी.टेक होना चाहिए। उपाध्याय द्वारा अवगत कराया गया कि लैब कार्यालय में स्टोर का कार्य तथा सामान्य पत्रावलियों का कार्य दुग्ध निरीक्षक द्वारा देखा जा रहा है, लेकिन स्टोर का अवलोकन करने पर पाया गया कि स्टोर कक्ष में रखे जा रहे रसायन आदि के रखरखाव की स्थिति संतोषजनक नहीं है। स्टोर पंजिका का अवलोकन करने पर पाया गया कि पंजिका में कुल पृष्ठों की संख्या कितनी है, उसे भी लैब प्रभारी द्वारा प्रमाणित नहीं करवाया गया। निरीक्षण के दौरान स्टोर कक्ष एवं स्टोर पंजिका का रखरखाव संतोषजनक नहीं पाया गया।

कार्यालय के पत्रावलियों का निरीक्षण करने पर पाया गया कि पूर्व वर्ष में लैब की जांच-रिपोर्ट पर निदेशक स्तर से कार्यवाही हुई है, किंतु कई वर्षों से दुग्ध संघों एवं पशु आहार निर्माणशाला, रुद्रपुर से प्राप्त सैम्पल की गुणवत्ता की जांच कर संबंधित संस्थाओं को ई-मेल के माध्यम से फौरी तौर पर भेज दिया जाता रहा है तथा इस पर कोई सुधारात्मक कार्यवाही नहीं की गई, जबकि जांच में पाया गया कि कई दुग्ध संघों से प्राप्त हो रहे सैम्पल की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाई जा रही हैं। लैब में सैम्पल की गुणवत्ता की जांच के उपरांत कार्यालय में कार्य कर रहे कर्मचारी द्वारा भी इस पर कार्यवाही हेतु पत्रावली प्रस्तुत नहीं की गई। इस प्रकार लैब के कार्यालय में कार्य कर रहे दुग्ध निरीक्षक का कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया।

सेंट्रल डेयरी लैब के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि समय 11.00 बजे पूर्वार्ध तक कोई सैम्पल दुग्ध संघ से प्राप्त नहीं किया गया था और न ही सैम्पल की जांच की गई थी। निर्देशित करने के उपरांत केमिस्ट द्वारा सैम्पल लाया गया तथा सैम्पल नम्बर 960 की जांच की गई जिसकी गुणवत्ता वसा-4.01 प्रतिशत, वसा रहित ठोस-8.86 प्रतिशत तथा प्रोटीन-3.10 प्रतिशत पाया गया। सेंट्रल डेयरी लैब प्रभारी के किसी पंजिका पर हस्ताक्षर भी नहीं पाए गए, इससे कहा जा सकता है कि लैब प्रभारी द्वारा लैब की पंजिका का नियमित निरीक्षण भी नहीं किया जा रहा है।

लैब के कार्यालय अभिलेखों के अनुसार वर्ष 2014-15 से अगस्त, 2021-22 तक दुग्ध व दुग्ध उत्पादों के 12,395 सैम्पल, पशुआहार व कच्चे माल के 831 सैम्पल, पॉलीफिल्म के 396 सैम्पल, ग्लासवेयर काम्परिजन के 36 सैम्पल, कुल 13,658 सैम्पलों की जांच लैब द्वारा किया गया है, किंतु अत्यंत विस्मय की बात है कि सेंट्रल डेयरी लैब में गुणवत्ता जांच करके ई-मेल की औपचारिकता भर निभाई जा रही है और इसकी प्रक्रिया यहीं समाप्त कर दी जा रही है जो संतोषजनक नहीं है। सेंट्रल डेयरी लैब के निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि लैब द्वारा दुग्ध संघों तथा आंचल पशु आहार निर्माणशाला में तरल दुग्ध व दुग्ध उत्पादों तथा आंचल पशु आहार आदि हेतु कच्चे माल की गुणवत्ता में सुधार हेतु कई वर्षों से कोई सुधारात्मक कार्यवाही करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है तथा मात्र ई-मेल के माध्यम से गुणवत्ता रिपोर्ट संबंधितों को भेजकर औपचारिकता मानकर यहीं कार्य समाप्त कर दिया जा रहा है। इसके अलावा लैब में गुणवत्ता परीक्षण कार्यों हेतु कार्य कर रहे कर्मचारियों के अतिरिक्त, कार्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारी दक्ष नहीं हैं कि गुणवत्ता परीक्षण के उपरांत गुणवत्ता सुधार के लिए कोई कार्यवाही कराने हेतु पत्रावली प्रस्तुत कर सके, लैब कार्यालय में दक्ष कार्मिकों को ही रखा जाय।

इसी के साथ यह भी संज्ञान में आया कि लैब के माध्यम से कभी भी दुग्ध संघों के कर्मचारियों तथा आंचल पशु आहार निर्माणशाला के कर्मचारियों को गुणवत्ता परीक्षण कार्यों हेतु प्रशिक्षित कराने की कार्यवाही नहीं की गई और न ही लैब प्रभारी द्वारा कोई बैठक आयोजित की गई। लैब के माध्यम से समय-समय पर दुग्ध संघ के केमिस्टों एवं संबंधित स्टाफ को रसायन बनाने की परंपरागत विधि, रसायन के विभिन्न गुणवत्ता के प्रकार, ग्लासवेयर एवं अन्य आवश्यक उपकरणों के कैलिब्रेशन तथा इससे होने वाले लाभ आदि के संबंध में विभिन्न जानकारियों हेतु तथा उन्हें इसके लिए प्रेरित करने हेतु प्रशिक्षण आदि आयोजित करने की आवश्यकता है, जिस पर लैब प्रभारी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। लैब में प्रातः 10.00 से सैम्पल का परीक्षण नहीं होता है, मात्र गुणवत्ता परीक्षण की कार्यवाही हेतु तैयारी की जाती है। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि लैब प्रभारी द्वारा लैब में हो रहे कार्यों की न तो समीक्षा की जाती है और न ही इन कार्यों में इनका रुझान क्या है इस पर लैब प्रभारी का ध्यान नहीं है।

30 दिसंबर 2023

गुजरात के गांधीनगर में नेशनल को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीडीएफआई) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड सहकारी डेयरी फेडरेशन को ई-मार्केटिंग एवं दुग्धोपार्जन में पूरे देश में छठवां स्थान प्राप्त होने पर अवार्ड दिया गया। यह अवार्ड देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उत्तराखण्ड डेयरी फेडरेशन के प्रशासक मुकेश बोरा को प्रदान किया गया।

 

 

You may also like

MERA DDDD DDD DD