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Uttarakhand

चुनाव परिणामों से पहले गुणा भाग में जुटी भाजपा – कांग्रेस 

देश में इन दिनों राजनीतिक दृष्टि से उत्तराखण्ड सहित पांच महत्वपूर्ण  राज्यों के विधानसभा चुनाव अंतिम दौर में हैं। दस मार्च को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। ये चुनाव  खासकर दोनों राष्ट्रीय दल भाजपा – कांग्रेस के लिए भी अहम हैं। एक और जहां कांग्रेस  अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा की अग्निपरीक्षा भी है। उत्तराखण्ड में  जहां सत्ताधारी भाजपा का दावा है कि वह साठ सीटें जीत रही हैं, जबकि कांग्रेस का दावा है कि वह 48 से ज्यादा सीटें जीत रही है और सरकार बना रही है। राजनीतिक जानकार इस बात की भी आशंका जता रहे हैं कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है। ऐसे में दोनों दल अपने विधायकों को एकजुट करने और गुणा भाग करने में जुट गए हैं।

 

 गौरतलब है कि पांच में से चार राज्यों में भाजपा की सरकार है। इन चुनावों में सत्ताधारी भाजपा अपनी सरकार बचाने के लिए मैदान में डटी हुई है, तो कांग्रेस  सत्ता काबिज करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। अगर हम बात करें उत्तराखण्ड की तो ,70 विधायकों वाली उत्तराखण्ड विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत होती है। ऐसे में दोनों दलों ने 10 मार्च के लिए विशेष तैयारियां की हैं। दोनों दल अभी से सरकार बनाने की गुणा-भाग में जुटे हुए नजर आ रहे हैं।
दरअसल, भाजपा उत्तराखण्ड में सरकार बनाने के मामले में कोई चूक नहीं चाहती है। इसलिए पार्टी ने राज्य के साथ केंद्रीय स्तर के नेताओं को उत्तराखण्ड की स्थिति के लिए तैनात किया है। इसी सिलसिले में राज्य के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी सात मार्च को राजधानी में एक अहम बैठक करेंगे। इस बैठक में सभी सांसदों के अलावा, वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ-साथ भाजपा के जिलाध्यक्षों, उम्मीदवारों और प्रभारियों को बुलाया गया है। इस बैठक में 10 मार्च की प्लानिंग तैयार की जाएगी।
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में पार्टी के पदाधिकारियों को मतगणना प्रक्रिया का ब्यौरा दिया जाएगा। भाजपा ईवीएम के साथ-साथ पोस्टल बैलेट की गिनती को भी गंभीरता से ले रही है। क्योंकि राज्य में चुनाव हारने और जीतने का काफी कम अंतर होता है। लिहाजा पार्टी की रणनीति के तहत मतगणना में अनुभवी कार्यकर्ताओं को ही लगाया जाएगा।

 मैदान में डटी है कांग्रेस  

 

कांग्रेस ने भी अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है। आठ और नौ मार्च को हर विधानसभा क्षेत्र के काउंटिंग एजेंट्स को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि मतगणना में किसी भी प्रकार कोई गलती नहीं हो। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि राज्य में चुनाव के बाद नई सरकार बनेगी। लिहाजा कांग्रेस मधुबन होटल में आगे की रणनीति तैयार करेगी। कांग्रेस के बड़े नेता नौ मार्च को होटल में डेरा डालेंगे। कांग्रेस के सभी बड़े नेता आठ मार्च से देहरादून पहुंचने लगेंगे। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, वरिष्ठ पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश, राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी देहरादून पहुंचेंगे।

वहीं, दूसरी तरफ राज्य के सभी बड़े कांग्रेस नेता सभी कांग्रेस उम्मीदवारों के लगातार संपर्क में हैं। पार्टी परिणाम आने तक सभी को साध कर रख रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हरीश रावत मोर्चा संभाले हुए हैं। वे लगातार उम्मीदवारों के साथ-साथ आलाकमान से भी संपर्क में बने हुए हैं। जल्द ही वे भी कांग्रेस के पदाधिकारियों के साथ अहम बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

निर्दलीय विधायकों की भूमिका होगी अहम

 

 

राज्य के चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे। लेकिन दोनों ही दल अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए नजर आ रहे हैं। जहां सत्ताधारी भाजपा का दावा है कि वह साठ सीटें जीत रही हैं, जबकि कांग्रेस का दावा है कि वह 48 से ज्यादा सीटें जीत रही है और सरकार बना रही है। राजनीतिक जानकार इस बात की भी आशंका जता रहे हैं कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है। ऐसे में बसपा, उत्तराखण्ड क्रांति दल, आम आदमी पार्टी के जीतने वाले विधायकों की भूमिका अहम हो जाएगी।

पिछले चुनाव के मुकाबले  कम हुए मतदान के मायने

 

 राज्य में इस बार कुल 62.5 फीसदी मतदान हुआ है, जो कि पिछली बार के कुल मतदान प्रतिशत से कम है। 2017 विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 70 विधानसभा सीटों पर 65 फ़ीसदी मतदान हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 58 सीटों पर जीत मिलीं थीं। पांच साल के कार्यकाल के दौरान राज्य को तीन मुख्यमंत्री मिले।

उल्लेखनीय है कि राज्य में अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें दो बार भारतीय जनता पार्टी और दो बार कांग्रेस को सत्ता मिली है। लेकिन इस बार समीकरण थोड़े बदले हुए नजर आ रहे हैं। जहां भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा कराए गए विकास कार्यों को देखते हुए सत्ता में वापसी की उम्मीद लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के चुनाव में उतरने से भाजपा और कांग्रेस को नुकसान होता दिख रहा है।

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