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Uttarakhand

खिलाड़ियों के साथ खेल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेशक खिलाड़ियों के लिए नई नीति बनाते और विजेताओं को प्रोत्साहन राशि देने के वायदे करते रहे लेकिन सूबे के अधिकारी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। सीएम धामी की खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा पर अधिकारियों की नाफरमानी भारी पड़ रही है

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में खेलों को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के दावे किए हैं लेकिन उनकी ही सरकार के अधिकारियों ने उनके दावों को गंभीरता से नहीं लिया। शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रोत्साहन राशि दिए जाने की घोषणा के एक माह बाद भी खिलाड़ियों तक यह राशि नहीं पहुंच पाई। उल्लेखनीय है कि गत् 10 से 14 फरवरी तक कश्मीर के गुलमर्ग में खेलो इंडिया विंटर गेम्स एवं नेशलन विंटर गेम्स प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तराखण्ड से हिस्सा लेने गए खिलाड़ियों द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीते। इनमें पौड़ी जिले के ऋषभ रावत ने 800 मीटर स्नो शू में स्वर्ण पदक, 12 किमी स्नो रेस में रजत और 800 मीटर स्नो रेस में कांस्य पदक हासिल किया तो टिहरी जिले की शालिनी राणा ने स्नो शू, 400 मीटर स्नो रेस तथा 10 किमी की रेस में भी रजत पदक हासिल किया।

इसके अलावा मयंक डिमरी ने स्की माउंटिंग में दो स्वर्ण एवं एक रजत पदक जीता तो जयदीप भट्ट ने भी एक स्वर्ण ओैर एक रजत पदक जीत कर प्रदेश का नाम ऊंचा किया। उत्तराखण्ड के खेल निदेशालय को यह तक पता नहीं था कि राज्य से खेलो इंडिया विंटर गेम्स के लिए कोई टीम भी गई थी। यही नहीं इन खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भेजने के लिए भी खेल निदेशालय ने कोई कदम तक नहीं उठाया, सरकारी उदासीनता को देखते हुए इन खिलाड़ियों द्वारा जोशीमठ स्थित स्की माउंटेयरिंग एसोसिएशन से संपर्क किया गया तो प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए स्वीकृति दी लेकिन इसके लिए प्रति खिलाड़ी 12 हजार रुपए वसूले गए।

खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए एक दर्जन पदक राज्य की झोली में डाले तो भी राज्य का सरकारी सिस्टम पूरी तरह उदासीन बना हुआ हैं। पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का सम्मान तक नहीं किया गया और न ही सरकार की पूर्व में की गई घोषणा के अनुरूप प्रोत्साहन राशि खिलाड़ियों को दी गई हैं। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में इन खिलाड़ियों को केवल ‘शाबासी’ देने के नाम पर कार्यक्रम किया गया। हालांकि जब मामला समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ तो मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच के आदेश देते हुए पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने की बात कही। खुद खेल निदेशालय ही सरकार के दावों पर पलीता लगाता हुआ नजर आ रहा है।

आखिर सरकार की प्रोत्साहन राशि दिए जाने वाली घोषणा के बावजूद खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि देना तो दूर उनको सम्मान तक खेल निदेशालय द्वारा नहीं कराया गया। खेलों को लेकर प्रदेश में कई बार इस तरह के हालातों से खिलाड़ियों को जूझना पड़ा है। राज्य बनने के बाद से लेकर हर सरकार के कार्यकाल में कमोवेश यही होता रहा है। प्रदेश के एक मात्र महाराणा प्रताप स्पोटर्स कॉलेज में अनियमितताएं और निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के मामले हों या फिर सेफ विंटर गेम्स में हुई बदइंतजामी से खेल विभाग पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। कई बार खिलाडियों को भूखे पेट प्रतियोगिता में भी भेजने के मामले सामने आ चुके हैं। परंतु हर मामले में केवल जांच के अलावा कोई नई बात नहीं हुई। इन सब का खमियाजा आखिरकार प्रदेश के खिलाड़ियों को ही भुगतना पड़ा है।

राज्य में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है जबकि स्पोटर्स यूनिवर्सिटी खोले जाने की घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा की गई थी हैरत की बात है कि अभी तक खेल विभाग और राज्य का सरकारी सिस्टम विश्वविद्यालय के लिए जमीन तक नहीं खोज पाया है। अब देखना है कि मुख्यमंत्री धामी इस मामले में खेल विभाग के अधिकारियों के पेंच कसते हैं या फिर खेल के नाम पर सरकारी सिस्टम खिलाड़ियों के साथ खेल ही करता रहेगा।

बात अपनी-अपनी

जोशीमठ आपदा के चलते सम्भव नहीं था इसलिए हमने खिलाड़ियों से खर्चा लिया, प्रदेश में एक ऐसा चैनल होना चाहिए जो हर कॉम्पिटिशन के लिए खिलाड़ियों को जानकारी दे जिससे खेलों को भी बढ़ावा मिले और खिलाड़ियों को भी मदद मिले।
अजय भट्ट, अट्टयक्ष स्की माउंटेनियरिंग एसोसिएशन

हमारा एसोसिएशन को छोड़कर किसी ने सहयोग नहीं किया न ही हमें प्रोत्साहन राशि मिली है।
जयदीप भट्ट, स्वर्ण पदक विजेता

अपने खर्च पर ही हम कॉम्पिटिशन में गए थे। सरकार कम से कम हमारा खर्च और प्रोत्साहन राशि हमें दें।
मयंक डिमरी, स्वर्ण पदक विजेता

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