मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में शामिल ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ की शुरुआत जून, 2014 में राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए की गई थी। 20 हजार करोड़ के भारी-भरकम बजट वाले इस मिशन का ब्रांड एम्बेस्डर बच्चों की प्रिय कॉमिक पुस्तक के पात्र ‘चाचा चौधरी’ को बनाया गया। इस मिशन का उद्देश्य गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में फेंके जा रहे कूड़े को सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के जरिए साफ करना है ताकि गंगा की पवित्रता को सुनिश्चित किया जा सके। ‘मां गंगा’ के उद्गम स्थल से ही लेकिन इस परियोजना के लक्ष्य पर पलीता लगाया जा रहा है। चमोली जिले के गौचर शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए खरीदे गए संयंत्र का संचालन बंद होने के चलते सारा कूड़ा अलकनंदा नदी में फेंका जा रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के तहत गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल करने के लिए करोड़ों की योजनाएं चलाई जा रही हैं। गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड में होने के चलते उत्तराखण्ड प्रदेश को बड़ी तरजीह देते हुए गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों को स्वच्छ रखने के लिए नदियों के तटां पर स्थित कस्बों, नगरों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट के निस्तारण के लिए कूड़ा निस्तारण केंद्र और बनाए जा रहे हैं। इस योजना में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तथा बद्रीनाथ से लेकर देवप्रयाग तक गंगा और अलकनदां नदी तथा इनकी सहायक नदियों के तटां पर स्थित नगरों के लिए करोड़ों का बजट स्वीकृत किया गया है। हैरत की बात यह है कि जिस शहरी विकास विभाग को इसके लिए जिम्मेदारी दी गई है, वही विभाग प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसकी बानगी गौचर नगर पालिका द्वारा कूड़ा निस्तारण स्थल केंद्र है जिसके चलते अलकनंदा नदी में कूड़ा कचरा गिरने से नदी को प्रदूषित होने का खतरा बढ़ गया है।
गौचर नगर से निकलने वाले टनों कूड़े-कचरे के निस्तारण के लिए नगर पालिका द्वारा नगर से महज एक किमी. दूर बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के ठीक नीचे अलकानंदा नदी के तट पर ही कूड़ा निस्तारण स्थल बनाया गया है जो नदी को ही बुरी तरह प्रदूषित कर रहा है। यही नहीं इस कूड़ा निस्तारण केंद्र में लाखां की लागत से खरीदी गई कूड़ा छंटाई की की मशीन भी बंद पड़ी हुई है जिसके चलते यह समूचे क्षेत्र में बदबूदार कूड़े का बड़ा ढेर खड़ा हो चुका है और कूड़ा सीधा अलकनंदा नदी में गिर रहा है जिससे नदी में कूड़े -कचरे के चलते प्रदूषण बढ़ रहा है। साथ कूड़े के निस्तारण की बजाय कूड़े को नदी तट पर ही डंप किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के तहत नगरीय क्षेत्रों में कूड़े के निस्तारण के लिए योजना चलाई जा रही है। इसके लिए नगर पालिका क्षेत्रां में खास तौर पर कूड़ा निस्तारण के लिए संयंत्रों के लिए बजट की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही नमामि गंगे प्रोग्राम के तहत उत्तराखण्ड के गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के तटों पर स्थित नगरां, कस्बां के लिए करोड़ां की योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमें गंगा नदी के लिए गंगोत्री से लेकर हरिद्वार और अलकनंदा नदी के लिए बद्रीनाथ से लेकर देवप्रयाग तक के क्षेत्रो ंमें दोनां ही नदियों के तटों पर स्थित नगरीय क्षेत्रों के लिए कूड़े के निस्तारण के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसमें कूड़ा निस्तारण एवं सीवरेज योजनाएं हैं। नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने और स्वच्छता मिशन को बढ़ावा देने के लिए इन योजनाओं को लागू किया गया है। जिसके लिए कूड़ा निस्तारण योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए शहरी विकास विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया गया है।
गौचर नगर पालिका राज्य की ऐसी नगर पालिका हे जिसमें हवाई पट्टी का निर्माण हो चुका है जिसके चलते गौचर नगर राज्य के पर्यटन के मानचित्र में अपना बड़ा स्थान बना चुका है। इसके अलावा सदियों से गौचर में हर वर्ष भव्य गौचर मेला लगता है जो कि एक माह तक चलता है। इस मेले में प्रदेश के अनेक स्थानां से व्यापारी और बुनकर-शिल्पकार आदि आते हैं। इस कारण हजारों की आबादी का दबाव नगर पर बना रहता है। इसके अलावा कई मेले भी गौचर में होते रहते हैं। इन मेले के चलते गौचर नगर क्षेत्र में आवागमन भी बड़ी तादात में होता है। नगर की बढ़ती आबादी और चारधाम यात्रा मार्ग से सीधे जुड़े इस छोटे से पहाड़ी नगर में प्रतिदिन कई टन कूड़ा-कचरा निकलता है जिसके लिए पालिका प्रशासन के वर्ष 2017 में नगर से एक किमी. दूर बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर अलकनंदा नदी के तट पर ही कूड़ा एकत्र स्थल बनाया हुआ है। इसमें नगर के सातां वार्डां का प्रतिदिन 5 टन कूड़ा एकत्र किया जाता है।
इसके लिए पालिका प्रशासन यूजर चार्ज भी लेता है। 2017 में पालिका ने 1 लाख 43 हजार 526 रुपए वूसले जबकि 2022 के वित्तीय वर्ष में पालिका ने 2 लाख 23 हजार 426 रुपए वसूल किए हैं। इससे यह साफ हो जाता है कि नगर की आबादी विगत पांच वर्षों में बढ़ी है और कूड़ा कचरा भी उतनी ही तेजी से निकलता रहा है। इसी कूड़े को नगर पालिका अपने कूड़ा एकत्र स्थल पर डंप करती रही है। हालांकि पालिका प्रशासन का दावा है कि कूड़ा एकत्र करके इसकी छंटाई की जाती है जिसमें कई प्रकार का कूड़ा-कबाड़ा आदि में बेच दिया जाता है। साथ ही जैविक कूड़े को एकत्र करके उसे नगर क्षेत्र में बनाए गए 18 नाडा पिटो में दबा दिया जाता है। लेकिन अजैविक कूड़े के निस्तारण के लिए भी नाडा पिट का ही प्रयोग किया जा रहा है।
धरातल पर पालिका प्रशासन के दावों की पूरी तरह से पोल खुलती साफ तौर पर दिखाई दे रही है। पालिका द्वारा इसके लिए 9 लाख की लागत से एक कूड़ा छंटाई मशीन लगाई हुई हे जो कूड़े की छंटनी करती है। इस छंटाई के बाद जो भी कूड़ा बिक्री के योग्य होता है उसे संचालक बेच देता है और शेष कूड़े को वहां डंप किया जा रहा है। कूड़ा एकत्र स्थल पर काम करने वाले व्यक्ति का कहना है कि उसे 21 दिन आए हुए हो गए हैं लेकिन उसने इन 21 दिनों में यह मशीन कभी चलते हुए नहीं देखी है और न ही उसने मशीन को चलाया है। इससे पालिका के सभी दावों की हवा निकलती दिखाई दे रही है। साथ ही पालिका के नाडा पिटो में कूड़े को दबाने के दावे भी खोखले सबित हो रहे हैं। आज भी इस स्थल पर कई मीटर उंचा कूड़ा का ढेर देखा जा सकता है जिसमें कूड़ा इतना भारी तादात में एकत्र हो चुका है कि वह सीधे अलकनंदा नदी में गिर रहा है।
अलकनंदा नदी में कूड़े गिरने की पोल स्वयं प्रकृति ने खोल के रख दी है। कुछ समय पूर्व इस कूड़ा एकत्र स्थल की दीवार भूस्खलन के चलते गिर गई थी और पूरा मलवा कूड़े के साथ सीधे अलकनंदा नदी में समा गया था। आज भी उसी मलवे में पुराना कूड़ा जिसमें सबसे ज्यादा प्लास्टिक की थैलियां दबी हुई नजर आ रही हैं। जबकि नगर पालिका का दावा है कि कूड़े को नगर में बनाए गए 18 नाडा पिटो में दबाया जाता है जबकि गौचर नगर पालिका द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रतिदिन सवा टन जैविक कूड़ा और करीब 4 टन अजैविक कूड़ा एकत्र होता है। यानी प्रतिदिन 5 टन कूड़े को पालिका द्वारा अलकनंदा नदी के तट पर डंप किया जा रहा है।
हालांकि नगर के कूड़ों के निस्तारण के लिए गौचर में कूड़ा निस्तारण केंद्र का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके लिए शहरी विभाग द्वारा चमोली जिले की बड़ी नगर पालिका गौचर में भी कूड़ा निस्तारण केंद्र के लिए अक्टूबर 2019 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्य स्थल योजना के तहत 1 करोड़ 30 लाख 73 हजार का बजट अवमुक्त किया गया है। पालिका और शहरी विकास के द्वारा इसके लिए सप्त ऋषि इनवायरो सोल्यूशन देहरादून को 20 जून 2022 को कार्य आदेश जारी कर दिया गया है। इसके लिए पालिका ने 0-12 हेक्टेयर भूमि भी उपलब्ध करवा दी है लेकिन अभी तक इसका निर्माण पूरा नही हो पाया है जिसके चलते
पालिका द्वारा अस्थाई कूड़ा निस्तारण केंद्र से ही काम चलाया जा रहा है।
बात अपनी-अपनी
ऐसा तो नही होना चाहिए। आप मुझे फोटो, वीडियो भेज दें। मैं देख लूं फिर मैं उनसे बात करता हूं कि हमने पैसा किस मद से भेजा है और क्या काम हो रहे हैं फिर मैं आपको इस बारे में कोई बयान दूंगा।
दीपेंद्र चौधरी, सचिव, शहरी विकास
नदी के तट पर जो कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है वह हमारे पास नही है। इसके बारे में तो नगर पालिका से ही बात करें कि वह किसके अंडर में है। हमारा प्रोजेक्ट तो दूसरी जगह पर बन रहा है जो अभी अंडर कंस्ट्रक्सन में है। हमारा काम जल्द ही पूरा हो जाएगा।
मोहित द्विवेदी, प्रबंध निदेशक, सप्त ऋषि इनवायरो सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, देहरादून
जिस कूड़े स्थल की बात आप कर रहे हैं वह कूड़ा एकत्र स्थल है। इसमें नगर के सभी वार्डों का कूड़ा एकत्र किया जाता है फिर उसकी मशीन से छंटाई की जाती है। जो कूड़ा बेचने के लायक होता है उसे बेच दिया जाता है और बाकी को नगर में बनाई हुई पिटो में दबा दिया जाता है। इसमें जैविक और अजैविक कूड़े दोनों को ही दबाया जाता है। मैंने 13 जनवरी को गौचर का चार्ज लिया है इसलिए मैं इसके बारे में आपको ज्यादा तो नहीं बता पाऊंगा लेकिन मैंने अब कूड़ा छंटाई मशीन को नियमित चलाए जाने और कूड़े को सही तरीके से दबाने के लिए आदेश दे दिए हैं। हमारे नगर के लिए कूड़ा निस्तारण संयंत्र का काम चल रहा है जल्द ही वह शुरू हो जाएगा तो इस स्थल को हम बंद कर देंगे। जैविक कूड़े से खाद बनाए जाने की योजना पर भी हम काम कर रहे हैं।
ज्योति प्रसाद उनियाल, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, गौचर