बीते दिनों भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों चलते सरकारी सेवा से जबरन निकाले गए दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारी एवी प्रेमनाथ उर्फ नटवरलाल की ठगी का शिकार हुए बागेश्वर के मूल निवासी गोपाल सिंह बिष्ट की कहानी उत्तराखण्ड की राजस्व पुलिस, स्थानीय लेखपाल-पटवारी से लेकर जनपद अल्मोड़ा के पूरे शासकीय तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर देती है। कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी एक साल तक गोपाल की रिपोर्ट दर्ज न होना राजस्व पुलिस की लापरवाही को सामने लाता है। फिलहाल, अल्मोड़ा की अदालत ने इस मामले में राजस्व निरीक्षक को फटकार लगाते हुए 3 दिन में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं

वर्ष 2020 में जब कोविड महामारी चलते पूरा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा था और संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, एवी प्रेमनाथ ने गोपाल सिंह की जमीन कब्जाने और उसे
प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के नाम करने की साजिश को परवान चढ़ाया। 2 और 3 जून, 2020 को गोपाल सिंह को लॉकडाउन के दौरान एवी प्रेमनाथ ने दिल्ली बुला एक ऐसे कारनामे को अंजाम दिया जिसे कोई नटवरलाल ही कर सकता है। दिल्ली प्रशासन में अपनी पहुंच और पद का इस्तेमाल कर प्रेमनाथ ने दो प्रकार के कागजात तैयार किए। यह कागजात गोपाल सिंह की जमीन को खुर्द-बुर्द करने की नीयत से बनाए गए थे। अपनी पहुंच के बल पर गोपाल सिंह का दिल्ली के पते पर फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनवा प्रेमनाथ ने सब रजिस्ट्रार, दक्षिणपूर्व दिल्ली के यहां इन दो कागजातों को बकायदा दर्ज भी करा डाला। पहला दस्तावेज 2 जून, 2020 को ‘डीड ऑफ डिक्लेरेशन’ का बनाया गया जिनमें गोपाल सिंह की तरफ से लिखा गया है कि ग्रामी डांडा-कांडा में उसके नाम दर्ज 49 नाली 10 मुट्ठी जमीन असल में प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की है जिसे कड़े भू-कानूनों के चलते स्वयं खरीद पाने में असमर्थ्य फाउंडेशन ने उसके नाम पर खरीदी है। इसमें आगे लिखा गया है कि इस जमीन पर पूरा अधिकार प्लीजेंट वैली फाउंडेशन का ही है। 3 जून, 2020 को एक दूसरा दस्तावेज भी इसी सब रजिस्ट्रार ऑफिस में ‘इन्डेमनिटी बॉन्ड’ कह दर्ज कराया गया। इस दस्तावेज में लिखा गया है कि गोपाल सिंह ग्राम डांडा-कांडा में स्थित 49 नाली 10 मुट्ठी भूमि का मालिक है और वह स्वेच्छा से यह भूमि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को बेच रहा है। गौरतलब है कि एक दस्तावेज में लिखा गया है कि जमीन प्लीजेंट वैली फाउंडेशन ने ही उत्तराखण्ड के सख्त भू-कानून से बचने के लिए गोपाल सिंह के नाम से खरीदी गई है तो दूसरे दस्तावेज में कहा गया है कि जमीन गोपाल सिंह की है जिसे वह स्वेच्छा से प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को बेच रहा है। ‘दि संडे पोस्ट’ के पास मौजूद इन दोनों दस्तावेजों से स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार राज्य के सख्त भू-कानूनों को एवी प्रेमनाथ धता बता स्थनीय ग्रामीण की जमीन पर कब्जा किए बैठा है।
गोपाल सिंह की पचास नाली भूमि पर अवैध कब्जा
गोपाल सिंह को बहुत सुनियोजित तरीके से एवी प्रेमनाथ ने अपनी ठगी के जाल में फांसा। वर्ष 2008 में अल्मोड़ा जनपद के गांव डांडा-कांडा में गरीब बच्चों के लिए एक स्कूल खोलने के नाम पर प्लीजेंट वैली फाउंडेशन संस्था की अध्यक्ष आशा प्रेमनाथ पत्नी एवी प्रेमनाथ ने राज्य सरकार के समक्ष आवेदन किया। राजस्व सचिव, उत्तराखण्ड सरकार ने 2/12/2008 को इस बाबत सरकार की स्वीकृति देने संबंधी आदेश जारी कर दिया। इसके बाद शुरू हुआ एवी प्रेमनाथ की ठगी का मायाजाल। इस संस्था ने गांव डांडा-कांडा में ग्रामीणों की जमीन पर कब्जा करने, अवैध वृक्ष कटान करने, अवैध भवन निर्माण करने के साथ-साथ गोपाल सिंह की लगभग 50 नाली जमीन को भी अपने कब्जे में ले लिया। पहले गोपाल सिंह को इस फाउंडेशन का मैनेजर बना एवी प्रेमनाथ ने अपने विश्वास में ले लिया। स्थानीय होने के नाते गोपाल सिंह को संस्था का मैनेजर नियुक्त कर प्रेमनाथ ने ग्रामीणों का भरोसा जीता कि इस संस्था का उद्देश्य उत्तराखण्ड के गरीब बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा उपलब्ध कराना है। गोपाल सिंह की जमीन प्लीजेंट वैली द्वारा खरीदी गई जमीन से सटी हुई है। प्रेमनाथ के कहने पर गोपाल सिंह ने इस जमीन पर एक भवन का निर्माण इस भरोसे कर दिया कि उसका भवन प्लीजेंट वैली स्कूल द्वारा अच्छे किराए पर ले लिया जाएगा और उसे नियमित किराया मिलने लगेगा। ऐसा लेकिन हुआ नहीं। एवी प्रेमनाथ की नियत में पहले से ही खोट था।
एक बार फिर दोहराई गई पुरानी कहानी
जिस तरह से गोपाल सिंह बिष्ट के नाम पर महरौली (दिल्ली) न्यायालय में एक पत्र दिया गया वह एक बार फिर पूर्व दानिक्स अधिकारी एवी प्रेमनाथ के पुराने कारनामों को उजागर करता नजर आ रहा है। न्यायालय को दिए गए पत्र में जो भाषा लिखी गई है वह अग्रेजी में है जबकि सच यह है कि गोपाल सिंह बिष्ट को अंग्रेजी ही नहीं आती है। इसी तरह पूर्व में भी प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के कर्ताधर्ताओं का फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका था जिसमें फाउंडेशन में कार्यरत कर्मचारी बचीराम के नाम से स्थानीय निवासी बिशन सिंह अधिकारी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस शिकायत में बचीराम के नाम से जो शिकायत दर्ज कराई गई उसमें घालमेल यह था कि बचीराम अनपढ़ था, वह अंगूठा लगाकर अपने हस्ताक्षर का प्रयोग करता था लेकिन शिकायत पत्र में उसके अंग्रेजी में हस्ताक्षर कराए गए। बाद में ‘दि संडे पोस्ट’ द्वारा जब बचीराम से इस बाबत पूछा गया तो वह न केवल शिकायत दर्ज कराने, बल्कि अपने हस्ताक्षर करने की बात से ही मुकर गया था। बचीराम ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उसने न तो बिशन सिंह के खिलाफ शिकायत की और न ही किसी पत्र पर कोई हस्ताक्षर किए थे। कुछ इसी तरह महरौली कोर्ट में भी गोपाल सिंह बिष्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा कर मामले को अंजाम दिया गया है।
गोपाल सिंह की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं
एवी प्रेमनाथ ने जब इन कागजातों पर गोपाल सिंह से दस्तख्त कराए थे तब वह प्लीजेंट वैली में कार्यरत थे। इन कागजातों में क्या लिखा है यह तक गोपाल सिंह को नहीं बताया गया था। जमीन कब्जाने का उद्देश्य पूरा होने के बाद गोपाल सिंह को प्लीजेंट वैली फाउंडेशन से बाहर निकाल दिया गया। इतना ही नहीं उसे उसकी ही जमीन और भवन में प्रवेश करने तक से रोक दिया गया। 18 अप्रैल, 2022 को गोपाल सिंह ने अपना भवन और जमीन तथा दो मोटर साइकिल कब्जाए जाने की लिखित शिकायत डीएम एवं एसएसपी अल्मोड़ा के कार्यालय में दर्ज कराई। इन दोनों शिकायतों पर कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई है। 11 नवंबर, 2022 को गोपाल सिंह ने सब रजिस्ट्रार, दक्षिण पूर्व दिल्ली के कार्यालय में दोनों दस्तावेजों को रद्द करने के लिए ‘डीड ऑफ रिवोकेशन’ दाखिल की जिसे दर्ज कर लिया गया है। इसके बावजूद जिला प्रशासन अल्मोड़ा ने आज तक गोपाल सिंह की कब्जाई जमीन पर प्रेमनाथ के अवैध कब्जे को खाली कराने का कोई प्रयास नहीं किया है। उल्टा गोपाल सिंह के खिलाफ एक के बाद एक एफआईआर अल्मोड़ा की राजस्व पुलिस प्रेमनाथ के इशारे पर दर्ज करती जा रही है।
कोर्ट ने दिए एफआईआर के आदेश
जिला प्रशासन और एवी प्रेमनाथ की जुगलबंदी के आगे गोपाल सिंह की एक न चली। अंततः उन्होंने न्यायालय की शरण ली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा के समक्ष दायर याचिका में गोपाल सिंह ने एवी प्रेमनाथ के खिलाफ उनकी जमीन एवं भवन कब्जाने के साथ-साथ उनकी दो मोटर साइकिल भी जबरदस्ती कब्जाने की बात कही। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा ने गोपाल सिंह की याचिका को सही मानते हुए अपने निर्णय में कहा- अतः प्रार्थी गोपाल सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र व राजस्व पुलिस क्षेत्र गोविंदपुर से प्राप्त आख्या के अवलोकन से प्रस्तुत मामले में प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध कारित होना प्रतीत होता है, जिस सम्बन्ध विवेचना कराया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। अतः उपरोक्त समस्त तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत मामले में नियमानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाकर विवेचना करवाए जाने हेतु पर्याप्त आधार प्रतीत होता है। तद्नुसार प्रार्थी गोपाल सिंह का प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा-156(3) दप्रसं स्वीकार किए जाने योग्य है। प्रार्थी गोपाल सिंह का प्रार्थना पत्र कासं-3क/1 लगायत 3क/2 अंतर्गत धारा-156 (3) दण्ड प्रक्रिया संहिता स्वीकार किया जाता है। तद्नुसार राजस्व पुलिस उप-निरीक्षक, गोविंदपुर, तहसील व जिला अल्मोड़ा को आदेशित किया जाता है कि वह प्र्रस्तुत मामले में उपरोक्त संस्था प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के संबंधित व्यक्ति/व्यक्तियों के विरुद्ध नियमानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाकर विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें।
बकौल गोपाल सिंह इस स्पष्ट आदेश के बाद भी राजस्व पुलिस ने आरोपी एवी प्रेमनाथ के खिलाफ एफआईआर अभी तक दर्ज नहीं की है। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान 24/08/2022 को प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की तरफ से उप राजस्व निरीक्षक, गोविंदपुर को दिए गए एक शिकायत पत्र पर तुरंत कार्यवाही करते हुए राजस्व पुलिस ने प्लीजेंट वैली
फाउंडेशन में चोरी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने में देरी नहीं लगाई। गोपाल सिंह के अनुसार इस एफआईआर के बाद एक दूसरी एफआईआर भी उसके खिलाफ राजस्व पुलिस ने बगैर कोई जांच किए दर्ज कर ली है और अब लगातार उसके परिजनों को डरा-धमका रही है कि प्रेमनाथ से समझौता कर लो अन्यथा गोपाल को जेल भेज दिया जाएगा।
किसके दबाव में काम कर रही राजस्व
पुलिस अंकिता भंडारी हत्याकांड में अपनी जगहसाई करा चुकी राजस्व पुलिस की लापरवाही उस समय भी सामने आ चुकी है जबकि पूर्व दानिक्स अधिकारी एवी प्रेमनाथ अपने ही कार्यालय में तैनात एक चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी कुसुम चौधरी उर्फ कुसुम यादव की नाबालिग बेटी को उत्तराखण्ड लाकर उसका यौन उत्पीड़न कर चुका था। कोरोनाकाल में प्रेमनाथ द्वारा दिल्ली से अपनी गाड़ी में बिठाकर नाबालिग बच्ची को लाया गया और अपने संस्थान प्लीजेंट वैली फाउंडेशन में यौन दुराचार किया गया था, तब राजस्व पुलिस में एवी प्रेमनाथ के खिलाफ पीड़िता की मां ने शिकायत की थी। एक साल बाद जब पीड़ित बच्ची की मां अल्मोड़ा जिलाधिकारी से मिली और राजस्व पुलिस की रिपोर्ट दर्ज न करने की शिकायत की तो तब डीएम के आदेश पर एवी प्रेमनाथ के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया जा सका। राजस्व पुलिस द्वारा गोपाल सिंह बिष्ट के मामले में ऐसे ही कोताही बरती गई। वह तब है जब अदालत भी गोपाल सिंह बिष्ट के पक्ष में एवी प्रेमनाथ के खिलाफ राजस्व पुलिस को 5 नवंबर 2022 को मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दे चुकी है।
कोर्ट के आदेश ले जाकर पीड़ित संबंधित राजस्व थाना क्षेत्र में रिपोर्ट दर्ज करा सकता है एक साल बीत जाने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो यह मामला गंभीर है। पीड़ित को तुरंत राजस्व के थाना क्षेत्र में संपर्क करना चाहिए। तुरंत एफआईआर दर्ज होगी।
विनित तोमर, जिलाधिकारी अल्मोड़ा
पांच नवंबर 2022 को कोर्ट द्वारा राजस्व पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। लेकिन न्यायालय स्टाफ द्वारा आदेशों को राजस्व पुलिस के पास नहीं भेजा गया। इस पर
गोपाल सिंह बिष्ट द्वारा अवमानना याचिका दायर की गई। फिलहाल, अल्मोड़ा की अदालत ने स्टाफ और राजस्व पुलिस को फटकार लगाते हुए तीन दिन के अंदर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
अंशुल लोशाली, अधिवक्ता गोपाल सिंह बिष्ट