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उत्तराखण्ड में कांग्रेस राज की वापसी के आसार प्रबल होते देख अब एक नया ‘खेला’ खेले जाने की तैयारियां शुरू हो चली हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि इस बार कांग्रेस अच्छे बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर सकती है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो एक कदम आगे बढ़कर पार्टी को 48 के करीब सीटें मिलने की बात कह डाली है। मतदान के अगले दिन हरीश रावत ने न केवल कांग्रेस की सरकार बनने का ऐलान किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे ही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी ने एक बार फिर से सिर उठा लिया। वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह और कांग्रेस के राज्य प्रभारी देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री का फैसला हाईकमान द्वारा लिए जाने की बात कह यह साफ कर दिया कि हरदा की राह में अभी कई दिक्कतें आनी बाकी हैं। इस बीच भाजपा भीतर भी इस बात को लेकर भारी खलबली मचने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व किसी भी सूरत में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व हरीश रावत के हाथों में नहीं देखना चाहता है। देहरादून में इसको लेकर नाना प्रकार की अफवाहों का बाजार गर्म है। कहा-सुना जा रहा है कि हरदा को रोकने की नीयत चलते हरीश रावत के एक स्टिंग ऑपरेशन का मुद्दा बजरिए सीबीआई द्वारा फिर से एक्टिव किया जा सकता है। 2016 में सामने आए इस स्टिंग ऑपरेशन के बाद रावत के खिलाफ सीबीआई ने बकायदा मुकदमा दर्ज किया था। कहा यह भी जा रहा है कि इस मामले को तूल देकर हरीश रावत के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही सीबीआई कर सकती है ताकि यदि 10 मार्च को चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आते हैं तो कम से कम हरीश रावत की ताजपोशी को रोका जा सके।

जानकारों का मानना है कि हरदा इस बार यदि सीएम बने तो वे बहुत आक्रामक तेवरों को अपना सकते हैं। बहुत संभव है कि रावत पिछले पांच सालों के दौरान राज्य में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की उच्च स्तरीय जांच करा बैठे। यह भी संभावना जताई जा रही है कि रावत के निशाने पर भाजपा संग करीबी रिश्ते रखने वाले कुछ खनन व्यापारी भी हैं जिन पर चुनाव के दौरान भाजपा को बड़ी फंडिंग का आरोप स्वयं रावत कुछ अर्सा पहले अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लगा चुके हैं। ऐसे खनन व्यापारियों में भी रावत के मुख्यमंत्री बनने को लेकर भारी खलबली मची हुई है। हरदा के करीबियों की मानें तो रावत सीएम बनने के साथ ही ऐसे खनन कारोबारियों पर भी सरकारी शिकंजा कस सकते हैं। इतना ही नहीं भाजपा सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे कुछ नौकरशाह भी रावत की आमद के चलते बौखलाए बताए जा रहे हैं। इनमें से कई अधिकारियों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने की तैयारियां काफी अर्सा पहले ही कर डाली है। कुल मिलाकर कांग्रेस के भीतर मौजूद हरीश रावत विरोधियों से लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और कुछ चुनिंदा व्यापारियों में इन दिनों सलाह-मशविरा का दौर जारी है कि कैसे हरदा को सीएम बनने से रोका जा सके।

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