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‘दि संडे पोस्ट’ के अंक 47 में पेपर लीक प्रकरण के आरोपी चंदन मनराल की अवैध अकूत संपत्तियों पर प्रशासन की हील हवाली की खबर छपी थी। ‘क्रशर में पिसता कानून’ शीर्षक से प्रकाशित इस समाचार में खुलासा किया गया था कि किस तरह प्रशासन ने देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका के उन आदेशों का दो माह बाद भी पालन नहीं किया जिनमें शिक्षा माफिया चंदन मनराल के स्टोन क्रशर सहित जमीन जायदाद को कुर्क करने के आदेश दिए गए थे। इस समाचार की बाबत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की गई थी। जिसमें उन्होंने मामले की जांच कराने और तत्काल कार्रवाई करने की बात कही थी। इसके बाद नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने चंदन मनराल के स्टोन क्रशर सहित 6 करोड़ की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दे दिए है। साथ ही रामनगर के तहसीलदार को इस संपत्ति का रिसीवर नियुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा प्रबंधन के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल को अधिकृत किया गया है।


देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका के आदेशों पर मनराल की जिन तीन श्रेणियों ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ में चल- अचल संपत्ति पर कार्रवाई होनी थीं उनमें ‘ए’ श्रेणी की सूची को छोड़कर ‘बी’ और ‘सी’ दोनों की श्रेणी की सूची में शामिल संपत्तियों पर कार्रवाई हो चुकी है। इनमें उसके वाहनों को जब्त किया जा चुका है जबकि बैंक में जमा धनराशि को फ्रीज किया गया है। लेकिन आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि मनराल के स्टोन क्रशर को सीज नहीं किया गया है। देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट सोनिका द्वारा तीनों श्रेणियों की सूची पर विशेष तौर पर कुर्की करने की कार्यवाही करने के आदेश देने के बाद भी आखिर प्रशासन किसके दबाव में है यह जांच का विषय है। नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल पर इस मामले को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं कि आखिर क्या वजह रही कि मनराल स्टोन क्रशर को जिलाधिकारी अभी तक कुर्क नहीं कर सके हैं। देहरादून की जिला मजिस्ट्रेट के आदेश होने के बाद भी नैनीताल जिलाधिकारी द्वारा न कोई प्रबंधक और न ही कोई रिसीवर नियुक्त किया गया। दोनों का काम स्टोन क्रशर को सीज करने के साथ ही कब्जा करके रखना था। अगर नियमों के तहत देखें तो जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा रामनगर के तहसीलदार को स्टोन क्रशर सील करने के आदेश दिए जाने थे। लेकिन अभी तक जिलाधिकारी कार्यालय से तहसीलदार के पास ऐसा कोई आदेश न आना मामले को संदेहास्पद बना रहा है।

गौरतलब है कि गत वर्ष सरकार के आदेश पर चंदन मनराल पर एसटीएफ जांच के आदेश किए गए थे। क्योंकि मनराल पर देहरादून में मामला दर्ज हुआ है। इसके चलते एसीटीएफ देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने निरीक्षक कुंदन सिंह राणा को जांच अधिकारी नियुक्त किया। राणा ने यह जांच 29 सितंबर 2022 को पूरी कर ली है। एसीटीएफ ने जांच रिपोर्ट में चंदन को वर्ष 2015 में हुई दारोगा भर्ती मामला सहित 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती तथा यूके ट्रिपल एससी स्नातक स्तरीय परीक्षा 2021 में आरोपी माना है। उसकी चल- अचल संपत्ति का ब्योरा जिला मजिस्ट्रेट देहरादून के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसमें चंदन की चल-अचल संपत्तियों की तीन श्रेणियां बनाई गईं जिनको ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ में निर्धारित किया गया। सूची ‘ए’ में चंदन तथा उसके परिजनों द्वारा खरीदी गई जमीनों का विवरण दिया गया है। इसी सूची में चंदन का रामनगर के सक्खनपुर स्थित मनराल स्टोन क्रशर का भी उल्लेख किया गया है। एसटीएफ ने इसकी कीमत चार करोड़ बताई है। इसके अलावा सूची ‘बी’ में चंदन के वाहनों का विवरण दिया गया है। जबकि सूची ‘सी’ में आधा दर्जन बैंकों में चंदन और उसके परिजनों के लेन-देन का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है।

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