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Uttarakhand

सूना सूना रहा नव संवत्सर, मंदिरों में पसरा सन्नाटा

सूना सूना रहा नव संवत्सर, मंदिरों में पसरा सन्नाटा

कोरोना संकट और लॉकडाउन की सख्ती के चलते हिन्दू नव संवत्सर और नवरात्रि का पहला दिन फीका-फीका रहा। लोगों ने एक-दूसरे से दूरी बनाए रखी। मंदिरों में सन्नाटा परसा रहा। यातायात व्यवस्था प्रभावित होने से बहनें भिटोला पाने से वंचित रह गई हैं। लोग बाहर से आई चीजों के सेवन से बच रहे हैं। नवरात्रि के पहले रोज पौ फटने से पहले ही मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए पहुंचने वाली महिलाएं बैचेन हैं, विवश हैं। घरों में कैद रहना लोगों की मजबूरी बन चुकी है। छोटे बच्चे घरों में उकता रहे हैं। उनका कोप भाजन अभिभावक बन रहे हैं।

यूं तो पर्वतीय अंचल में चैत्र मास के प्रथम दिन को नववर्ष का आरंभ माना जाता है। नववर्ष का पहला पर्व फूलदेई माना जाता है। इसी दिन से हिन्दू घरों में चहल-पहल शुरू हो जाती है। नववर्ष के पहले रोज से नवरात्रियां भी शुरू हो जाती हैं। देवी के उपासक इस दिन नवरात्र का उपवास रखते हैं। मंदिरों में पूजा अर्चना होती है। मंदिर भक्तों से गुलजार रहते हैं। लेकिन बार चारों ओर सन्नाटा है। कोविद-19 ने भगवान और भक्तों के बीच दूरी बना रखी है तो पुजारियों व पंडितों की आजीविका भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।

संवत्सर प्रतिपदा के आगमन पर लोग अपने घरों में छोटी-छोटी टोकरियों में सप्त अनाज बोते हैं जिसे हरिया कहा जाता है। नवरात्रि के पहले रोज इस हरियाले की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। दसवीं के दिन इसे भगवान को चढ़ाने के बाद परिवार के सभी लोगों के सिर में रखा जाता है जो बाहर हैं उनके फोटो के उपर इसे रखा जाता है।

हिन्दू धर्म में चैत के इस मास को काफी शुभ महीना माना जाता है। इस महीने पीपल मोचनी, एकादशी, नवरात्रि, कामना एकादशी, विष्णु, शालिग्राम और नवदुर्गा की पूजा होती है। लोग नववर्ष के इस पहले महीने यही प्रार्थना और उम्मीद कर रहे हैं कि पूरे विश्व के लोगों को कोरोना वाइरस से मुक्ति मिले।

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