उत्तराखण्ड में 2022 का विधानसभा चुनाव भले ही डेढ़ वर्ष दूर हो, लेकिन भाजपा के भीतर चुनाव को लेकर अभी से कमर कसकर चुनावी मोड में आने का फरमान जारी कर दिया गया है। लगातार बैठकें करने और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर भाजपा 2022 के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। इसका ही असर रहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी, जबकि एक दिन पूर्व ही राज्य के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में अपने नेताओं औेर कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने के लिए थोक के भाव में मनोनयन पार्टी कर चुकी है।
प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत द्वारा अपनी नई कार्यकारिणी का गठन किया गया है जिसमें दोनों पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी और रमेश पोखरियाल ‘निंशक’ सहित सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के अलावा पूर्व विधायकों और मंत्रियों सहित कुल 21 स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। प्रदेश कार्यसमिती सदस्यों के तौर पर कुल 87 नेताओं को सदस्य बनाया गया है तो वहीं 28 लोगों को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर स्थान दिया गया है।
इसके साथ ही भाजपा महिला मोर्चा के पदाधिकारियों की भी सूची जारी कर दी गई है। यमकेश्वर विधायक ऋतु भूषण खण्डूड़ी को भाजपा महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष का दियत्व दिया गया है। एक कोषाध्यक्ष के अलावा महिला मोर्चा में छह प्रदेश उपाध्यक्ष और दो प्रदेश महामंत्री तथा छह प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं। प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं दो सह-मीडिया प्रभारी और एक सोशल मीडिया प्रभारी के तौर पर नियुक्ति दी गई है। साथ ही भाजपा के सभी सांगठनिक जिलों में 14 जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं।
इसी तरह से किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की भी घोषणा की गई है। किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौहान द्वारा अपनी कार्यकारिणी घोषित की गई है जिसमें छह प्रदेश उपाध्यक्ष, दो महामंत्री, छह प्रदेश मंत्री, एक कोषाध्यक्ष और एक मीडिया प्रभारी बनाया गया है। देहरादून महानगर के साथ ही सभी तेरह जिलों के अध्यक्षों की भी घोषणा कर दी गई है।
अनुसूचित जनजाति मोर्चा के सभी पदाधिकारियों की भी घोषणा कर दी गई है जिसमें सात प्रदेश उपाध्यक्ष, दो प्रदेश महामंत्री, सात प्रदेश मंत्री, एक कोषाध्यक्ष, एक प्रदेश कार्यालय प्रभारी, एक मीडिया प्रभारी और एक-एक गढ़वाल और कुमाऊं संयोजक तथा दो-दो सह संयोजक बनाए गए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों के जिलाध्यक्ष पदों के नामों की भी घोषणा कर दी गई है। ओबीसी मोर्चा के सभी पदाधिकारियों की भी घोषणा कर दी गई है। जिसमें सात प्रदेश उपाध्यक्ष, दो प्रदेश महामंत्री, सात प्रदेश मंत्री, एक कोषाध्यक्ष और एक प्रदेश कार्यालय प्रभारी, एक मीडिया प्रभारी, एक-एक गढ़वाल कुमाऊं संयोजक तथा दो-दो सह संयोजक बनाए गए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों के जिलाध्यक्ष पदां के नामों की भी घोषणा कर दी गई है। इस तरह से भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने अपनी नई कार्यकारिणी और टीम की घोषणा के साथ ही प्रदेश भाजपा के नेताओं को अपनी टीम में जगह दी है।
अचानक इस तरह से भाजपा अपनी सरकार के साढ़े तीन साल के लंबे अंतराल के बाद कार्यकर्ताओं पर इस कदर मेहरबान क्यों हुई है इसके पीछे भी कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। चर्चा है कि भाजपा संगठन ने प्रदेश में कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जिसमें यह निकल कर सामने आया है कि प्रदेश में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं में वैसा उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है जैसा एक सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं में होना चाहिए था।
प्रदेश भाजपा संगठन और सरकार को सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की रही कि सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद और एक माध्यम की भारी कमी बनी हुई है जिसको दूर करने के लिए संवाद की निरंतरता बेहद जरूरी मानी गई। इसी को देखते हुए भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार आने वाले समय में कई बड़े फैसले कर सकती है।
2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को कई चुनावों में उतरना पड़ा है। लोकसभा के अलावा निकाय ओैर पंचायत चुनावों में भी भाजपा संगठन पर जीत को लेकर भारी दबाब बना हुआ था। जिसमें पार्टी के हर कार्यकर्ता सभी मोर्चों पर भाजपा के साथ खड़े रहे। लेकिन चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं को सत्ता सुख में शामिल न करने से कार्यकर्ताओं में भारी निराशा और उदसीनता देखने को मिल रही थी। इन साढे़ तीन वर्ष के अंतराल में सरकार और संगठन में कई विवाद सामने आए जिसके चलते सरकार के कामकाज पर भी सवाल खड़े हुए। साथ ही सरकार ओैर खासतौर पर मुख्यमंत्री भी विपक्ष के निशाने पर आ गए।
हैरत की बात यह है कि विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री और सरकार के खिलाफ कई बार मोर्चा खोलने के बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विपक्ष के विरोध का प्रतिउत्तर उतना मुखर होकर नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री के महिला अध्यापिका के साथ हुए विवाद में भी सही देखने को मिला था। इसमें भाजपा कोई खास जबाब नहीं दे पाई। इस मामले में सरकार और मुख्यमंत्री की छवि को खासा नुकसान झेलना पड़ा था। इसी तरह से भाजपा कार्यालय में एक व्यापारी द्वारा आत्महत्या के मामले में भी कार्यकर्ता विपक्ष के सवालों का मजबूत जवाब नहीं दे पाए, जबकि पूरी सरकार और प्रवक्ताओं पर ही इस प्रकरण की काट करने की जिम्मेदारी शायद दी गई थी।
यही नहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अजय भट्ट द्वारा कई बार उनकी अलोचना होने पर भी भाजपा कार्यकर्ता विरोधियों को जवाब देने में उदासीन ही रहे। भट्ट के खिलाफ सोशल मीडिया में जबर्दस्त आलोचना हुई। बावजूद इसके कार्यकर्ता उनके पक्ष में कोई खास पहल नहीं कर पाए।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रंचड बहुमत और केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा का कार्यकर्ता अपने आप को प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा होने के बावजूद भी कहीं न कहीं सरकार और संगठन के पदाधिकारियों से संवादहीनता का शिकार ही रहा है। जो कार्यकर्ता किसी न किसी बड़े नेता के नजदीकी होने का लाभ सत्ता और संगठन में पद पाने में कामयाब रहे, लेकिन जिनको यह मौका नहीं मिला वे हताश होते चले गए। यही फीडबैक भाजपा संगठन को मिला और जिस पर अब भाजपा आने वाले समय में अनेक कार्यक्रम बनाने की बात कर रही है।
स्थानीय निकाय चुनावों के एक साल के बाद भाजपा नेताओं को निकायों में एडजेस्ट होने की उम्मीदें बढ़ गई थी। लेकिन इसमें देरी होने के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच निकायों में एडजेस्ट के मामले में खासी बेचैनी बनी हुई थी। सूत्रों की मानें तो भाजपा के कई नेता इस पर दबाव बनाने का काम भी लगातार करते जा रहे थे। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश संगठन ओैर सरकार द्वारा कार्यकर्ताओं में हताशा और निराशा का भाव चुनाव में कहीं कोई बड़ा फर्क पैदा न कर पाए इसके चलते थोक के भाव में कार्यकर्ताओं का मनोनयन निकायों में कर दिया गया।
भाजपा सूत्रां का कहना हे कि निकाय चुनावों में पहल की गई है औेर जल्द ही कई मोर्चों पर भी एडजेस्ट किया जाएगा जिसमें कार्यकारिणी सदस्यां की नियुक्तियां भी की जाने वाली हैं। सरकार के सभी मंत्रियों और दर्जा प्राप्त दायित्यवधारियों को अपने-अपने प्रभारी जिलों में बैठक करने, जिसमें सबसे पहले कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर संवाद स्थापित करने, इसके बाद सरकारी कामकाज की बैठक और फिर जनता से सीधे मिलने ओैर संवाद करने का फरमान जारी करने वाली है। जल्द ही प्रदेश भाजपा का नया रंग-रूप ओैर नया चुनावी क्लेवर देखने को मिल सकता है।