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Uttarakhand

गंगा पर अब टूटी सबकी नींद 

वर्ष 2016 में हरिद्वार के सर्वानंद घाट से हरकी पैड़ी मायापुर होते हुए कनखल दक्ष मंदिर तक बहने वाली गंगा की अविरल धारा को ‘स्कैप चैनल’ ‘नहर’ घोषित किए जाने पर गंगा सभा सहित हरिद्वार की अन्य सामाजिक संस्थाओं की चुप्पी को लेकर ‘दि संडे पोस्ट’ ने अपने पिछले अंक में विस्तृत समाचार प्रकाशित किया था। इस समाचार का बड़ा असर सामने आया है। ‘दि संडे पोस्ट’ में ‘गंगा पर गूंगी बनी श्री गंगा सभा’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद गंगा सभा सहित पुरोहित समाज और विश्व हिन्दू परिषद भी इस मुद्दे पर बैठक कर आंदोलन की बात करने लगे हैं। साथ ही यह भी सामने आ रहा है कि 2016 से गंगा को लेकर जारी विवादित शासनादेश को निरस्त कराये जाने के लिए स्थानीय पुरोहित समाज और गंगा सभा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के साथ विरोध के नाम पर सिर्फ फोटो खिंचवाने और उसको फेसबुक पर अपलोड करने में ही तेजी दिखाई, यही कारण है कि तमाम आश्वासनों के बावजूद 2016 में हरीश रावत सरकार द्वारा जारी किया गया स्कैप चैनल घोषित किए जाने संबंधी आदेश आज तक ज्यों का त्यों है। सवाल उठ रहा है कि 2021 में होने वाले कुंभ  मेले के शाही स्नान आखिर गंगा में होंगे या फिर स्कैप चैनल में?

गौरतलब है कि पूर्व में हरीश रावत सरकार ने शासनादेश जारी कर गंगा के उस स्थल को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था जिसको ब्रिटिश सरकार भी गंगा मानकर अपने कदम पीछे हटा चुकी थी, बताते चलें कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गंगा नदी एवं इसकी सहायक नदियों के मध्य से 200 मीटर तक के क्षेत्र को प्रतिबंधित जोन निर्धारित करते हुए तमाम तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगाई हुई थी। एनजीटी के इन आदेशों के चलते ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार में हरकी पैड़ी से मायापुर डाउन स्ट्रीम तक तमाम तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगने के कारण भू- माफियाओं में काफी बेचैनी का आलम बना हुआ था। समय- समय पर भू-माफिया या फिर यूं कहें कि एनजीटी के आदेश से प्रभावित कुछ सफेदपोश नेता राज्य सरकार पर एनजीटी के  आदेशों को निरस्त किए जाने का लगातार दबाव बनाते रहते थे। वर्ष 2016 में हरीश रावत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने धर्मनगरी में सक्रिय सफेदपोश, भू-माफियाओं के सामने घुटने टेकते हुए ब्रह्मकुण्ड हरकी पैडी के घाटों को छूकर बहती हुई धारा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया। उत्तराखण्ड शासन में तत्कालीन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने शासनादेश संख्या 1743/ल्.2/58(आ )14/2016 दिनांक 21 दिसंबर 2016 को  आदेश जारी करते हुए सर्वानंद घाट से शमशान घाट, डड़ी व हरकी पैड़ी से होते हुए डाम कोठी तक, डाम कोठी के पश्चात सती घाट कनाल होते हुए दक्ष मंदिर तक बहने वाले गंगा के  पौराणिक नाम और महत्व को बदलते हुए स्कैप चैनल घोषित कर दिया। जिस समय हरीश रावत सरकार द्वारा पौराणिक महत्व वाली हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड से होकर बहने वाली गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित किया उस समय पुरोहित समाज और गंगा सभा से जुड़े पदाधिकारियों की चुप्पी को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2017 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान पुरोहित समाज से जुड़े गंगा सभा के कुछ  पदाधिकारियों ने पुरोहित समाज को आश्वासन देते हुए यह विश्वास दिलाया था कि अगर समाज मदन कौशिक जो कि वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हैं, का चुनाव में समर्थन करेगा तो सरकार बनने पर तत्काल ही गंगा को स्कैप चैनल घोषित किए जाने वाला शासनादेश रद्द कराया जाएगा। उस समय पुरोहित समाज ने अपने पदाधिकारियों की बातों पर विश्वास करते हुए विधानसभा चुनाव में एक तरफा मदन कौशिक को समर्थन देकर भारी मतों से जिताया था, परंतु आज मदन कौशिक को कैबिनेट मंत्री बने 3 वर्ष होने के बाजवूद 2016 का शासनादेश निरस्त न होने से  पुरोहित समाज अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है। यही नहीं गंगा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर राजनीति कर रहे रानीपुर के विधायक आदेश चैहान शासनादेश निरस्त न होने पर अपनी नाकामी को देखते हुए मुंह छिपाते नजर आ रहे हंै, क्योंकि आदेश चैहान ने 24 मई 2018 को अपनी फेसबुक पर दावा किया था कि ‘गंगा दशहरा के पवित्र पर्व के अवसर पर आज तीर्थ पुरोहित समाज के प्रमुख जनों के साथ माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी से देहरादून में मुलाकात कर पूर्व में हरीश रावत सरकार द्वारा गंगा जी को स्कैप चैनल बताते हुए जारी किए गए शासनादेश को निरस्त करने की मांग की। माननीय मुख्यमंत्री जी ने सम्पूर्ण विषय को बहुत ही गंभीरता से सुनने के बाद कहा कि मां गंगा का स्वरूप पूर्व की भांति बना रहेगा।

माननीय मुख्यमत्री जी ने पूर्व में कांग्रेस सरकार के जारी शासनादेश को जल्द ही निरस्त करने के लिए आश्वस्त किया। माननीय मुख्यमंत्री जी से मेरे साथ भेंट करने वालों में श्री अशोक त्रिपाठी जी पूर्व अध्यक्ष गंगा सभा, श्री ओमप्रकाश शर्मा एडवोकेट पूर्व सभापति गंगा सभा, श्री विरेंद्र श्रीकंुज पूर्व महामंत्री गंगासभा, श्री शशीकांत वरिष्ठ (पार्षद), श्री अखिलेश शास्त्री जी, श्री अतुल वशिष्ठ जी’। 24 मई को आदेश चैहान द्वारा अपनी फेसबुक आईडी पर की गई पोस्ट के बाजवूद शासनादेश निरस्त न होने पर पुरोहित समाज से जुड़े आचार्य करूणेश मिश्रा ने 5 जुलाई 2018 को एक बार फिर विधायक आदेश चैहान सहित पुरोहित समाज से जुड़े कुछ लोगों और मुख्यमंत्री के साथ खिंचवाई गई एक फोटो अपनी फेसबुक आईडी से पोस्ट किया। जिसमें हरकी पैड़ी पर गंगा को स्कैप चैनल (नहर) घोषित किए जाने के शासनादेश को रद्द कराने के लिए समस्त गंगा भक्तों का प्रतिनिधत्व करते हुए विधायक आदेश चैहान और मेरे सहित श्री अशोक त्रिपाठी, श्री सुरेंद्र मारवाडी, श्री नंदकिशोर सरैये ने भी 5 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से सचिवालय देहरादून में सकारात्मक विस्तृत वार्ता की जिसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागीय सचिव को शासनादेश निरस्त करने के लिए तत्काल लिखित आदेश दिए। अब आतुरता से प्रतीक्षा है उक्त शासनादेश के निरस्तीकरण की सूचना समाचार पत्र में पढ़ने की।

आदेश चैहान द्वारा पुरोहित समाज के लोगों को साथ लेकर राजधानी के तमाम चक्कर लगाने के बावजूद आज तक शासनादेश निरस्त न होना राज्य में विधायकों की हैसियत को बयान करने के लिए काफी है। सवाल उठा रहा है कि जब सत्तारूढ़ दल के विधायकों की ही सुनवाई नहीं हो रही तो अन्य दलों के विधायकों का राज्य में क्या हाल है? विवादित शासनादेश निरस्त कराने को लेकर गंगा सभा और पुरोहित समाज में भी आपसी फूट साफ नजर आई। जहां एक ओर पुरोहितों का एक गुट आदेश चैहान के नेतृत्व में शासनादेश को निरस्त कराए जाने को लेकर राजधानी के चक्कर लगा रहा था तो वहीं मदन कौशिक से जुड़ा दूसरा गुट भी कुछ इसी प्रकार की भागदौड़ में लगा था, परंतु अफसोसनाक बात यह है कि दोनों गुट इस विरोध को फोटो खिंचवाने और फिर उनको फेसबुक पर पोस्ट करने तक ही सीमित होकर रह गये। जिस प्रकार आचार्य करूणेश मिश्रा ने विधायक आदेश चैहान और मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाकर फेसबुक पर अपलोड करते हुए लिखा कि अब तो इस विवादित शासनादेश के निरस्त होने की प्रतीक्षा है, तो उनकी प्रतीक्षा 2018 से आज तक बने रहना यह साबित करता है कि आपसी राजनीति में उलझे पुरोहित समाज में एक राय न होने का लाभ सीधा- सीधा राज्य सरकार उठा रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष हुए गंगा सभा के चुनाव से पूर्व एक गुट द्वारा गंगा सभा के पूर्व महामंत्री पं. राम कुमार मिश्रा को लपेटते हुए यह भी अफवाह उडाई कि मिश्रा द्वारा राज्य सरकार के साथ मिलकर अपने कुछ लोगों के होटल निर्माण को होने देने के लिए शासनादेश जारी कराया गया। जिसमें चुनाव के दौरान 2016 के शासनादेश को हथियार बनाकर पंडित राम कुमार मिश्रा पर किए गये राजनीतिक हमले का ही परिणाम था कि राम कुमार मिश्रा गुट को गंगा सभा के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं पंडित राम कुमार मिश्रा कहते है कि उनके विरोधी गुट द्वारा उनको बदनाम करने के उद्देश्य से उस शासनादेश को जारी कराने में मेरा हाथ बताकर चुनाव में पुरोहितों को बरगलाया गया जबकि सच्चाई यह है कि मैं आज तक भी बीजापुर गेस्ट हाउस नहीं गया। पुरोहित समाज में चल रही यही वह गुटबाजी है कि तमाम आश्वासनों के बावजूद आज तक 2016 का शासनादेश निरस्त नहीं हुआ और यही नहीं गंगासभा से जुड़े पदाधिकारी भी इस शासनादेश के विरोध को आंदोलन बनाने में असफल रहे। जिसके चलते मां गंगा, पतित पावन, पाप नाशिनी, मोक्ष दायनी जैसे नामों से पहचाने जाने वाली हरकी पैड़ी और ब्रह्मकुंड को छूकर निकल रही गंगा की अविरल धारा 2016 से सरकारी सिस्टम में स्कैप चैनल के रूप में अपनी पहचान बनाये हुए है। अब ‘दि संडे पोस्ट’ ने गंगा को उसका मूल नाम, और पहचान दिलाने के लिए बीड़ा उठाते हुए विस्तृत समाचार प्रकाशित किया। जिसके बाद अब गंगा आंदोलन से जुड़े पुरोहित समाज व अन्य सामाजिक संस्थाएं  कुंभ भकरर्णी नींद से जागती नजर आ रही है । 15/03/2020 को गंगा को नहर घोषित करने के खिलाफ विभिन्न संगठनों, विश्व हिंदू परिषद और पुरोहित समाज ने संघर्ष का ऐलान करते हुए कहा कि सीएम से मिलकर शासनादेश को रद्द करने की मांग करेंगे। आगामी कुंभ से पूर्व यदि शासनादेश अगले कुछ दिनों में निरस्त न हुआ तो विश्व हिंदू परिषद भी आंदोलन करेगी।

                                                                                                                                                 बात अपनी-अपनी
मुख्यमंत्री जी से उस समय इस संबंध में वार्ता हुई। गंगा सभा के पदाधिकारी भी उस समय मेरे साथ मुख्यमंत्री से मिलने गए थे जिस पर मुख्यमंत्री सैद्धांतिक रूप से सहमत भी थे। लेकिन उसके बाद फिर शायद हम लोग भी इस विषय को ज्यादा परसु नहीं कर पाए। क्यों शासनादेश निरस्त नहीं हुआ बता नहीं सकता, लेकिन अब मुख्यमंत्री जी से शीघ्र मिला जाएगा उस समय मुख्यमंत्री ने संबंधित सचिव को उसके बारे में आदेश दिए थे।
आदेश चैहान, विधायक रानीपुर
मई-जून 2020 में हरिद्वार कुंभ  जिला घोषित होने की पूरी संभावना है। इसलिए हम तत्काल सरकार से मांग करते हं कि गंगा को स्कैप चैनल घोषित किए जाने संबंधित शासनादेश को कुंभ  का इंतजार न करते हुए अविलम्ब निरस्त किया जाए।
पं. राम कुमार मिश्रा, पूर्व महामंत्री श्री गंगासभा हरिद्वार
वर्ष 2018 में हम दो बार रानीपुर के विधायक आदेश चैहान के नेतृत्व में देहरादून जाकर मुख्यमंत्री से इस शासनादेश को निरस्त किए जाने की मांग कर चुके है । एक बार तो मुख्यमंत्री द्वारा लिखित आश्वासन भी दिया गया, लेकिन अभी तक 2016 का शासनादेश निरस्त न होना राज्य सरकार के निकम्मेपन को दर्शाता है। इतना नकारा मुख्यमंत्री हमने नहीं देखा। अब तो यही इच्छा है कि जल्द से जल्द गंगा को उसका वही नाम मिले।
आचार्य करूणेश मिश्रा, हरिद्वार
गंगा को स्कैप चैनल घोषित करने वाले शासनादेश को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। इस संबंध में मैं खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिला था जिसमें मुख्यमंत्री ने जल्द ही 2016 के शासनादेश को निरस्त किए जाने का आश्वासन दिया था। लेकिन जब सरकार ही अपने आश्वासन पर खरी नहीं उतरेगी तो आखिर उम्मीद किस से रखी जाए। आज तक 2016 का शासनादेश निरस्त न होना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। अगर जल्द ही गंगा को स्कैप चैनल घोषित किए जाने वाले शासन आदेश को निरस्त न किया गया तो पुरोहित महासभा राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दे को उठाएगी
अविक्षित रमन, राष्ट्रीय प्रवक्ता तीर्थ पुरोहित महासभ

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