उत्तराखण्ड एक ऐसा प्रदेश है जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां देश ही नहीं, बल्कि विदेशों के लोग भी पहाड़ों की सुंदर वादियों और यहां के वातावरण का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि एक सर्वे में साहसिक पर्यटन में उत्तराखण्ड ने गोवा और केरल को भी पीछे छोड़ दिया था। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ऋषिकेश को साहसिक पर्यटन की राजट्टानी पहले ही घोषित कर चुका है। साहसिक पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश में ऐसी कई नदियां हैं, जो उत्तराखण्ड को पर्यटन में नए आयाम दिला सकती हैं। अब तक गंगा को ही राफि्ंटग के लिए जाना जाता था। इसी कड़ी में महाकाली नदी (शारदा) का भी नाम जुड़ गया है। सूबे के सीएम पुष्कर सिंह ट्टामी अपने हाथों में पतवार थाम नदी की लहरों में नौकायन करने उतरे तो रोमांच के साथ ही रोजगार के नए द्वार खुलते नजर आए
नौ मार्च का दिन उत्तराखण्ड में एक ऐसी पहल के पदार्पण करने का दिन साबित हुआ जब रोमांच के साथ ही रोजगार के अवसरों का नया द्वार खुला। इस दिन प्रदेश के इतिहास में पहली बार हाथों में पतवार लिए स्वयं मुख्यमंत्री नदी में उतरे। यह पतवार नदी में नाव को आगे बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि सूबे के बेरोजगारों को रोजगार थमाने की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दिन टनकपुर में टनकपुर-जौलजीबी रोड स्थित चरण मंदिर से बूम तक महाकाली नदी (शारदा नदी) में लगभग 11 किमी ़की राफि्ंटग की। इसके साथ ही सीएम धामी ने यहां हॉट एयर बैलून एवं पैरा मोटर एडवेंचर एक्टिविटीज का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर धामी ने कहा कि ‘महाकाली नदी एवं टनकपुर क्षेत्र भारत के साथ ही पूरे विश्व के नक्शे में आए इसके लिए राज्य सरकार लगातार कार्यरत है। उन्होंने कहा कि साहसिक खेल को बढ़ावा देकर हम इस क्षेत्र को एक नई पहचान दिलवाना चाहते हैं। आगामी सितंबर माह में महाकाली नदी में नेशनल राफि्ंटग प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी भाग लेंगे। इसके लिए 50 लाख की धनराशि जारी की गई है।’ उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के नए उत्तराखंड के संकल्प में साहसिक पर्यटन प्राथमिकता में है। इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों पर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में टनकपुर क्षेत्र को भी राफि्ंटग से जोड़ने के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मां पूर्णागिरि
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु तीर्थ यात्रा के साथ साहसिक गतिविधियों का भी आनंद ले सकेंगे। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा। जिससे जिले एवं राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साहसिक गतिविधियों को लेकर उत्तराखण्ड सरकार कितनी संजीदा है इसे इससे समझा जा सकता है कि पर्यटन विभाग उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद में साहसिक खेलों के लिए अलग विंग की स्थापना करने की योजना बना रहा है। इसके लिए अलग मुख्य अधिशासी अधिकारी (सीईओ) की तैनाती की जाएगी, जो पूर्ण रूप से साहसिक खेलों से संबंधित कार्य देखेंगे। साहसिक खेलों का अलग से निदेशालय बनाया जाएगा। योजना तो यहां तक है कि गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग निदेशकों की तैनाती की जाएगी और हर जिले में साहसिक खेल विकास अधिकारी तैनात होंगे। विभाग की मंशा फिलहाल इस विंग में 96 पद सृजित करने की है।
उत्तराखण्ड में साहसिक खेल बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। यहां बंजी जंपिंग, साइकिलिंग टूर, पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, स्कीइंग जैसे जमीनी साहसिक खेलों के साथ ही पैराग्लाइडिंग, हैंड ग्लाइडिंग और पैरा मोटरिंग जैसे एयरो स्पोर्ट्स केंद्र तेजी से खुल रहे हैं। जबकि राफि्ंटग के साथ ही कयाकिंग जैसे साहसिक खेल युवाओं के बीच में सबसे लोकप्रिय हैं। सबसे अधिक युवा पर्यटक इसी के लिए उत्तराखण्ड भी आते हैं। साहसिक खेलों में पर्यटकों की बढ़ती संख्या और युवाओं को मिल रहे रोजगार को देखते हुए धामी सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। सरकार ने पैराग्लाइडिंग अकादमी की स्थापना भी जल्द ही शुरू करने के आदेश दिए हैं। पर्यटन मंत्रालय का दावा है कि एक वर्ष के भीतर अकादमी शुरू हो जाएगी।
साहसिक खेलों में नयार घाटी का नया नाम शुमार हो चुका है। कोटद्वार- लैंसडौन- सतपुली- पौड़ी के 105 किलोमीटर पैच में पर्यटकों की आमदरफ्त होने से नयार घाटी का इलाका उत्तराखण्ड का एक नया पर्यटक स्थल बन गया है। जिस तरह से हिमाचल प्रदेश का बीरबिलिंग क्षेत्र पैराग्लाइडिंग और पैरामोटर ग्लाइडर के लिए सबसे बड़ा क्षेत्र माना जाता है उसी तरह से अब नयार घाटी के बिलखेत को भी साहसिक पर्यटन क्षेत्र के नाम से जाना जा सकता है। नयार घाटी इस साहसिक पर्यटन के लिए बहुत बेहतर मानी गई है। हजारों फीट की ऊंचाई से नयार घाटी का रोमांचक दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। नयार घाटी साहसिक महोत्सव की सफलता से ही इस उपेक्षित इलाके में एक नया पर्यटक सर्किट विकसित हो चूका है। देखा जाए तो अब से पहले उत्तराखण्ड में भीमताल, नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश में ही पैराग्लाइडिंग की जाती थी लेकिन पौड़ी गढ़वाल की नयार घाटी में पहली बार इस रोमांचक खेल को शुरू किया गया है। जिसके लिए लाइसेंस भी जारी किए गए हैं। इसका उद्घाटन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा 2 फरवरी को किया गया। उधर, नयार घाटी साहसिक खेल महोत्सव से उत्साहित द कैम्प गोल्डन महाशीर के संयोजक रतन सिंह असवाल का कहना है कि इस आयोजन से पर्यटकों के लिए एक नई खिड़की खुलेगी तो रोजगार के नए द्वार बनेंगे। साहसिक खेलों में औली भी चिर परिचित नाम है। यह स्थल देश ही नहीं विदेश के भी प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल में हर साल औली में विंटर गेम्स का आयोजन किया जाता है। हालांकि इस बार कम बर्फ गिरने के चलते फरवरी में होने वाले स्कीइंग गेम्स नहीं हो सके हैं।
साहसिक खेलों खासकर राफि्ंटग के लिए ऋषिकेश का एरिया पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि देशभर में साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में किए गए सर्वे में उत्तराखण्ड ने गोवा और केरल को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था। 2018 को भारत सरकार ने एडवेंचर टूरिज्म ईयर घोषित किया था और देशभर में किए गए सर्वे में ऋषिकेश को साहसिक खेलों की राजधानी के रूप में सबसे ज्यादा वोट हासिल हुए थे। एडवेंचर प्रेमियों की पसंद के मामले में गोवा दूसरे, जबकि केरल तीसरे स्थान पर रहा था। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने तीर्थ नगरी ऋषिकेश को साहसिक पर्यटन की राजधानी घोषित किया, जो प्रदेश के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। 1980 के दशक में कुछ राफि्ंटग एक्सपर्ट्स ने गंगा की लहरों पर राफि्ंटग की शुरुआत की थी। गंगा नदी के रैपिड और जलभराव के कारण धीरे-धीरे यह क्षेत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया। वर्तमान की बात करें तो राफि्ंटग की करीब 312 कंपनियां ऋषिकेश में कौडियाला जोन में संचालित हो रही है। जिससे प्रदेश को राजस्व के साथ ही स्थानीय लोगां को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है।
हालांकि 23 जून 2018 को हाईकोर्ट नैनीताल ने प्रदेश के साहसिक खेलों पर रोक लगा दी थी। तब न्यायालय ने सरकार को साहसिक खेलों की नई नीति बनाने के आदेश दिए थे। उस समय इस कारोबार से जुड़े लोगों को बड़ा झटका लगा था। रिवर राफि्ंटग करवाने वाली एजेंसियों के एक संगठन ‘उत्तरांचल फाइनेस्ट आउटडोर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह रावत की माने तो उत्तराखंड में राफि्ंटग नियमों के अनुसार ही होती है। उत्तराखंड में रिवर राफि्ंटग को लेकर पहले से ही एक नीति बनी थी और उसके आधार पर ही एजेंसियां, प्रशिक्षित और लाइसेंस धारक रिवर राफ्टर्स के निर्देशन में राफि्ंटग करवाती थीं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड बनने से पहले उत्तर प्रदेश सरकार के 1989 के जीओ के अनुसार राफि्ंटग होती थी और जब अलग राज्य बना तो उत्तराखण्ड सरकार ने अपनी नीति बनाई और वह 2014 में पास हुई। जिसका 2015 में संशोधन हुआ। इसके अनुसार ही राज्य में रिवर राफि्ंटग कराई जाती है। साथ ही रावत यह भी दावा करते हैं कि साहसिक खेलों ने उत्तराखण्ड में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाया है और पलायन को रोकने का काम किया है। वे कहते हैं कि ऋषिकेश के आस-पास 70 किमी ़के दायरे में पहाड़ के दूसरे इलाकों की तरह पलायन नहीं है क्योंकि लोगों को रिवर राफि्ंटग और दूसरे साहसिक खेलों के जरिए रोजगार मिला है। लेकिन अगर यह बंद हो गया तो लोग गांव छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। भीमताल पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष नितेश बिष्ट के अनुसार साहसिक खेल न ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है और न ही इसका कोई दूसरा नुकसान है। हम सारे मानकों को पूरा करते हैं। हमारे पास ‘ऐरो क्लब’ और जिला प्रशासन दोनों की ओर से जारी लाइसेंस है।