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Uttarakhand

उत्तराखण्डियत को विस्तार देते नौटियाल दम्पत्ति

  •        संजय चौहान

नरेश नौटियाल और उनकी पत्नी लता नौटियाल ने रंवाई घाटी सहित उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग के 150 प्रकार के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई है। 15 प्रकार की राजमा 60 प्रकार की मोटी दालें, अखरोट, जख्या, साबुत मसाले, साबुत हल्दी, दाल से बनी हुई बड़ी, दाल की नाल बड़ी, सिलबटे का पीसा हुआ नमक, लाल चावल, मंडुवा, झंगोरा, मंडुवे का आटा, चिड़ा, कौंणी, जैसे 150 प्रकार के स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया। आज पहाड़ी उत्पादों के जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 हजार की जनसंख्या लाभांवित हो रही है। देशभर में लगने वाली प्रदर्शनियों में नौटियाल दम्पत्ति के पहाड़ी उत्पाद अपनी अलग पहचान बना चुके हैं

‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।’ उक्त पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है उत्तराखण्ड के यमुना घाटी के देवलसारी गांव के नरेश नौटियाल और उनकी पत्नी लता नौटियाल की जिद और जुनून ने। जिसके चलते आज रवांई घाटी ही नहीं अपितु उत्तराखण्ड के पहाड़ी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान मिली है जिससे पहाड़ी उत्पादों को बाजार और स्थानीय किसानों को घर में ही रोजगार मिल रहा है।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद के नौगांव ब्लॉक के देवलसारी गांव के नरेश नौटियाल ने परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बेहद छोटी उम्र मे ही रोजगार की तलाश में 2002 में हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) में मार्केटिंग सुपरवाइजर की नौकरी शुरू की, हार्क में नौकरी करते हुए वे रंवाई महिला स्वायत्त सहकारिता समूह की महिलाओं से लाल चावल, मंडुवा, झंगोरा, मंडुवे का आटा, चिड़ा, कौंणी, अखरोट, राजमा जैसे स्थानीय उत्पाद एकत्र कर उन्हें देहरादून, दिल्ली हॉट बाजार प्रगति मैदान आदि स्थानों पर बेचते थे। इसलिए उन्हें मार्केटिंग का अच्छा खासा अनुभव हो गया था। नरेश ने सात साल तक हार्क में नौकरी करने के उपरांत 2009 में नौकरी छोड़ दी और स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगाने का प्रयास करने लगे। वह स्थानीय महिलाओं के सहयोग से गांव-गांव जाकर पहाड़ी उत्पादों को एकत्र करने लगे और फिर उन्हें देश के विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले मेलों में स्टॉल लगाकर बेचते। इससे नरेश ही नहीं, अन्य ग्रामीणों को भी अच्छी-खासी आमदनी होने लगी। धीरे-धीरे नरेश नौटियाल की देहरादून से लेकर दिल्ली, मुंबई के बाजार में अच्छी पहचान बनने लगी।

वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली, मुंबई, उत्तरायणी मेला बरेली, गुजरात, इलाहाबाद, हिमाचल प्रदेश आदि स्थानों पर स्टॉल लगाकर पहाड़ी उत्पादों को बेचने लगे। आज पहाड़ी उत्पादों से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है। यही नहीं इससे लगभग 3000 मझौले किसान परिवारों को भी अपने ही घर में प्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। नरेश ने किसानों को बाजार और के साथ घर पर ही रोजगार, जिससे बीच के सारे बिचौलिए समाप्त हो गए। परिणामस्वरूप किसानों को उनकी फसल का अच्छा खासा दाम घर पर ही मिलने लग गया और किसानों की आर्थिकी भी बढ़ने लगी। जिससे वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं देने में सक्षम हो पाए। जिसकी बदौलत आज किसानों के बच्चे अच्छी-अच्छी सरकारी नौकरियों में हैं। सही मायनों में नरेश ने विगत 15 सालों में लोकल फॉर वोकल की कहावत को धरातल पर उतारा है। आज नरेश नौटियाल और उनकी पत्नी लता नौटियाल रंवाई घाटी के लिए मिसाल और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यमुना घाटी में नौटियाल की प्रेरणा से अन्य युवा भी प्रेरित हुए हैं।

150 प्रकार के उत्पादों को दिलाई पहचान
नरेश नौटियाल और उनकी पत्नी लता नौटियाल ने रवांई घाटी सहित उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग के 150 प्रकार के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई है। 15 प्रकार की राजमा 60 प्रकार की मोटी दालें, अखरोट, जखिया, साबुत मसाले, साबुत हल्दी, दाल से बनी हुई बड़ी, दाल की नाल बड़ी, सिलबटे का पीसा हुआ नमक, लाल चावल, मंडुवा, झंगोरा, मंडुवे का आटा, चिड़ा, कौंणी, सहित 150 प्रकार के स्थानीय उत्पादांे को बाजार उपलब्ध कराया। आज पहाड़ी उत्पादों के जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 हजार की जनसंख्या लाभान्वित हो रही है। आज देशभर में लगने वाली प्रदर्शनियों में नरेश के पहाड़ी उत्पाद अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। मुम्बई, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला प्रगति मैदान, जयपुर, सूरत, शिमला, विश्व प्रसिद्ध दशहरा मेला कूल्लू, शिवरात्रि मेला मंडी, अहमदाबाद, बरेली, इलाहाबाद व उत्तराखण्ड के विभिन्न शहरों में लगने वाले मेलों में नरेश नौटियाल के पहाड़ी उत्पादों को हाथों हाथ लिया जाता है।

शादियों और पार्टियों में पहाड़ी कोल्ड ड्रिंक की धूम…

रवांई घाटी की शादियों और पार्टियों में अब नरेश नौटियाल के रुद्रा एग्रो स्वायत्त सहकारिता द्वारा बनी स्थानीय उत्पादों की कोल्ड ड्रिंक पहली पसंद बन रही है। जिसमें बुरांश, माल्टा, लीची, पुदीना, लेमन, आंवला सहित 14 प्रकार के जूस मिल रहा है जिसे हर कोई पसंद कर रहा है।

पत्नी के सहयोग से मिली सफलता की मंजिल…

2009 में नरेश नौटियाल की शादी लता नौटियाल के साथ होने के उपरांत उन्होंने सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। आज ये दम्पति घर में ही रोजगार सृजन करके पहाड़ से पलायन को रोकने में सफल हुए हैं। लता नौटियाल द्वारा निर्मित ब्रांड ‘पहाड़ी पीसीयू लूण व नाल बड़ी’ भारी मात्रा में बिकती है। लता रंवाई घाटी के पकवानों का भी अब खूब प्रचार-प्रसार कर रही हैं। देहरादून में कई अवसरों पर लता ने अपनी रसोई सजाकर लोगों को रंवाई के पकवानों का स्वाद चखाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, मतदाता जागरूक कैम्पेन, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर युवाओं को रोजगार करने के कैम्पेन में भी शामिल होती हैं।

मिल चुके हैं अनगिनत सम्मान
नरेश नौटियाल और उनकी पत्नी लता नौटियाल को विभिन्न अवसरों पर विभिन्न सम्मान और पुरुस्कार मिल चुके हैं। लता नौटियाल को उत्तराखण्ड सरकार द्वारा तीलू रोतेली पुरुस्कार, दिल्ली मे वर्ष 2021 में ‘नारी शक्ति सम्मान व स्वर्ण पदक’ सहित विभिन्न सम्मान भी मिल चुके हैं जबकि नौटियाल को स्वरोजगार के लिए सम्मानित किया जा चुका है। बकौल नौटियाल दम्पत्ति यदि अपने ऊपर विश्वास हो तो कोई भी कार्य किया जा सकता है। आज रंवाई के पहाड़ी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान और किसानों को घर पर रोजगार मिलना हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।

 

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