बस दुर्घटना में अपनों को गंवा बैठी महिलाओं ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कहा कि भाग जाओ यहां से, वर्ना पत्थर मार देंगे। महिलाओं का यह आक्रोश यूं ही नहीं फूटा।
जब सरकार यह नहीं देखेगी की बसों में क्षमता से अधिक यात्री क्यों बैठ जाते हैं, पहाड़ी रूटों पर बसें क्यों नहीं हैं, सड़कें गड्ढ़ों में तब्दील क्यों हैं, तो जनता मुखिया का विरोध नहीं करेगी तो क्या पूजा करेगी? धुमाकोट बस दुर्घटना में शासन-प्रशासन और मीडिया पूरी तरह ड्राइवर को दोषी साबित करते रहे कि उसने बस में क्षमता से ज्यादा यात्री बिठाए, लेकिन असली वजह को सब दरकिनार करते रहे कि जब रूट पर बसें ही नहीं होंगी तो लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए एक ही बस में चढ़ेंगे। पहाड़ों में लोग इसी तरह जान हथेली पर रखकर यात्रा करते हैं, लेकिन कोई उनकी समस्या पर ध्यान नहीं देता। दुर्घटना का एक कारण खराब सड़क भी बताई जा रही है, क्या उस सड़क को ठीक करना ड्राइवर की जिम्मेदारी थी ?