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Uttarakhand

भ्रष्टाचार की पंचायत

हरिद्वार जिला पंचायत घपले-घोटालों के लिए अक्सर चर्चाओं में रहती है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सविता चौधरी पर उनके कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच अभी भी चल रही है। अब भाजपा के महज 6 माह पुराने जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह उर्फ किरण चौट्टारी पर भी करोड़ों के गबन के आरोप लगे हैं। खानपुर विधायक उमेश कुमार ने जिला पंचायत की कमीशनबाजी को विधानसभा में उठाया तो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने वर्तमान अध्यक्ष पर 60 करोड़ के गबन का आरोप लगाकर सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे पर प्रश्न-चिन्ह लगा दिए हैं। हालांकि सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं

गंगा जी की पावन नगरी हरिद्वार एक बार फिर अपने कारनामों के चलते चर्चाओं में है। हरिद्वार के जिला पंचायत अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह उर्फ किरण चौधरी ने 60 करोड़ से भी अधिक का गबन किया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने सबूतों के साथ आरोप लगाए हैं कि अपने ही लोगों को अनैतिक फायदा पहुंचाने के लिए एक समाचार पत्र में बैकडेट में 353 टेंडर प्रकाशित कराए गएं जिनमें से 256 टेंडरों के जरिए अपने चेले-चपाटों को काम बांट कर बड़ा घोटाला किया गया। इनमें से एक भी टेंडर को पंचायत के बोर्ड से पास नहीं कराया गया जो कि पूरी तरह से निर्माण कार्य नियमावली का उल्लंघन है।

बोर्ड के गठन से पहले ही बना दिए इस्टीमेंट
वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों ने 18 अगस्त 2022 को शपथ ली थी और इसी दिन पहली बोर्ड बैठक हुई जिसमें 3 प्रस्ताव आए थे। पहले प्रस्ताव में सभी का स्वागत और परिचय हुआ। दूसरे प्रस्ताव में 15वें वित्त के लिए सभी सदस्यों से प्रस्ताव मांगे गए और तीसरे प्रस्ताव में आभार व्यक्त किया गया। लेकिन इस बैठक में किसी तरह के कोई प्रस्ताव पास नहीं हुए। इसके बाद बिना किसी बोर्ड बैठक में पास हुए 256 कार्यों के टेंडर पास कर दिए गए। बोर्ड बैठक में बिना प्रस्ताव पारित हुए कोई भी विकास कार्य नहीं कराया जा सकता। इसके बावजूद नियम विरुद्ध तरीके से टेंडर किए गए। समाचार पत्र में 353 निविदा प्रकाशित की गई जबकि आरटीआई के अनुसार स्वीकृत निविदाएं 256 हैं। इसी तरह जिला पंचायत अभियंता पत्र 17 अक्टूबर के बाद 34 कार्यों के अनुमोदन एवं स्वीकृति के प्रस्ताव की टिप्पणी के अनुसार यह कार्य जिला पंचायत की दूसरी बैठक 19 नवंबर में स्वीकृत होने थे जबकि ये बोर्ड बैठक से 3 दिन पूर्व ही 16 नवंबर को अखबार में प्रकाशित कर प्रस्ताव भी पारित कर दिए गए। आश्चर्यजनक यह है कि तब तक जिला पंचायत में किसी भी निर्माण समिति का गठन नहीं हुआ था। गौरतलब है कि निर्माण समिति की सिफारिशों के बाद ही कार्य समिति जिला पंचायत को प्रस्ताव प्रस्तुत करती है। आरोप है कि इस नियमावली के विरुद्ध कार्यों के टेंडर कर 60 करोड़ का घोटाला किया गया।

सवालों में जनता की मांग
एक प्रस्ताव में जिला पंचायत कार्यालय अध्यक्ष आवास की बाउंड्री वॉल और अपर मुख्य अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के कक्ष के सौन्दर्यकरण, रुड़की गेस्ट हाउस परिसर में कार्य और हरिद्वार जिला पंचायत कार्यालय में वुडन बेंडमिटन कोर्ट निर्माण आदि दर्शाए गए। जिन पर कुल 71 लाख रुपए खर्च किए गए। जिनमें अकेले अपर मुख्य अधिकारी ने ही अपने कार्यालय में 45 लाख रुपया खर्च किया। मजेदार बात यह है कि उक्त सभी कार्यों के प्रस्तावक जनता की मांग पर दर्शाया गया है। किस जनता की मांग पर उक्त कार्य हुए हैं इसका जवाब जिला पंचायत के पास नहीं है।

समाचार पत्र और विभाग की मिलीभगत

सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जिला पंचायत हरिद्वार द्वारा प्रकाशित निविदाओं को समाचार पत्र दैनिक ‘हॉक’ में 16 नवंबर 2022 को पृष्ठ संख्या-9 पर दर्शाया गया। लेकिन जब इसकी ऑफिसियल वेबसाइट से ई-पेपर डाउनलोड किया तो समाचार पत्र के पेज नंबर 9 पर जिला पंचायत का कोई भी टेंडर नोटिस ही प्रकाशित नहीं हुआ था। जिला पंचायत द्वारा तय तिथि 12 दिसंबर 2022 को मांगी गई निविदाओं के समय में परिवर्तन किया गया और उक्त निविदाएं 14 दिसंबर 2022 को आमंत्रित होने का संसोधन दैनिक ‘हॉक’ समाचार पत्र में 8 दिसंबर 2022 पेज संख्या-5 पर प्रकाशित होना दर्शाया गया। लेकिन ई-पेपर में देखने पर स्पष्ट हुआ है कि 8 दिसंबर के दैनिक ‘हॉक’ में ऐसा कोई विज्ञापन या कोई सूचना प्रकाशित नहीं हुई है।

इसी तरह 19 नवंबर 2022 को दूसरी बोर्ड बैठक हुई जिसमें वर्ष 2022-23 की कोई भी विकास कार्य योजनाओं के प्रस्ताव नहीं रखे गए। लेकिन इसके बाद भी जिला पंचायत में टेंडर करने की प्रक्रिया बराबर चलती रही। जिला पंचायत के द्वारा फिर से बोर्ड बैठक में कोई भी कार्य योजना प्रस्तावित हुए बिना दिनांक 19 दिसंबर 2022 को दैनिक ‘हॉक’ समाचार पत्र में 111 कार्य योजना प्रकाशित दिखाई गई। इसका पेज नंबर 7 जिस पर क्रम संख्या 57 से 82 तक के कार्य दिखाए गए हैं। लेकिन फिर से उक्त समाचार पत्र के ई-पेपर के पेज संख्या 7 की जांच की गई तो उस पेज पर किसी तरह की कोई भी निविदा प्रकाशित नहीं हुई। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह समाचार पत्र और जिला पंचायत की कोई मिलीभगत तो नहीं है?

जिला पंचायत की सदस्य विमलेश देवी, सरोज राकेश एवं सविता देवी सभी के प्रस्ताव 19 नवंबर 2022 के हैं। ये प्रस्ताव 29 नंवबर 2022 को जिला पंचायत कार्यालय को प्राप्त हुए लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि विभाग ने उक्त सभी सदस्यों के कार्य प्रथम बैठक 18 अक्टूबर 2022 में पारित दिखाकर 16 नवंबर 2022 के समाचार पत्र दैनिक ‘हॉक’ में प्रकाशित भी दिखा दिए। सवाल यह है कि जो निविदा समाचार पत्र में 16 नवंबर 2022 को ही प्रकाशित हो चुकी है तो उसके 13 दिन बाद मिलने वाले प्रस्ताव विभाग ने समय से पूर्व ही कैसे पास करा दिए? आखिर विभाग ने ऐसी कौन सी तरकीब इस्तेमाल की।

घर के सदस्यों को बनाया फर्जी प्रस्तावक

जिला पंचायत वार्ड संख्या-19 में सदस्य के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह उर्फ किरण चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने अपने पिता डॉ रामपाल सिंह, सगे ताऊं बीरबल सिंह, दूसरे सगे ताऊ साधू राम एवं सगे ताऊ के पुत्र महताब का नाम अवैध रूप से बोर्ड पर लिखवाया है। जबकि जिला पंचायत नियमावली यह है कि अध्यक्ष के परिजन सूचना अभिलेखों में किसी भी सूरत में कार्य के प्रस्तावक नहीं हो सकते। उधर, सूचना अधिकार अधिनियम से मिली सूचना के अनुसार इनके द्वारा कोई भी प्रस्ताव जिला पंचायत कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।

लाभ के पद पर नियुक्ति

19 नवंबर 2022 की दूसरी बोर्ड बैठक में मुकदमों की पैरवी के लिए पहले से नियुक्त अधिवक्ता तपन सिंह को हटाकर जिला पंचायत अध्यक्ष ने अचानक अपने भतीजे राहुल वर्मा जो कि वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार के अपर महाधिवक्ता के रूप में उच्चतम न्यायालय में कार्य कर रहे हैं, को नियुक्त कर दिया। दिल्ली से आकर जिला पंचायत के वादों की पैरवी करना व्यावहारिक रूप से ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। साथ ही पंचायती राज्य अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति पद पर रहते हुए अपने रिश्तेदार व पारिवारिक व्यक्ति को लाभ के पद पर नियुक्त नहीं कर सकते।

सती माता पर निर्माण कार्य का फर्जीवाड़ा

ब्लॉक रुड़की के ग्राम तांशीपुर मौजा सिमनौली में धार्मिक स्थान सती माता का टेंडर समाचार पत्र दैनिक ‘हॉक’ में क्रम संख्या-283 पर 16 नवंबर 2022 को दर्शाया गया है। जिसमें निर्माण कार्य पर कुल धनराशि 24 लाख 95 हजार दर्शाई गई है। इसके टेंडर 14 दिसंबर 2022 को आमंत्रित किए गए। जिनका वर्क ऑर्डर 17 दिसंबर 2022 को जारी किया गया। लेकिन स्थलीय निरीक्षण करने पर जो सच सामने आया उसके अनुसार मौके पर काफी निर्माण कार्य पूर्व में ही हो चुके थे। जिसका वीडियो और फोटोग्राफ दिनांक 17 दिसंबर 2022 (समय 14ः53 मिनट) साक्ष्य के रूप में मौजूद है।

90 ठेकेदारों के रजिस्ट्रेशन नए हुए

पूर्व में 166 ठेकेदारां का जिला पंचायत में पंजीकृत था। आरोप है कि पुराने ठेकेदारां को टेंडर न देकर अपने लोगों को दिए जा रहे हैं जिनमें नए रजिट्रेशन वाले 90 ठेकेदार शामिल हैं। जिनमें जिला पंचायत अध्यक्ष के नजदीकी और रिश्तेदार शिमल है। बताया जा रहा है कि सारा खेल इन्हीं नए ठेकेदारों को विकास कार्यों की उपलब्धता दिलाने का है। लोगों का कहना है कि जिला पंचायत की धनराशि को ठिकाने लगाने का यह नया खेल है। इसके तहत ही टेंडर गुप्त रूप से जारी किए गए।

जांच पर आंच
इस मामले में गढ़वाल कमिश्नर ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को 15 दिन में जांच के आदेश दिए थे। जिलाधिकारी ने सीडीओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई। जिसमें राजस्व रजिस्ट्रार और पीडब्ल्यूडी के अधिक्षण अभियंता भी शिमल है। इस मामले की शिकायत करने वाले विकास कुमार की मानें तो पंचायत नियमावली में यह स्पष्ट है कि जिलाधिकारी से नीचे के स्तर का अधिकारी इसकी जांच नहीं कर सकता है। लेकिन जिलाधिकारी ने इस नियम का उल्लंघन कर कमेटी बना दी है। जांच 15 दिन में पूरी होनी थी लेकिन एक माह बाद भी शिकायतकर्ता तक जांच अधिकारी बयान तक दर्ज कराने नहीं पहुंचे हैं। इस पर विशाल कुमार हाईकोर्ट की शरण में चले गए। हाईकोर्ट ने सरकार को इस संबंध में एक सप्ताह में रिपोर्ट जारी करने के आदेश दिए हैं।

 

बात अपनी-अपनी
इस मामले की जांच चल रही है। जल्द ही जांच पूरी हो जाएगी जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट हो पाएगा।
विनय शंकर पाण्डेय, जिलाधिकारी हरिद्वार

हमने कुछ भी नियम विरुद्ध नहीं किया है। जो कुछ किया है वह नियमों के तहत किया है। प्रदेश में धामी जी के नेतृत्व में जीरो टॉलरेंस की सरकार है जिसमें सब कुछ साफ हो जाएगा।
राजेंद्र सिंह उर्फ किरण चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष पंचायत हरिद्वार

केवल 6 महीने में ही जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की गंगा बहा दी गई है। जिसमें केवल अपने लोगों को ‘ठेके देने के लिए गुप्त रूप से ही टेंडर कर 60 करोड़ों का गबन कर दिया गया है। अखबार के फर्जी टेंडर निकाले गए।
सुभाष वर्मा, पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरिद्वार

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