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धर्मनगरी के संत समाज में संपति विवाद कोई नई बात नहीं है। इन दिनों निर्मल अखाड़े से जुड़ा एक हाईप्रोफाइल मामला सुर्खियों में है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते-लगाते यह मामला थाने-कचहरी से लेकर प्रेस वार्ताओं तक पहुंच गया

निर्मल अखाड़े से जुड़े संतों के दो गुट संपत्ति विवाद में आमने-सामने हैं। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा है कि पुलिस और मीडिया को भी इसमें आगे आना पड़ा है। विवाद बढ़ने पर एक तरफ जहां भारी पुलिस फोर्स की तैनाती करनी पड़ी, वहीं संतों के दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी जिसके लिए बकायदा प्रेसवार्ता आयोजित की गई। मामले की तह तक जाने के लिए ‘दि संडे पोस्ट’ ने तफ्तीश शुरू की तो पता चला कि अखाड़े की बेशकीमती करोड़ों रुपए की जमीन जो पथरी थाना क्षेत्र के इक्कड़ कलां स्थित है, उस पर सोची-समझी रणनीति के तहत एक संत महंत प्रेम सिंह ने अपने साथियों के कहने पर कब्जा करने का प्रयास किया है। इस संबंध में 8 जून को पथरी थाने में प्रेम सिंह, कश्मीर सिंह तथा अन्य तीन महंतों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी गई। जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ महंतों ने अखाड़े की संपत्ति कब्जाने का प्रयास किया तथा अखाड़े के धन का भी गबन कर लिया।

पूरा प्रकरण क्या है, यह अभी तक कई लोगों की समझ से परे है। इस मामले की ज्यादा जानकारी के लिए जब ‘दि संडे पोस्ट’ टीम ने कनखल स्थित निर्मल बाग पहुंची तो वहां अखाड़े के कोठारी जसविंदर सिंह ने बताया कि पूरे मामले की शुरुआत हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास निर्मला छावनी से हुई थी, वहां अखाड़े की काफी जमीन है। कुंभ में हमारे डेरे भी वही लगते हैं। वर्ष 2009-10 में अखाड़े के सचिव बलवंत सिंह के कार्यकाल में प्रस्ताव डाला गया कि हिल बाईपास के पास पड़ी जमीन पर फ्लैट बनाए जाएं ताकि अखाड़े के साधु तथा दूरदराज से आए संत वहां प्रवास कर सकें। उस समय सर्वसम्मति से फ्लैट्स बनाने की जिम्मेदारी बलवंत सिंह और कोठारी मित्र प्रकाश सिंह को दी गई। यहां तक कि नक्शा पास कराने के लिए 50 लाख का चेक भी हरिद्वार विकास प्राधिकरण में अखाड़े ने जमा कराया। लेकिन सचिव बलवंत सिंह ने पूरे मामले में अखाड़े के सभी संतों को गुमराह किया। यहां वेदा ग्रीन अपार्टमेंट के नाम से 110 फ्लैट्स बनाए गए हैं जिनमें से 40 फ्लैट लोगों को बेच भी दिए गए। इसके एवज में उनसे 25 से 30 लाख रुपए प्रति फ्लैट के हिसाब से लिए गए, जबकि वहां 70 फ्लैट हमने खुद हाईकोर्ट से स्टे लाकर सील करा दिए, क्योंकि हमने फ्लैट बेचने के लिए नहीं बनवाए थे। हम तो अखाड़े के इस्तेमाल के लिए फ्लैट बनवा रहे थे।

कोठारी जसविंदर के मुताबिक बिल्डर और सचिव बलवंत सिंह आदि ने मिलकर 40 फ्लैट्स बेच दिए। इसके बाद बलवंत सिंह को 23 जुलाई 2017 को कमेटी ने बर्खास्त कर दिया, लेकिन वह सचिव पद पर कोर्ट से स्टे ले आया और इसके साथ ही इक्कड़ कला ब्रांच का महकामी महंत भी बन बैठा। इसी दौरान अखाड़े का एक कोठारी बलवंत सिंह के पक्ष में चला गया। उसके बाद कार्यकारिणी ने उसे भी बर्खास्त कर दिया। पटना साहिब में हमारी बहुत बड़ी ब्रांच गुरुद्वारा बाल लीला के नाम से है जिसकी सेवा की जिम्मेदारी कश्मीर सिंह को सौंपी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे वह वहां अपना स्वामित्व जमा बैठे। अब उन्होंने इन लोगों के साथ मिलकर इक्कड़ कलां ब्रांच को भी कब्जाने का भरसक प्रयास किया है। अपने एक अन्य सहयोगी संत प्रेम सिंह को वहां काबिज कराने के प्रयास किए हैं।

कोठारी ने बताया कि अभी तक वेदाग्रीन्स में बिके चालीस फ्लैट्स में से एक भी रुपया अखाड़े के पास नहीं आया है, क्योंकि कुछ लोगों ने जिनमें गोपाल सिंह, बलवंत सिंह, संतपुरा आश्रम वाले जगजीत सिंह, खड़खड़ी आश्रम वाले मोहन सिंह ने एक फर्जी संस्था बनाकर प्रस्ताव कर उसका एक फर्जी अकाउंट खुलवा लिया और पैसा उस अकाउंट में लिया। हमारे अनुसार अभी तक अकाउंट में 50 लाख रुपए आए। इस घोटाले को देखते हुए 28 जून 2018 को कनखल थाने में इन लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। इसके अलावा बाकी बिके फ्लैट्स का सारा पैसा बिल्डर सुनील गुड्डू ने लिया है।

वहीं दूसरी ओर बिल्डर सुनील अग्रवाल उर्फ गुड्डु का कहना है कि अखाडे़ के आपसी विवाद में हम बुरी तरह फंस गए हैं, क्योंकि 40फ्लैट्स का तो एग्रीमैंट हो चुका है लेकिन सीज पड़े 70 फ्लैट्स में से कई की एडवांस भी पगड़ी के रूप में आ चुका। अब वो लोग भी परेशान है जिससे कहीं न कहीं हमारी व्यापारिक छवि भी खराब हो रही है। सुनील अग्रवाल गुड्डु ने बताया कि उन्होंने अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए अखाडे़ को दिए हैं। पैसा निर्मल पंचायती अखाडे़ के अकाऊंट में भी डाला गया है।

 

बात अपनी-अपनी

महंत ज्ञान देव जी निर्मल पंचायती अखाड़ा के श्री महंत हैं। पंजाब से आए कुछ लोगों ने अनाधिकøत रूप से इक्कड़ में अखाड़े की संपत्ति पर कब्जा करने का प्रयास किया है जिसके लिए हम विरोध में हैं।
नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद

अखाड़े की जनरल कमेटी ने 26 अक्टूबर 2017 के दिन मंहत ज्ञानदेव को पद से हटा दिया था उसके बाद जनरल कमेटी तथा निर्मल पेख ने इक्कड़ कला ब्रांच की जिम्मेदारी मुझे दी थी क्योंकि ग्रामीणों ने जनरल कमेटी और निर्मल पेख से निवेदन किया था कि 20 साल से बंद पड़ा यह आश्रम दोबारा से खोला जाए तथा इसकी देखरेख मंहत प्रेम सिंह यानी मुझे दी जाए। आपको एक बात और बता दें कि ज्ञानदेव ने इब्राहिमपुर का पूरा डेरा ही बेच दिया जो अपने आप में महापाप है।
महंत प्रेम सिंह

इस मामले में मेरे और एडीएम के द्वारा मीटिंग कर ली गई थी। दोनों पक्षों के कागज ले लिए गए हैं जांच होगी कि किसके कागज सही है। फिलहाल मौके पर पीएसी तैनात कर दोनों पक्षों के विरुद्ध 107 -16 की कार्रवाई कर दी गई है।
नवनीत सिंह, एसपी देहात हरिद्वार

नोट :- एडीएम ललित नारायण मिश्र ने इस पूरे मामले में कोई भी टीका टिप्पणी करने से मना कर दिया है।

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