मशहूर गायिका लता मंगेशकर ने 27 जनवरी 1963 को दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में एक गीत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में सुनाया था। चीन से 1962 की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित इस गीत को सुनकर पंडित नेहरू भावुक हो रो पड़े थे। यह गीत आज भी देशवासियों के हृदय में राज करता है। लेकिन शायद उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इसे सुना नहीं है। गीत के बोल हैं ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी…’ लगता है कि त्रिवेंद्र रावत सरकार शहीदों को भूल चुकी है। इससे भी खराब बात यह है कि सरकार शहीदों के परिजनों को दिए गए दान पर कुंडली मारे बैठी है
सीमा पर राष्ट्र की रक्षा करने वाले सैनिकों के सम्मान के बड़े-बड़े दावे करने वाली प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत सरकार पुलवामा के शहीदों के परिवारों को आर्थिक मदद देने के लिए एकत्रित रकम पर कुंडली मारकर बैठ गई है, जबकि यह धनराशि शहीद सैनिकों के परिवारों और आंतकवादी घटनाओं में घायल सैनिकां के बेहतर उपचार के लिए सरकार को दी गई थी। एक अनुमान के मुताबिक अकेले उत्तराखण्ड से ही प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए मिले हैं, लेकिन सरकार द्वारा यह राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दी गई है।
सूचना के अधिकार के तहत पत्रकार ओमप्रकाश सती द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय से पुलवामा हमले में घायल और शहीद हुए सैनिकां के कल्याण के लिए सरकारी विभागों और अन्य संस्थाओं द्वारा दी गई धनराशि के बारे में जानकारी ली गई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। सूचना से यह साफ हो गया कि सरकार को शहीदों के लिए दान में मिली धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में अभी तक जमा है। यह धनराशि पुलवामा हमले में घायल और शहीद हुए सैनिकों के परिजनां की दी जानी थी।
सूचना से ज्ञात हुआ है कि प्रदेश के वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने पुलवामा की आंतकी घटना में शहीद और घायल हुए चालीस सैनिकों के कल्याण के लिए अपना एक दिन का वेतन देने का निर्णय किया। इस मद में वन विभाग ने 56 लाख 66 हजार 1 सौ रुपए का बैंक ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंपा था। वन विभाग के अलावा प्रदेश के कई अन्य सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों ने भी सैनिकों के लिए पुलवामा घटना में लाखों रुपए सरकार को दान में दिए गए थे।
स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उक्त धनराशि को सैनिकां के कल्याण में देने के बजाय मुख्यमंत्री राहत कोष के इलाहबाद बैंक गांधी रोड देहरादून के खाता संख्या 50482918950 में जमा कर दिया गया। तब से लेकर आज तक उक्त दान की धनराशि इसी बैंक खाते में ही पड़ी हुई है।

हैरत की बात यह है कि शहीदों के लिए दी गई रकम के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय यह नहीं बता पा रहा है कि कब तक यह राशि शहीदों और घायलां को दे दी जाएगी। जिस तरह से चार माह बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार इस मामले में सोयी हुई है उससे तो नहीं लगता कि दान में दी गई धनराशि को शहीदों के परिजनों तक पहुंचाने का सरकार का कोई इरादा है।
पुलवाला हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान शहीद मोहन लाल रतूड़ी को राज्य सरकार द्वारा तीस लाख रुपए जरूर दिए गए हैं, लेकिन जो रकम वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा अपने एक दिन के वेतन से काट कर दी गई थी उससे एक कौड़ी भी शहीद के परिवार को नहीं दी गई है, जबकि वन विभाग द्वारा पुलवामा हमले में शहीद हुए मोहनलाल रतूड़ी और अन्य घायलां को यह रकम दिए जाने के लिए दी गई थी।
पुलवामा हमले के बाद प्रदेश भर से सरकार को करोड़ां रुपए सैनिकों के कल्याण के लिए जुटाकर दिए गए हैं। गौरतलब है कि राज्य के पुलिस विभाग ने अपने कर्मचारियों के एक दिन के वेतन को पुलवामा शहीदों और घायलों के लिए दिया था। लेकिन यह राशि पुलिस विभाग द्वारा सीधे सैनिक कल्याण के लिए भेजी गई थी जबकि वन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री को 56 लाख 66 हजार का बैंक ड्राफ्ट सौंपा गया था। वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हांने अपने एक दिन का वेतन शहीदों के परिवार के लिए दिया न कि मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए। अब बात कोई भी हो, लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि सरकार शहीदों के लिए दी गई सहायता राशि पर भी डाका डालने से पीछे नहीं है।
पुलवाला हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान शहीद मोहन लाल रतूड़ी एवं शहीद वीरेंद्र कुमार के परिजनां को राज्य सरकार द्वारा तीस लाख रुपए जरूर दिए गए हैं। जानकारी मिली है कि दोनों शहीदों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए दिए गए हैं। लेकिन जो रकम वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा अपने एक दिन के वेतन से काट कर दी गई थी उससे एक कौड़ी भी शहीदों के परिवारों को नहीं दी गई है, जबकि वन विभाग द्वारा पुलवामा हमले में शहीद हुए मोहनलाल रतूड़ी और अन्य घायलों के लिए यह रकम दी गई थी। शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिजनों को कहना है कि 10 लाख और सैनिक कल्याण उत्तरकाशी से उनको दिए गए हैं। इस तरह से शहीद मोहन लाल रतूड़ी के परिजनों को सरकार 25 लाख रुपए दे चुकी है।
अपनी अपनी बात
हमने तो शहीदों के परिजनों के लिए धनराशि मुख्यमत्री जी को दी थी। अब सरकार ने वह धन कहां रखा, किसे दिया, यह तो सरकार ही बता सकती है।
जयराज सिंह, मुख्य वन संरक्षक
वन विभाग ने जो 56 लाख 66 हजार रुपए शहीदों के परिजनों के लिए दिए थे, वह उन्हें देने के बजाय मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिए गए। करोड़ों रुपए पुलवामा घटना के बाद प्रदेश सरकार को शहीदों के परिजनों के लिए दिए गए हैं। उनका सरकार ने क्या किया इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है। हमें जो जानकारी मिली है, उससे पता चल रहा है कि सरकार ने अभी तक शहीदां के लिए दी गई धनराशि शहीदों और घायल हुए सैनिकों के परिजनों तक नहीं पहुंचाई है।
ओमप्रकाश सती, आरटीआई कार्यकर्ता
जब कोई घटना होती है तो सरकार और मुख्यमंत्री शहीदों के परिजनों के पास जाकर कहते हैं कि सरकार आपके साथ खड़ी है। परंतु सरकार बाद में कैसे पलट जाती है, यह इस मामले से पता चल रहा है।
पी.सी. थपलियाल, महासचिव सैनिक एवं अर्द्ध सैनिक संयुक्त कल्याण संघ
हमको सरकार से एक बार पंद्रह लाख रुपए मिले हैं। उत्तरकाशी जिला सैनिक कल्याण से 10 लाख रुपए मिले हैं। मेरे बड़े लड़के के लिए सरकार ने बताया है कि नौकरी की फाइल चल रही है।
सरिता देवी, पत्नी शहीद मोहन लाल रतूड़ी
जो वादा सरकार ने किया था उस पर काम हो रहा है।
वैष्णवी, पुत्री शहीद मोहन लाल रतूड़ी