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Uttarakhand

अपने नेताओं से त्रस्त पौड़ी

गढ़वाल मंडल पौड़ी में ऐसे तो कई विभागों के मुख्यालय हैं लेकिन इन मुख्यालयों में अधिकारी ढूंढे नहीं मिलते। इसी प्रकार यहां ‘विकास’ भी ढूंढ़े नहीं मिल रहा है। पर्यटन नगरी बनने की घोषणा कई बार स्थानीय विधायक ने की लेकिन जमीं नहीं उतर पाई। यहां का स्वास्थ्य व्यवस्था भी बदहाल है। पीपीपी मोड पर देने के बावजूद जिला अस्पताल रेफर सेंटर ही बना हुआ है। वर्तमान विधायक पर विपक्षी नहीं, बल्कि उनके ही पार्टी नेता कमीशनखोरी का आरोप लगाते हैं। ऐसे में पिछली बार मोदी लहर में खिला कमल आगामी चुनाव में मुरझा जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए

वर्ष 2007 में बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। वह प्रदेश की दूसरी निर्वाचित सरकार थी। पौड़ी जिले से बनने वाले वे पहले मुख्यमंत्री थे। तब से अब तक यानी इन 14 सालों में प्रदेश को आठ मुख्यमंत्री मिले। इनमें छह पौड़ी जिले से थे। यह जानकारी इसलिए ताकि पौड़ी की राजनीतिक जागरूकता, उसकी राजनीतिक पहुंच को आसानी से समझ सकें। इसके ठीक उलट, इतने अधिक मुख्यमंत्री देने वाला जिला, विकास से कोसों दूर खड़ा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए लोगों को लंबा संघर्ष करना पड़ता है। पांच साल बाद चुनावी मौसम आ गया है। यहां की जनता और मतदाताओं को लुभाने के लिए विकास के वादे और दावे दोनों होने वाले हैं। लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादे फुस्स हो जाएंगे। इसका सबसे अच्छा उदाहरण पौड़ी ही है।

छह मुख्यमंत्री। वर्तमान सरकार में तीन कैबिनेट मंत्री। वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज को पर्यटन मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग। फिर भी पौड़ी पर्यटन नगरी नहीं बन पाया। हर चुनाव के दौरान पौड़ी को पर्यटन सर्किट में शामिल करने, यहां के पौराणिक मंदिरों, स्थलों को विकसित कर, इसे पर्यटन नगरी बनाने का वादा किया गया। लेकिन आज तक यह हो न सका। 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से उम्मीदें ज्यादा थी, क्योंकि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को बनाया गया। पौड़ी विधानसभा से पहली बार भाजपा का कमल खिला। इसके अलावा मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत दोनों इसी जिले से आते हैं। पौड़ी विधानसभा क्षेत्र सहित पूरे जिले के लोगों की मांग रही है कि इसे पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किया जाए। ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी बढ़ सके। प्रदेश में सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी से ही हो रहा है। इसलिए लोगों को उम्मीद थी कि यदि पौड़ी पर्यटन नगरी के रूप में विकसित होती है या इसे पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाता है तो क्षेत्र से पलायन रुकेगा। युवाओं को स्वरोजगार का मौका मिलेगा।

सत्ता में काबिज कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों ने पौड़ी में मिनी रोपवे लगाए जाने की बात की थी। लेकिन वह भी आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई। शहर के अपर बाजार को हैरीटेज स्ट्रीट बनाने की घोषणा की गई थी। इसी साल जनवरी में इसका शिलान्यास भी किया गया। अब साल गुजरने को है, लेकिन अभी तक इस दिशा में धरातल पर कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। जिला प्रशासन की पहल पर पौड़ी के कण्डोलिया पार्क को संवारने प्रयास किया गया। पार्क को संवारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। करोड़ों खर्च किए जाने के बावजूद अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि इस पार्क में पर्यटक आना नहीं चाहते। वहीं बहुप्रतीक्षित ल्वाली झील के निर्माण को लेकर भी यहां पर कुछ होता नजर नहीं आता।

राज्य बने 21 साल बाद भी मंडल मुख्यालय (पौड़ी) के लोग बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के लिए जूझ रहे हैं। पौड़ी क्षेत्र में पेयजल की समस्या शुरू से बनी हुई है। पेयजल की कई परियोजनाएं अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पा रही हैं। हर चुनाव के समय पौड़ी में पेयजल की समस्या मुद्दा बनता है। नेता शुद्ध पेयजल पूर्ति का वादा भी करते हैं। लेकिन मतदाताओं के वोट से चुनाव जीतकर विधायक बनते ही सभी वादे भुला दिए जाते हैं। स्वास्थ्य को लेकर भी पौड़ी विधासभा क्षेत्र में बुरा हाल है। पौड़ी स्थित जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पीपीपी मोड में दे दिया गया है। पीपीपी मोड पर दिए जाने के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। आए दिन यह चिकित्सालय अव्यवस्थाओं को लेकर खासी चर्चा में बना रहता है। जिला चिकित्सालय भी रेफर सेंटर बना कर रह गया है। दूरदराज से आने वाले रोगियों को यहां से श्रीनगर या फिर देहरादून रेफर कर दिया जाता है। श्रीनगर से पौड़ी में प्रवेश करते ही यहां की सड़कों की खस्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। पौड़ी शहर को जोड़ने वाले सम्पर्क मार्गों के निर्माण को लेकर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों की जनता अभी से चुनाव बहिष्कार तक करने की घोषणा कर दी है।

मंडल मुख्यालय होने के बाद अभी तक शहर का कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है। पौड़ी में अभी तक इसके लिए ट्रेचिंग ग्राउंड नहीं बन पाया है। इस कारण पूरे शहर का कूड़ा सड़कों के नीचे डाल दिया जाता है। श्रीनगर से पौड़ी प्रवेश करने से पहले ही चोपड़ा गदेरे में कूड़े के ढेर के दर्शन मात्र से ही पौड़ी के विकास का अंदाज लग जाता है। शहर के श्रीनगर रोड पर बने कूड़ा डंपिंग जोन में 7 नवंबर की रात को आग लगने से लोगों को सांस ले पाना मुश्किल हो गया। इस साल तीसरी बार शहर के कूड़ा डंपिंग जोन में आग लगी है। इससे सामान्य लोगों को तो परेशानियां हो ही रही हैं। साथ में श्वांस, आंख से जुड़ी बीमारी के मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर पालिका प्रशासन सिर्फ इतना कहकर अपने दायित्व का इतिश्री कर लेता कि ‘शरारती तत्व कूड़ा डंपिंग जोन में आग लगा दे रहे हैं। भविष्य में ऐसा न हो इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी।’ श्रीनगर रोड पर लोअर चोपड़ा में पालिका का कूड़ा डंपिंग जोन है। जहां पालिका प्रशासन शहर का कूड़ा एकत्र कर डंप करती है। खुले डंपिंग जोन में हर प्रकार का कूड़ा फेंका जाता है। कूड़ा निस्तारण की सही व्यवस्था अभी तक मंडल मुख्यालय में नहीं हो पा रही है। इससे पूरे विधानसभा क्षेत्र के लोगों में प्रशासन और विधायक के प्रति नाराजगी है।

पौड़ी में बस अड्डे का निर्माण 2006 से हो रहा है। इन 15 सालों में तीन बार इसका शिलान्यास हो चुका है। हर पांच साल में नया विधायक और प्रदेश में नई सरकार बनने पर इसका शिलान्यास कर दिया जाता है। लेकिन 3 बार शिलान्यास होने के बावजूद अभी तक बस अड्डा का निर्माण कार्य अधूरा ही है। पौड़ी बीएस अड्डा निर्माण कार्य भी इस विधानसभा क्षेत्र के विकास की कहानी बयां कर रही है। विकास कार्यों को लेकर वर्तमान विधायक मुकेश कोली को कई बार जनता के विरोध का सामना भी करना पड़ा है। वर्तमान विधायक पर पार्टी के ही पूर्व जिलाध्यक्ष ने विकास कार्यों के बदले कमीशन-खोरी तक के आरोप लगाए हैं।

कांग्रेसी नेता एवं पूर्व आईएएस सुंदर लाल मुयाल कहते हैं कि ‘सरकार महंगाई, बेरोजगारी एवं पहाड़ से पलायन को थामने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। देवभूमि उत्तराखण्ड में दाल, घरेलु गैस सिलेंडर, टमाटर, प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। पेट्रोल-डीजल के दामों पर कोई नियंत्रण ही नहीं है। दोनों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कहा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, जिसका सीधा असर आम आदमी की आर्थिकी पर पड़ता है। लेकिन सरकार को जनता की नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों की चिंता है।

टिकट के लिए जोड़-तोड़ शुरू
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा और कांग्रेस) ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा के दावेदारों की बात की जाए तो वर्तमान विधायक मुकेश कोली पुनः दावेदारी कर रहे हैं। वहीं पूर्व राज्य मंत्री रहे घनानन्द, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार पोरी, सविता देवी और जिला पंचायत सदस्य अगरोड़ा के राकेश गोरसाली सहित कुल पांच नेता टिकट के मुख्य दावेदार हैं।

कांग्रेस में दावेदारों की सूची काफी लंबा है। इनमें पूर्व ब्लॉक प्रमुख कोट नवल किशोर के अलावा सुन्दर लाल मुयाल, जगदीश चन्द्र, तामेश्वर आर्य, वीर प्रताप, रितु सिंह, अरुणा कुमार, विनोद दनोसी, गौरव सागर, मोहन गायत्री, प्रमोद मंद्रवाल, बीरबल सिंह मंढागी और केशवानन्द आर्य अपनी दावेदारी कर रहे हैं। टिकट दावेदारों की लंबी लाइन होने के कारण टिकट फाइनल होने पर अन्य नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं में मनमुटाव होना लाजिमी है। ऐसे में कांग्रेस के लिए टिकट फाइनल करने के बाद नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाना दोनों, बड़ी चुनौती बनने वाली है।

आम आदमी पार्टी से दो उम्मीदवार टिकट पाने की उम्मीद में थे। पहला नाम मनोहर लाल पहाड़ी का था तो दूसरा नाम गणेश चंद्रा का बताया जा रहा था। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मनोहर लाल पहाड़ी को पार्टी ने टिकट दे दिया है। इस तरह पौड़ी विधानसभा सीट से पहला नाम आम आदमी पार्टी ने घोषित कर दी है। यूकेडी फिलहाल पौड़ी विधानसभा सीट पर चर्चा में नहीं है। वैसे यदि यहां से यूकेडी चुनाव मैदान में अपना प्रत्याशी उतारती है तो यूकेडी से संभावित उम्मीदवार पूनम टम्टा को बताया जा रहा है। भले ही यहां आम आदमी पार्टी और यूकेडी के उम्मीदवार भी टिकट की जोड़तोड़ में लगे हुए हैं। लेकिन अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला दोनों राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा-कांग्रेस) के बीच ही होगा। जनता को लुभाने में कौन पार्टी या उम्मीवार बाजी मारेगा, इसकी तस्वीर आने वाले समय में साफ हो पाएगी।

इस बार कांग्रेस महिलाओं को अवश्य मौका देगी। पौड़ी को एक ऐसा नेतृत्व चाहिए जो आम जनता के बीच अपनी पैठ रखता हो। डॉक्टर होने के नाते मैंने कई गांवों में अपनी सेवाएं दी है। भाजपा ने केवल लोगों को ठगा है। लोग महंगाई से त्रस्त होकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
डॉ. ऋतु सिंह, कांग्रेस नेता

विकास कार्यों को लेकर जनता नाखुश है। बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की समस्या से जनता आज भी दो चार होती है। आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर दिल्ली मॉडल पर कार्य किया जाएगा। इसमें पंचायत स्तर पर चिकित्सालय बनाया जाएगा। फ्री बिजली दी जाएगी।
मनोहर लाल पहाड़ी, आम आदमी पार्टी उम्मीदवार

 

भारतीय जनता पार्टी के द्वारा जो घोषणा की गई थी सभी पूरी की जा चुकी है, ल्वाली झील का कार्य पूर्ण हो चुका है, अब उसका सौन्दर्यीकरण का कार्य बाकी है जो कि अब किया जाएगा। पौड़ी में एनसीसी एकेडमी के लिए भी प्रयास किया गया पर ये मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। केवल मेरे विरोधी रहे लोगों द्वारा ही मेरे ऊपर आरोप लगाए गए हैं, ये सब विकृत मानसिकता के लोग हैं। इन्हें पार्टी से हटा दिया गया है। ये लोकतंत्र है और भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। यहां सबको अधिकार है। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद 2017 में जिसने भाजपा को जीत का स्वाद चखाया हो निश्चित तौर पर पार्टी उसके बारे में अच्छा विचार करेगी
मुकेश कोली, विधायक, भाजपा नेता

 

राज्य में फिल्म बोर्ड के गठन की मांग उठ रही है। 2022 में यदि पार्टी ने मुझे पौड़ी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया तो मेरे घोषणा पत्र में फिल्म बोर्ड का गठन प्रमुखता से रखा जाएगा। राज्य में फिल्मांकन की अपार संभावनाएं हैं। इसके बावजूद राज्य बनने के बाद 20 सालों में किसी भी राजनीतिक दल ने इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाए।
घनानंद, वरिष्ठ भाजपा नेता

 

उत्तराखण्ड में एक सशक्त भू-कानून लाएंगे और बेरोजगारी को दूर करेंगे। महिला, पूर्व सैनिक, छात्र एवं युवाओं का सही चिन्हीकरण कर उनको पेंशन, रोजगार का एक समान लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों एवं आश्रितों को भी इस परिधि में रखा जाएगा। राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड में आई भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने पूरे प्रदेश को भ्रष्टाचार की गर्त में झोंकने का काम किया है। प्रदेश में अवैध तरीके से जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के साथ ही अवैध तरीके से खरीदी और बेची गई जमीनों को सरकारी कब्जे में लिया जाएगा।
पूनम सिंह टम्टा, यूकेडी नेता एवं टिकट दावेदार

 

अब तक यहां से चुने गए प्रतिनिधि में से किसी ने पौड़ी का विकास नहीं किया। सब सिर्फ अपना विकास करते हैं। अभी तक इस सीट से किसी पार्टी ने महिला प्रत्याशी खड़ा नहीं की है। इस बार पौड़ी विधानसभा सीट से महिलओं को मौका मिलना चाहिए। इसलिए 2022 में मेरा मिशन मातृशक्ति और पौड़ी की जनता की मांग को लेकर दावेदारी करने का है। भाजपा में मैं प्रबल दावेदार हूं। अगर पार्टी मुझ पर भरोसा करती है तो मैं पार्टी को निश्चित ही जीत दिलाऊंगी।
सविता देवी, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं टिकट दावेदार

 

सबसे पहले पलायन को रोकना होगा और पलायन तभी रुकेगा जब पहाड़ में ही सरकार यहां के युवाओं को रोजगार दे। उसके लिए स्वरोजगार योजना के साथ-साथ स्वरोजगार करने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं को भी दुरुस्त किया जाएगा, साथ ही शिक्षा को लेकर भी पौड़ी में अच्छे कॉलेज खोले जाएंगे।
विनोद दनोशी, कांग्रेस नेता एवं टिकट दावेदार

 

 

पौड़ी का चुनावी इतिहास
प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में पौड़ी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका कांग्रेस पार्टी को यहां के लोगों ने दिया। 2002 के चुनाव में यहां से कांग्रेस पार्टी के नरेंद्र सिंह भंडारी विजयी हुए थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत को 2905 मतों से हराया था। तब तीसरे और चौथे स्थान पर क्रमशः निर्दलीय एवं यूकेडी के प्रत्याशी रहे थे। 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी यशपाल बेनाम को यहां से जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत को केवल 11 मतों से हराकर विधानसभा पहुंचे थे। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के नरेंद्र सिंह भंडारी और चौथे स्थान पर यूकेडी के सुदर्शन सिंह रावत रहे थे। तीसरे विधानसभा चुनाव (2012) में कांग्रेस प्रत्याशी सुंदर लाल मंद्रवाल ने भाजपा के घनानंद को 2906 मतों से हराकर जीत दर्ज की। पौड़ी सीट पर पहले तीन चुनाव में कभी भी भाजपा को जीत नहीं मिल सकी। यहां के मतदाताओं ने हमेश कांग्रेस या फिर निर्दलीय में अपना विश्वास जताया। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से पहली बार भाजपा का कमल खिला। इसके लिए भाजपा से ज्यादा नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को यहां के लोग कारण मानते हैं। भाजपा प्रत्याशी मुकेश कोली ने कांग्रेस प्रत्याशी नवल किशोर को 7030 मतों से हराकर जीत दर्ज की। पहली बार मोदी लहर के सहारे जीत का सहरा बांधने वाले कोली पर उनके ही पार्टी के नेता विकास कार्यों की अनदेखी और कमीशनखोरी का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा के ही नेता अपने विधायक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे इस सीट पर फिर से कमल खिलाना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

मैं पौड़ी विधानसभा सीट से दावेदारी कर रही हूं। बीते चार सालों में प्रदेश सरकार ने कोई भी विकास कार्य नहीं किया है। सरकार सिर्फ प्रदेश में सीएम बदलने में लगी हुई है। सरकार को जनता की कोई फिक्र नहीं है। प्रदेश सरकार द्वारा आशीर्वाद रैली के जरिए जनता को एक बार फिर से छलने की कोशिश की जा रही है।
अरुणा कुमार, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस

 

मैं 2005 से भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता हूं। मैंने पार्टी द्वारा दिए गए छोटे-बड़े सभी दायित्वों का पूर्ण मनोयोग से निर्वहन किया। 2007 के विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश की। तब पार्टी ने पूर्व प्रत्याशी बृजमोहन कोटवाल जी को टिकट देकर मुझे आश्वासन दिया। पुनः 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के बाहर के किसी अन्य को टिकट दिया गया। मुझे फिर आश्वासन मिला। 2017 में भी मुझे टिकट नहीं मिला। फिर भी संगठन के निर्देश पर पार्टी प्रत्याशी के लिए पूरा कार्य किया। इस बार मुझे पार्टी नेतृत्व पर भरोसा है। पार्टी क्षेत्रीय सर्वेक्षण के आधार पर मुझे मौका देगी।
राजकुमार पोरी, पूर्व जिलाध्यक्ष, भाजपा

 

सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षा का है। पौड़ी को एक अच्छा एजुकेशन हब बनना चाहिए था लेकिन वर्तमान सरकार ने इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जिसके परिणामस्वरूप यहां के विद्यार्थी इंटर की पढ़ाई के बाद पलायन कर जाते हैं। पौड़ी विधानसभा के पिछले 5 वर्षों से ठप्प पड़े विकास को गति दी जाएगी। स्वरोजगार की ऐसी योजना लाने का प्रयास किया जाएगा जो कि धरातल पर व्यवहारिक रूप से लागू हो सके।
गौरव सागर, कांग्रेस नेता एवं टिकट दावेदार

 

 

 

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