- संतोष सिंह
थराली विधानसभा क्षेत्र आज भी अति पिछड़े इलाकों में गिना जाता है। भाजपा के वर्तमान विधायक मुन्नी लाल शाह सहानुभूति वोट से 2018 में जीत तो गई लेकिन अब पार्टी के कार्यकर्ता ही उनसे नाराज चल रहे हैं। यहां से भाजपा और कांग्रेस को बारी-बारी से मौका मिला लेकिन कोई भी विधायक आमजन के उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए अच्छा मौका है। भाजपा के नेता रहे गुड्डू लाल को ‘आप’ का टिकट मिलने पर मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना दिख रही है
प्रदेश के अधिकतर पहाड़ी विधानसभा सीटों पर मुकाबला द्विपक्षीय ही रहा है। यहां तक कि उक्रांद भी भाजपा-कांग्रेस के साथ कहीं मुकाबले में नहीं दिखती है। चुनावों में मतदाता भाजपा-कांग्रेस में से ही किसी एक दल में अपना विश्वास जताते रहे हैं। लेकिन इस बार चमोली जिले के आरक्षित विधानसभा सीट थराली में मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आगामी चुनाव में यहां मुकाबला द्विपक्षीय न होकर त्रिकोणीय होने की संभावना बढ़ गई है। इसके सबसे पीछे सबसे बड़ा कारण गुड्डू लाल शाह हैं। शाह के आम आदमी पार्टी का झाड़ू पकड़ने से ऐसी संभावना जताई जा रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में गुड्डू लाल भाजपा से टिकट चाह रहे थे लेकिन पार्टी ने उनके बदले मगन लाल शाह को टिकट दिया। जिससे गुड्डू लाल पार्टी से बागी हो गए। उन्होंने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। हालांकि वे चुनाव तो नहीं जीत सके लेकिन उन्हें निर्दलीय लगभग 8 हजार वोट मिले। पहाड़ में 8 हजार वोट कम नहीं होता। 2017 में भाजपा की सरकार बनने के कुछ माह बाद वे फिर से भाजपा में आ गए। अब चुनाव से ऐन पहले उन्होंने फिर से अपना पाला बदल लिया है। उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है। आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद उन्हें टिकट मिलने की संभावना यहां से बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी से इनके चुनाव लड़ने पर यहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। आम लोग भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में थराली सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के पूरे आसार हैं।
गुड्डू लाल मूलतः घाट क्षेत्र से आते हैं। वे ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। पूरे घाट क्षेत्र में इनकी अच्छी पकड़ बताई जा रही है। कहा जाता है, पिछले चुनाव में 8 हजार वोट मिलने में भी घाट के मतदाताओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। क्षेत्र के लोगों ने क्षेत्रीय एकता का परिचय देते हुए गुड्डू लाल को अपना समर्थन दिया था। यहां तक कि घाट क्षेत्र के भाजपा-कांग्रेस के कट्टर मतदाताओं ने भी पार्टियों को नहीं बल्कि निर्दलीय गुड्डू लाल को ही वोट दिया था। इस बार वहां के लोगों का मूड कैसा रहेगा, वह तो चुनाव बाद ही पता चलेगा लेकिन क्षेत्र में यह चर्चा आम होता जा रहा है कि यदि ये चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय देखने को मिल सकते हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से टिकट के मुख्य दावेदार सीटिंग विधायक मुन्नी देवी शाह हैं। हालांकि इनकी दावेदारी इतना आसान भी नहीं है। पार्टी के पुराने नेता इस बार आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं. इनमें सबसे प्रमुख नाम बलवीर घुनियाल का है। घुनियाल अपनी दावेदारी मजबूती से पेश करने वाले हैं। साथ ही भाजपा से दो बार विधायक रह चुके जीएल शाह भी टिकट को लेकर ताल ठोक रहे हैं। पिछली बार शाह की टिकट कटने के बावजूद वे पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहे। इसलिए शाह चाहते हैं कि पार्टी उनका भी ख्याल रखे। वह भी अपने टिकट की दावेदारी करेंगे। भोपाल राम टम्टा भी इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं। वह भी अपने को मजबूत दावेदार मानते हैं। इन सबके अलावा अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे नरेंद्र भारती भी टिकट के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं। वर्तमान समय में वे जिले की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इनकी पत्नी दीपा भारती इस समय थराली नगर पंचायत की अध्यक्ष हैं। भाजपा में टिकट को लेकर ज्यादा मारामारी मची हुई है। इस कारण टिकट बंटवारे के समय भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को माथापच्ची होने वाली है।
ऐसे में कहा यह भी जा रहा है कि टिकट कंफर्म होने के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती नाराज दावेदारों को मनाने की है। पिछले चुनाव में नाराज गुड्डू लाल को पार्टी मना नहीं पाई, जिस कारण उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ कर 8 के करीब वोट पाया था। पिछले चुनाव के समय मोदी लहर के कारण भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीत गए लेकिन इस बार दावेदारों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है। भाजपा के जमीनी नेता और अनुसूचित जाति के जिला अध्यक्ष भोपाल राम टम्टा की जनता के बीच अच्छी पकड़ बताई जा रही है। क्षेत्र में चर्चा है कि जनता में उनकी मजबूत पकड़ के कारण भाजपा उन पर भी दांव लगा सकती है। बलबीर घुनियाल युवा और भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। उनमें युवा जोश है। पार्टी के अंदर कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि घुनियाल को टिकट देती है तो युवाओं को जोड़े रखने में कामयाब रहेगी। भाजपा यदि मुन्नी देवी शाह का टिकट काटता है तो मजबूत दावेदार के रूप में दो बार विधायक रहे जीएल शाह भी हैं।
रही बात कांग्रेस की तो थराली से डॉ जीतराम पार्टी के सबसे मजबूत और भरोसेमंद दावेदार हैं। मजबूत दावेदार होने के साथ ही डॉ जीतराम पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री एवं चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के करीबी भी हैं। इसलिए भी कहा जा रहा है कि उनका टिकट लगभग फाइनल है। डॉ जीतराम टम्टा पर 2012 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता ने विश्वास जताया था। लोगों को विश्वास था कि जीतराम क्षेत्र के विकास में अपना अहम योगदान देंगे।
लोगों को उम्मीद थी कि दूरस्थ क्षेत्र में वे शिक्षा को लेकर आमूल-चूल परिवर्तन कर सकते हैं। शिक्षाविद होने के कारण क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली मजबूत होगी।
लेकिन वे लोगों की उम्मीद पर खरे नहीं उतर पाए। क्षेत्र की जनता विधायक मुन्नी देवी से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। 2017 में थराली सीट पर परिवर्तन का एक कारण यह भी माना गया था कि क्षेत्र पिछड़ेपन से बाहर निकलकर विकास के रास्ते पर चल पड़ेगा। लेकिन उनके आकस्मिक निधन (साल 2018 में) से क्षेत्र के लोगों को बड़ा झटका लगा। उपचुनाव में उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह (जिला पंचायत अध्यक्ष रही) को टिकट दिया। भाजपा को इस सीट पर सहानुभूति मिलने की उम्मीद थी। वह सही साबित हुई। उपचुनाव में लोगों ने सहानुभूतिपूर्वक भाजपा को वोट दिया। लेकिन मुन्नी देवी क्षेत्र के विकास कार्य कराने में नाकामयाब रहीं। वे अपने कार्यकर्ताओं के छोटे-छोटे कार्यों को भी कराने में नाकाम रही। इससे पार्टी के आम कार्यकर्ता भी विधायक की कार्यशैली से नाखुश हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि पार्टी यदि उन्हें टिकट देती है तो भाजपा के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी।
मैं पार्टी और संगठन के कार्य को मजबूती और ईमानदारी से निर्वहन कर रहा हूं। टिकट के लिए मेरी भी दावेदारी है। ऐसे संगठन जिसको भी टिकट दे, मैं अपने दायित्वों का निर्वहन मजबूती से करता रहूंगा।
भोपाल भोपाल राम टम्टा, भाजपा नेता
सड़क नेटवर्क गांव-गांव पहुंचे। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं जनता को मिले। डबल इंजन की सरकार ने इस पर कुछ खास काम नहीं किया है। सरकार ने नल तो दिया लेकिन जल नहीं दिया। आपदा में यह सरकार पूरी तरह विफल रही। आपदा के बाद लंबे समय तक सरकार एवं प्रशासन ग्रामीण सड़कों को खोलने में विफल रही। कई गांव में अभी तक सड़क नहीं खुल पाई।
डॉ जीतराम, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस
विधायक ने क्षेत्र में कोई खास काम नहीं किए हैं। लोगों की समस्याएं आज भी बनी हुई हैं। गांव में सड़क की स्थिति दयनीय है। विधायक द्वारा अपने ही कार्यकर्ताओं को लाभ दिया गया। आम जनता को इससे दरकिनार किया गया। इससे जनता में काफी आक्रोश है। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार में कुछ भी कार्य नहीं किया गया। स्वास्थ्य की स्थिति इतनी दयनीय है कि सर दर्द तक की गोली के लिए लोगों को जिला अस्पताल या श्रीनगर का रुख करना पड़ रहा है।
गुड्डू लाल, नेता आम आदमी पार्टी
मैं 2002 से तैयारी कर रहा हूं। हर बार मेरा टिकट काटा गया। इसके बावजूद भी मैंने पूरी ईमानदारी से पार्टी के लिए काम किया। 2017 में मुझे टिकट देने का आश्वासन दिया गया था लेकिन ऐन वक्त पर मेरा टिकट काट दिया गया। मैंने संगठन के सामने अपनी नाराजगी जाहिर की। जिस पर मुझे आश्वासन दिया गया। 2018 में हुए उपचुनाव में भी मैंने दावेदारी की। तब हाईकमान ने मुझे 2022 का आश्वासन दिया था। मुझे पूरा विश्वास है कि पार्टी 2022 में मुझे टिकट देगी। यदि किसी कारणवश मुझे टिकट नहीं मिला तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा।
बलवीर घुनियाल, भाजपा नेता