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Uttarakhand

सुगम-दुर्गम के नाम पर ‘खेला’

उत्तराखण्ड में कर्मचारियों और अट्टिकारियों को सुगम और दुर्गम में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है जिसके तहत 10 साल तक सुगम में रहने वालों को दुर्गम में तो इतने ही वर्ष दुर्गम में रहने वालां को सुगम में तैनाती दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग में कुछ दिनों पहले नर्सिंग स्टाफ में तबादला प्रक्रिया अपनाई गई थी। लेकिन कहा जा रहा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से नहीं अपनाई गई। इसमें खेला होना बताया जा रहा है। इस बाबत ‘दि संडे पोस्ट’ के पास मौजूद तथ्यों से प्रतीत होता है कि कुछ स्थानांतरण सवालों के घेरे में हैं जिन्हें तैनाती तो कहीं और दी गई लेकिन बाद में उनका स्थानांतरण दूसरी जगह हो गया। यह कैसे और किस आट्टार पर हुआ इसका जवाब किसी के पास नहीं है

प्रदेश में 300 नर्सिंग अधिकारियों को तैनाती देते समय चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा दी गई वरिष्ठता सूची को दरकिनार कर मनमाने तरीके से तैनाती स्थान आवंटित करने का मामला प्रकाश में आया है जो कि विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने तैनाती स्थान आवंटित करते समय न वरिष्ठता सूची को आधार बनाया और न ही चयनित अभ्यार्थियों की काउंसलिंग करवा कर तैनाती स्थान आवंटित किए गए। यहां तक कि 10 वर्षों से भी अधिक समय से अतिदुर्गम में सेवा दे रहे कर्मचारियों को उनके घर से 350 से 400 किलोमीटर दूर तैनाती दी गई है। उक्त पूरे मामले में विचारणीय बात यह है कि दोनों ही मंडलों में पर्याप्त पदों की उपलब्धता के बाद भी ऐसा किया गया है। स्थिति ऐसी बनाई गई कि महिलाओं को अपने छोटे बच्चों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। इस चलते महिलाएं रात का सफर करने को मजबूर हैं जो कि महिला सुरक्षा के प्रति भी विभागीय संवेदनहीनता को दर्शाता है।

गौरतलब है कि नर्सिंग स्टाफ सीधे रोगियों के संपर्क में होता है। उन्हें क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान न होने से रोगियों के उपचार में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा 10 वर्षों से अधिक समय से दुर्गम में कार्य कर रहे कर्मचारियों को सुगम में तैनाती देने की बात कही गई थी जबकि इसके उलट विभाग ने 12 वर्षों से भी अधिक समय से विभाग में तैनात कर्मचारियों को दुर्गम में ही तैनाती दी है।

कुछ कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र संसोधित किए गए हैं और उन्हें दुर्गम से सुगम में तैनात किया गया है। कुछ ऐसे भी नर्सिंग अधिकारी हैं जिन्होंने कभी दुर्गम में सेवाएं नहीं दी लेकिन उन्हें पुनः सुगम में तैनाती दी गई है। अब कहा जा रहा है कि विभाग में ये आदेश संसोधन के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। जिसे देखते हुए संसोधित आदेश को निरस्त करने और पुनः पूर्व में आवंटित तैनाती स्थानों पर ही भेजे जाने की भी मांग की जा रही है। इसके लिए सीएम पोर्टल पर भी शिकायतें दर्ज की गई हैं। जिनका निराकरण भी विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है।

सवालों में है ये स्थानांतरण
नर्सिंग अट्टिकारी पुष्पा देवी को रुद्रप्रयाग जिला आवंटित किया गया था लेकिन उन्होंने वर्तमान में डोईवाला सीएचसी में ज्वाइन किया। इसी तरह अन्य की बात करें तो नर्सिंग अधिकारी वंदना पांथरी जिन्हें पौड़ी नियुक्ति मिली थी उन्होंने देहरादून ज्वाइन किया है। इसके अलावा ज्ञानेंद्री तोमर को बागेश्वर में नियुक्ति मिली थी लेकिन उन्होंने हरिद्वार ज्वाइन किया। सारिका को उत्तरकाशी नियुक्ति मिली थी उन्हें देहरादून तैनाती दी गई है। जबकि अनिता जोशी जिन्हें पौड़ी गढ़वाल मिला था उन्हें बागेश्वर तो मनोज लूंठी जिन्हें उत्तरकाशी दिया गया था उन्हें मुनस्यारी ज्वाइन कराया गया है। इस संबंध में जब उक्त लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि डीजी हेल्थ कार्यालय के माध्यम से उनका नियुक्ति पत्र संशोट्टित किया गया। उन्होंने डीजी हेल्थ कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया था। इसी तरह ललिता मेहर जिन्हें टिहरी दिया गया उन्होंने उत्तरकाशी तो रेखा पाल को पिथौरागढ़ मिला हरिद्वार ज्वाइन कराया गया है। आरती को चंपावत से हरिद्वार ज्वाइन किया गया है। ये नाम सीएम पोर्टल पर की गई में उल्लेखित नाम हैं। साथ ही नर्सिंग संगठन के पदाधिकारियों को जिला चिकित्सालयों में ब्लड बैंक में तैनाती दी गई है। इससे स्पष्ट है कि तैनाती स्थान आवंटन में समान मानकों का प्रयोग नहीं किया गया है जिस पर विभागीय जांच की आवश्यकता प्रतीत होती है।

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