राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जनता को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे कर्मियों में उत्तराखण्ड सरकार की नीतियों को लेकर जबर्दस्त असंतोष है। पौड़ी जिले में एनएचएम कर्मियों को शिकायत है कि राज्य सरकार की भेदभावपूर्ण नीति के चलते जहां उन्हें कोरोना वाॅरियर्स नहीं माना जा रहा है, वहीं वेतन वृद्धि और नियमितीकरण को लेकर भी उन्हें आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। एनएचएम कर्मियों ने मानदेय में वृद्धि किए जाने की मांग की है। इन कर्मियों का कहना है कि केंद्र सरकार के नियमानुसार सेवा के 3 व 5 वर्ष पूर्ण होने पर मानदेय वृद्धि का प्रावधान है, लेकिन राज्य प्रबंधन केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद मानेदय में वृद्धि नहीं कर रहा है। इन कर्मियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
जनपद पौड़ी के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों व सीएमओ कार्यालय में करीब 300 से अधिक एनएचएम कर्मी तैनात हैं। जो केंद्र सरकार की ओर से संचालित होने वाली स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष शरद रौतेला का कहना है कि केंद्र सरकार के नियमानुसार तीन वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर मानदेय में 10 फीसदी व पांच वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 15 फीसदी की वृद्धि की जाएगी।
लेकिन कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं दी जा रही है। इन कर्मियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान उन्होंने अन्य कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया है। बावजूद इसके सरकार उनकी अनदेखी कर रही है। जिससे इनके मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कर्मियों का कहना है कि यदि जल्द ही मानदेय में वृद्धि नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ आक्रोश जताने वाले एनएचएम कर्मियों में प्रदीप रावत, दीप सौरभ, निखिलेश रावत, कुलदीप नेगी, अनिल रावत आदि प्रमुख हैं।