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Uttarakhand

आसमान जीतने को तैयार नयार घाटी

पैराग्लाइडिंग आकाश में खेले जाने वाले साहसी खेलों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय और कम कीमत वाला खेल है। हवाई जहाज से भी कम टिकट के पैसों में पर्यटक आसमान की ऊंचाइयों का आनंद ले सकते हैं। उत्तराखण्ड में पैराग्लाइडिंग पहले भीमताल, नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश में होती थी। लेकिन अब पौड़ी जिले की नयार घाटी में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। जहां से पर्यटक आसमान जीतने की तैयारी कर सकते हैं

उत्तराखण्ड प्रदेश में साहसिक खेलां के नाम पर पर्वतारोहण और रीवर राफ्टिंग तथा स्नोस्कींग को ही जाना जाता रहा है लेकिन अब उत्तराखण्ड के खाते में पैराग्लाइडिंग का भी नाम जुड़ गया है। उत्तराखण्ड में भीमताल, नैनीताल, मसूरी और ऋषिकेश में ही पैराग्लाइडिंग की जाती है लेकिन पौड़ी गढ़वाल की नयार घाटी में पहली बार इस रोमांचक खेल को शुरू किया गया है। जिसके लिए लाइसेंस भी जारी किए गए हैं। इसका उद्घाटन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा किया गया है। नयार घाटी में रंग-बिरंगे पैरासूट को साहसिक खेल का हिस्सा बनाने में रतन सिंह असवाल, अनिल बहुगुणा और अजय रावत की मेहनत रंग लाई। पौड़ी जिले के कल्जीखाल विकास खंड के अतंर्गत बिलखेत क्षेत्र प्रदेश का पैराग्लाइडिंग के लिए तैयार हो चुका है। जिसका विधिवत उद्घाटन विगत 2 फरवरी को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा किया गया। पैराग्लाइडिंग के अलावा हॉट एयर बैलून भी इस आयोजन में जोड़ा गया। राज्य के पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से पैराग्लाइडरों के रोमांचक साहसिक उड़ान का गवाह बना बिलखेत जल्द ही प्रदेश के साहसिक खेलों के स्थान में अपना नाम अंकित करने वाला है। यहां हुए आयेजन में जहां 18 पायलटों ने शिरकत की तो वहीं सीमा सुरक्षा बल ने भी अपने करतब दिखा कर दर्शकों को रोमांचित किया।

पराग्लाइडिंग का लुत्फ उठाते पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज संग जिलाधिकारी आशीष चौहान

पौड़ी जिले की नयार नदी घाटी साहसिक खेलो के लिए अब तैयार हो चुकी है जबकि इसकी नींव 2019 में ही रख दी गई थी जिसका श्रेय एक साहसिक पर्यटक और पर्वतारोही रतन सिंह असवाल को जाता है। जिनके निजी प्रयासां से यह शुरुआत हो सकी। राज्य का पर्यटन विभाग चार वर्ष तक इसके लिए कोई सिंह काम नहीं कर पाया था। जबकि इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के द्वारा इस क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र में लाए जाने के लिए योजना बनाने का आदेश भी दिया जा चुका था।

रतन सिंह असवाल के समक्ष इस खेल को लेकर कई चुनौतियां रहीं। जिसमें एक चुनौती अनुमति की थी। साहसिक खेलों के श्रेणी में होने के चलते इसके लिए अनुमति प्राप्त करने में कई मुश्किलें सामने आईं। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नयार घाटी को साहसिक खेलों से जोड़ने के लिए हरी झंडी दी थी। 2020 में ‘नयार घाटी पर्यटन महोत्सव’ का आयोजन भी किया गया था। जिसमें पैराग्लाइडिंग, पैरामोटर, ग्लाइडर, माउंटेन बाइकिंग और हॉट एयर बैलून को इस आयोजन में शामिल किया गया। दो दिवसीय आयोजन में प्रदेश में पर्यटन के इस नए स्वरूप को धरातल पर उतारे जाने के लिए त्रिवेंद्र रावत ने पैराग्लाइडिंग अकादमी खोले जाने की घोषणा की थी। साथ ही इसके लिए शासन और पर्यटन विभाग को कार्यवाही करने का आदेश भी दिया था।

पैराग्लाइडिंग कार्यक्रम को संबोधित करते पर्यटन मंत्र सतपाल महराज

प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते नेतृत्व परिवर्तन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री की योजनाओं को पूरा करने का प्रयास नई सरकार की प्राथमिकताओं से हट गया। यही नहीं बल्कि इस खेल की लाइसेंस प्रक्रिया पर काम नहीं किया गया। हैरत की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत अनेक बार इसके लिए अधिकारियों से बात भी करते रहे। लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी विजय जोगदंडे ने इस साहसिक खेल को अमल में लाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टा यह हुआ कि नयार घाटी के लिए लाखों की लागत से खरीदी गई पैरा मोटर ग्लाइडर को सीमा सुरक्षा बल को ही दे दिया गया।

इसके बाद इस क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग के भविष्य पर अनिश्चय के बादल दिखाई देने लगे तो रतन सिंह असवाल, पौड़ी के वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा और अजय रावत सामने आए। तीनों ने मिलकर फिर से इसके लिए जोर-शोर से प्रयास किए। जिस पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपनी सहमति जताते हुए इसे फिर से आरंभ करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई को पूरा करने का आदेश दिया। बाद में जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने भी व्यक्तिगत रूचि लेते हुए जिला पर्यटन विभाग को इसके लिए लाइसेंस प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए। आखिरकार तीन साल से लटकी लाइसेंस प्रक्रिया पूरी की गई। फिलहाल इसके लिए लाइसेंस जारी कर दिया गया है।

 

 

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पैराग्लाइडिंग अकादमी की स्थापना भी जल्द ही आरंभ करने के आदेश दिए हैं। मंत्री ने घोषणा की है कि एक वर्ष के भीतर अकादमी शुरू हो जाएगी।
जिस तरह से हिमाचल प्रदेश का बीरबिलिंग क्षेत्र पैराग्लाइडिंग और पैरामोटर ग्लाइडर के लिए सबसे बड़ा क्षेत्र माना जाता है उसी तरह से अब नयार घाटी के बिलखेत को भी साहसिक पर्यटन क्षेत्र के नाम से जाना जा सकता है। नयार घाटी इस साहसिक पर्यटन के लिए बहुत बेहतर मानी गई है। हजारां फीट की ऊंचाई से नयार घाटी का रोमांचक दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

 

बात अपनी-अपनी
नयार घाटी पैराग्लाइडिंग के लिए सबसे बेहतर है। अब इसके लिए सभी अड़चनें हटाई जा चुकी हैं। पैराग्लाइडिंग अकादमी का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके लिए मैंने आदेश दे दिए हैं। प्रदेश को पर्यटन प्रदेश के साथ-साथ साहसिक खेल प्रदेश बनाने के लिए पर्यटन विभाग हर तरह का प्रयास कर रहा है।
सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री

हमने यह काम 2019 में हिमाचल के पैराग्लाइडिंग के साथ मिलकर शुरू किया था। तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने इसके लिए गंभीर प्रयास किए और नीति बनाने के आदेश दिए। लेकिन तीन साल तक पर्यटन विभाग ने कोई काम नहीं किया। हमें खुशी है कि अब इस खेल के लिए सरकार और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने स्वयं पहल की है। अब इसके लिए हिमाचल और नेपाल जाने की जरूरत नहीं है। नयार घाटी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।
रतन सिंह असवाल, पर्यटन और मांडेन एक्सपलोर

हमारे लिए तो सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि अब पैराग्लाइडिंग के लिए सरकार ने सही और ठोस कदम उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पैराग्लाइडिंग एकेडमी की घोषणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए मंत्री सतपाल महाराज ने जिलाधिकारी को आदेश दिए हैं। यह इस क्षेत्र के लिए तो खुशी की बात है ही साथ ही नयार घाटी में साहसिक खेलों की गतिविधियों को पंख लगना निश्चित है।
अनिल बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार

इस क्षेत्र में साहसिक खेलों की असीम संभावना है। कई कंपनियां इस दिशा में काम करने के इच्छुक हैं। लेकिन इसके लिए आधारभूत ढांचे की आवश्यता है जो सरकार के सहयोग के बगैर नहीं हो सकता। अगर इस ओर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन को बहुत बढ़ावा मिल सकता है।
अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार एवं सदस्य, पलायन एक चिंतन

नयार घाटी पैराग्लाइडिंग संचालन के लिए सबसे बेहतर है। इस क्षेत्र में हवा का स्तर बहुत अच्छा है। आसानी से 100 किमी तक ग्लाइडिंग की जा सकती है। मेरा रिकॉर्ड हिमाचल में सात घंटे का रहा है। अभी मैंने नयार घाटी में 65 किमी की उड़ान भरी है। इस घाटी में केदारनाथ, बद्रीनाथ, हिमालय की ऊंची- ऊंची चोटियां हैं जो पैराग्लाइडिंग के लिए बहुत ही आकर्षक है। आने वाले समय में हम नयार घाटी में पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता भी आरंभ करेंगे। इस क्षेत्र के युवाओं के लिए यह नया खेल मील का पत्थर बनने वाला है।
हिमांशु गुप्ता, पैराग्लाइडिंग पायलट

 

 

 

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