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Uttarakhand

जनप्रतिनिधि कोरोना में पस्त, पस्तोडावासी सड़क बनाने में मस्त

देश और दुनिया जब कोरोना महामारी जैसी बीमारी से लड़ रहे थी और अपने अपने घरो में आराम फरमा रहे थे। तब रानीखेत तहसील के पस्तोडा निवासियों ने एक मिसाल कायम करके दिखा दी। कोरोनाकाल में बहुत लोग शहर से अपने गांव देवभूमि में वापस आ गए।परदेश से अपनी जिंदगी और मौत के बीच जंग जीतकर वापस गांव आकर सभी लोगो ने ये फैसला लिया कि हम श्रमदान करके सडक बनायेगे। देखते ही देखते सभी लोग बिना समय गवाएं सड़क बनाने में श्रमदान करने लगे।

हालत यह है कि ऐसे समय में जब कोरोना काल में जनप्रतिनिधि पस्त है तो पस्तोडावासी सडक बनाने में मस्त है। आज गांव बदया-सेल्टाना,पसतोड़ा के लोगों के होंसले चट्टानों से कई ऊंचे हैं। ग्रामीण अपने दम पर सडक बनाने के इस कार्य को धूप और बारिश में बिना किसी मेहनताने के अंजाम दे रहे हैं।

हालांकि अभी बरसात के वजह से काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल कम चल तो रहा है लेकिन धीरे – धीरे। ग्रामीण जिस लग्न और जज्बे के साथ काम कर रहे हैं उससे लगता है कि जल्दी ही उनकी सड़क की सबसे बडी समस्या का समाधान हो जाएगा।

अल्मोड़ा जिले के तहसील रानीखेत,ब्लॉक खंड- ताड़ीखेत के ,गाँव-बदया-सेल्टाना पस्तोड़ा के ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों ने उन्हें सडक़ से वंचित रखा। सरकार की नाकामी कहो या यहाँ के लोगो का दुर्भाग्य,जो आज तक यहाँ सड़क नहीं पहुँच पायी।

बिनसर की मुख्य सडक़ से लगभग 4-5 किलोमीटर दूरी पर ये गांव आज़ादी से पहले के बसे है।बच्चे ,बुजुर्ग,और महिलाएं को अस्पताल ले जाते हुए कई घटनाएं हो चुकी है।रास्ता इतना उबड़ खाबड़ है कि पालतू जानवरों को भी ले जाने में भी डर लगता है।सड़क न होने की वजह से आये दिन हादसे होते रहते है। ये सड़क विधायक निधि,सांसद निधि के द्वारा भी बन सकती थी,लेकिन किसी ने भी यहाँ के ग्रामीणों का दर्द नही समझा।

गांव के समाजसेवी दिनेश बुधोड़ी कहते हैं कि जब चुनाव का समय आता है तो यहाँ के जनप्रतिनिधियों द्वारा हमेशा की तरह वादा किया जाता है,पर उसके बाद भूल जाते है या बहुत ब्यस्त हो जाते है। सड़क न होने की वजह से कुछ लोगो ने यहाँ से पलायन भी किया है।जो अब मकान खंडहर हो चुके है। लेकिन अब यहाँ सडक बन जाने के बाद पलायन भी रूक जाएगा।

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