- जसपाल नेगी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित हैं। बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना, जननी सुरक्षा योजना, शुगर बीपी की जांच सहित सभी योजनाओं में 5200 कर्मचारी कार्यरत हैं। पिछली कोरोना महामारी में इन कर्मचारियों द्वारा कोरोना रोगियों की देखभाल, दवा वितरण, आइसोलेशन से लेकर टीकाकरण तक बेहतर कार्य किया था। लेकिन वर्तमान में ये कर्मचारी उपेक्षा के शिकार हैं।
एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी ने कहा कि प्रदेश में एनएचएम कर्मचारी वर्ष 2008 से कार्य कर रहे हैं परंतु उनकी स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई है। मिशन निदेशक से लिखित आश्वासन मिलने के बाद कभी भी उन्हें पूरा नहीं किया गया। वर्तमान में एनएचएम की आऊटसोर्स से नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार सरकारी खजाने से आऊटसोर्स एजेंसी को पैसा दे रही है, जबकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में आऊटसोर्स एजेंसी पर सरकारी खजाने को लुटाना न्याय संगत नहीं है। साथ ही कहा कि आऊटसोर्स से तैनात कर्मचारियों को वेतन वृद्धि और बोनस आदि लाभों से भी वंचित रखा जाता है जिससे कर्मचारियों को भी आर्थिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि जिला स्वास्थ्य समिति नियुक्तियां करने में समर्थ है।
अतः सभी नियुक्तियां आऊटसोर्स से नहीं बल्कि जिला स्वास्थ्य समिति से सीधे तौर पर की जानी चाहिए जिससे सरकारी खजाने और कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके। कर्मचारियों के हित में 60 वर्ष की उम्र तक विभाग में सेवा, ईपीएफ और हरियाणा और हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी ग्रेडवेतन की मांग की। गौरतलब है कि हरियाणा और हिमाचल राज्य में एनएचएम के तहत नियुक्त कर्मचारियों को ग्रेड वेतन दिया जा रहा है, साथ ही असम, बिहार में कर्मचारियों का नियमितिकरण किया जा चुका है। राजस्थान और कर्नाटक में इन कर्मचारियों के नियमितिकरण की प्रक्रिया गतिमान है। उत्तराखण्ड में भी पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी और वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत भी इन कर्मचारियों को 60 वर्ष सेवा और वेतन वृद्धि की घोषणा कर चुके हैं।
पिछले वर्ष राज्य स्थापना दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री द्वारा एनएचएम कर्मचारियों को 10000 प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी, परंतु एक वर्ष बाद भी इन कर्मचारियों को घोषणा का पैसा नहीं मिल पाया है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि इन कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण कितने समय में होता है।