विधानसभा में बैकडोर भर्ती घोटाला हो या अपने परिजनों के नाम थोक के भाव भूखंड खरीदना, प्रेमचंद अग्रवाल का नाम चर्चाओं में रहा। ऋषिकेश से लगातार चौथी बार विधायक बन पुष्कर सिंह धामी सरकार में मंत्री बने अग्रवाल को रसूखदार नेता कहा जाता है। कारण कई मामलों में उनका नाम आने पर बाल भी बांका न होना है। पिछले दिनों योगनगरी ऋषिकेश में उनकी एक मारपीट की वीडियो जमकर वायरल हुई। जिसमें वे एक गली के गुंडे के माफिक आरएसएस के कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह नेगी को दौड़ा-दौड़ा कर पीट रहे थे। पूरे देश में इनकी थू-थू हुई। सीएम धामी भी इस घटना से आहत हुए। फिलहाल पार्टी आलाकमान के पास प्रेमचंद की ऐसी कई ‘प्रेम’ कहानी पहुंच चुकी है। ऐसे में उनकी मंत्री पद से विदाई तय मानी जा रही है
ऋषिकेश से चार बार विधायक और धामी सरकार में वित्त और शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल फिर से अपनी हनक और सत्ता के रसूख के चलते चर्चाओं में हैं। इस बार वे राष्ट्रीय सेवक संघ के एक कार्यकर्ता और नगर के सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को बीच सड़क पर गाली-गलौज और मारपीट करने के मामले में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालांकि पीड़ित द्वारा कोतवाली ऋषिकेश में मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है। तो दूसरी तरफ मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के सुरक्षाकर्मी द्वारा भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है। इस पर विपक्ष सरकार और भाजपा के खिलाफ मुखर है साथ ही मंत्री को पद से हटाए जाने को लेकर भी सरकार पर हमलावर है। भाजपा में भी अंदरखाने इस खासी हलचल मची हुई है। केंद्रीय भाजपा हाईकमान द्वारा इसे संज्ञान में लिया गया। साथ ही कड़ी नाराजगी भी जताई गई है। सूत्रों के अनुसार कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तुंरत बाद मंत्री पद से प्रेमचंद अग्रवाल की विदाई हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि विगत दो मई को ऋषिकेश के कोयलघाटी में ट्रैफिक जाम के दौरान मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और संघ के कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह नेगी के बीच कहा-सुनी हो गई। मंत्री और उनके स्टाफ द्वारा नेगी के साथ बीच सड़क पर ही गाली-गलौज और मारपीट की गई। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ। वीडियो में स्वयं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल एक व्यक्ति को ताबड़-तोड़ थप्पड़ जड़ रहे हैं तो वहीं उनके सुरक्षाकर्मी और जनसंपर्क अधिकारी उक्त व्यक्ति को सड़क पर लिटाकर लात-घूंसों से मारते दिखाई दे रहे हैं।
इस घटना के बाद प्रेमचंद अग्रवाल के सुरक्षाकर्मी गौरव राणा ने सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा मंत्री की गाड़ी का शीशा तोड़ने के प्रयास और उनके साथ लगातार गाली-गलौज कर जेब से पेन और 1150 रुपए छीनने, मारपीट करने का मामला ऋषिकेश में धारा 392, 332, 353, 504 व 506 के तहत दर्ज करवा दिया। जबकि पीड़ित सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा भी कोतवाली ऋषिकेश में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, उनके पीआरओ कोशल विजल्वाण, सुरक्षाकर्मी कॉन्स्टेबल गौरव राणा और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने हेतु तहरीर दे दी जिसमें प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा उनसे मारपीट करने और मां-बहन की गाली दिए जाने का उल्लेख किया गया है। इस पर 3 मई को प्रेमचंद अग्रवाल, पीआरओ कौशल विजल्वाण, सुरक्षाकर्मी कॉन्स्टेबल गौरव राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 323 व 504 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। साथ ही में एक अन्य पुलिसकर्मी हेड कॉन्स्टेबल दीपक नेगी को भी इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है।
इस पूरे प्रकरण में एक बात साफ तौर पर देखने को मिली हे कि प्रेमचंद अग्रवाल के मंत्री होने का रसूख पुलिस विभाग पर सबसे ज्यादा पड़ता दिखाई दिया है। पीड़ित सुरेंद्र सिंह नेगी जिसकी पिटाई मंत्री और उनके स्टाफ द्वारा की गई और इसके प्रमाण कई वीडियो द्वारा सामने आ चुके थे, इसके बावजूद पीड़ित के खिलाफ ही मंत्री से लूटपाट करने और मारपीट करने का मुकदमा दर्ज करने में देरी नहीं की गई। घटना 1 से डेढ़ बजे दोपहर को घटी और 3 बजे मंत्री के सुरक्षाकर्मी द्वारा नेगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। जबकि सुरेंद्र सिंह नेगी द्वारा 2 मई को ही तहरीर दिए जाने के बावजूद 3 मई को रात्रि तकरीबन 9 बजे मुकदमा दर्ज किया गया। नेगी को सुरक्षित रखने के बहाने पुलिस द्वारा अज्ञात स्थान पर ले जाया गया जिसकी जानकारी सार्वजनिक तक नहीं की गई। हालांकि देर रात पुलिस द्वारा नेगी को छोड़ दिया गया।
अब इस पूरे प्रकरण को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से हटाए जाने की मांग को लेकर सरकार और मंत्री के खिलाफ सड़क पर आंदोलन शुरू हो गया। मामले की गंभीरता और जन दबाब को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण पर पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई करने के आदेश दे कर मामले को शांत करने का प्रयास किया। जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री के आदेश के बाद ही पुलिस द्वारा मंत्री का नाम भी मुकदमे में दर्ज किया गया है। साथ ही एक अन्य पुलिस कर्मी का नाम भी जोड़ा गया है। भाजपा के केंद्रीय संगठन ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जानकारी ली है। भाजपा के सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्य प्रभारी दुष्यंत गौतम ने भी इस मामले का संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री से बात की है।
एक सड़क छाप व्यक्ति की तरह मारपीट करने वाले अग्रवाल कोई नए-नवेले राजनीतिक व्यक्ति नहीं है। अग्रवाल लगातार चार बार चुनाव जीत चुके हैं। वह त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में पहली बार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर पहुंचे तो धामी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाए गए। अग्रवाल के पास वित्त, शहरी विकास, विधायकी और संसदीय कार्य जैसे बड़े और अहम विभागों का मंत्रालय है तो पुनर्गठन और जनगणना जैसे विभाग की भी जिम्मेदारी उन्हें मिली हुई है। ऐसा नहीं है कि प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ पहली बार पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पहले भी अग्रवाल पर इसी तरह के मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। वर्ष 2011 में उनके खिलाफ आईडीपीएल के संपत्ति विभाग द्वारा पुलिस चौकी में बलवा, तोड़-फोड़ करने और सरकारी काम में बाधा करने के साथ-साथ मारपीट करने के मामले में मुकदमा दर्ज करवाया था। तब पुलिस ने उन पर 143, 153, 353, 427,504 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। गौर करने वाल बात यह है कि तब प्रेमचंद अग्रवाल को संसदीय सचिव औद्योगिक विकास के पद पर दायित्वधारी कैबिनेट मंत्री स्तर का दर्जा प्राप्त था।
ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल के एक बड़े भूभाग में सैकड़ों बाहरी लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर कृष्णा नगर कॉलोनी बनाई गई है। पूर्व में आईडीपीएल द्वारा कारखाने में मजूदरों के लिए अस्थाई निवास के लिए यह स्थान दिया गया था लेकिन बाद में इस स्थान में सैकड़ों बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के कई लोगों ने अवैध कब्जा करके अपने आवास बना लिए। कई बार कारखाने के प्रबंध तंत्र द्वारा इन अवैध कब्जों को हटाए जाने की कार्रवाई की गई लेकिन वोट बैंंक की राजनीति के चलते ऐसा नहीं हो पाया। फलस्वरूप लगातार इस अवैध बस्ती में कब्जे होते रहे। जिनको स्थानीय राजनीति का सरंक्षण मिलता रहा। इसी के चलते आईडीपीएल प्रबंधन द्वारा कृष्णा नगर कॉलोनी के पेयजल और विद्युत मांग को मानने से इंकार कर दिया तो विधायक प्रेमचंद अग्रवाल अपने लाव-लश्कर के साथ आईडीपीएल के महाप्रबंधक जीएस बेदी के कार्यालय में जा धमके। जहां उन्होंने अभद्रता करते हुए उनके कार्यालय में तोड़-फोड़ की। इस पर महाप्रबंधक द्वारा प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ बलवा और तोड़- फोड़ करने का मुकदामा दर्ज करवा दिया गया।
इसी तरह से जून 2019 में भी प्रेमचंद अग्रवाल की हनक का नजारा ऋषिकेश की जनता ने उस समय देखा जब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत का ऋषिकेश में एक कार्यक्रम के दौरान त्रिवेंद्र रावत सरकार में दायित्वधारी राज्यमंत्री भगत राम कोठारी और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के बीच जुबानी जंग इस कदर देखने को मिली कि दोनां ही नेता एक-दूसरे को देख लेने की धमकी देने और गाली-गलौज की भाषा का प्रयोग करते देखे गए। प्रेमचंद अग्रवाल के लिए भगतराम कोठारी द्वारा दो कौड़ी का आदमी तक कहा गया। इस विवाद का वीडियो जम कर सोशल मीडिया में वायरल हुआ और सरकार की भी खूब किरकिरी हुई। हालांकि इस प्रकरण में तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने जांच कमेटी भी बनाई और मामले को किसी तरह से शांत किया। तब विधानसभा अध्यक्ष के पद पर होते हुए भी भाजपा के ही एक नेता के साथ सिर्फ इसलिए उलझ गए कि उनसे पहले केंद्रीय मंत्री का स्वागत कोई दूसरा केैसे कर सकता है। दोनों की बीच मामला कहा-सुनी, गाली-गलौज तक उतर आई जिससे विधानसभा अध्यक्ष जैसे अहम और संवैधानिक पद की गरिमा को भी ठेस पहुंची।
इसी तरह से एक अन्य मामले में भी प्रेमचंद अग्रवाल की हनक देखने को मिली है। जब वे ऋषिकेश में मॉर्निंग वॉक पर जा रहे थे और पार्क के एक कोने पर बच्चों द्वारा नेट लगाकर बेड मिंटन खेला जा रहा था। अपनी मॉर्निंग वॉक पर कोई खलल न पड़े इसलिए अग्रवाल ने अपने सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को बेड मिंटन खेलने से रोकने का आदेश दिया जिस पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा बच्चों का न सिर्फ बेड मिंटन नेट उखाड़ा गया, साथ ही बच्चों को खेलने से मना करके भगा दिया गया। पार्क में मोजूद कई बुजुर्ग और मार्निंग वॉक पर आए लोगों ने भी इसका विरोध किया, लेकिन उनकी भी एक न चली। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब देखा गया और मंत्री जी की जमकर फजीहत और निंदा की गई। ऐसा नहीं है कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के किसी कारनामे की कभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। उनकी हनक के हर मामले का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए हैं। विधानसभा चुनाव के दारैरान बूथ पर कोरोना गाइड लाइन के चलते मास्क लगाकर मतदान करना अनिवार्य कर दिया गया था लेकिन मंत्री जी बगैर मास्क के ही बूथ निरीक्षण करने चले गए जहां पर उनको पुलिस द्वारा मास्क लगाने की हिदायद दी गई तो वे मतदान केंद्र के सुरक्षाकर्मी से ही उलझ पड़े और उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे। इसका भी वीडियो खूब वायरल हुआ। जिसमें मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सुरक्षाकर्मी को ‘‘जा नहीं लगाता मास्क, तेरे से जो होता है कर ले, तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे टोकने की’’ कहते हुए हड़का रहे थे।
इसी तरह से विधानसभा भर्ती घोटाले के मामले में पत्रकारां के सवाल पूछने पर उनके साथ दुर्व्यवहार करने का भी मामला सामने आ चुका है। अग्रवाल पर अपने नजदीकी रिश्तेदारों और स्टाफ के परिजनों को थोक के भाव विधानसभा में बैक डोर भर्ती करने के आरोप लगे थे। साथ ही अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी नाम की जगह वीआईपी कमरा होने की बात करके अग्रवाल अपने बयानों से सबके निशाने पर आ चुके थे। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर अपने परिजनों के साथ-साथ स्वयं पर करोड़ों के भूखंडों की खरीद के आरोप लग चुके हैं। यहां तक कि उनके सुपुत्र के नाम लगातार दो-तीन वर्षों में कई भूखंडों खरीदने और स्टाम्प ड्यूटी की चोरी के आरोप भी लग चुके हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस मामले को लेकर ‘मंत्री पुत्र का कारनामा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था जिसमें अग्रवाल और उनके परिवार द्वारा थोक के भाव में खरीदे गए भूखंडों, संपत्तियों का खुलासा किया गया था।
माना जा रहा हे कि सुरेंद्र सिंह नेगी और प्रेमचंद अग्रवाल के बीच पूर्व में बहुत अच्छे संबंध थे लेकिन अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर ऋषिकेश नगर में कई माह तक चले धरना-प्रदर्शन में नेगी द्वारा बढ़-चढ़कर भाग लेने से अग्रवाल उनसे नाराज रहने लगे। इस नाराजगी का ही असर रहा कि मामूली कहा-सुनी पर उनके द्वारा नेगी को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर न सिर्फ पीटा गया यहां तक कि उसके खिलाफ मारपीट और लूटपाट करने का मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया। भाजपा के सूत्रों की मानें तो कर्नाटक चुनाव के तुरंत बाद मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल हो सकता है जिसमें तीन मंत्रियों को हटाया जा सकता है। अग्रवाल का भी नाम हटाए जाने वाले मंत्रियों की सूची में है। केंद्रीय भाजपा इस पर क्या कदम उठाती है यह अभी कहा नहीं जा सकता। क्योंकि कई मामलों के सामने आने के बावजूद अग्रवाल का बाल भी बांका नहीं हुआ। विधानसभा भर्ती घोटाले के मामले में सभी नियुक्त किए गए कर्मचारियों को तो हटा दिया गया लेकिन अग्रवाल पर तमाम जन दबाब के बावजूद सरकार और भाजपा संगठन कार्रवाई करने से बचता रहा। इसलिए इस मारपीट की घटना के बाद अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाएगी इसमें अभी संदेह बना हुआ है।