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Uttarakhand

जेल में पंचायत का ‘पंचनामा’

नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा बीते चार महीनों से दुग्ध संघ में कार्यरत एक महिला एवं उसकी पुत्री संग यौन दुराचार के आरोप चलते जेल में बंद हैं। एक गम्भीर अपराध के आरोपी बोरा को लेकिन अभी तक दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद से नहीं हटाया गया है। कारण एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री बताए जा रहे हैं जो अज्ञात कारणों चलते बोरा को खुला संरक्षण दे रहे हैं। बीते दिनों बोरा ने कोर्ट के आदेश के जरिए संघ की बैठक जेल में कराने के इंतजाम कर डाले। हालांकि उसकी सारी होशियारी मुख्यमंत्री धामी के कड़े तेवरों चलते धरी की धरी रह गई। बोरा की जेल में टांग टूट गई और दुग्ध संघ के अधिकारी भी बैठक वाले दिन बीमार पड़ गए। यह सब संयोग था या फिर कुछ और? इस पर कयासों का दौर जारी है। कारण चाहे कुछ भी रहे हों, सीएम धामी की सख्ताई रंग लाई और अब बोरा को दुग्ध संघ से हटाए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है

एक महिला से रेप और उसकी नाबालिग बेटी से दुराचार में पॉक्सो के आरोपी दुग्ध संघ नैनीताल के अध्यक्ष मुकेश बोरा पिछले चार महीनों से हल्द्वानी जेल में बंद हैं। प्रदेश में नगर निकाय चुनावों की गहमागहमी के दौरान मुकेश बोरा के मामले को भुला दिया गया। यहां तक कि अपने चुनावी एजेंडे में भाजपा नेताओं के अपराधिकरण को शामिल करने वाली कांग्रेस भी मुकेश बोरा प्रकरण को मुद्दा नहीं बना पाई। लेकिन निकाय चुनाव के बाद मुकेश बोरा के एक कारनामे ने प्रदेश में सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी हैं।

27 जनवरी, 2025
इस दिन पॉक्सो न्यायालय के विशेष न्यायाधीश सुधीर तोमर का एक आश्चार्यचकित कर देने वाला फैसला आया। जिसमें रेप और पॉक्सो आरोपी मुकेश बोरा को 3 जनवरी 2025 से 6 जनवरी 2025 के बीच जेल में ही बैठक करने की अनुमति दे दी गई। उत्तराखण्ड के इतिहास में यह पहला मामला है जिसमें एक आरोपी को जेल में ही भारी सुरक्षा के बीच बैठक करने की स्वीकृति न्यायालय द्वारा दी गई। 5 फरवरी 2025 के दिन हल्द्वानी जेल में मुकेश बोरा की अध्यक्षता में दुग्ध संघ की बैठक होनी तय हुई थी। इस बैठक के आयोजन का खर्चा नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं की ओर से उठाया जाना तय हुआ।

4 फरवरी 2025
दुग्ध संघ की बहुचर्चित बैठक के आयोजित होने से एक दिन पहले ही एक अप्रत्याशित घटना घट गई। बताया गया कि जेल में मुकेश बोरा गिर गया जिससे उसके पैर में चोट आ गई। इस घटना को कारण बताते हुए जेल में आयोजित होने वाली बैठक रद्द कर दी गई। इतना ही नहीं बैठक वाले दिन ही दुग्ध संघ के महाप्रबंधक भी यकायक बीमार पड़ गए। आखिर क्या वजह थी कि एक रेप और पॉक्सो के आरोपी को न्यायालय द्वारा जेल में ही बैठक करने की स्वीकृति दी गई जिस चलते यह मामला विवादों के केंद्र में आ गया? इस प्रकरण को सिलेसिलवार जानने के लिए इसकी तह में जाना जरूरी है।

20 जनवरी को न्यायालय में मुकेश बोरा ने दुग्ध संघ बैठक का एजेंडा तय करने के लिए अनुमति देने सम्बंधी याचिका कोर्ट में दायर की थी। जिसमें कहा गया कि दुग्ध संघ एक जनपद स्तरीय (आंचल ब्रांड) सहकारी संस्था है। जिसमें जनपद के लगभग उन्नीस हजार सदस्य ग्रामीण क्षेत्र के दुग्ध उत्पादक हैं। लाखों उपभोक्ताओं के जुड़ने से संस्था के संचालन हेतु निर्वाचित प्रबंध समति द्वारा सहकारी एक्ट 2004 के अनुसार नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। जिसमें नियमानुसार प्रति छह माह में प्रबंध समिति की बैठक होना नितांत आवश्यक है। अपनी अध्यक्षता में मुकेश बोरा ने प्रबंध समिति के जिन सदस्यों की बैठक आयोजित कराने की स्वीकृति मांगी थी उनमें सदस्य सचिव अनुराग शर्मा, प्रभारी प्रशासक संजय भाकुनी, कनिष्ठ लिपिक रश्मि धामी के नाम शामिल थे। पत्र में बोरा ने समय के साथ ही बैठक के लिए स्थान भी सुझाए थे।

अवैध था प्रार्थना पत्र
यहां यह भी बताना जरूरी है कि जिस कोऑपरेटिव नियमावली की आड़ लेकर मुकेश बोरा जेल में मीटिंग कराकर अपना सियासी रौब जमाना चाह रहे थे वह नियम सापेक्ष नहीं था। कोऑपरेटिव नियमावली के अनुसार अध्यक्ष के उपस्थित न होने पर कोई भी मेम्बर अध्यक्षता कर सकता है। इस हिसाब से देखें तो मुकेश बोरा का न्यायालय में दिया गया प्रार्थना पत्र अवैध था।

लालकुआं कोतवाल ने बताया सुरक्षा को खतरा
मुकेश बोरा द्वारा जेल में की जाने वाली बैठक को उस समय बल मिला जब लालकुआं कोतवाली प्रभारी दिनेश सिंह फर्त्याल ने पॉक्सो कोर्ट के समक्ष आख्या पेश की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि आरोपी बोरा को सार्वजनिक स्थान पर बैठक की अनुमति देने पर सुरक्षा को गम्भीर खतरा पैदा होने की आशंका है। साथ ही यह भी कहा कि मामले में दुग्ध संघ के कुछ कर्मचारी भी गवाह हैं जिस कारण आरोपी उन्हें प्रभावित कर सकता है। बताया जा रहा है कि पुलिस की इस आख्या के बाद न्यायालय ने जेल में बोर्ड बैठक की अनुमति दी थी।

सीएम की सख्ताई से थर्राया दुग्ध मंत्रालय
विधानसभा के बाद लोकसभा और फिर नगर निकाय चुनावों में मिली सफलता और फिर उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भाजपा के ब्रांड नेताओं में शुमार हो चुके हैं। मुख्यमंत्री दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान उत्तराखण्ड को देश का मॉडल राज्य बता रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के ही एक कैबिनेट मंत्री अपने चहेते मुकेश बोरा की सलाखों के पीछे मीटिंग का आयोजन करवाकर देवभूमि में एक अनैतिक परिपाटी की कोशिशों में जुटे थे। सूबे की छवि को चमकाने में लगे मुख्यमंत्री धामी जेल में पंचायत प्रकरण से असहज हुए बिना नहीं रह सके।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली में ही जब इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी गई तो वे नाराज हो उठे। उन्होंने इसके लिए नौकरशाही को दोषी मानते हुए विभागीय सचिव को जमकर फटकार लगाई। उक्त आईएएस ने छुट्टी पर होने की बात कहकर अपने आपको बचाने की पूरी कोशिश की। मुख्यमंत्री की सख्ताई से इसके बाद जो हुआ उससे सूबे की सियासत में हलचल मच गई है। फिलहाल ‘चोट की ओट’ में मुकेश बोरा की जेल में होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। लेकिन साथ ही उस कैबिनेट मंत्री की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं जो बोरा जैसे आरोपी नेताओं को शह देने के चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निशाने पर आ गए हैं।

बैठक स्थगित कराने को बोरा ने लिखा पत्र
इसे समय का चक्र ही कहा जाएगा कि कुछ समय पूर्व दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने बैठक आयोजित कराने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी तो वहीं कुछ दिन बाद उसी बैठक को निरस्त कराने की गुहार हल्द्वानी जेल से लगाई। जिसमें उसने लिखा कि ‘मैं गत् 4 फरवरी को जेल परिसर की सीढ़ी से फिसलकर गिर गया था। जिस कारण मेरी कमर एवं पैर आदि में चोट आने के कारण सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुझे अभी -अभी अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है लेकिन मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हूं। मेरी कमर में अत्यधिक दर्द होने के कारण होने वाली नैनीताल दुग्ध संघ की प्रबंध समिति की बैठक स्थगित की जाती है।’

चार माह से हैं जेल में बंद
नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष एवं भाजपा नेता मुकेश बोरा दुग्ध संघ में काम करने वाली एक महिला और उसकी बेटी से छेड़छाड़ एवं दुराचार के आरोप में चार महीने से हल्द्वानी जेल में बंद हैं। बोरा पर पॉक्सो सहित 376 जैसी संगीन धाराओं में केस दर्ज है। मुकदमा दर्ज होते ही बोरा फरार हो गया था। जिसे 24 दिन की फरारी के बाद गिरफ्तार किया गया था। तब से ही वह जेल में बंद हैं। उसकी सम्पत्ति भी कुर्क हो चुकी है। मामला सामने आते ही मुकेश बोरा को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन अभी तक भी उसका दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद पर बना रहना सवालों के घेरे में है।

अध्यक्ष पद पर लटकी तलवार
इस प्रकरण में नौकरशाही पर नाराज होने के बाद सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी अब एक्शन लेने की तैयारी में हैं। कहा जा रहा है कि जल्द ही मुकेश बोरा को दुग्ध संघ के अध्यक्ष पद से विदा किया जा सकता है। इससे बोरा को राजनीतिक शह दे रहे एक कैबिनेट मंत्री का कद भी बौना होने की चर्चा है।

बात अपनी-अपनी
मेरे क्षेत्र के बहुत से लोग दुग्ध उत्पादन में लगे हुए हैं। बहुत लोगों की शिकायत आ रही है कि दुग्ध संघ में मीटिंग न होने के कारण काफी कार्य अवरुद्ध हो रहे हैं। इसके मद्देनजर मीटिंग होनी जरूरी है। मीटिंग का स्थान जेल की बजाय दूसरा भी हो सकता है। 3 महीने के अंदर एक बैठक होनी जरूरी होती है लेकिन अब 6 महीने से ऊपर हो गए हैं। सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। अगर अध्यक्ष को हटाया जाना है तो इस पर सरकार अपने विवेक से निर्णय ले सकती है। यह कहीं भी नहीं लिखा है कि एक निर्वाचित मेम्बर को हटाया नहीं जा सकता है।
मोहन सिंह बिष्ट, विधायक, लालकुआं

दुग्ध संघ में अधिक से अधिक 6 महीने में एक मीटिंग का प्रावधान है। इस समयावधि के दौरान मीटिंग होना जरूरी होता है। लेकिन इसके लिए जरूरी नहीं है कि अध्यक्ष ही मीटिंग करें। इसलिए किसी और को भी बैठक लेने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अध्यक्ष को हटाने न हटाने के लिए मुझे स्पष्ट जानकारी नहीं है। इसके लिए एक्ट देखना होगा।
अनुराग शर्मा, महाप्रबंधक, दुग्ध उत्पादन संघ, लालकुआं

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