ऋषियों की तपस्थली ऋषिकेश की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। पत्रकारों ने मेयर पर मारपीट और बंधक बनाए जाने के आरोप लगाए तो विरोधियों को हमलावर होने का मौका मिल गया। दूसरी तरफ मेयर इसे अपनी छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र बता रही हैं
ऋषिकेश नगर निगम की मेयर पर पत्रकारों को अपने कार्यालय में बुलाकर बंधक बनाने औेर मारपीट करने के आरोप से ऋषिकेश की राजनीति गरमा गई है। जहां इस मामले को लेकर मेयर के विरोधी पत्रकारों के समर्थन में आ चुके हंै, तो वहीं मेयर इस मामले को उनकी छवि खराब करने का बड़ा षड्यंत्र बता रही हैं, जबकि मेयर पर मारपीट करने वाले पत्रकारों ने इस मामले को लेकर ऋषिकेश कोतवाली में मेयर और कुछ सभासदों के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करवाने की मांग की है। साथ ही इस मामले में मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से न्याय दिलवाने की मांग की गई है।
‘उत्तराखण्ड का आदित्य’ न्यूज पोर्टल के संपादक दुर्गेश मिश्रा ने ऋषिकेश कोतवाली में तहरीर दी है जिसमें लिखा गया है कि 12 अप्रैल को ऋषिकेश नगर निगम की मेयर अनिता ममगांई के कार्यकर्ता द्वारा उनको मेयर के कैम्प कार्यालय में बुलाया गया। वहां उनके और उनके सहायक पत्रकार रजत प्रताप सिंह के साथ मेयर और दो सभासदांे द्वारा मारपीट की गई और चार घंटे तक उनको बंधक बनाया गया। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि उनके पोर्टल में प्रकाशित एक खबर को लेकर उनके साथ मारपीट की गई है और दबाब बनाकर खबर को डिलीट करवाया गया। दरअसल, यह पूरा मामला ही खासा दिलचस्प है। ‘उत्तराखण्ड का आदित्य’ न्यूज पोर्टल द्वारा एक खबर प्रकाशित की गई जिसमें लिखा गया कि नगर की एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि के चिकित्सक पति द्वारा एक महिला मरीज के साथ छेड़खानी और अश्लील हरकत की गई। इस पर जनप्रतिनिधि ने उक्त पीड़ित महिला के घर जाकर उनके पांव पड़कर माफी मांगी और मामले को रफा-दफा किया गया।
इस खबर को सोशल मीडिया में जमकर फैलाया गया। ‘पर्वतजन’ डिजिटल न्यूज पोर्टल ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। मेयर अनिता ममगांई और उनके चिकित्सक पति का फोटो ‘पर्वतजन’ ने भी समाचार में प्रमुखता से प्रकाशित किया। ‘पर्वतजन’ की खबर के बाद मेयर अनिता ममगांई पर सवाल खड़े होने लगे। हालांकि कुछ समय के बाद ही ‘पर्वतजन’ पोर्टल ने इस खबर को अपने पोर्टल से हटा दिया। इसके बाद ही पूरा प्रकरण हुआ जिसमंे आरोप है कि पत्रकारों को मेयर ने अपने कैम्प कार्यालय में बुलाकर मारपीट की और चार घंटे से भी ज्यादा समय तक उन्हें बंधक बनाया गया। साथ ही समाचार को भी बेवसाइट से हटवाने का आदेश दिया। जिस पर पत्रकार दुर्गेश मिश्रा ने समाचार हटाया और खेद प्रकट किया। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें दुर्गेश मिश्रा मेयर के कैम्प कार्यालय में बेैठकर समाचार को प्रकाशित करने पर खेद प्रकट करते हुए माफी भी मांग रहे हैं। इस मामले में एक बात यह भी साफ हो गई है कि जिस कथित महिला मरीज के साथ चिकित्सक द्वारा अश्लील हरकतें करने की खबर चर्चाओं में रही है उसकी अभी तक न तो किसी तरह की पुष्टि हो पाई है और न ही उक्त महिला द्वारा पुलिस में किसी प्रकार की शिकायत की गई है। बावजूद इसके यह खबर ‘उत्तराखण्ड का आदित्य’ न्यूज पोर्टल में चलाई गई और इसी खबर को ‘पर्वतजन’ पोर्टल ने भी प्रकाशित ही नहीं किया, बल्कि साथ में मेयर और उनके पति का फोटो भी प्रकाशित कर दिया। यानी इस खबर का कोई पुख्ता प्रमाण न तो दुर्गेश मिश्रा के पास था और न ही ‘पर्वतजन’ के पास।
‘पवर्तजन’ पोर्टल ने कुछ ही समय बाद अपने पोर्टल से उक्त समाचार को हटा दिया। लेकिन दुर्गेश मिश्रा के पोर्टल पर यह खबर चलती ही रही। इसी खबर को आधार बनाकर सोशल मीडिया में जमकर मेयर के खिलाफ नाराजगी और उनकी निंदा होती रही। अब इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। इस मामले को भाजपा नेताओं की आपसी राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। मेयर अनिता ममगांई और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के बीच विगत दो सालों से भारी मतभेद और मनमुटाव को भी इस मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष मेयर के बीच राजनीतिक मतभेद को तब ज्यादा चर्चा मिली, जब मारपीट के अगले दिन दुर्गेश मिश्रा प्रेमचंद अग्रवाल के आवास में कुछ पत्रकार सथियों के साथ मामले में कार्यवाही करने को लेकर गए। इसके अलावा खबर को सोशल मीडिया में शेयर करने वाले भी अधिकतर अग्रवाल के समर्थक ही हैं।
मेयर अनिता ममगांई इस मामले में आरोप लगा रही हैं कि दुर्गेश मिश्रा ने ‘पर्वतजन’ पोर्टल को बताया कि यह खबर पूरी तरह से प्रमाणिक है और उनके ही द्वारा ‘पर्वतजन’ को खबर दी गई। विधायक द्वारा अपने आवास में दुर्गेश मिश्रा को लेकर पत्रकारों से वार्ता करवाई गई जिससे यह लग रहा है कि इस मामले में उनकी छवि को खराब करने का बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र किया गया है। अब पूरा मामला इस बात को लेकर बन गया है कि क्या एक खबर को प्रकाशित करने पर मेयर को यह अधिकार मिल गया है कि वह खबर लिखने वाले पत्रकारों को बंधक बनाकर मारपीट करें। हालांकि यह अभी दुर्गेश मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोप हंै जिस पर अभी कोतवाली ऋषिकेश जांच कर रही है। पुलिस जांच में सच सामने निकलकर आएगा। लेकिन इतना तो तय है कि इस मामले में मेयर की छवि का खासा नुकसान हो चुका है। साथ ही उन पर दबंगई करने का भी आरोप लग चुका है। अब देखना खासा दिलचस्प होगा कि भाजपा के सभासदों और मेयर पर क्या कार्यवाही होती है, जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
बात अपनी-अपनी
मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। दुर्गेश मिश्रा और उनके सहयोगी के साथ मेरे कैम्प कार्यालय में किसी प्रकार की मारपीट नहीं की गई है। मेरी छवि को खराब करने के लिए खबर चलाई गई और इस खबर को ‘पर्वतजन’ पोर्टल में भी चलवाया गया। मुझे ‘पर्वतजन’ पोर्टल के कोठारी ने स्वयं बताया है कि दुर्गेश मिश्रा ने ही उनको इस खबर को चलाने के लिए कहा है और यह भी कहा है कि उसके पास पूरे प्रमाण हैं। ‘पर्वतजन’ ने मेरी और मेरे पति की फोटो समाचार के साथ लगाई जिससे मेरी और मेरे परिवार की छवि को बहुत नुकसान पहुंचा है। ‘पर्वतजन’ ने इस खबर को पोर्टल से हटा दिया। लेकिन दुर्गेश मिश्रा ने नहीं हटाया। मैंने यह पूछने के लिए बुलाया था कि यह झूठी खबर क्यांे प्रकाशित की गई। दुर्गेश मिश्रा ने माफी मांगी और खबर को हटा दिया। लेकिन अब वह मारपीट के आरोप लगा रहा है। मैं इस पर कानूनी कार्यवाही करवाऊंगी। मेरी और मेरे परिवार की छवि को खराब करने वालों को मैं नहीं छोड़ने वाली।
अनिता ममगांई, मेयर ऋषिकेश
मैंने जो खबर लिखी उसमें किसी का नाम नहीं था तो मेयर को क्या परेशानी थी। इसका मतलब यही था कि हमारी खबर सही थी। मेयर ने मुझे और मेरे साथी को अपने कैम्प कार्यालय में बुलाया। मेरे साथ पुलिस के सामने जमकर मारपीट की गई। पुलिस भी मुझे मेयर और सभासदों की मारपीट से बचाने के बजाय कमरे से बाहर चली गई। मैं इस मामले में चुप नहीं बैठने वाला। अगर हमने खबर झूठी लिखी तो हमारे खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें। लेकिन मारपीट कर जबरन मेरा वीडियो बनवाया गया और कहा गया कि मैंने झूठी खबर पर माफी मांग ली है। मुझ पर समझौते का दबाब बनाया जा रहा है। हम इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री जी और डीजीपी से भी मिले हैं। हमें जांच करके दोषी के खिलाफ कार्यवाही करने का अश्वासन दिया गया है। अगर फिर भी कुछ नहीं होता है तो मैं इस मामले को लेकर न्यायालय में जाऊंगा चाहे इसके लिए मुझे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक क्यों न जाना पड़े। मैं अब पीछे नहीं हटने वाला।
दुर्गेश मिश्रा, संपादक ‘उत्तराखण्ड का आदित्य’