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Uttarakhand

नई-पुरानी भाजपा में खिंची तलवारें

उत्तराखण्ड में भाजपा संगठन के भीतर जमकर गुटबाजी चल रही है। हालांकि पार्टी नेता प्रदर्शित कर रहे हैं कि कहीं भी कोई खेमेबाजी नहीं है, लेकिन संगठन के भीतर स्थिति यह है कि एक की जगह दो-दो भाजपा नजर आ रही हैं। इनमें से एक को पुरानी भाजपा तो दूसरी को नई भाजपा कहा जा रहा है। इन हालात की सबसे बड़ी वजह यह है कि एक तो भाजपा संगठन में पहले ही गुटबाजी थी ऊपर से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेताओं और कार्यकर्ताओं से और दिक्कत बढ़ी है।
भाजपा  के पुराने और कांग्रेस छोड़कर आए नए कार्यकर्ता एक-दूसरे को पचा नहीं पा रहे हैं। मार्च 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नौ विधायकों में जसपुर के तत्कालीन विधायक डॉ शैलेन्द्र मोहन सिंघल भी शामिल थे। लेकिन वे दो साल बाद भी भाजपा के विश्वासपात्रों की सूची में शामिल नहीं हो सके हैं। हाल में 5 जुलाई को जब ऊधमसिंह नगर के प्रभारी मंत्री मदन कौशिक पहली बार जनपद भ्रमण पर आए तो सिंघल एवं उनके समर्थकों के चलते मंत्री की जनसभा फेल हो गई।
प्रभारी मंत्री मदन कौशिक जैसे ही मंच पर जाकर बैठे तो जनसभा में मौजूद कुछ भजापा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। विरोध को देखकर मंत्री सकपका गए। लेकिन अगले ही पल वे समझ गए कि कार्यकर्ताओं का यह विरोध उनको लेकर नहीं, बल्कि उनके साथ ही मंच पर बैठे प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार रोहेला को लेकर है। नेता और कार्यकर्ता शोर मचाते हुए मंच के पास आ गए और विनय कुमार रोहेला पर भीतरघात का आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। काफी
कोशिशों के बाद जब स्थिति नहीं संभली तो मंत्री नाराज होकर कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इसके चलते कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। इस मामले में ऊधमसिंह नगर के जिलाध्यक्ष शिव कुमार अरोड़ा ने भाजपा के 16 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किए। यही नहीं, बल्कि मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया।
अनुशासनहीनता के आरोप में जिन 16 नेताओं और कार्यकर्ताओं को नोटिस दिए गए हैं वह सभी जसपुर के पूर्व विधायक डॉ ़ शैलेंद्र मोहन सिंघल के समर्थक बताए जाते हैं। इस प्रकरण से पार्टी में अंदरूनी राजनीति गरमा गई है। असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को पार्टी की कार्यवाही से बचाने के लिए दिल्ली और दून तक भागदौड़ जारी है। इसे बहुगुणा कैंप से जोड़ने की भी कोशिश की गई। इस मामले में प्रदेश आलाकमान गंभीर है यही वजह है कि गत सप्ताह काशीपुर में पार्टी कार्य समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई तो उसमें पूर्व विधायक डॉ ़ शैलेंद्र मोहन सिंघल को आने से मना कर दिया गया। बैठक में उनकी नो एंट्री का मामला खूब सुर्खियों में रहा।
जसपुर में भाजपा दो गुटों में विभाजित दिखती है। जिसमें एक को पुरानी भाजपा तो दूसरी को नई भाजपा कहा जा रहा है। पुरानी भाजपा का नेतृत्व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार रोहेला कर रहे हैं। जबकि नई भाजपा का नेतृत्व पूर्व विधायक डॉ शैलेंद्र मोहन सिंघल कर रहे हैं। सिंघल समर्थक विनय कुमार रोहेला के खिलाफ खुलकर आ गए हैं। यह खिलाफत गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद पनपी है। प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार रोहेला पर सिंघल के समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ भितरघात किया था। जिसके चलते वे चार हजार मतों से चुनाव हार गए। आरोप है कि विनय कुमार रोहेला ने अपनी पार्टी के प्रत्याशी डॉ शैलेंद्र मोहन सिंह के बजाए कांग्रेस प्रत्याशी आदेश चौहान (वर्तमान में विधायक) को अंदर खाने समर्थन दिया था।
गौरतलब है कि विनय कुमार रोहेला जसपुर से भाजपा के टिकट पर विधानसभा के प्रबल दावेदार रहे हैं। 2017 में उनका टिकट तय माना जा रहा था। लेकिन डॉ ़ शैलेंद्र मोहन सिंघल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रोहेला की बजाए  सिंघल को टिकट दे दिया। तब से दोनों नेताओं के बीच दूरियां बरकरार हैं।
जानकारों का कहना है कि जब से सिंघल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं तब से उनका राजनीतिक कैरियर ढलान की ओर है। जब वह कांग्रेस में थे तब उनके हॉस्पिटल में राजनीतिक महफिलें जमी रहती थी। हॉस्पिटल का एक हिस्सा मरीजों से तो दूसरा नेताओं से पटा रहता था। कांग्रेस पार्टी की हर बैठक सिंघल का हॉस्पिटल में ही होती थी। तब उनका सत्ता और संगठन पर एकछत्र राज चलता था। लेकिन उनके भाजपा ज्वाइन करने के बाद एक बार भी पार्टी संगठन की कोई बैठक उनके हॉस्पिटल में नहीं हुई। भाजपा का एक वर्ग नहीं चाहता कि डॉ सिंघल का पार्टी पर एकाधिकार हो।
दूसरी तरफ विनय कुमार रोहेला जसपुर विधानसभा क्षेत्र में काफी दिनों से सक्रिय हैं। वह वर्ष 2012 से यहां से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। रोहेला के बारे में बताया जाता है कि वह रुड़की निवासी हैं। उनका निवास दिल्ली में भी है। प्रदेश एवं केंद्रीय नेताओं से उनके अच्छे संपर्क हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में त्रिवेंद्र सरकार दायित्वों का बंटवारा करने जा रही है। जिसमें पूर्व विधायक सिंघल के बजाय रोहेला को दयित्व मिलने की चर्चा है। इससे जसपुर में  गुटबाजी के चरम पर पहुंचने की संभावना है। बताया जा रहा है कि रोहेला को अगर दायित्व दिया जाएगा तो भाजपा का एक नया गुट सामने आ सकता है। फिलहाल यहां अगामी नगर निकाय चुनाव में भी भाजपा के दो गुट आमने- सामने चुनाव लड़ते दिखाए देने लगे हैं। जिसमें एक गुट के प्रत्याशी अतुल अग्रवाल हैं तो दूसरे के तरुण गहलोत।

बात अपनी-अपनी

जसपुर प्रकरण में जांच चल रही है। मेरे पास अभी रिपोर्ट नहीं आई है। जैसे ही रिपोर्ट पेश की जाएगी तो फैसला सुनाया जाएगा। हमारे स्थानीय जिलाध्यक्ष इस मामले की जांच करा रहे हैं। बकायदा जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। मैं इतना ही जानता हूं कि ऊधमसिंह नगर के प्रभारी मंत्री के साथ अभ्रदता की गई थी। किसी सीनियर लीडर ने उन लोगों को रोकने का प्रयास नहीं किया जो कार्यक्रम में अनुशासनहीनता फैला रहे थे। फिलहाल हमने जसपुर के पूर्व विधायक डॉ शैलेंद्र मोहन सिंघल की पहली कार्यसमिति की बैठक में रोक लगाई है। इस मामले में आपको शिव प्रकाश जी से भी बात करनी चाहिए।
अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा 
मेरे समर्थकों ने कोई अनुशासन नहीं तोड़ा। यह उनका रोष था जो उन्होंने प्रभारी मंत्री होने के नाते मदन कौशिशक के सामने व्यक्त किया। मुझे काशीपुर कार्यसमिति में आने के लिए जिलाध्यक्ष ने फोन पर मना किया था। यह उनका मौखिक आदेश था। जिनका मैंने पालन किया। लेकिन कार्य समिति में मेरी एंट्री क्यों बैन की गई यह सवाल मैं वक्त आने पर हाईकमान से जरूर पूछूंगा।
डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल, पूर्व विधायक जसपुर
हमने अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को नोटिस भेज दिए हैं। उनका पक्ष भी सुन लिया गया है। जांच रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपी जाएगी हाईकमान के निर्देशों पर ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।
शिव कुमार अरोड़ा, भाजपा जिलाध्यक्ष ऊधमसिंह नगर

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