रुड़की नगर निगम चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद आशंका के बादल भले ही छट गए हैं। लेकिन राज्य सरकार नगर निगम क्षेत्र और उसके वार्ड को लेकर असमंजस की स्थिति में है। इस संबंध में शहरी विकास मंत्री का कहना है कि 24 नए क्षेत्रों को नहीं जोड़े जाने की स्थिति में पाडली गुर्जर और रामपुर को बाहर निकाल कर चुनाव कराए जाएंगे। इन दो गांवों को क्यों निकाला जाएगा। इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। जबकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक लाभ लेने के लिए ऐसा कर रही है। नगर निगम रुड़की के अंतर्गत शामिल किए गए। 24 क्षेत्रों में से सिर्फ दो गांव रामपुर और पाडली गुर्जर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं। नगर निगम में भाजपा को नुकसान न हो इसलिए उन्हें चुनाव से बाहर करने का प्रयास कर रही है।
रुड़की नगर निगम क्षेत्र में चुनाव को लेकर राजनीति किस करवट बैठती है यह तो आने वाला समय हो बताएगा लेकिन 22 अक्टूबर को हाईकोर्ट के फैसले ने नगर निगम के चुनाव की राह खोल दी है। नगर निगम के निवर्तमान मेयर यशपाल राणा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सरकार को छह सप्ताह में रुड़की नगर निगम के निकाय चुनाव की तारीख की घोषित करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सरकार की मंशा पाडली गुर्जर ओर रामपुर क्षेत्र को नगर निगम में लेने की नहीं लग रही है क्योंकि दोनों ही क्षेत्रों की अधिकांश आबादी मुस्लिम है। सरकार ने पूर्व में जोड़े गए आठ गांवों में से सिर्फ रामपुर और पाडली गुजर को बाहर कर दिया था लेकिन इस फैसले के खिलाफ विधायक फुरकान अहमद की याचिका पर हाईकोर्ट ने पाडली गुर्जर और रामपुर को नगर निगम क्षेत्र में जोड़ने का फैसला सुनाया था। सरकार ने हाल ही में 24 नए क्षेत्रों को नगर निगम में जोड़ने का फैसला लिया है। हाईकोर्ट के छह सप्ताह में चुनाव कराने के फैसले के बाद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है सरकार छह सप्ताह में चुनाव कराने को तैयार है। 24 नये क्षेत्रों को लेकर नगर निगम के चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि पाडली गुर्जर और रामपुर को भी नगर निगम क्षेत्र से बाहर निकाल कर चुनाव हो सकते हैं। दोनों को नगर निगम क्षेत्र से निकालकर चुनाव कराने के कारण पर किए गए प्रश्न का वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर सरकार क्या रुख अपनाती है यह चुनाव की घोषणा के बाद है। पता चलेगा।