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Uttarakhand

पानी-पानी हल्द्वानी

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी को तराई और भावर में विकास का प्रतीक कहा जाता है। यहां की चौड़ी और साफ-सुथरी सड़कों को बनाने का श्रेय पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश को जाता है। उन्होंने इस शहर के विकास में चार चांद लगा दिए थे। शायद ही कोई गली बची होगी जहां उन्होंने सड़क नहीं पहुंचाई। फिलहाल यह शहर बरसात के मौसम में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाता नजर आता है। सड़कों पर घुटनों तक पानी और इस पानी में अस्त-व्यस्त होता जन-जीवन शहर की तस्वीर बयां कर रहा है


स्व. इंदिरा हृदयेश ने मंत्री रहते कहा था कि ‘मेरी विधानसभा क्षेत्र की हर छोटी-छोटी गली में मैंने पक्की सड़क पहुंचा दी है। नैनीताल रोड राजधानी देहरादून की सड़कों से ज्यादा अच्छी है और यह उत्तराखण्ड की सबसे खूबसूरत सड़कों में शुमार होती है।’ मगर आज हालात बिल्कुल इसके उलट हैं। हल्द्वानी का कोई इलाका ऐसा नहीं हैं जो बरसात की मार झेल कर परेशानी का सबब न बना हो। लेकिन मेयर और विधायक आपसी छींटाकशी कर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर मढ़ने में पीछे नहीं हैं। इस आपसी रार पर अगर कोई पिस रहा है तो वह है हल्द्वानी का आम नागरिक जिसको व्यवस्था की नाकामी का खामियाजा हर बरसात में झेलना पड़ता है। यूं तो हल्द्वानी के लिए घोषणाओं की कमी नहीं है। विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हल्द्वानी के विकास के लिए घोषित दो हजार करोड़ के पैकेज के सब्जबाग हल्द्वानी की जनता को आजकल खूब दिखाए जा रहे हैं। सवाल है कि यह पैकेज का पैसा धरातल पर उतरेगा भी या फिर यह भी बरसात के पानी में डूब जाएगा?


हल्द्वानी में बरसात के समय सड़कों का जलमग्न हो जाने की समस्या नई नहीं है। सालों से यही हालात है। लेकिन इस समस्या का समाधान खोजने के बजाए जनप्रतिनिधि आपसी आरोप-प्रत्यारोप में उलझा कर एक -दूसरे के ऊपर दोषारोपण कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेना चाहते हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में अब जाकर मेयर डॉ जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला अधिकारियों के साथ जल निकासी के समाधान को खोजने की कोशिश कर रहे हैं इससे पता चलता है कि आपने इस ओर अभी तक ध्यान ही नहीं दिया था। बरसात का मौसम पहले भी आता रहा है और नगर निगम नालियों और नालों की सफाई कराने का बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन उसकी सारी आधी-अधूरी कवायदों की पोल एक बारिश की झड़ी खोल कर रख देती है। हल्द्वानी में नगर निगम क्षेत्र में बरेली रोड से लेकर काठगोदाम तक का कोई ऐसा इलाका नहीं है जिसने नगर निगम की काहिली के चलते बारिस का दंश न झेला हो। खास बात यह है कि मेयर को इन सब समस्याओं के पीछे विधायक का अतिक्रमण नजर आता है तो विधायक इसके लिए जिम्मेदार मेयर को बताते हैं लेकिन समाधान की बात कोई नहीं करता है। हल्द्वानी के इन हालातों के लिए नालियों और सड़कों पर अतिक्रमण विकास के लिए नियोजन की कमी जैसे कारक एक हद तक जिम्मेदार है, सरकार भले ही किसी की रही हों लेकिन वह शहर की इन मूलभूत समस्याओं के लिए संजीदा रही हो लगता नहीं है। जिस प्रकार बरसात के समय हल्द्वानी की सड़कें नहरों में तब्दील हो जाती हैं इसके लिए आपसी बदजुबानी से नहीं दीर्घकालीन योजनाओं के माध्यम से समाधान खोजने की दरकार है। अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों के आशियाने ढहाने वाला प्रशासन नालियों के ऊपर बने अतिक्रमणों को हटाने की जुर्रत नहीं कर पाता। शहर के मुख्य बाजारों में व्यापारियों द्वारा नालियों के ऊपर किए गए अतिक्रमण को हटाने की याद नगर निगम को कम ही आती है। नैनीताल रोड में वॉक-वे के पास से निकलने वाला नाला अतिक्रमण चलते अक्सर ओवर फ्लो हो जाता है लेकिन रसूखदार लोगों पर हाथ न डालने की अघोषित नीति का जनता खामियाजा भुगत रही है। शहर के अंदर सैलाब जैसे बने हालातों के बीच लगभग डेढ़ हजार घरों और दुकानों में पानी घुस गया। बद्रीपुरा के रहने वाले एक बुजुर्ग का कहना है ऐसे हालात उन्होंने अपने जीवन के नब्बे सालों में पहली बार देखे। नगर निगम की काहिली की कहानी बयां करने के लिए काफी है। हल्द्वानी की शान कही जाने वाली नैनीताल रोड के हालात देखकर लगता नहीं कि यह कभी अतीत में शानदार सड़क रही है।


जिस शहर की सड़क जो राष्ट्रीय राजमार्ग जैसी स्थिति रखती थी उसमें बड़े-बड़े गड्ढों को देखकर अंदाजा हो जाता है कि
आंतरिक मार्गों की हालात क्या होगी। मिनी स्टेडियम की रोड जहां नगर आयुक्त और कई अधिकारियों के आवास हैं, की हालात जलभराव के समय चिराग तले अंधेरा-सी हो जाती है।ं अंग्रेजों के समय बड़ी संख्या में बनी नहरें और गूलें, निकासी नाले शहर के ड्रेनेज सिस्टम, शहर को बसाते समय बनाए गए थे लेकिन शहर में बढ़ते निर्माणों और जनसंख्या के बढ़ते दबाव के चलते कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते शहर के लिए उचित नियोजन के अभाव के चलते सब अनियमित होता चला गया। बची-खुची कसर नहरों, नालों के ऊपर में सिंचाई विभाग की नहर पर अतिक्रमण कर उसका आस्तित्व ही खत्म कर दिया। नेता-अफसर गठजोड़ चलते हुए इन अतिक्रमणों पर नजर डालना प्रशासन भी उचित नहीं समझता। तीन घंटों की बारिश से हलकान हुए शहर के लोगों की चिंता है कि मानसून अपने पूरे शबाब पर होगा तो शहर के हालात क्या होंगे। मुख्य मार्गों में बरसात के दौरान डूबे चौपहिया-दोपहिया वाहन बताते हैं कि शहर के हालात क्या हैं। दिनों-दिन विस्तार लेते हल्द्वानी शहर और विस्तारित नगर निगम में सिर्फ वार्डों को बढ़ाकर नेताओं की महत्वाकांक्षाओं का पोषण और जनता सिर्फ टैक्स देने के लिए ही रह गई है।


शहर में अमृत योजना हो या गैस पाइप लाइन सभी के लिए खोदे गए गड्ढे लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। कुमाऊं का प्रवेश द्वार होने के नाते भी इस शहर पर जहां सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए थी वहां शहर के विकास को सरकार  अनदेखी कर रही है। शहर के विकास को मेरी पूजनीय माता जी ने चार चांद लगाए थे लेकिन अब भाजपा सरकार और नगर निगम ने इस चांद रूपी शहर में गंदगी के धब्बे लगा दिए है। शहर की बदहाली इस कदर है कि शहर में दो घंटे की बारिश
लोगों का रास्ता बंद कर देती है। नगर निगम और भाजपा के नेताओं की कारगुजारियां इस शहर को बदनुमा बनाने के दोषी है।


सुमित हृदयेश, विधायक हल्द्वानी

 

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