ब्याज में पैसा देकर कर्जदार का सब कुछ लूट लेने वाले सूदखोरों का आतंक इन दिनों उत्तराखण्ड के तराई में चरम पर है। खासकर तब जब भाजपा सरकार आम गरीब लोगों की जमीन हथियाने वाले बाहुबलियों और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करती है। राज्य के पुलिस प्रमुख ने सभी पुलिस थानों को सूदखोरी पर रोक लगाने के लिए पैसा, मनी लॉन्ड्रिंग और गुंडागर्दी समेत कई धाराओं के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पुलिस कप्तान के सख्त निर्देश के बाद भी बेलगाम सूदखोरों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर उनके इशारे पर ग्रामीण अंचलों में नंगा नाच हो रहा है। सूदखोर पैसे देने से पहले अक्सर कर्जदार से ब्लैंक चेक पर साइन करवा लेते हैं। कई बार वे जमीन भी लिखवा लेते हैं। वक्त पर पैसे न आने पर सूदखोर सामाजिक बेइज्जती करने और चेक बाउंस होने पर जेल भिजवाने की धमकी देते हैं। दबंगों से कर्जदार को धमकाया भी जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा में ऐसे ही एक पीड़ित कर्जदार ने सूदखोरों के आतंक से आजिज आकर मौत को गले लगा लिया
घटना – एक : वर्ष 2014 में रविंद्र नगर निवासी प्रहलाद ने महिला सूदखोर से कुछ रुपये ब्याज में लिए थे। सूदखोर के अपमान से बचने के लिए उसने फंदे से लटककर जान दे दी। उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट में लिखा था कि उसने कुछ माह पहले एक महिला सूदखोर से रुपये लिए थे। रुपये लौटाने के बाद भी महिला सूदखोर उससे और रुपये की मांग करने लगी। इसके लिए वह उसे जहां-तहां अपमानित करती थी।
घटना – दो : वर्ष 2015 में ट्रांजिट कैंप निवासी युवक ने सूदखोर से ब्याज में रुपये लिए थे। ब्याज न देने पर सूदखोर ने साथियों के साथ मिलकर गंगापुर रोड पर उस पर हमला कर दिया था। इससे वह घायल हो गया था। मामला पुलिस तक पहुंचा तो सूदखोर ने बचने के लिए युवक से समझौता कर मामला रफा- दफा कर दिया था।
घटना – तीन : अक्टूबर 2016 ट्रांजिट कैंप निवासी हरचरन ने सूदखोर से 25 हजार रुपये ब्याज में लिए थे। उसने ब्याज समेत नगदी लौटा दी थी। बावजूद इसके सूदखोर उस पर लगातार रुपयों के लिए दबाव डालते रहे। विरोध करने पर उन्होंने हरचरन से मारपीट कर दुकान में तोड़-फोड़ कर दी।
घटना – चार : वर्ष 2018 में लालपुर निवासी एक व्यापारी ने सूदखोर से लाखों की रकम ली थी। उसने रकम और ब्याज भी लौटा दी थी। बावजूद इसके सूदखोर पांच लाख रुपये बकाया होने की बात कहकर व्यापारी की कार उठा ले गया था। इस पर व्यापारी ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। यह देख परिजनों ने लोगों की मदद से उसे अस्पताल
पहुंचाकर उसकी जान बचाई थी।
घटना – पांच : 2019 में एक कारोबारी की पत्नी ने महिला सूदखोर से महज एक लाख रुपये का कर्ज लिया था। लगातार ढाई साल से ब्याज सहित किस्त देने के बाद भी कर्ज नहीं चुकाया जा सका। सूदखोर कोरे चेक के सहारे उसे दबाव में लेकर वसूली करती रही। कभी बाजार में बच्चे को रोका जाता तो कभी पति को रोककर पैसा नहीं देने पर बेइज्जती की जाती। इस पर उसे मजबूरन शहर छोड़कर जाना पड़ा।
उक्त पांचों घटना जनपद ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर की है। भले ही पुराने वक्त से चली आ रही सूदखोरी प्रथा को खत्म करने का दावा सरकार करती रही है। लेकिन सच तो यह है कि सूदखोर आज भी लोगों का खून चूस कर उनको मरने पर मजबूर कर रहे हैं। सूदखोरों के चंगुल में फंसकर लोग मेहनत की कमाई तो लुटा ही रहे हैं, साथ ही मारपीट और जलालत भी झेल रहे हैं। आलम यह है कि सूदखोरी से तंग आकर लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस की सुस्ती सूदखोरों का हौसला बढ़ा रही है। सूदखोरों से बड़ी संख्या में लोग कर्ज लेने के बाद प्रताड़ित हो रहे हैं। कर्जदार पर इतना अधिक ब्याज लग जाता है कि वह मूल रकम नहीं चुका पाता। इसका फायदा उठाकर सूदखोर जेवर, संपत्ति तक हड़प जाते हैं। कर्ज लेने की एक गलती कर्जदार को कंगाल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है और इसका दर्द कर्जदार के साथ ही परिवार को भी झेलना पड़ता है। रसूखदार सूदखोरों की शिकायत करने का साहस भी कर्जदार नहीं उठा पाता है। यही वजह है कि कई बार वह या शहर छोड़कर चला जाता है या आत्महत्या कर लेता है।
ताजा मामला उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा का है जहां सूदखोर के आतंक से परेशान होकर एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है। आत्महत्या करने वाले का नाम अकील था, जो खटीमा के इस्लाम नगर वार्ड नंबर 5 में रहता था। तीन जुलाई को अकील ने आत्महत्या की। आत्महत्या से पहले बनाए वीडियो में अकील कह रहा था कि कुछ लोगों से उसने 50 हजार रुपए उधार लिए थे, लेकिन उन लोगों ने प्रतिदिन 500 रुपए के हिसाब से ब्याज लगाकर उसे प्रताड़ित किया है। अकील ने सूदखोरों से कर्ज चुकाने के लिए कुछ समय भी मांगा था, लेकिन सूदखोरों ने समय देने के बजाए उसका उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। आखिर में परेशान होकर अकील ने आत्महत्या का रास्ता चुना। अकील ने वीडियो में अपनी बहन से माफी भी मांगी है। अकील ने कहा कि उसे अपने किए पर पछतावा है। अकील ने वीडियो के जरिए पुलिस और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की है कि इन सूदखोरों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में वे किसी और को इस तरह परेशान न कर सके।
कर्ज वसूलने के लिए सूदखोर किसी हद तक भी जा सकते है। रुद्रपुर में एक ब्याजखोर ने सारी हदें लांघ दीं थी। सूदखोर से न सिर्फ कर्जदार के कपड़े उतरवाए गए बल्कि प्रताड़ित करने के लिए नग्नावस्था में उससे नागिन डांस भी करवाया। उसके बाद भी सूदखोर का मन नहीं भरा, तो कर्जदार की बेरहमी से पिटाई भी की गई। यह मामला उस समय सामने आया था जब इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। शहर की पॉश कॉलोनी आवास विकास में रहने वाले चिराग अग्रवाल की करतूत 27 मार्च 2022 को वीडियो के सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद सामने आई थी। इस वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस एक्टिव हुई। इसी बीच पुलिस को तहरीर मिली कि अग्रवाल लोगों को 10 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देता है और कर्ज अदायगी न होने पर घनश्याम बाठला, मान ठाकुर, गोविंद ढाली, देवराय मंडल, सुब्रत मंडल की मदद से कर्जदार को बंधक बनाकर उसके साथ अमानवीयता करता था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी ब्याजखोर चिराग अग्रवाल उसके साथी गोविंद ढाली को पकड़कर जेल भेज दिया था।
उत्तराखण्ड के तराई में सूदखोरों का आतंक पिछले तीन दशकों से जारी है। यहां 90 का दशक काफी उथल-पुथल मचाने वाला था। यहां के बाहुबली सूदखोर और जमींदार गरीब मजदूरों और कामगार वर्ग के लोगों पर अत्याचार करते थे। कहीं पर जमीनें कब्जाते थे तो कहीं पर निर्बल लोगों की झोपड़ियों तक जलाई जाती थी। उन्हें बंधक बनाकर अपने फार्म हाउस पर रखा जाता था। जिन गरीब लोगों से ब्याज नहीं दिए जाते थे, उनसे जबरन वसूली की जाती थी। ऐसे में कई लोग आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो गए थे। तराई के इतिहास में 1996 के वर्ष को सूदखोरों के आतंक के तौर पर जाना जाता है। आतंक का पर्याय बन चुके ऐसे दबंग सूदखोरों के खिलाफ पहली बार एक आवाज उठी और वह आवाज मास्टर प्रताप सिंह (मास्साब) की थी जो तीन साल पहले इस दुनिया से अलविदा हो गए हैं। मास्टर प्रताप सिंह ने तब दिनेशपुर से लेकर शक्तिफार्म तक के सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाया था।
यही नहीं बल्कि खटीमा के जिस इस्लामनगर में अतीक अहमद ने आत्महत्या की वहां भी सूदखोरों के खिलाफ 20 साल पहले एक जन आंदोलन शुरू हो गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व बाबुद्दीन ने किया था। तब स्थिति यह थी कि आंदोलन कर रहे युवाओं ने सूदखोरों के बही खाते छीनकर आग के हवाले कर दिए थे। आज के हालात यह है कि अकेले इस्लामनगर में ही 8 से 10 सूदखोर है लेकिन उनके खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं है। इस्लामनगर की तरह ही अब पुरे तराई इलाके में इन बाहुबली सूदखोरों के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठती है। जिससे इनके हौसले बुलंद हैं। इसके चलते वे कर्जदारों पर अपनी मनमानी करते रहते हैं।
बताया जाता है कि सूदखोर रकम देने से पहले कोरे चेक व स्टांप पेपर में हस्ताक्षर करा लेते हैं। बाद में इन्हें वह शस्त्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं। किश्त मिलने में देरी या राशि मिलनी बंद हो जाती है तो वह चेक में अपने हिसाब से रकम भरकर बैंक में जमा कर उसे बाउंस कराकर कोर्ट में दायर करा देते हैं। साहूकारों की मिलीभगत कोर्ट के कर्मचारियों से रहती है। इसलिए उन्हें देरी नहीं होती। समय पर उनकी नोटिस तामील हो जाती है। बताया यह भी जाता है कि सूदखोरों की नजर जरूरतमंदों की प्रॉपर्टी पर होती है। जिनके पास कुछ संपत्ति रहती है तो उन्हें पहले उधार में रकम लेने के लिए विवश किया जाता हैं। इसकी एवज में उनका घर, मकान व खेत के कागजात रखकर उन्हें अपने नाम से कराने की कोशिश तक की जाती है।
सूदखोरों के चंगुल में फंस चुके लोग बताते हैं कि सूदखोर मनमर्जी का ब्याज वसूलते हैं। मनी लेंडिंग एक्ट के तहत तय से ज्यादा ब्याज नहीं लिया जा सकता है, साहूकारी विनियम अधिनियम- 2008 की धारा 12 के मुताबिक लाइसेंसधारी साहूकारी कर्ज दे सकते हैं। वह भी निर्धारित शर्तों और नियमों के मुताबिक। साहूकार अपने द्वारा दिए गए कर्ज पर वाणिज्यिक
(कमर्शियल) बैंक द्वारा निर्धारित दर से ब्याज ले सकता है। बिना लाइसेंस ब्याज पर कर्ज देना प्रतिबंधित है। इस पर धारा-22 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। अधिनियम की धारा-11 में कहा गया है कि गिरवी रखी गई वस्तु को साहूकार अमानत की तरह रखेगा। इकरारनामे में मूलधन का उल्लेख और रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज होना चाहिए। कर्जदार किस्त वापस करे तो एक गवाह के सामने साहूकार इसे लेकर रसीद देगा। बिना रजिस्ट्रेशन के साहूकारी करने या शर्तों का उल्लंघन करने पर छह माह तक की जेल और पांच हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकती हैं। एक्ट की धारा-23 में प्रावधान है कि कर्जदार का उत्पीड़न किया तो तीन माह की कैद या 500 रुपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकती हैं।