उत्तराखंड में अब स्कूल खुलने शुरू हो रहे हैं, राज्य सरकार ने 10वी और 12वी क्लास के छात्र छात्राओं को स्कूल आने की अनुमति दे दी है, एक लंबे अर्से बाद स्कूल खुलने जा रहे हैं…..जिसको लेकर अभिभावक और मनोचिकित्सकों ने बच्चों के ब्यबहार में आने वाले बदलावों को लेकर चिंता जताई है ।
लम्बे इंतजार के बाद 10वी ओर 12वी क्लास के बच्चो के लिए स्कूल खुलने जा रहे हैं, हालांकि इसको लेकर सरकार ने कोविड 19 को लेकर दिशा निर्देश भी जारी किए हैं, लेकिन अभिभावकों की चिंता यह है की लब अर्से बाद जब स्कूल खुल रहे हैं तो बच्चों के ब्यबहार में कुछ बदलाव जरुर देखने को मिलेगा, क्योंकी लॉक डाउन से पहले बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप से दूर रहने को कहा जाता लेकिन पिछले कई महीनों में बच्चें लैपटॉप और मोबाइल से ही ऑन लाइन क्लॉस करते रहे हैं, इसके अलावा बच्चो को गेम, वेब सीरीज देखने की आदतें भी पड़ गयी, इसके अलावा बच्चों का रूटीन, क्लास टाइम जैसी समस्याओं के सामने आने का डर अभिभावकों को सता रहा है।
अभिवावक दिनेश जोशी का कहना है कि शिक्षकों के मुताबिक बच्चों को उनके रूटीन में वापस लाना थोड़ा कठिन है, जिसके लिये क्लास टाइम में बदलाव भी लाया जा सकता है, किन किन विषयो को कम समय मे ज्यादा पढ़ाया जा सकता है इस पर ध्यान देना अहम होगा, क्योंकी लॉक डाउन में ऑन लाइन एजुकेशन ने बच्चो के रूटीन में स्कूल के डर को बिल्कुल खत्म सा कर दिया है।
प्रोफेसर तनुजा मेलकानी कहती हैं कि कोविड 19 के चलते ऑन लाइन एजुकेशन में जिस तरीके से बच्चों ने लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल किया है उससे असल ज़िंदगी की हक़ीक़त उनसे दूर होती चली गयी है, मनोचिकित्सको के मुताबिक़ बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने जैसे आदतें ज्यादा आने लगी हैं, अभिभावकों की बातों को नजरअंदाज करना, ज्यादा देर तक सोना, मानसिक थकान जैसी समस्याएं बच्चों में सामने आने लगी हैं, इसलिये बच्चों के प्रति अभी तालमेल बिठाने और सही कॉउंसलिंग की जरूरत है, यदि यह नही किया गया तो बच्चों के प्रति आने वाले परिणाम गम्भीर होंगे ।
मनोचिकित्सक डॉक्टर नेहा शर्मा का मानना है कि अभी हम तकनीकी युग मे जी रहे हैं, जिससे बच्चों को अछूता नही रखा जा सकता है, लेकिन हकीकत है की लॉक डाउन में जिस तरह से बच्चों ने इंटरनेट, मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल किया उसका दुष्प्रभाव बच्चों की सेहत पर पड़ना स्वाभाविक है, जिसको देखते हुए स्कूल खुलने पर शिक्षक, अभिभावको और बच्चों के बीच समन्वय बनाने की आवश्यकता होगी नही तो बच्चों की मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।