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  •   भारती पाण्डे

भिकियासैंण में उपपा के दलित नेता जगदीश चंद्र की हत्या मामले पर अभी भी आंदोलन जारी है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारियां की है। लेकिन दूसरी तरफ सरकार के असंवेदनशील रवैया से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। इस मामले पर सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ 27 सितंबर को अल्मोड़ा में आंखें खोलो, चुप्पी तोड़ो रैली का आह्वान किया गया है। इसमें उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अलावा कई सामाजिक और राजनीतिक संगठन हिस्सा लेंगे।

उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने रैली के आयोजक संगठनों की ओर से जानकारी देते हुए बताया कि सरकार पुलिस प्रशासन को सूचना देने के बाद सुनियोजित रूप से की गई इस जघन्य हत्या के बावजूद प्रदेश के मुख्यमंत्री, क्षेत्रीय भाजपा विधायक, सांसदों की चुप्पी से यह संदेश गया है कि इस तरह के जातिवादी उन्मादी तत्वों को सरकार की ओर से छूट मिल रही है जो उत्तराखण्ड जैसे राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति है।

तिवारी ने कहा कि उत्तराखण्ड में दो बार उपपा से सल्ट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके जगदीश ने अंतरजातीय विवाह किया था जिसके बाद 1 सितंबर को जब वह हेलंग एकजुटता मंच द्वारा आहुत नैनीताल चलो रैली में भाग लेने भिक्यासैंण क्षेत्र से रवाना हुआ तो उसे रास्ते से अगवा कर यातना देकर मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटना के बाद उत्तराखण्ड के तमाम क्षेत्रों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है जगह-जगह धरने, विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस घटना को लेकर तमाम जन संगठन पीड़ित परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा देने, जगदीश की पत्नी गीता व बहन को सरकारी नौकरी देने, सुरक्षा देने में असफल रहे जिम्मेदार अधिकारियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में कार्यवाही करने की मांग की। जनता पर इस बात को लेकर भी रोष व्याप्त है कि 5 सितंबर को खुमाड़, सल्ट में मुख्यमंत्री, क्षेत्रीय सांसद और विधायक की उपस्थिति के बावजूद पीड़ित परिवार के लिए सहानुभूति के दो शब्द बोलने की आवश्यकता भी महसूस नहीं की गई।

याद रहे कि भिकियासैंण में 1 सितंबर को जगदीश चंद्र की निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह हत्या अंतरजातीय विवाह के विरोध में जगदीश चंद्र की पत्नी गीता के परिजनों के द्वारा की गई थी। जब आरोपी जगदीश चंद्र के शव को ठिकाने लगाने ले जा रहे थे तो पुलिस ने उन्हें शव के साथ वेन में गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद भी पुलिस ने कई गिरफ्तारी करने का दावा किया है। इस मामले में पुलिस की लापरवाही शुरू से ही सामने आ रही है। जगदीश चंद्र और अपनी सुरक्षा की बाबत गीता ने अल्मोड़ा जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपील की थी।

पुलिस और प्रशासन गीता के पत्र पर संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई करती तो शायद जगदीश चंद्र की जान नहीं जाती। जगदीश चंद्र की हत्या के बाद उनके गांव पनवाधोखन में 4 सितंबर को उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी सहित कई सामाजिक संगठनों के लोगों ने शोक सभा में पहुंचकर सरकार से इस मामले में न्याय दिलाने की मांग की थी। इसके बाद 11 सितंबर को भिकियासैंण में भी धरना-प्रदर्शन किए गए। इसके बाद भी उनकी मांग पर सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। फलस्वरूप अब 27 सितंबर को एक बार फिर अल्मोड़ा में जगदीश के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग के साथ ही आंखें खोलो चुप्पी तोड़ो रैली का आयोजन किया जाएगा।

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