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Uttarakhand

चौतरफा भितरघात भाजपा में हाहाकार

भितरघात हर चुनाव में होता है, चाहे वह ग्राम प्रधानी का हो विधानसभा का या लोकसभा का। इस बार उत्तराखण्ड में भी प्रत्याशी भितरघात से जूझते नजर आए। अपनों ने ही अपनों की लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि देखा जाए तो भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही भितरघात हुआ। लेकिन कांग्रेस से इसकी आवाज अभी तक नहीं आई है, जबकि भाजपा में भितरघात की आवाज सुनाई देने लगी हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस में भितरघात कम था। जिसका फायदा उसे इस चुनाव में मिल रहा है। कांग्रेस में टिकट बांटने से पहले गुटबाजी हावी रही। टिकट बंटने के पहले तक कहा जा रहा था कि कांग्रेसी आपस में ही लड कर पार्टी का नुकसान करेंगे। लेकिन जैसे ही टिकटों की घोषणा हुई कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने में व्यस्त हो गए। देखने में आया कि कांग्रेस के प्रत्याशियों को दूसरे को गिराने या उठाने में इतनी दिलचस्पी नहीं थी जितनी उन्हें अपनी सीट निकालने में रही। लेकिन वहीं दूसरी तरफ अभी चुनावी परिणाम आने में काफी समय है लेकिन इससे पहले ही भाजपा के अंदर भितरघात खुलकर सामने आने लगा है। भाजपा के कई प्रत्याशी अपनी ही पार्टी के नेताओं पर दगा करने का आरोप लगा रहे हैं। यहां तक की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक तक भितरघात के आरोपों से अछूते नहीं रहे हैं।

लक्सर से भाजपा प्रत्याशी संजय गुप्ता ने हरिद्वार के भाजपा प्रत्याशी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर दगा करने के आरोप लगाकर पार्टी की आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है। संजय गुप्ता ने अपने विधानसभा क्षेत्र लक्सर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शहजाद को मदन कौशिक का दोस्त बताया। साथ ही संजय ने कहा है कि मदन कौशिक ने पार्टी के साथ दगाबाजी कर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराने का काम किया है। संजय गुप्ता ने न केवल अपनी विधानसभा लक्सर बल्कि हरिद्वार ग्रामीण में भी स्वामी यतिस्वरानंद को मदन कौशिक द्वारा हराने की बात कही है। गुप्ता ने कहा है कि हरिद्वार ग्रामीण से मदन कौशिक ने अपने मामा के लड़के को आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा कर पार्टी प्रत्याशी स्वामी यतिस्वरानंद के लिए मुश्किलें पैदा की।

देखा जाए तो तराई में भितरघात का सामना भाजपा को कई सीटों पर करना पड़ा हैं। लेकिन इसमें काशीपुर विधानसभा सीट पहले नंबर पर है। यहां के निवर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा का आक्रोश सामने आया है। चीमा ने अपने ही पार्टी के कई नेताओं पर उनके साथ दगा करने के आरोप लगाए हैं। 14 फरवरी को मतदान होने के एक दिन बाद ही हरभजन सिंह चीमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं के द्वारा उनके पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा के साथ गद्दारी की गई है। उनका इशारा अपनी पार्टी के लगभग सभी नेताओं की ओर था। नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता शुरू से ही चुनाव में उनके साथ नहीं थे। साथ ही वह यह भी कहते नजर आए कि इसकी शिकायत उन्होंने भाजपा हाईकमान से कर दी है। जल्द ही ऐसे जयचंदो को वह सबक सिखाएंगे।

काशीपुर विधानसभा सीट को भाजपा अपनी जीती हुई सीटों में शूमार किए हुए थी। चुनाव होने से पहले ऐसा लग भी रहा था 4 बार से लगातार विधायक बनते आ रहे हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा को टिकट पार्टी ने इसी आधार पर दिया था। पार्टी के कई नेता यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। यहां तक कि पूर्व सांसद बलराज पासी ने भी टिकट के लिए खूब जोर आजमाइश की थी। लेकिन हरभजन सिंह चीमा के लिए दिल्ली से टिकट तय किया गया। इसका स्थानीय भाजपाइयों में अंदर ही अंदर विरोध पनप रहा था। भाजपा नेताओं का कहना था कि पिछले 20 साल से हरभजन सिंह चीमा इस सीट पर कब्जा जमाए हुए हैं। आने वाले 20 साल वह अपने बेटे के लिए आरक्षित करना चाहते हैं। ऐसे में उनके लिए सिर्फ पार्टी के लिए दरी बिछाना और पोस्टर लगाना ही रह गया है।

हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक सिंह चीमा का टिकट का विरोध करने वालों में सबसे आगे काशीपुर की मेयर ऊषा चौधरी रही। इसके बाद भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राम मेहरोत्रा भी अपनी नाराजगी प्रकट करते रहे। यहां तक कि दोनों नेता चुनाव में नहीं दिखाई दिए। मेहरोत्रा काशीपुर की बजाय जसपुर में डॉक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल को चुनाव लड़ाने में व्यस्त रहे। इस दौरान सुनने में यह भी आ रहा है कि काशीपुर में भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद्र सिंह को अंदर खाने समर्थन दिया। जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी से आगे निकल गए। यही नहीं बल्कि जो गगन काम्बोज भाजपा नेता हुआ करते थे। वह काशीपुर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इसके पीछे भी भाजपा के असंतुष्ट नेताओं का हाथ बताया जा रहा है। गगन को भाजपा से बसपा में ले जाने और टिकट दिलाने में भी इन्हीं असंतुष्टों ने भूमिका निभाई। बताया जा रहा है कि हरभजन सिंह चीमा स्थानीय भाजपा नेताओं को ज्यादा अहमियत नहीं देते थे। स्थानीय भाजपा नेता भी उनको इस बार चुनाव में आईना दिखाने के मूड में थे। इसके चलते ही वह सभी न्यूट्रल हो गए।

चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के निवर्तमान विधायक कैलाश गहतोड़ी ने भी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पार्टी के नेताओं पर भितरघात करने के आरोप लगा दिए हैं। कैलाश गहतोड़ी ने यहां तक कहा है कि उनके पास इस बात के एविडेंस है पार्टी के नेताओं ने उनके खिलाफ काम किया और कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए पार्टी के साथ दगा किया। गहतोड़ी ने कहा है कि वह इन सभी सबूतों को पार्टी फोरम के सामने रखेंगे। हालांकि भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी ने पार्टी के किसी भी नेता का नाम नहीं लिया। लेकिन उनका इशारा अपनी पार्टी के लगभग सभी नेताओं की ओर है। कैलाश गहतोड़ी के साथ भितरघात की संभावनाओं को तलाशने के लिए 5 साल पीछे जाना होगा। 5 साल पहले जब कैलाश गहतोड़ी को भाजपा ने टिकट दिया था तो पार्टी के लगभग सभी नेता उनके साथ मन से काम करते दिखाई दिए थे। इसके चलते ही कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमेश खर्कवाल को वह चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे थे।

बताया जाता है कि इसके बाद गहतोड़ी एक-एक करके भाजपा के नेताओं को ठिकाने लगाने लगे। जिसमें पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रहे गोविंद सामंत उर्फ गोपू, प्रकाश तिवारी, शंकर पांडे, दीपक पाठक, विमला सजवान, सुभाष बगोली आदि नेता रहे। कहा गया कि यह सभी नेता कहीं ना कहीं पार्टी के विधायक कैलाश गहतोड़ी की नीति चलते राजनीति में आगे नहीं बढ़ पाए। जानकारी के अनुसार पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोविंद सामंत उर्फ गोपू ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन वे पंचायत सदस्य तक विधायक गहतोड़ी की कूटनीति के चलते न बन सके। इसी तरह पार्टी के जिला अध्यक्ष दीपक पाठक, प्रकाश तिवारी और विमला सजवान भी गहतोड़ी की कूटनीति का शिकार हुए। उनके लिए सबसे ज्यादा बाधा खड़ी करने वाले कैलाश गहतोड़ी ही रहें। चंपावत के एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कैलाश गहतोड़ी ने जैसा बोया वैसा काटा भी है।

भाजपा के साथ सबसे बड़ी गद्दारी तो हरभजन सिंह चीमा ने की है। वह अपने आप को अकाली दल का नेता बताते रहे और टिकट भाजपा से लेते रहे। या तो उन्हें भाजपा में होना चाहिए था या अकाली दल में। और रही बात उनके चुनाव में ना दिखने की तो मैं बताना चाहता हूं कि जसपुर विधानसभा सीट पर मैं काम कर रहा था। वहा हमारी पार्टी चुनाव जीत रही है।
राम महरोत्रा, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा 

हम तो खुलेआम चीमा जी के बेटे के साथ थे। पार्टी के लिए दिन रात एक किए। फिर भी अगर हम पर गद्दारी के आरोप लगते हैं तो यह हमारे साथ नाइंसाफी है।
खिलेन्द्र चौधरी, वरिष्ठ भाजपा नेता

विधायक कैलाश गहतौडी के साथ हमने कोई दगाबाजी नहीं की। वह जिन एविडेंस को सामने लाने की बात कर रहे हैं उन्हें सामने लाऐं और तब आरोप लगाऐं। मैं पार्टी का सच्चा सेवक हूं। पिछले ढाई दशक से पार्टी का सिपाही बनकर सेवा कर रहा हूं। गद्दारी करना हमारा काम नहीं, हम वफादारी करते हैं।
गोविंद सावंत ‘गोपू’, पूर्व जिला पंचायत सदस्य, चंपावत

विधायक कैलाश गहतोड़ी ऐसे नेताओं के नाम उजागर करें जिन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया है। जिन एजेंट्स की बात वह कर रहे हैं वह भी सामने लाए। हमारी पार्टी कार्यवाही करेगी।
दीपक पाठक, जिलाध्यक्ष भाजपा चंपावत

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